Saturday, 27 July 2013

बटला हाऊस एनकाउंटर- शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा मोबाइल नंबर से आतंकवादियों को खोजने में माहिर। इंडियन मुजाहिदीन का सरगना मारा गया


शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा
बटला हाऊस एनकाउंटर के असली हीरो इंस्पेक्टर मोहन चंद्र और उनके साथी।
बम धमकों में शामिल इंडियन मुजाहिदीन का सरगना मारा गया।

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली  13 सितंबर 2008 को हुए  सिलसिलेवार 5 बम धमाको से दहल गई। इसमें अनेक लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए थे। इसमें शामिल आतंकवादियों का पता लगाने की जिम्मेदारी स्पेशल सेल को दी गई।

6 दिनों में ही खोज निकाला आतंकवादियों को---

 दिल्ली पुलिस के  स्पेशल सेल के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त कर्नल सिंह और डीसीपी आलोक कुमार के  नेतृत्व में पुलिस टीम ने दिन रात एक कर एक सप्ताह के अंदर आतंकवादियों के बारे में अहम सुराग हासिल कर लिए।

स्पेशल सेल की स्पेशल टीम--

स्पेशल सेल ने  बटला हाऊस के उस मकान एल 18 का भी पता कर लिया जहां पर आतंकी छिपे हुए थे।  इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा, राहुल कुमार सिंह, धर्मेंद्र, सब -इंस्पेक्टर रवींद्र त्यागी, दलीप कुमार हवलदार बलवंत ,उदयवीर और राजबीर समेत करीब 18 पुलिस वालों की एक टीम बनाई गई। इनमें से कुछ पुलिस वाले आतंकवादियों के ठिकाने के अंदर गए और शेष पुलिस वालों ने ठिकाने के बाहर मोर्चा संभाला था।


19 सितंबर को सुबह करीब 9.30 बजे यह टीम सेल के लोदी कालोनी दफ्तर से जामिया नगर के बटला हाऊस के लिए रवाना हुई थी।


वोडाफोन प्रतिनिधि बन गया इंस्पेक्टर धर्मेंद्र  -

बटला हाऊस पहुंच कर आतंकियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए इंस्पेक्टर धर्मेंद्र वोडाफोन कंपनी का प्रतिनिधि बन कर मकान नंबर  एल 18 में गया।

धर्मेंद्र उस मकान के चौथे फ्लोर पर गया जहां पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना पुलिस को थी। धर्मेंद्र ने देखा कि वहां आतंकी मौजूद है। यह देख धर्मेंद्र नीचे गया और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी। इसके बाद मोहन चंद्र शर्मा अपने साथियों को लेकर ऊपर गए। जिस फ्लैट में आतंकी थे वह एल टाइप था उसका  एक दरवाजा सीढ़ियों के बिल्कुल सामने और एक दरवाजा बाएं ओर था।

इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पेश की बहादुरी की मिसाल--

 इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पहले सामने वाला दरवाजा खटखटाया वो बंद था इसके बाद शर्मा ने बाएं ओर के दरवाजे को धकेला तो वह खुल गया। जैसे ही शर्मा अंदर घुसे सामने वाले कमरे के दरवाजे के पीछे छिपे आतंकियों ने गोलियां चला दी। जिससे इंस्पेक्टर शर्मा और हवलदार बलवंत घायल हो गए। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिसमें दो आतंकी मारे गए। एक आतंकी मुहम्मद सैफ पकड़ा गया जबकि दो आतंकी भाग गए।  इसी दौरान एसीपी संजीव यादव भी सिपाही मान सिंह (अब इंस्पेक्टर) , इंद्र जीत और राजपाल  के साथ पहुंच गए थे। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की टीम ने बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनी हुई थी।

इंडियन मुजाहिदीन का उत्तर भारत का सरगना मारा गया-
मारे गए आतंकियों में बम धमाकों का जिम्मेदार इंडियन मुजाहिदीन का उत्तरी भारत का सरगना आतिफ अमीन उर्फ बशर और मुहम्मद साजिद उर्फ पंकज थे। भागने वाले आतंकी  की पहचान शहजाद और आरिज खान उर्फ जुनैद के रुप में हुई थी शहजाद को  जनवरी 2010  में यूपी पुलिस की एसटीएफ ने पकड़ा।
अदालत ने 2013 में शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई। साल 2018 आरिज खान को नेपाल सीमा से स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया।
गंभीर रुप से घायल हुए  इंस्पेक्टर शर्मा को तुरन्त पास के होली फैमिली अस्पताल में ले जाया गया हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी थी उसे एम्स में ले जाया गया। इंस्पेक्टर शर्मा के इलाज के लिए पुलिस अफसरों ने एस्कार्ट अस्पताल से भी डाक्टर बुलाए लेकिन शर्मा को बचाया नहीं जा सका।

डाक्टर ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत की जैसे ही  सूचना  दी आईसीयू के बाहर  मौजूद  पुलिस के संयुक्त आयुक्त कर्नल सिंह और डीसीपी आलोक कुमार की आंखों में भी आंसू आ गए।
स्पेशल सेल के एक अफसर ने  मोहन चंद्र शर्मा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी शुरू कराया था। खबर सुनकर  अस्पताल पहुंचने वालों में भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी भी शामिल थे।

शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

मोबाइल फोन से मिला था सुराग- 

दिल्ली  धमाकों में शामिल आतंकियों का सुराग पुलिस को में आतंकवादियों के मोबाइल  नंबर से मिला। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम धमाके हुए थे गुजरात पुलिस और आईबी ने सेल को आतंकियों द्वारा वहां इस्तेमाल किए गए फोन नंबर के अलावा यह इनपुट भी दिया कि आतंकी दिल्ली में रुके थे इन नंबरों के  एनालिसिस के दौरान पुलिस को आतिफ का नंबर मिल गया। इस नंबर से बटला हाऊस के ठिकाने का पता चला। उस  ठिकाने पर आतंकियों की मौजूदगी  वैरीफाई की गई। 

यह तय हुआ था कि जैसे ही इस मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करने वाला  आतंकवादी बटला हाउस इलाके से बाहर निकलेगा उसे उठा लेंगे। लेकिन कई दिनों तक वह आतंकवादी इलाके से बाहर ही नहीं निकला। आतंकवादी कहीं ओर बम धमाके न कर दें इसलिए उनको पकड़ने के लिए उनके ठिकाने पर ही धावा बोला गया।

इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को मोबाइल फोन के हजारों नंबरों के डाटा को एनालिसिस कर उसमें से आतंकवादी का नंबर पता लगाने में महारत हासिल थी।


कर्नल सिंह IPS
आलोक कुमार IPS



इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा (बीच में)
काले बैग वाला इंस्पेक्टर धर्मेंद्र








No comments:

Post a Comment