Thursday, 18 September 2014

मेट्रो जेबकतरों के चंगुल में





मेट्रो  जेबकतरों के चंगुल में

इंद्र वशिष्ठ

सावधान दिल्ली मेट्रो में सफर के दौरान अपनी जेब और सामान का पूरा ध्यान रखें और चौकन्ना रहें। मेट्रो में जेबकतरों के कई गिरोह सक्रिय है। जेबकटने के मामलों में जबरदस्त
बढ़ोतरी हो रही है। इस साल सितंबर के शुरू तक ​ही पुलिस ने कुल 1447 मामले दर्ज किए। इनमें से ज्यादातर मामले जेबकटने के है। जेबकतरे पर्स चोरी करने के अलावा मोबाइल और लैपटाप चोरी भी करते ​है। वर्ष 2013 में चोरी के 875 मामले दर्ज ​हुए थे। मेट्रो में बढ रहे चोरी के मामले पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते ​​है। हालांकि पुलिस के अपराध के आंकडे सचाई से कोसों दूर होते ​​है क्योंकि अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस जेबकटने के ज्यादातर मामलों को दर्ज नहीं करती है। फिर भी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों से भी यह साफ पता चलता है कि पहले की तुलना में मेट्रो में होने वाले अपराध के मामलों में  बढोतरी हुई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार जेबकतरों के गिरोह ज्यादा भीड़ भाड़ वाले राजीव चौक,कश्मीरी गेट,चांदनी चौक और चावडी बाजार स्टेशनों पर सबसे ज्यादा सक्रिय है। पुलिस के अनुसार मेट्रो में बढती भीड जेबकतरो के लिए माहौल मुफीद बना देती है।
मेट्रो में सवार होते समय लोगों द्वारा की जानी वाली धक्का मुक्की भी जेबकतरों को जेबकाटने या सामान चोरी करने का मौका देती है। जेबकाटते या बैग से नकदी आदि चोरी करते हुए अपराधियो के फोटो मेट्रो में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में कई बार पाए भी गए ​है। इसके बावजूद जेब​कतरों पर पुलिस अंकुश नहीं लगा पा रही है।

मेट्रो के कुल 145 स्टेशन ​है रोजाना लगभग 25 लाख लोग सफर करते ​है। मेट्रो की सुरक्षा सीआइएसएफ और दिल्ली पुलिस के हवाले ​है। मेट्रो में ​होने वाले अपराध की रोकथाम और जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस के पास है। इस कार्य के लिए 200 पुलिसकर्मी/अफसर तैनात है। पुलिस अफसर मेट्रो के लिए इतने पुलिसवालों को पर्याप्त् नहीं मानते। मेट्रो के लिए कम से कम 2000 पुलिसवालों की जरूरत है। तभी अपराध और अपराधियों पर ​कंट्रोल किया जा सकता है। 
पुलिस द्वारा गुम सामान/दस्तावेज की आन लाइन लॉस्ट रिपोर्ट दर्ज करने की सेवा इस साल 27 फरवरी को शुरू की गई। इस सेवा के शुरू होने के दो महीने के अंदर ही मेट्रो में सफर के दौरान सामान गुम होने की लॉस्ट रिपोर्ट दर्ज करवाने का आंकडा पचास हजार के करीब प​हुंच गया था। अब ऐसे में यह शक होना लाजिमी है कि क्या वाकई मेट्रो के मुसाफिरों के सामान इस कदर गु​म ​हो रहे ​​है या फिर असल में ये चोरी के मामले ​है।

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