Friday, 30 August 2024

केशव पुरम थाना के 3 पुलिसकर्मी लाइन हाज़िर, पुलिस बूथ से रेहड़ी वाले को बिजली दी

               डीसीपी जितेंद्र कुमार मीणा 


बूथ पर रेहड़ी लगवा दी और बिजली भी दी


इंद्र वशिष्ठ, 
केशव पुरम थाना के तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर कर दिया गया है। 
पुलिस बूथ नंबर 7 पर तैनात इन पुलिसकर्मियों ने बूथ से रेहड़ी वाले को बिजली का अवैध कनेक्शन दिया था। इस पत्रकार ने यह मामला उजागर किया। 
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि हवलदार अजय, हवलदार सुमन और सिपाही अशोक  को बीट से हटा कर जिला पुलिस लाइन में भेज दिया गया है।
डिवीजन अफसर पर कार्रवाई हो -
इस मामले में इस बीट के डिवीजन अफसर के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।डिवीजन अफसर भी जिम्मेदार है। 
बूथ से बिजली-
केशवपुरम थाना इलाके में ओंकार नगर, त्रीनगर में नाले पर पुलिस बूथ नंबर सात बना हुआ है। पुलिस वालों ने इस बूथ के बाहर ही मैंगो शेक/बनाना शेक की रेहड़ी लगवाई। बूथ के अंदर से ही तार लगा कर रेहड़ी पर बिजली दी गई । इस बिजली से ही रेहड़ी पर जूसर /मिक्सी चलाई जाती  और रोशनी की व्यवस्था की जाती। 
इस बूथ के बाहर सुबह और शाम को दो अलग लोगों द्वारा रेहड़ियां लगाई जाती। यहीं नहीं इस बूथ के आसपास सुबह छोले भटूरे और शाम को अंडे वाले आदि की रेहड़ी लगाई जाती है। माल ढुलाई वाले तिपहिया वाहन भी बूथ के साथ और आसपास खड़े रहते हैं। इन अतिक्रमणों के कारण सड़क का रास्ता संकरा हो जाता है जिससे यातायात बाधित तो होता ही है लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। 
इस बूथ पर कुछ ऐसे लोग भी बैठे रहते हैं जिन्हें इलाके में पुलिस का दलाल कहा जाता है। पुलिसकर्मियों की गैर मौजूदगी में भी ये लोग बूथ पर रहते हैं। ये बूथ का इस्तेमाल अपनी निजी संपत्ति की तरह करते हैं। 

एसएचओ जिम्मेदार-
यह सब हो रहा है इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ साथ सबसे ज्यादा जिम्मेदार एसएचओ होता है।
पुलिस बूथ पर ही रेहड़ी/ दुकान लगवाने और रेहड़ी पर बूथ से बिजली कनेक्शन दिए जाने से साफ़ पता चलता है कि एसएचओ पुलिस बूथ का दौरा नहीं करता, इलाके में या तो गश्त नहीं करता या ऐसे मामले में उसकी भी मिलीभगत होती है। दोनों ही सूरत में एसएचओ जिम्मेदार है। एसएचओ अगर ईमानदारी से गश्त करें, पुलिस बूथ का दौरा/निरीक्षण करें, तो बीट में तैनात पुलिस वाले इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सकते। 
बूथ किराए पर-
वैसे इस पुलिस बूथ का करीब तीन दशक पुराना भी एक किस्सा है। तब पुलिसकर्मियों ने पुलिस बूथ को ही किराए पर चढ़ा दिया था। अशोक विहार सब- डिवीजन के तत्कालीन एसीपी बालाजी श्रीवास्तव को इस पत्रकार ने यह जानकारी दी, तब उन्होंने पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। 




Thursday, 29 August 2024

केशव पुरम थाना पुलिस ने बूथ पर रेहड़ी लगवा दी, बिजली भी दे दी। SHO गश्त नहीं करते ?





