Friday 18 September 2020

दिल्ली पुलिस ने पत्रकार राजीव शर्मा को चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। चीन की महिला और एक नेपाली भी गिरफ्तार। 18 साल पहले कश्मीर के पत्रकार को झूठा फंसाया था स्पेशल सेल ने।


                राजीव शर्मा

चीनी नागरिक किंग सी
                   नेपाल नागरिक शेर सिंह
दिल्ली पुलिस ने पत्रकार राजीव शर्मा, चीन की महिला और नेपाली नागरिक को गिरफ्तार किया।


18 साल पहले कश्मीर के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को झूठा फंसाया था स्पेशल सेल ने। 

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा को चीन को खुफिया/ संवेदनशील जानकारी देने के आरोप मेंं गिरफ्तार किया है।
राजीव के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का मामला दर्ज किया गया है। दिल्ली मेंं पीतमपुरा  निवासी राजीव शर्मा स्वतंत्र पत्रकार हैं।
पुलिस के अनुसार राजीव शर्मा के पास रक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ गुप्त दस्तावेज बरामद हुए थे। मामले की जांच अभी जारी है  
चीनी महिला और नेपाली गिरफ्तार-
इस मामले मेंं एक चीनी महिला किंग सी और उसके नेपाली सहयोगी शेर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है।
ये दोनों चीन की खुफिया एजेंसी के लिए काम करते हैं। पुलिस के अनुसार सूचना देने के एवज में शेल कंपनियों के माध्यम से राजीव को पैसा दिया जाता था। 
राजीव शर्मा  यूएनआई , द ट्रिब्यून, फ्री प्रेस जर्नल, साकाल और अन्य तमाम अखबारों और मीडिया संस्थानों के लिए काम कर चुके हैं। राजीव चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार में भी लेख लिखते हैं।

स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव की टीम ने राजीव शर्मा को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। 
 पुलिस ने पत्रकार की गिरफ्तारी की खबर 18 सितंबर को मीडिया को दी है।
राजीव को अदालत में पेश कर पुलिस ने 6 दिन के  रिमांड पर लिया है।
ग्लोबल टाइम्स में आर्टिकल लिखा-
7 सितंबर को शर्मा ने चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए एक आर्टिकल लिखा था। इस आर्टिकल में उन्होंने लिखा था कि 5 मई की रात से द्विपक्षीय संबंधों का लगातार बिगड़ना शुरु हुआ। इस नवीनतम गतिरोध ने एक ही झटके में पिछले वर्षों के सभी राजनयिक लाभ को व्यावहारिक रूप से नुकसान पहुंचाया। वर्तमान संकट 1962 के बाद से दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उनका उद्देश्य आम लोगों के लिए एक बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य का निर्माण करना होगा न कि एक दूसरे के खिलाफ सैन्य निर्माण करना।
यूट्यूब चैनल-
राजीव किष्किन्धा नामक एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं। गिरफ्तारी के दिन उन्होंने दो वीडियो अपलोड किए। उनमें से एक आठ मिनट का वीडियो है। इसका शीर्षक है 'चीन अभी भी शरारत कर सकता है # IndiaChinaFaceOff'। इस वीडियो में वो भारत और चीन की मौजूदा स्थिति के बारे में बोलते हुए दिख रहे हैं। वो कह रहे हैं कि भारत और चीन का विवाद विदेश मंत्रियों के बीच पहुंचने के बाद भी शांति की राह नहीं नजर आ रही। अभी भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मॉस्को में दो विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के अनुसारसब कुछ चलेगा।'
ट्विटर पर मैसेज-
दूसरा वीडियो चार मिनट का है। ये वीडियो हिंदी में है और मीडिया की स्थिति पर बनाया गया है। इस वीडियो को उन्होंने कैप्शन के साथ ट्वीट किया, 'भारतीय मीडिया की स्थिति आज दयनीय है। यह एक प्रहरी होना चाहिए था। इसके बजाय यह सरकार का एक मुखपत्र बन गया है।' शुक्रवार की देर रात शर्मा के ट्विटर एकाउंट में  एक मैसेज आया। मैसेज में लिखा था कि सावधान यह खाता अस्थायी रूप से प्रतिबंधित है। आप यह चेतावनी देख रहे हैं क्योंकि इस खाते से कुछ असामान्य गतिविधि हुई है।'

पुलिस का दावा कितना दमदार ?-
पुलिस के इस दावे/ आरोप मेंं कितना दम है इसका पता तो अदालत मेंं ही चलेगा।

