दिल्ली पुलिस के IPS मधुर वर्मा की गुंडागर्दी, इंस्पेक्टर को पीटा।
इंद्र वशिष्ठ
जागो गृहमंत्री/ उपराज्यपाल जागो पद के नशे में चूर हो कर इंस्पेक्टर की पिटाई करने वाले निरंकुश आईपीएस मधुर वर्मा को सबक सिखाओ। गृहमंत्री, उपराज्यपाल, पुलिस आयुक्त ईमानदार हो तो ईमानदार नज़र आना ज़रूरी है।
गृहमंत्री/ उपराज्यपाल का अगर कोई निजी स्वार्थ/ हित नहीं है। तो आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई करने का दम दिखाओ। पुलिस में मातहतों का मनोबल गिरने से रोको।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर कर्मवीर ने गृहमंत्री ,उपराज्यपाल, पुलिस आयुक्त से गुहार लगाई है कि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता/ नई दिल्ली जिला के डीसीपी मधुर वर्मा के खिलाफ थप्पड़ मारने, गाली गलौज करने और अवैध रूप से बंधक बनाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की जाए।
घटना 10 मार्च की रात को तुग़लक़ रोड़ इलाके की है। हाईकोर्ट की जज मुक्ता गुप्ता के यहां शादी समारोह था। इंस्पेक्टर कर्मवीर अपने स्टाफ के साथ वहां तैनात था।
तभी डीसीपी मधुर वर्मा की पंजाब नंबर की एक SUV गाड़ी और सरकारी कार तुगलक रोड थाने की ओर से ग़लत दिशा में आई। जिससे ट्रैफिक जाम हो गया।
इंस्पेक्टर कर्मवीर मलिक ने कार चालक से वहां जाम न करने के लिए कहा गया। इंस्पेक्टर का आरोप हैं कि SUV कार के चालक डीसीपी मधुर वर्मा के आपरेटर रोहित ने उसे धमकी दी कि कार डीसीपी की है और यह तो ऐसे ही चलेगी।
इंस्पेक्टर के अनुसार रात करीब साढ़े दस बजे ट्रैफिक की नई दिल्ली रेंज के डीसीपी ने उसे फोन किया और डीसीपी मधुर वर्मा से बात करने को कहा। उसने डीसीपी मधुर वर्मा को फोन किया तो डीसीपी ने उसे डांटा और तुग़लक़ रोड़ थाने में बुलाया। इसके बाद तुगलक रोड थाने के एसएचओ ने फोन किया और थाने आकर डीसीपी से मिलने को कहा।
इंस्पेक्टर का आरोप है कि जब वह थाने पहुंचा तो डीसीपी मधुर वर्मा अपनी कार के पास खड़े थे। वहां पहुंचते ही डीसीपी ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया। डीसीपी उसे गालियां देने लगे उसने विरोध किया तो डीसीपी ने उसे दोनों हाथों से थप्पड़ मारे। एस एच ओ ने डीसीपी को रोकने की कोशिश की। लेकिन डीसीपी नहीं रुका गाली देने लगा उसने फिर एतराज किया तो फिर थप्पड़ मारे। इसके बाद डीसीपी एस एच ओ से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर हवालात में बंद करने करने की कह कर वहां से चले गए।
इंस्पेक्टर का आरोप है कि उसे किसी को फोन भी नहीं करने दिया गया। रात करीब पौने दो बजे उसके ड्राइवर ने ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल रूम को इस बारे में जानकारी दी। इंस्पेक्टर कर्मवीर ने अगले दिन उपरोक्त शिकायत गृहमंत्री ,उपराज्यपाल, पुलिस आयुक्त और दक्षिण क्षेत्र कानून एवं व्यवस्था के विशेष आयुक्त से की। इंस्पेक्टर कर्मवीर ने डीसीपी मधुर वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
इंस्पेक्टर कर्मवीर की शिकायत सोशल मीडिया पर भी वायरल है।
पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक, विशेष आयुक्त रणबीर कृष्णियां, ताज हसन, डीसीपी मधुर वर्मा और एडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल को इस पत्रकार द्वारा मोबाइल फोन कर / ई-मेल/ वाट्स एप/ एस एम एस संदेश भेज कर इस संगीन/ गंभीर आरोप पर पुलिस का पक्ष बताने को कहा गया। किसी ने भी जवाब नहीं दिया है। मधुर वर्मा दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता भी है।
दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल ने सिर्फ इतना कहा कि ऑफिशियल अभी इस मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। आरोपों की पुष्टि या खंडन नहीं किया। बाद में देर शाम को अनिल मित्तल ने बताया कि तथ्यों की जांच के लिए सतर्कता विभाग द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं।