केशव पुरम थाना पुलिस ने बूथ पर दुकान लगवा दी, बिजली भी दे दी। 



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। बेखौफ पुलिस वाले पुलिस बूथ पर ही दुकान/रेहड़ी लगवा रहे हैं। यहीं नहीं पुलिस बूथ से ही बकायदा रेहड़ी पर बिजली का कनेक्शन भी देते हैं। उत्तर पश्चिम जिले के केशव पुरम थाना इलाके में ऐसा ही एक मामला इस पत्रकार ने देखा है। 
उत्तर पश्चिम जिले में केशवपुरम थाना इलाके में ओंकार नगर, त्रीनगर में नाले पर पुलिस बूथ नंबर सात बना हुआ है। इस बूथ के बाहर ही मैंगो शेक/बनाना शेक की रेहड़ी लगाई जाती है। बूथ के अंदर से ही तार लगा कर रेहड़ी पर बिजली दी गई है। इस बिजली से ही रेहड़ी पर जूसर /मिक्सी चलाई जाती है और रोशनी की व्यवस्था की जाती है। 
इस बूथ के बाहर सुबह और शाम को दो अलग लोगों द्वारा रेहड़ियां लगाई जाती है।  (सुबह मौसमी वाला, शाम को शेक वाला) यहीं नहीं इस बूथ के आसपास सुबह छोले भटूरे और शाम को अंडे वाले आदि की रेहड़ी लगाई जाती है। माल ढुलाई वाले तिपहिया वाहन भी बूथ के साथ और आसपास खड़े रहते हैं। इन अतिक्रमणों के कारण सड़क का रास्ता संकरा हो जाता है जिससे यातायात बाधित तो होता ही है लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। 
इस बूथ पर कुछ ऐसे लोग भी बैठे रहते हैं जिन्हें इलाके में पुलिस का दलाल कहा जाता है। पुलिसकर्मियों की गैर मौजूदगी में भी ये लोग बूथ पर रहते हैं। ये बूथ का इस्तेमाल अपनी निजी संपत्ति की तरह करते हैं। 
एसएचओ जिम्मेदार-
यह सब हो रहा है इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ साथ सबसे ज्यादा जिम्मेदार एसएचओ होता है।
पुलिस बूथ पर ही रेहड़ी/ दुकान लगवाने और रेहड़ी पर बूथ से बिजली कनेक्शन दिए जाने से साफ़ पता चलता है कि एसएचओ पुलिस बूथ का दौरा नहीं करता, इलाके में या तो गश्त नहीं करता या ऐसे मामले में उसकी भी मिलीभगत होती है। दोनों ही सूरत में एसएचओ जिम्मेदार है। एसएचओ अगर ईमानदारी से गश्त करें, पुलिस बूथ का दौरा/निरीक्षण करें, तो बीट में तैनात पुलिस वाले इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सकते। 
बूथ किराए पर-
वैसे इस पुलिस बूथ का करीब तीन दशक पुराना भी एक किस्सा है। तब पुलिसकर्मियों ने पुलिस बूथ को ही किराए पर चढ़ा दिया था। अशोक विहार सब- डिवीजन के तत्कालीन एसीपी बालाजी श्रीवास्तव को इस पत्रकार ने यह जानकारी दी, तब उन्होंने पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। 







