ACP राजबीर सिंह यादव अंत तक विवादों में ,
IPS अफसरों और मीडिया का " Super Cop"
राजबीर सिंह की पैसों के चक्कर में उसके ही दोस्त प्रापर्टी डीलर विजय भारद्वाज ने 24 मार्च 2008 को गुरुगांव में गोली मार कर हत्या कर दी। राजबीर ने अपनी वसूली की कमाई के करीब एक करोड़ रुपए निवेश के लिए विजय को दिए हुए थे। विजय ने जिस रिवाल्वर से हत्या की वह भी राजबीर ने ही उसे दी थी।
सब-इंस्पेक्टर के रुप में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए राजबीर सिंह यादव शुरू से ही विवादों में घिरे रहे।
मौत भी बदनामी वाली होने के कारण राजबीर के अंतिम संस्कार में वह आईपीएस अफसर तक भी नहीं गए, जिनकी आंखों का वह तारा होता था।
जबकि यह आईपीएस अफसर अगर अपने स्वार्थ को छोड़कर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करते और राजबीर सिंह पर शुरू से ही अंकुश लगाते तो शायद राजबीर का अंजाम ऐसा नहीं होता।
राजबीर सिंह के ऐसे अंजाम के लिए और उसे निरंकुश बनाने के लिए उसके बॉस रहे ऐसे आईपीएस अफसर भी जिम्मेदार है।
राजबीर सिंह की मौत से पुलिस वालों को सबक लेना चाहिए।
पुलिस वालों को अपना आचरण, चरित्र, व्यवहार, दिमाग और संगत बिल्कुल सही रखना चाहिए।
2-4-2002
21-1-2003
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