इंस्पेक्टर कर्मवीर ने आशंका जताई है कि डीसीपी को बचाने के लिए थाने के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नष्ट की जा सकती हैं।
डीसीपी मधुर वर्मा के आपरेटर पुलिस कर्मी रोहित के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। रोहित ही डीसीपी की निजी कार चला रहा था और उसने ही सबसे पहले इंस्पेक्टर कर्मवीर को धमकाया था।
इंस्पेक्टर कर्मवीर ने आशंका जताई है कि डीसीपी को बचाने के लिए थाने के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नष्ट की जा सकती हैं।
डीसीपी मधुर वर्मा के आपरेटर पुलिस कर्मी रोहित के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। रोहित ही डीसीपी की निजी कार चला रहा था और उसने ही सबसे पहले इंस्पेक्टर कर्मवीर को धमकाया था।
मधुर वर्मा द्वारा पीआरओ कक्ष की साज सज्जा में लाखों रुपए खर्च करने के अलावा गलत हिन्दी वाला विज्ञापन जारी करने का मामला भी इस पत्रकार द्वारा उजागर किया गया था।
क्या गृहमंत्री /उपराज्यपाल/ पुलिस आयुक्त बता सकते हैं कि मधुर वर्मा को उतरी जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाया क्यो गया था ? अगर हटाने का फैसला सही था तो फिर नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त के पद पर तैनात करने का आधार/ पैमाना क्या है ?
क्या पुलिस कमिश्नर बता सकते हैं कि
पंजाब नंबर की वह SUV कार क्या डीसीपी मधुर वर्मा की है ?
क्या इस निजी कार की खरीद के बारे में नियमानुसार सरकार को सूचना दी गई है ?
अगर कार मधुर वर्मा की नहीं है तो किस व्यक्ति की है?
निजी कार को अपने आपरेटर पुलिस कर्मी रोहित द्वारा चलवाना भी तो डीसीपी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अपने निजी कार्य के लिए और मातहत का इस्तेमाल करना है।
आईपीएस अफसर का दिमागी स्तर/समझ- डीसीपी पद के अहंकार में चूर मधुर वर्मा ने अपने आपरेटर रोहित के कहने /भड़काने में आकर इंस्पेक्टर कर्मवीर को पीट कर दिमागी स्तर/दिवालियापन का ही परिचय दिया। इससे पता चलता है कि आईपीएस को उसके चहेते मातहत कैसे इस्तेमाल कर लेते हैं।
डीसीपी की दोनों कारों का चालान भी हो -- इस मामले में यह साफ़ है डीसीपी मधुर वर्मा की निजी SUV और सरकारी कारे ग़लत दिशा से आने से जाम लगा। इंस्पेक्टर कर्मवीर में तो यातायात के नियमों का उल्लघंन करने वाले डीसीपी की कारों के चालान काटने की हिम्मत नहीं थी। पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक और ट्रैफिक पुलिस के विशेष आयुक्त ताज हसन को डीसीपी मधुर वर्मा की कारों के चालान काट कर भी अपनी जिम्मेदारी/ हिम्मत और कर्तव्य पालन में ईमानदारी का परिचय देना चाहिए। तभी यह साबित होगा की यातायात नियमों का उल्लघंन करने वाला आईपीएस भी बख्शा नहीं जाता हैं।
गृहमंत्री /उपराज्यपाल/ पुलिस आयुक्त अगर ईमानदार हो तो ईमानदारी नज़र आना ज़रूरी है
कुछ तो संविधान/ नियम कायदो का सम्मान/लिहाज/ शर्म करो। अगर आपके निजी स्वार्थ नहीं है तो फिर ऐसे आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई करके कानून का राज कायम करके दिखाए। ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से ही अन्य आईपीएस को भी सबक मिलेगा।
वैसे लानत तो तुगलक रोड थाने के एसएचओ सहित उन सभी पुलिस वालों पर भी है जिनके सामने निरंकुश डीसीपी इंस्पेक्टर को पीटता रहा और वह गुलामो की तरह मूकदर्शक बने रहे। एस एच ओ अगर ईमानदार होता तो इंस्पेक्टर को पीटने वाले डीसीपी को हवालात में बंद कर कानून का पालन कर मिसाल बना सकता था।
डीसीपी मधुर वर्मा के आपरेटर पुलिस कर्मी रोहित के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। रोहित ही डीसीपी की निजी कार चला रहा था और उसने ही सबसे पहले इंस्पेक्टर कर्मवीर को धमकाया था।