Tuesday, 20 August 2024

कालकाजी के 2 पुजारी : धोखेबाज़, भूमाफिया, शराब तस्कर।‌

 कालकाजी के पुजारी ने हड़पा बहन का धन

कालकाजी पुजारी: धोखेबाज़, भूमाफिया, शराब तस्कर



इंद्र वशिष्ठ, 
कहावत है कि डायन भी सात घर छोड़ देती है। लेकिन कलियुगी भाइयों ने तो अपनी बहन को भी नहीं छोड़ा। 
नि:संतान और लाइलाज बीमारी (सिस्टैमिक स्कलेरोसिस) से पीड़ित बड़ी बहन का धन हड़पने, मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने वाले भाइयों के ख़िलाफ़ आई पी एस्टेट थाने में शिकायत दर्ज की गई है। इन लोगों का कालकाजी मंदिर से संबंध है। 
कालकाजी मंदिर के पुजारी भाइयों सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ पोनी उर्फ पवन भारद्वाज और सोहन लाल भारद्वाज उर्फ सोनू और उनके ममेरे भाई सत्यनारायण उर्फ मोनू के ख़िलाफ़  बहन और उसके पति के साथ गाली गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई गई है। आई पी एस्टेट थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। 
भाग गए-
पुलिस ने 16 अगस्त 2024 को इन लोगों को तफ्तीश/ पूछताछ के लिए थाने में बुलाया था। पूछताछ के दौरान पोल खुलने पर गिरफ्तारी के डर/आशंका से सोनू और मोनू जांच अफसर को बताए बिना ही थाने से भाग गए। 
मीना ने साझेदारी में अपने छोटे भाई सोनू के साथ व्यवसाय (दुकानें) किया था। भाई पर अंधा विश्वास करने के कारण उसने साझेदारी की कोई लिखत पढ़त नहीं की थी। यहीं उससे सबसे बड़ी गलती हो गई। जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। 
पिछले करीब दस साल से सोनू ने मीना को उसके हिस्से के पैसे देना बंद कर दिया। पैसा मांगने पर सोनू , पोनी ने उसके और उसके पति के साथ मारपीट, गाली गलौज की और जान से मारने की धमकी दी। ममेरे भाई मोनू ने भी गाली गलौज/ बदतमीज़ी की ओर धमकी दी।
मीना ने  अपनी और अपने पति की जान की सुरक्षा के लिए पुलिस से गुहार लगाई है। 
भूमाफिया-
सत्यनारायण उर्फ पवन भारद्वाज उर्फ पोनी और उसके भाइयों सोहन लाल उर्फ सोनू और मनमोहन उर्फ टीटू ने जखीरा (सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र) में रेलवे की कई हज़ार गज जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। रेलवे ने इस अवैध कब्जे को गिराने/ हटाने के लिए नोटिस भी लगा दिया था। अब मामला अदालत में है। 
बहन के पैसे से संपत्तियां-
कुछ समय पहले तक जखीरा में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए घर में रहने वाला सोनू  बहन का पैसा हड़पने के बाद अब सोनीपत में एक्सप्रेस सिटी, सेक्टर पैंतीस में रहता है। बहन के पैसे से उसने सोनीपत में कई संपत्तियां बना ली।
 मनाली में भी बाबा चाय बार के नाम से फ्रेंचाइजी/ दुकान खोल ली है। दुकान के बारे में सोनू ने अपने परिचितों को खुद ये बात बताई हैं।
दूसरी ओर बाबा चाय बार के मालिक पवन गौतम, अतुल गर्ग और रेनू का कहना है कि सोनू का बाबा चाय बार से कोई लेना देना नहीं है। 
बाबा चाय बार का मालिक पकड़ा गया-
जबकि सच्चाई यह है कि सोनू के ममेरे भाई 
मोनू के साथ बाबा चाय बार के चौथे पार्टनर सुनील पुत्र इंद्रजीत निवासी जटवाड़ा, सोनीपत को भी पुलिस ने मई 2024 को पकड़ा था।
सुनील खुद को पुलिस वाले का बेटा बताता है। 
