पुलिस कमिश्नर की नैतिकता और भूमिका पर सवालिया निशान
इंद्र वशिष्ठ,
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे एस वर्मा ने पुलिस कमिश्नर की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस कमिश्नर को इस्तीफा देना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि शांति से प्रदर्शन करने वालो पर लाठीचार्ज लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है दिल्ली
हाई कोर्ट ने भी सामूहिक बलात्कार के मामले में पेश स्टेटस रिपोर्ट पर बार
- बार पुलिस को कड़ी फटकार लगा कर पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया
निशान लगाया है । ऐसे में पुलिस कमिश्नर का यह कहना हैरानी भरा है कि उनको बिल्कुल भी यह नहीं लगा कि नैतिकता के आधार पर उनको अपना पद छोड़ देना चाहिए। इसके पहले दिल्ली के उप-राज्यपाल सामूहिक बलात्कार
मामले में दो एसीपी को सस्पेंड कर पुलिस आयुक्त की कार्यप्रणली और भूमिका
पर सवालिया निशान लगा चुके है। उप-राज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने 24 दिसंबर
12 को ट्रैफिक पुलिस के एसीपी मोहन सिंह और पीसीआर के एसीपी याद राम को
अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से न निभाने के कारण सस्पेंड करने के आदेश दिए।
पुलिस के दावे की पोल खुली -चलती
बस में सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पुलिस के गश्त और चेकिंग के दावे की
पोल खोलने के अलावा पीसीआर और ट्रैफिक पुलिस को भी कठघरे में खड़ा कर दिया
था। लेकिन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने इस मामले में किसी अफसर को तो दूर
एक सिपाही तक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में
दिसंबर में दी इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट में भी किसी पुलिस वाले को
दोषी नहीं बताया था। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर नाराजगी जताई और पुलिस को
फटकार लगाई थी। जिसके बाद पुलिस ने खानापूर्ति के नाम पर हौजखास थाने के
तीन सिपाहियों को रामाधार सिंह नामक व्यकित की लूट की शिकायत पर कार्रवाई न
करने के आरोप में 22 दिसंबर को सस्पेंड कर दिया । बलात्कार की वारदात से
पहले आरोपियों ने रामाधार को लूटा था। लेकिन वारदात के इतने दिन बाद भी
सामूहिक बलात्कार के मामले में किसी पुलिस वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई
पुलिस आयुक्त ने नहीं की । लेकिन उपराज्यपाल ने अमेरिका से वापस आते ही इस
मामले में पहली नजर में ही दो एसीपी को अपनी डयूटी/जिम्मेदारी ठीक तरह से
निभाने का दोषी पाया और उनको सस्पेंड कर पुलिस आयुक्त की कार्यप्रणाली पर
सवालिया निशान लगा दिया।
उप-राज्यपाल के रुप में तेजेंद्र खन्ना द्वारा इस तरह की कार्रवाई दूसरी बार की गई ।
- मार्च 1997 में कनाट प्लेस में अपराध शाखा के एसीपी सतबीर राठी की टीम
ने दो व्यापारियों को फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था। तत्कालीन पुलिस
आयुक्त निखिल कुमार ने पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर माफी तक
नहीं मांगी थी। लेकिन अगले दिन ही तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेद्र खन्ना ने
पुलिसवालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके साथ ही
तत्कालीन पुलिस आयुक्त निखिल कुमार को भी पद से हटा दिया गया।
आपके लिए, आपके साथ, सदैव के दावे की पोल खुली --चलती बस में
सामूहिक बलात्कार के मामले की शिकार युवती के दोस्त का बयान दिल्ली
पुलिस के अमानवीय और अंसवेदनशील चेहरे को उजागर कर पुलिस आयुक्त की भूमिका
पर सवालिया निशान लगा चुका है। युवक ने वारदात की सूचना के बाद मौके पर
पहुंची पीसीआर वैन के पुलिसवालों की असलियत का खुलासा किया। लेकिन
अफसर पुलिसवालों की गलती मानने को तैयार ही नही होते।
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