डीसीपी मधुर वर्मा द्वारा इंस्पेक्टर कर्मवीर मलिक की पिटाई करने को लेकर पुलिस कर्मियों में रोष हैं।
गृहमंत्री/उपराज्यपाल को डीसीपी के खिलाफ कार्रवाई कर मातहत पुलिस कर्मियों का मनोबल गिरने से रोकना चाहिए।
डीसीपी मधुर वर्मा के आपरेटर पुलिस कर्मी रोहित के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। रोहित ही डीसीपी की निजी कार चला रहा था और उसने ही सबसे पहले इंस्पेक्टर कर्मवीर को धमकाया था।
पुलिस कर्मियों का कहना है कि आईपीएस अफसर तो हमेशा की तरह अपने आईपीएस को ही बचाएंगे।आईपीएस अफसर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती इसलिए वह निरंकुश हो गए हैं।
आईपीएस की करतूत ---
आईपीएस अफसरों के खराब व्यवहार के कारण ही मातहत तनावपूर्ण /गुलामों का जीवन जीने को मजबूर हैं।
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर कष्णकांत पाल के समय ऐसे ही एक इंस्पेक्टर देवेंद्र मनचंदा ने आत्महत्या कर ली थी। देवेंद्र के परिवार ने इसके लिए पुलिस कमिश्नर को जिम्मेदार ठहराया था।
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर कृष्ण कांत पाल ने एक बार आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी दिनेश भट्ट से दुर्व्यवहार किया था लेकिन दिनेश भट्ट ने पाल को पलट कर करारा जवाब दिया।
कृष्ण कांत पाल पर संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर रहते हुए एक इंस्पेक्टर ने भी बदतमीजी का आरोप लगाया था। इंस्पेक्टर ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा से शिकायत की थी। इस पर अजय राज शर्मा ने इंस्पेक्टर से माफी मांग कर बड़प्पन दिखाया।
कुछ समय पहले की बात है आईपीएस एस एस यादव ने उतरी जिला के मौरिस नगर थाने के सब इंस्पेक्टर राम चंद्र को अपने एक दोस्त के सामने ना केवल गालियां दी बल्कि सब इंस्पेक्टर से उठक बैठक भी लगवाई थी। सब इंस्पेक्टर इतना आहत हुआ कि आत्महत्या की बात करने लगा। यह मामला भी रोजनामचे में दर्ज किया गया।
उत्तर पश्चिमी जिला के तत्कालीन डीसीपी वीरेंद्र चहल (वर्तमान विशेष आयुक्त) द्वारा गाली गलौज किए जाने की शिकायत तो मुखर्जी नगर के तत्तकालीन एस एच ओ सुरेंद्र संड ने रो़जनामचे में ही दर्ज कर दी थी।
दक्षिण जिला के तत्कालीन डीसीपी विवेक गोगिया ने भी एस एच ओ राजेंद्र बख्शी से बदतमीजी की लेकिन राजेंद्र बख्शी ने विवेक गोगिया को मुंह तोड जवाब दिया।
मातहतों से बदतमीजी कर घटिया संस्कार का परिचय देने वाले ऐसे आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
आईपीएस अफसर भूल रहे हैं मातहतों के दम पर ही वह टिके हुए हैं। मातहतों की वजह से वह सफल अफसर कहलाते हैं। ऐसे आईपीएस को याद रखना चाहिए कि अगर अपनी हरकतें बंद नहीं की तो एक दिन ऐसा भी हो सकता है कि परेशान मातहत पलट कर उन पर भी हाथ उठा देगा।
मातहत को गुलाम समझ कर गालियां देने वाले आईपीएस घटिया परवरिश/संस्कार का परिचय देते हैं।
नई दिल्ली जिला के तत्कालीन डीसीपी असद फारुकी ने तो वायरलैस पर ही तत्तकालीन पुलिस कमिश्नर मुकुंद बिहारी कौशल और गृहमंत्री तक के बारे में अभद्रता की थी।
नई दिल्ली जिले के डीसीपी के नाते इंस्पेक्टर को पीटने की बहादुरी/ काबिलियत दिखा कर देश भर में चर्चा में आएIPS मधुर वर्मा पुलिस प्रवक्ता के रूप में भी कितने "काबिल" , "जिम्मेदार" है? जानने के लिएदो महत्वपूर्ण पदों पर तैनात इस अफसर के कारनामे पढ़ें----http://indervashisth.blogspot.com/2017/10/blog-post_64.html?m=1
इंस्पेक्टर कर्मवीर
Us time vapis lgana tha
ReplyDeleteYe vo inspector h jo kabhi Delhi police ki Shan tha. Inhe 2 bar out of turn promotion Mila h
ReplyDeleteBefore the law all people are equal.