आई पी एस्टेट थाना पुलिस ने उसके खिलाफ कब्जा करने की कोशिश और जान से मारने की धमकी देने की धाराओं के तहत एफआईआर (164/24, 15-5-2024) दर्ज की है । 
 क्या बाबा चाय बार के मुहूर्त के अवसर पर सोनू, उसकी पत्नी और बच्चे भी मौजूद नहीं थे ? इस पर पवन गौतम ने यह माना कि सोनू मुहुर्त पर था। 
इस बारे में बाबा चाय बार के मालिकों का जवाब हास्यास्पद है। उनका कहना है कि सोनू सिर्फ उनका जानकर है। 
जबकि इस अवसर के वीडियो में सोनू जैसी आवाज सुनाई दे रही है जिसमें वह साफ कह रहा है कि माल रोड पर है अपनी दुकान, बाबा चाय बार के नाम से। 
शराब तस्कर-
सत्यनारायण उर्फ पवन भारद्वाज उर्फ पोनी को 27 मई 2020 (एफआईआर नंबर 227 बुराड़ी थाना) को लॉकडाउन के दौरान अवैध शराब की तस्करी में उत्तर जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ़ ने गिरफ्तार किया था। उसके पास से शराब की  23 पेटियां बरामद हुई थी। पोनी भी जखीरा में रहता था लेकिन पुलिस को उसने अपना गलत पता 1704/122 शांति नगर, त्रि नगर  का बताया था। जबकि इस पते पर उसके चाचा के परिवार रहते है। पता चला है कि शराब तस्करी के मामले में अदालत द्वारा जो समन भेजा जाता है पोनी ने वह समन लेने से अपने कुनबे वालों को मना कर रखा है। उत्तर जिला पुलिस को और मामले के जांच अफसर को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। 
शराब के मामले में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद पोनी आजकल रोहिणी सेक्टर 13 में रहता है। पोनी को जखीरा, त्रि नगर में सट्टेबाज और जुआरी के रूप में जाना जाता है।
पुलिस की भूमिका-
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा, साइबर सेल या स्पेशल सेल अगर ईमानदारी से निगरानी/ तफ्तीश करें तो पोनी और उसके दोनों लड़कों की संदिग्ध गतिविधियों का आसानी से पता लगा सकती है।
आय का कोई स्थायी ज्ञात सोर्स न होने के बावजूद पचास लाख से ज्यादा कीमत की कार/ फॉरच्यूनर में घूमने वाले पोनी के बेटों की गतिविधियों के बारे में उनके रिश्तेदार और इलाके के लोगों में चर्चा है ये दोनों कोई कॉल सेंटर चलाते हैं। ये दोनों दिल्ली के अलावा भिलाई में भी सक्रिय हैं। 
सैंकड़ों पुजारी-
कालकाजी मंदिर के दरअसल  सैंकड़ों की संख्या में पुजारी हैं। चिराग दिल्ली निवासी पुजारियों के परिवारों के सभी सदस्यों को पुजारी ही कहा और माना जाता है। 
पुलिसवाले का बेटा अपराधी-
 सत्यनारायण उर्फ मोनू निवासी खरखौदा को आई पी एस्टेट पुलिस ने मई 2024 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के एमडी सुरेश कुमार को धमकी देने और कब्जा करने की कोशिश के आरोप में पकड़ा था। अस्पताल परिसर में कब्जा करके खोखा लगाने की कोशिश की गई थी। मोनू के साथ सुनील  (बाबा चाय बार वाला) पुत्र इंद्रजीत निवासी जटवाड़ा, सोनीपत, दीपांशु पुत्र मनोज निवासी सोनीपत और मोहित पुत्र महेंद्र निवासी रोहतक को भी पकड़ा गया था। सुनील ने पुलिस को बताया कि उसके पिता दिल्ली पुलिस में हैं और वह पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं। इन सभी को जमानत/बाउंड डाउन/पाबंद करके छोड़ दिया गया। 
आई पी एस्टेट थाना पुलिस ने कब्जा करने की कोशिश और जान से मारने की धमकी देने की धाराओं के तहत एफआईआर (164/24, 15-5-2024) दर्ज की है । 








