Thursday 5 December 2019

पुलिस हेडक्वार्टर पर पुलिस वालों का प्रदर्शन करना हड़ताल नहीं थी, संसद में उठा मामला।




पुलिस मुख्यालय पर पुलिस वालों का प्रदर्शन करना हड़ताल नहीं थी।

इंद्र वशिष्ठ
तीस हजारी कोर्ट में वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों पर हिंसक हमले के विरोध में पुलिस मुख्यालय पर पुलिस वालों का प्रदर्शन करना हड़ताल नहीं थी।
राज्य सभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि अपनी शिकायतों को लेकर पुलिसकर्मी पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित हुए थे। पुलिस अफसरों ने उनकी शिकायतों को सुना जिसके बाद वह शांतिपूर्वक चले गए।

राज्य सभा में सांसद जोस के. मणि ने सवाल पूछा कि क्या सरकार ने वकीलों द्वारा न्यायिक अधिकारियों के लिए आरक्षित पार्किंग में अनाधिकृत प्रवेश करने जैसे तुच्छ मुद्दे पर कोर्ट परिसर में वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों पर बार-बार हमले किए जाने के बाद 5 नवंबर को पुलिसवालों के अभूतपूर्व हड़ताल पर जाने के मामले को गंभीरता से लिया है?
सांसद ने यह भी पूछा कि वकीलों और पुलिस कर्मियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं ?

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्य सभा में बताया कि 5 नवंबर को अपराध की रोकथाम, यातायात व्यवस्था, कानून व्यवस्था आदि सहित पुलिस व्यवस्था संबंधी सभी दैनिक कार्य सामान्य रूप से किए जा रहे थे।
कुछ सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी, पुलिसकर्मियों के परिवारों के सदस्य, कुछ ऑफ ड्यूटी/आराम कर रहे पुलिसकर्मी और कुछ सामान्य लोग अपनी कुछ शिकायतों के निवारण की मांग को लेकर पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित हो गए थे। पुलिस अफसरों द्वारा उनकी बात को विधिवत सुना गया था इसके बाद वे शांतिपूर्वक वापस चले गए।

गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली के विभिन्न न्यायालयों में तैनात समस्त स्टाफ और अफसरों को दिल्ली पुलिस के आला अफसरों द्वारा पूरी जानकारी दी गई है। उन्हें सेन्सटाइज (संवेदनशील) किया गया है ताकि वकीलों सहित अन्य सभी के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित किए जा सकें।
जिला पुलिस के वरिष्ठ अफसरों द्वारा समय-समय पर न्यायिक अधिकारियों, वकीलों और न्यायलय स्टाफ सहित सभी संबंधित लोगों के साथ नियमित रूप से परस्पर विचार विमर्श का भी आयोजन किया जा रहा है। ताकि सतत संवाद की प्रक्रिया जारी रहे और भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

खाकी की छाती पर काले कोट का तांडव-
दो नवंबर को तीस हजारी कोर्ट परिसर में हवालात के बाहर पुलिस ने वकील सागर शर्मा को गाड़ी खड़ी करने से रोका था। इस पर वकीलों ने हवालात में घुस कर पुलिस वालों को जमीन पर गिरा कर बुरी तरह पीटा। गाड़ियों में आग लगा दी, तोड़फोड़ की। उत्तरी जिला के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरेंद्र सिंह को भी बुरी तरह पीटा गया। जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज के साथ भी बदसलूकी की गई। हिसंक भीड़ पर काबू पाने के लिए एक पुलिस वाले ने गोली चलाई। इसके बाद हालात पर काबू पाया जा सका।

दिल्ली पुलिस ने पहली बार प्रदर्शन किया-
कानून हाथ में लेकर कानून की धज्जियां उड़ाने वाले कुछ वकीलों की करतूत को सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से दुनिया ने देखा।
इसके बाद साकेत कोर्ट में भी एक वकील ने पुलिस वाले को पीटा। इसका वीडियो भी वायरल होने के बाद भी पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक और IPS अफसरों द्वारा वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से पुलिस में रोष पैदा हो गया। पुलिस वालों का गुस्सा फूटा और दिल्ली पुलिस पहली बार प्रदर्शन पर उतरी। पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया।
हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में न्यायिक जांच बिठाई गई है।

दिल्ली में महिला पुलिस कम-
दिल्ली पुलिस में इस समय पुलिसकर्मियों की कुल संख्या 80709 है जिसमें महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 9938 है जो कि कुल पुलिस बल का 12.31 फीसदी ही है।

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य सभा में बताया कि समस्त संघ राज्य क्षेत्रों के पुलिस बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2015 में सिपाही से उपनिरीक्षक तक के गैर राजपत्रित पदों में सीधी भर्ती में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का अनुमोदन किया है।
दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की जा रही उपर्युक्त आरक्षण नीति के फलस्वरूप दिल्ली पुलिस में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में और अधिक बढ़ोतरी होगी।







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