ReplyDeleteIs kuutte k beej DCP k mooh pr usi time maarna tha behanchood kuutee k mooh pr...
ReplyDeleteIski maa ki chuut behan k lode ki k isne is inspector ko mara kaise..
Is behan k lode pr aisi kaarvayi honi chahiye k IPS us inspector k hath paav jode..
Kuuttaa saala behanchood hraami ki aaulaad kuuttaa
Behanchood tu merko maar kr dikhaa main to inspector bhi nhi hu teri maa naa chood k dhhrr di na to merko btana behanchood tu kuuttee saale hraamjaade behan k lode tu.
ReplyDeleteKis behanchood ne terko ips lga siya
Mr.Dcp should apologies immediately without depleting the good discipline and brotherhood ship of such uniform services.the matter should be investigated for proper conviction.
ReplyDeleteMr Dcp should apologies immediately.
ReplyDeleteSipahi or hc to roj jhelte hai
ReplyDeleteVery sad news
DeleteAawaj to uthao
ReplyDeleteDcp ko saza milni Chiya....jail bajna Chiya inp.ko Mara h es ny ...saza dyna glti par court ka kam hota h...IPS ka nahi ....or yaha par to inp.karamvir ny apne duty ky niyamo ka palan keya h ...koi galti be nahi ke....m inp.shab ko bhut achy say janta hu bhut bhut bhut achy inahan h
ReplyDeleteSarm ki bath h shabi offesr ko jakar mafi magni chahy.....
ReplyDeleteइस डीसीपी को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है,इसे तत्काल प्रभाव से
ReplyDeleteडिसमीस कर देना चाहिए
भाई DCP को सजा जरूर मिलनी चाहिए IPS है तो तानासाही करेगा
ReplyDeleteSach or jhonth ki sahi janch honi hi chahiye .
ReplyDeleteI respect the great Inspector who stand the front of egofull officer .salute sir
ReplyDeleteDCP को CRPF में नक्सलीयो में भेजना चाहिए । वहा अपनी बहादुरी दिखाने का मोका मिले गा।
ReplyDeleteThis is great idea..
DeleteDismissed कर देना चाहिये।
ReplyDeleteChutiya saala "Angrej chale Gay aulad yhi chhod gye " or ye usi ka asar hai. Marega bhan ka loda ek din
ReplyDeleteIs saale Madhur Verma ji kanhiya ke saamne to aisi Taisi ho gai thi patiyala house court me. Agar Maa ka doodh Piya tha to tab dikhata apni Dadagiri
ReplyDeleteInspector को न्याय मिले
ReplyDeleteInspector Karamveer k sahas ko salaam. Police/Army ki naukari me kisi subordinate ko bolne ki izazat nahi hoti. IPS ki jagah Inspector ko hi saza denge......
ReplyDeleteAaj tak I P S officers ke khilaf koi a tion hua hai jo ab hoga.
ReplyDeleteRespect ur subordinate sir ji
ReplyDeleteIPS ke kilaf karwai honi chaiye
ReplyDeleteTruth manipulation by Inspr. Karamveer
ReplyDeleteDear what can I say. If it is true. Shame on Delhi Police. Always keep in mind we have to set high standards in public life by our behaviour and acts.
ReplyDeleteNot a good msg for public well done karambir sir aap n aavaj to uthai Baki senior officer par chhod do
ReplyDeleteNot a good msg for public well done karambir sir aap n aavaj to uthai Baki senior officer par chhod do
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