Wednesday, 14 August 2024

कालकाजी थाने का एसएचओ लाइन हाज़िर, सब- इंस्पेक्टर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार


कालकाजी थाने का एसएचओ लाइन हाज़िर, सब- इंस्पेक्टर गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई की लगातार धरपकड़ के बावजूद
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा।  सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के कालकाजी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इस मामले में कालकाजी थाने के एसएचओ प्रमोद आनंद को लाइन हाज़िर कर दिया गया है। एसएचओ प्रमोद आनंद को तत्काल प्रभाव से दक्षिण पूर्वी जिला पुलिस लाइन में रिपोर्ट करने का आदेश 14 अगस्त को दिया गया।
सीबीआई के अनुसार नेहरु प्लेस स्थित बजाज कैपीटल कंपनी में मैनेजर सूरज झा ने सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा के ख़िलाफ़ 13 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई। सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा 12 अगस्त को सूरज के दफ्तर गया। सूरज को बताया कि उसके ख़िलाफ़ उसकी महिला दोस्त ने परेशान/उत्पीड़न करने की शिकायत की है। सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा सुरज को नेहरू प्लेस मार्केट में पुलिस बूथ पर ले गया। वहां पर सूरज की महिला दोस्त भी मौजूद थी। सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ने सूरज का लैपटॉप और मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया। सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ने मामला निपटाने/ खत्म करने के एवज़ में बीस हजार रुपए रुपए रिश्वत की मांग की। सुनील वर्मा बातचीत के बाद पंद्रह हज़ार रुपए रिश्वत लेने को तैयार हो गया। 
सीबीआई ने जाल बिछाया और 13 अगस्त को सब- इंस्पेक्टर सुनील वर्मा को पंद्रह हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। 
सब- इंस्पेक्टर के आवास एवं कार्यालय पर तलाशी ली गई  तथा आपत्तिजनक साक्ष्य बरामद किए गए हैं।
सब- इंस्पेक्टर को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया एवं न्यायिक हिरासत में  जेल भेज दिया गया।
सीबीआई का भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़ने का सिलसिला। 
सीबीआई ने 26 जुलाई को दिल्ली पुलिस के द्वारका सेक्टर- 23 थाने में तैनात एएसआई अनिल कुमार को गाड़ी को छोड़ने की एवज़ में चालीस हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 22 जुलाई को सरिता विहार थाने के सब- इंस्पेक्टर राजकुमार और एएसआई रघुराज को 35 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।शिकायतकर्ता से उनके विरुद्ध लंबित एफआईआर को रद्द करने के लिए रिश्वत मांगी। 19 जुलाई को हौजखास थाने के सब- इंस्पेक्टर युद्धवीर सिंह यादव को ढाई लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। सब- इंस्पेक्टर युद्धवीर सिंह यादव ने  न्यायालय में अनुकूल कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने हेतु शिकायतकर्ता वकील अमित गौतम से 03 लाख रुपए की माँग की।
 19 जुलाई को ही पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र थाने के हवलदार सुधाकर और हवलदार राजकुमार को दस हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। एक मामले में शिकायतकर्ता को न फंसाने के लिए 50,000 रुपए की रिश्वत की माँग की। 19 जुलाई को ही गोविन्द पुरी थाना इलाके में स्पेशल ब्रांच में तैनात हवलदार राव कुंवर सेन को पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए शिकायतकर्ता वीरेंद्र गिरि से तीन हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। आठ जुलाई को दिल्ली पुलिस के ज्योति नगर थाने के एटीओ/इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार को  शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता से कहा कि उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले का जांच अफसर एसीपी दीपक चंद्र पांच लाख रुपए से कम में उनका मामला नहीं निपटाएंगे।
रिश्वत लेने से पहले इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता को एसीपी दीपक चंद्र से मिलवाया भी था। एसीपी दीपक चंद्र ने शिकायतकर्ता को जांच में मदद करने का भरोसा दिया। 
तीन जुलाई को सीबीआई ने उत्तर जिले के नारकोटिक्स सैल में तैनात हवलदार रवींद्र ढाका और हवलदार प्रवीण सैनी के ख़िलाफ़ शिकायतकर्ता से दस लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया। सीबीआई हवलदारों को रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। 
सीबीआई की टीम को देख कर
हवलदार प्रवीण सैनी और रवींद्र ढाका रिश्वत देने आए शिकायतकर्ता को अपनी कार में अगवा करके फरार हो गए। पिस्तौल की नोंक पर हवलदार चलती कार में शिकायतकर्ता की पिटाई करते रहे और ब्रिटानिया चौक से आगे रिंग रोड पर शिकायतकर्ता को कार से धक्का देकर फरार हो गए। सात जुलाई को दोनों हवलदारों के ख़िलाफ़  रुप नगर थाने में अपहरण, लूट और धमकी मामला दर्ज किया गया। 
इस मामले में इंस्पेक्टर सुरेन्द्र और दोनों हवलदारों को निलंबित किया गया है। हवलदारों ने जालसाज़ी/धोखाधड़ी करके शिकायतकर्ता के भाई की जमानत करा देने के नाम पर रिश्वत मांगी थी। 
इसके पहले 20 जून को छावला थाने के सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ को सीबीआई ने एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता को एक मामले में गिरफ्तार न करने की एवज़ में तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।

Thursday, 8 August 2024

ईडी का असिस्टेंट डायरेक्टर ज्वैलर से 20 लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार: CBI