अदालत में मुंह की खा चुकी है पुलिस--
कई साल पहले एक पत्रकार को राजकीय गोपनीय कानून के झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजने के कारण दिल्ली पुलिस की काफी बदनामी हो चुकी है। जिससे पुलिस की विश्वसनीयता और भूमिका पर सवालिया निशान लग चुका है।

कश्मीर के पत्रकार को फंसा दिया।-
कश्मीर टाइम्स के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी के मामले में पुलिस अदालत में मुंह की खा चुकी हैं।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में कश्मीर टाइम्स के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को भी दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के तत्कालीन एसीपी राजबीर सिंह की टीम ने सरकारी गोपनीय कानून के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिलानी से जो रक्षा संबंधी दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया था वह इंटरनेट पर भी मौजूद थे। इस मामले ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा और तत्कालीन स्पेशल कमिश्नर (इंटेलिजेंस) कृष्ण कांत पॉल की काबिलियत भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया था।

गोपनीय दस्तावेज का दावा फेल-
पुलिस ने गिलानी को 9 जून 2002 को राजकीय गोपनीय कानून के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसके पास से कश्मीर की सुरक्षा से संबंधित गोपनीय दस्तावेज बरामद होने का दावा किया था।
लेकिन अदालत में पुलिस की पोल खुल गई।
सेना के खुफिया विभाग के महानिदेशक ओ एस लोचब  ने अदालत में कहा कि पत्रकार के पास से बरामद यह दस्तावेज गोपनीय नहीं है और न ही इन कागजात से देश की सुरक्षा को कोई खतरा है।

पाकिस्तानी सेना के दस्तावेज -
इफ्तिखार गिलानी पाकिस्तान के अखबार के लिए भी काम करता था। उसके कंप्यूटर में पाकिस्तानी थिंक टैंक " फोर्स " द्वारा तैयार दस्तावेज था। इंटरनेट पर उपलब्ध इस दस्तावेज में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर मेंं पाकिस्तान की सेना की तैनाती का जिक्र किया गया था।
इस दस्तावेज को पुलिस ने भारतीय सेना का गोपनीय दस्तावेज बताया था।
जार्ज फर्नांडीज ने मदद की-
तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज को इस बात की जानकारी वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेडा ने दी। जार्ज फर्नांडीज ने सेना के अफसर को तलब कर सच्चाई जानी। इसके बाद सेना के खुफिया विभाग के वरिष्ठ अफसर ने इस मामले में अदालत में सच्चाई बताई। 
मुकदमा वापस लिया-
यह बात उजागर होने पर पुलिस और गृह मंत्रालय इस मामले में फंस गए।
तब सरकार/ पुलिस ने गिलानी के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लिया।
सात महीने जेल में-
करीब सात महीने तक बिना कसूर जेल में रह कर गिलानी बाहर आए।
इस मामले से पता चलता है कि पुलिस किस तरह झूठे मामले बना कर निर्दोष लोगों को जेल में बंद कर देती हैं।

जेल में जलालत झेली-
 इस झूठे आरोप के कारण गिलानी को जेल में बहुत अपमानित/ जलील किया गया। उसके साथ कैदियों द्वारा मारपीट तो की ही जाती थी। उसे अपनी कमीज से शौचालय साफ करने और फिर उसी कमीज को पहनने के लिए मजबूर किया जाता था। 

दीपक चौरसिया की करतूत-
जिस समय पुलिस इफ्तिखार गिलानी के दक्षिण दिल्ली स्थित घर में तलाशी ले रही थी उस समय इफ्तिखार  घर के अंदर ही मौजूद था लेकिन न्यूज चैनल के तत्कालीन रिपोर्टर दीपक चौरसिया ने उसे फरार बता दिया था। 

पत्रकारों की भूमिका पर सवालिया निशान-
पुलिस द्वारा झूठे केस में फंसाने, जेल में जलालत भरे दिनों के अलावा दीपक चौरसिया और हिंदुस्तान टाइम्स की तत्कालीन रिपोर्टर नीता शर्मा (अब एनडीटीवी) की गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता का भी गिलानी ने अपनी किताब: "जेल में कटे वो दिन " में पूरा खुलासा किया है।

दामाद होना गुनाह -
इफ्तिखार गिलानी को कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का दामाद होने का खामियाजा भुगतना पड़ा ।



      पत्रकार इफ्तिखार गिलानी

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