सरकार ने
गोली मारने का आदेश नहीं दिया ।
बिहार मे 200 नील
गाय किसके आदेश पर मारी गई ?
इंद्र वशिष्ठ
केंद्र सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि उसने बिहार में 200 नील
गायों को गोली मारने का आदेश दिया है । पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव दवे ने
राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि वन्य
जीवों के कारण फसल को होने वाले नुकसान के कारण सरकार ने संबंधित राज्यों को जो परामर्श पत्र/
एडवाइजरी भेजा था उसमे गोली मारने का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया। मंत्री ने यह भी बताया कि बिहार सरकार ने भी कोई
आदेश नहीं दिया है।
वन्य जीवों की
संख्या बढ़ी-- मंत्री ने वन्य जीवों की संख्या कम होने के दावे से भी इंकार करते हुए कहा कि इनकी संख्या बढ रही
है। विशेषकर ये जो तीन श्रेणियां है नील गाय , सुअर और विशेष प्रजाति के बंदर जिनके कारण हिमाचल और
उत्तराखण्ड के किसान बहुत परेशान रहते है। इनकी हत्या के लिए कोई आदेश केंद्र
सरकार की ओर से नहीं दिया गया । कांग्रेस के मोती लाल वोरा ने इस बारे में सवाल पूछा था ।
मोती लाल वोरा ने कहा कि केंद्र सरकार ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 3 से हटाकर अनुसूची 5 में सूचीबद्ध करने के बिहार सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया जिसका मतलब यह हुआ कि केंद्र ने राज्य सरकार को एक साल के लिए पूरी छूट दे दी कि वे नील गायों को मारे । सरकार ने गोली मारने की अनुमति तो नहीं दी लेकिन उससे भी क्रूरतापूर्ण कार्य किया बिहार सरकार के अनुरोध को माना ।
केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिए जंगली सुअर,नील गाय और बंदर को संरक्षित पशु की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इनको फसलों को नुकसान पहुचाने वाला जानवर घोषित किया है ।किसान की सोचें--मंत्री ने यह भी कहा कि जब हम वन्य जीव सरंक्षण के संबंध में विचार करेंगे तो हमें उस दो बीघा जमीन के किसान का भी विचार करना चाहिए जिसकी लहलहाती फसल, शाम के समय जब वह घर लौटता है तो उसे जवान देखता है । लेकिन जब सुबह लौटता है तो उजड़ जाती है। ऐसा लगता है कि उसका जवान बेटा या बेटी संसार से चली गई हो। हमे उस किसान पर जरूर विचार करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 200 से ज्यादा नील
गायों को गोली मारने का मामला पिछले दिनों चर्चा में रहा । नील गाय को गोली मारते
शिकारी न्यूज चैनलों पर दिखाए गए।
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