CGHS डिस्पेन्सरी त्री नगर में अमानवीय व्यवहार जारी,
डाक्टर एसी में, मरीज धूप में
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा अमानवीय व्यवस्था को बंद कराएं
सीजीएचएस की त्री नगर स्थित डिस्पेन्सरी में मरीजों के साथ किया जाने वाला अमानवीय व्यवहार जारी है। एसी कमरे में बैठे डाक्टर द्वारा मरीजों को बाहर धूप में खड़ा करके देखा जा रहा है।
सीजीएचएस की महानिदेशक रोली सिंह और एडिशनल डायरेक्टर उत्पल देब के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद भी मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार जारी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को मरीजों के हित में ऐसे संवेदनहीन डाक्टरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।
12 सितंबर को इस पत्रकार ने इस डिस्पेन्सरी के डाक्टरों की संवेदनहीनता और अमानवीय व्यवहार को उजागर किया था।
पता चला है कि वीडियो वायरल/ समाचार प्रकाशित होने के बाद सीजीएचएस के एडिशनल डायरेक्टर उत्पल देब डिस्पेन्सरी में आए थे।
उसके बाद डाक्टर दीपक गुप्ता ने दिखावे के लिए अपने कमरे में कुछ मरीज देखने शुरू कर दिए। लेकिन मरीजों को बाहर स्टूल पर बिठा कर देखना स्थायी रूप से बंद नहीं किया गया।
मरीज धूप में-
इसके बाद खिड़की के बाहर रखा स्टूल हटा दिया गया।
अब डाक्टर द्वारा मरीजों को बाहर धूप में खड़ा करके देखा जा रहा है।
सीजीएचएस के अधिकारियों की जानकारी में मामला होने के बावजूद अमानवीय व्यवहार जारी है। इससे लगता है कि डिस्पेन्सरी की इंचार्ज सरिता पंवार और डाक्टर दीपक गुप्ता को किसी का डर/परवाह नहीं है।
डाक्टर एसी में, मरीज धूप में-
12 सितंबर को इस पत्रकार द्वारा यह मामला उजागर करने से पहले एसी लगे कमरे में बैठे डाक्टर दीपक गुप्ता खिड़की में बनाए गए छोटे से झरोखे से बाहर बैठे मरीजों को देखते थे। यानी मरीजों को डाक्टर अपने कमरे के अंदर अपने निकट बिठा कर नहीं देखता। डाक्टर अपने कमरे की खिड़की के बाहर रखे स्टूल पर धूप में बिठा कर मरीज़ को देखते थे। दरअसल कोरोना काल के दौरान यह व्यवस्था की गई थी। लेकिन इस डिस्पेन्सरी में अभी तक यह व्यवस्था जारी है।
इंचार्ज डाक्टर की भूमिका-
इस डिस्पेन्सरी में दो डाक्टर तैनात हैं डाक्टर सरिता पंवार और डाक्टर दीपक गुप्ता। डाक्टर सरिता पंवार इंचार्ज है। वह तो बहुत ही कम संख्या में मरीजों को देखती हैं।
सीजीएचएस के अधिकारी अगर रिकॉर्ड की जांच करें तो, आसानी से यह पता चल जाएगा, कि डाक्टर सरिता और डाक्टर दीपक गुप्ता रोजाना औसतन कुल कितने- कितने मरीजों को देखते हैं। हालांकि डाक्टर सरिता अपने कमरे में ही मरीज को देखती है।
इंडेंट वाली दवा दो बजे तक दो-
इस डिस्पेन्सरी में इंडेंट वाली दवा सिर्फ बारह बजे तक ही दी जाती है। जबकि अन्य सभी डिस्पेन्सरी में पौने दो बजे तक इंडेंट वाली दवा दी जाती है। डिस्पेन्सरी में इस पत्रकार के सामने अनेक मरीजों ने यह बात भी उठाई।
डिस्पेन्सरी में सही व्यवस्था और मरीजों की सुविधा का ध्यान रखना इंचार्ज की जिम्मेदारी होती है।
संवेदनशील डाक्टर की जरुरत-
इस डिस्पेन्सरी में पर्याप्त स्थान उपलब्ध है लेकिन डाक्टर यह जताते हैं कि स्थान कम है इसलिए डिस्पेन्सरी को यहां से शिफ़्ट कर दिया जाए।
जबकि समस्या तो संवेदनहीन डाक्टर से है स्थान से नहीं। दरअसल डिस्पेन्सरी में संवेदनशील डाक्टर की जरुरत है।
सच्चाई यह है कि डाक्टर की शिकायत करने पर वह उन्हें दवा आदि देने में परेशान करेगा, इस डर से लोग डाक्टर की शिकायत नहीं करते हैं।
अफसर कार्रवाई करें-
सीजीएचएस के अधिकारियों को मरीजों को होने वाली परेशानी का पता लगाने के लिए लगातार डिस्पेन्सरियों के दौरे करने चाहिए।
इंडेंट वाली दवाई मरीजों को दोपहर दो बजे तक मिलेगी। यह सूचना डिस्पेन्सरी में नोटिस बोर्ड पर लगानी चाहिए। ताकि डिस्पेन्सरी में फार्मासिस्ट अपनी मनमानी न कर पाए।
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