Friday, 21 February 2014

कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने 1984 दंगों के हत्यारे को रिहा करने की सिफ़ारिश की।



कांग्रेस का असली चेहरा ,1984 के दंगों के हत्यारे को रिहा करने की सिफारिश की थी कांग्रेस ने

इंद्र वशिष्ठ,

राजीव गांधी के हत्यारों को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा रिहा करने के फै सले की कांग्रेस द्वारा आलोचना करना उसके दोगलेपन की पोल खोलने वाला है क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस की शीला सरकार  खुद 1984 के दंगों में हत्या केमामले में उम्रकैद काट रहे एक अपराधी को रिहा करने की सिफारिश कर चुकी है। लेकिन दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के मामले में उम्र-कैद की सजा काट रहे इस अपराधी की समय-पूर्व रिहाई को दिल्ली के उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी। दिल्ली सरकार ने समय-पूर्व रिहाई की सिफारिश की थी।
पंजाब की सांसद हरसिमरत कौर बादल द्वारा वर्ष 2012 में इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में यह जानकारी दी गई।
गृह राज्यमंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने बताया कि 1984 के दंगों में कल्याण पुरी में हुई हत्या के मामले में दोषी  किशोरी उम्र 59 साल आजीवन कारावास में से 15 साल 4 महीने की कठोर कारावास की वास्तविक सजा पहले ही काट चुका है। इस आधार पर दिल्ली सरकार द्वारा गठित किए गए सेंटेंस रिव्यू बोर्ड ने 29-12-2011 को हुई एक बैठक में सीआरपीसी की धारा 432 के अंतर्गत  किशोरी की समय-पूर्व रिहाई की सिफारिश की  थी । किशोरी की  समय-पूर्व रिहाई की एसआरबी द्वारा सिफारिश करते समय पुलिस और मुख्य प्रोबेशन अफसर की अनुकूल रिपोर्टो पर विचार किया गया था। तथाति इस मामले पर सक्षम प्राधिकारी अर्थात दिल्ली के उप-राज्यपाल द्वारा सहमति प्रदान नहीं की गई ।

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