ईडी का असिस्टेंट डायरेक्टर 20 
लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप सिंह यादव को मुंबई के ज्वैलर से 20 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ़्तार किया है। 
संदीप यादव दिल्ली में ईडी मुख्यालय में तैनात है। संदीप ने ज्वैलर से उसके बेटे को गिरफ्तार करने की धमकी देकर रिश्वत मांगी।
सीबीआई के अनुसार मुंबई के ज्वैलर विपुल हरीश ठक्कर ने  ईडी मुख्यालय, दिल्ली में तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप सिंह यादव और जांच अफसर आलोक कुमार पंकज के ख़िलाफ़ शिकायत की। संदीप यादव ने ज्वैलर विपुल के ख़िलाफ़ ईडी द्वारा की जा रही जांच के मामले में उसके बेटे निहार ठक्कर को गिरफ्तार करने की धमकी देकर बीस लाख रुपए रिश्वत मांगी। 
सीबीआई ने जाल बिछाया और लाजपत नगर में बीस लाख रुपए रिश्वत लेते हुए असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप यादव को गिरफ्तार कर लिया। 
सीबीआई ने असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप यादव और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचने और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया।

ईडी ने भी असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप सिंह के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए)के तहत मामला दर्ज किया  है। सीबीआई और ईडी द्वारा संदीप के घर और कार्यालय की तलाशी ली गई। संदीप सिंह को तत्काल निलंबित करने और ईडी से उनके मूल विभाग में वापस भेजने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
ईडी ने बताया कि असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप सिंह ने "सर्च वारंट अधिकृत अधिकारी" के रूप में कार्य करते हुए जांच के तहत मुंबई में विपुल ठक्कर के आवासीय परिसर में तलाशी ली थी। विपुल ठक्कर मैसर्स वीएस गोल्ड के मालिक हैं, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा होने का संदेह था। संदीप सिंह इस मामले के जांच अधिकारी नहीं हैं। लेकिन, संदीप सिंह ने खुद को जांच अधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया।




Friday, 2 August 2024

कमिश्नर और आईपीएस अफसरों पर लगा बेकसूर की गिरफ्तारी का दाग़, शुक्र है कि पुलिस ने पानी का चालान नहीं काटा, हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की बख़िया उधेड़ दी, राजेन्द्र नगर कोचिंग सेंटर हादसा

कमिश्नर पर लगा बेकसूर की गिरफ्तारी का दाग़



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली के राजेन्द्र नगर में राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की डूब जाने से हुई मौत के मामले में पुलिस की जांच के तरीके ने दिल्ली पुलिस के आईपीएस अफसरों की पेशेवर काबलियत की भी पोल खोल कर रख दी। 
मध्य जिले के डीसीपी एम हर्षवर्धन के नेतृत्व में पुलिस ने इस मामले में एक बेकसूर वाहन चालक को गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर खाकी वर्दी को खाक में मिला दिया।
कमिश्नर,आईपीएस पर लगा दाग़-
इस मामले ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा, स्पेशल कमिश्नर (कानून एवं व्यवस्था) रवींद्र सिंह यादव, संयुक्त पुलिस आयुक्त परमादित्य, मध्य जिले के डीसीपी एम हर्षवर्धन की पेशेवर काबलियत और भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है। कमिश्नर और आईपीएस अफसरों पर बेकसूर इंसान को गिरफ्तार करने का दाग़ तो लग ही गया। 
क्या इन आईपीएस अफसरों को तफ्तीश की कानूनी रूप से अनिवार्य और बुनियादी बातें भी नहीं मालूम हैं ? 
इन आईपीएस अफसरों ने अगर समझदारी/जिम्मेदारी/ गंभीरता/ संवेदनशीलता और सही तरीके से अपने कर्तव्य का पालन किया होता, तो हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस की इतनी जबरदस्त बेइज्जती नहीं होती। 
कार्रवाई हो-
जिस वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बेकसूर वाहन चालक को गिरफ्तार करने का अमानवीय/ गैर कानूनी/ हास्यास्पद निर्णय लिया और जिस वरिष्ठ अफसर ने गिरफ्तारी की अनुमति/मंजूरी/सहमति दी, उनके खिलाफ तो सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि ऐसे मामले में बिना वरिष्ठ अफसरों के निर्देश/ सलाह/अनुमति के एसएचओ/जांच अधिकारी अपने आप तो किसी को गिरफ्तार करने का निर्णय नहीं लेता। 
माफ़ी मांगें
आईपीएस अफसरों की आंखों में अगर जरा सी भी शर्म या पानी है तो उन्हें कम से कम उस कार चालक से सार्वजनिक रूप से माफ़ी तो मांगनी ही चाहिए।
 पुलिस की बख़िया उधेड़ दी- 
इस मामले में पुलिस की भूमिका और तफ्तीश को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां की, ताने दिए और जांच सीबीआई को सौंप दी। दो अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायधीश तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने आदेश दिया कि जांच दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी जाए, क्योंकि पीठ ने पाया कि दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों या अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
पानी का चालान नहीं काटा-
अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अभी तक एमसीडी अधिकारियों को तलब भी नहीं किया है, बल्कि एक गुजर रहे वाहन के चालक को गिरफ्तार कर लिया है।
अदालत ने कहा शुक्र है, कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए बारिश के पानी का चालान नहीं काटा और न ही पूछा कि पानी बेसमेंट में कैसे घुसा। जिस तरीके से आपने वहां से गुजर रही गाड़ी के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया। 
पुलिस में हिम्मत नहीं-
पीठ ने बिना किसी संकोच के कहा, आपमें एमसीडी अधिकारियों को बुलाने की हिम्मत भी नहीं है। एमसीडी अधिकारियों की जिम्मेदारी गाद साफ करने की है। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो उसे समझना चाहिए कि यह आपराधिक लापरवाही है।
राहगीर की गिरफ्तारी कैसे-
अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि कैसे एक राहगीर वाहन चालक को गिरफ्तार किया गया, जिसका प्रथम दृष्टया बाढ़ या मौतों में कोई योगदान नहीं था।
जस्टिस मनमोहन ने कहा, सड़क से गुजर रहे एक व्यक्ति को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है ? यह उचित नहीं है। इस स्थिति में किसी को माफी मांगनी चाहिए। पुलिस का सम्मान तब होता है जब आप अपराधी को गिरफ्तार करते हैं और निर्दोष को छोड़ देते हैं। अगर आप निर्दोष को गिरफ्तार करते हैं और दोषी को छोड़ देते हैं, तो यह बहुत दुखद होता है। दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा, अगर ऐसी धारणा बन रही है तो हम माफी मांगते हैं। 
पुलिस ने समय बरबाद किया-
अदालत ने कहा कृपया वैज्ञानिक तरीके से जांच करें, किसी तरह के तनाव में न आएं। अदालत ने पूछा कि क्या पुलिस ने एक भी एमसीडी अधिकारी को बुलाया है। एमसीडी के एक भी अधिकारी का नाम बताएं, जिसे आपने बुलाया हो। आपने एक भी कर्मचारी को नहीं बुलाया। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि आपने कीमती समय बरबाद कर दिया। भगवान जाने उन फाइलों का क्या हो रहा है।
बेकसूर को जमानत-
इससे पहले एडिशनल सेशन जज राकेश कुमार की अदालत ने एक अगस्त को मनुज कथूरिया( एसयूवी फोर्स गुरखा के ड्राइवर) को जमानत दे दी थी। पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने कथूरिया के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का कठोर आरोप हटाने का फैसला किया है। हालांकि इसके पहले पुलिस ने निचली अदालत में जमानत का विरोध किया था। 
27 जुलाई को जिस दिन राऊ की लाइब्रेरी में तीन छात्रों की मौत हुई थी, उसी दिन वहां से मनुज कथूरिया अपनी गाड़ी लेकर गुजर रहे थे। पुलिस ने उन्हें इसलिए 29 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उनके वहां से गुजरने के बाद बेसमेंट में पानी भरा था। 
इस पर पहले भी दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी। 31 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो वहां से गाड़ी लेकर गुजरा था, लेकिन वो नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। हाई कोर्ट ने सवाल उठाया था कि दिल्ली पुलिस कर क्या रही है, क्या उसका संतुलन बिगड़ गया है? 


(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)