पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव
दिल्ली में लूटपाट और झपटमारी में वृद्धि।
बेखौफ लुटेरों का आतंक,पुलिस सुस्त,लोग त्रस्त। संसद में उठा मामला।
इंद्र वशिष्ठ
देश की राजधानी में दिनों-दिन बढ़ रही लूटपाट और झपटमारी/स्नैचिंग का मामला संसद में भी उठने लगा है। लोग लुटेरों से त्रस्त है
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्य सभा में बताया कि दिल्लीअक में लूटपाट और स्नैचिंग के मामलों में वृद्धि हुई है।
राज्य सभा में तीन सांसदों सुशील कुमार गुप्ता , ए विजय कुमार और चौधरी सुखराम सिंह यादव ने दिल्ली में लूटपाट और स्नैचिंग में वृद्धि का मामला उठाया और इस बारे में सरकार से सवाल पूछे।
राज्यसभा मेंं गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि साल 2020 के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा लूटपाट के 1963 और स्नैचिंग के 7965 मामले दर्ज किए गए। पुलिस द्वारा साल 2019 और 2020  के उपलब्ध कराए गए अपराध के आंकड़ों की तुलना यह दर्शाती है कि दिल्ली में साल 2019 में लूटपाट के मामलों में 0.35 फीसदी और झपटमारी के मामलों में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इस साल यानी 2021 में 28 फरवरी तक झपटमारी की 1708  वारदात हुई हैं। इन मामलों में  874 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा  81 नबालिग भी पकड़े गए है।
लुटेरों के साथी सुनार -
सांसद ए विजय कुमार ने सरकार से पूछा कि क्या चेन झपटमारों जैसे अपराधियों पर मुकदमा दर्ज करने लिए कोई कानून मौजूद नहीं है? क्या सरकार बाजारों में चेन झपटमारी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए कोई कानून लाने या कार्रवाई करने का विचार रखती है? क्या चेन झपटमारी के कई मामलों का जौहरियों द्वारा समर्थन किया जाता है?
लगाम लगाने के लिए कानून-
 गृह राज्य मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 356 में "किसी व्यक्ति द्वारा अपने साथ ले जाई जा रही सम्पत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला अथवा आपराधिक बल प्रयोग के संबंध में प्रावधान है।" इस अपराध में दो साल तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों सजा दिए जाने का प्रावधान है।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि साल 2019 में पुलिस ने जौहरियों/ सुनारों की मदद से की गई झपटमारी के तीन मामले दर्ज किए थे ।इन मामलों में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। साल 2020 और साल 2021 (28-2-2021तक )के दौरान ऐसे मामले सूचित नहीं किए गए हैं।
अपराध की रोकथाम के लिए उपाय-
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने लूटपाट और झपटमारी को रोकने के लिए अनेक उपाय किए हैं।
 इन उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ सक्रिय अपराधियों की पहचान करना, गिरफ्तारी और निगरानी, पुलिस की मौजूदगी को बढ़ाने और अपराध संभावित क्षेत्रों की पहचान करना, वहां पुलिस पिकेट, पैदल गश्त, थाना पुलिस, पीसीआर स्टाफ और यातायात पुलिस द्वारा संयुक्त गश्त, सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई,अपराधियों के बारे में सूचना जुटाना आदि शामिल हैं।
40 फीसदी लुटेरे पकडे़ नहीं गए - दिल्ली में बेखौफ लुटेरों द्वारा मोबाइल फोन/नकदी/ पर्स आदि लूटने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। लेकिन पुलिस करीब साठ फीसदी मामलों में ही अपराधियों को पकड़ पाई है।
पुलिस ने साल 2020 में दर्ज झपटमारी के 7965 मामलोंं में से साठ फीसदी मामले सुलझाए और  6496 झपटमार/स्नैचरों को पकड़ा है। साल 2019 में झपटमारी के 59 फीसदी मामले सुलझाए और 5243 अपराधी पकडे़ थे।
पुलिस एफआईआर ही सही दर्ज़ नहीं करती। दिनों-दिन अपराध बढ़ने का मुख्य कारण है पुलिस का वारदात को सही दर्ज न करना। अपराध के  मामले सही दर्ज होंगे तो अपराध में वृद्धि उजागर होगी और पुलिस पर अपराधी को पकड़ने का दवाब बनेगा। लगता है कि पुलिस यह चाहती नहीं इसलिए पुलिस की कोशिश होती है कि अपराध के मामले कम से कम दर्ज किए जाए या फिर हल्की धारा में दर्ज किया जाए। लेकिन ऐसा करके पुलिस एक तरह से अपराधियों की ही मदद करती हैं। इसीलिए  बेख़ौफ़  लुटेरों ने आतंक मचा रखा है। महिला हो या पुरुष कोई भी कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं।
लूटपाट और लुटेरों पर अंकुश लगाने में नाकाम पुलिस अपराध के आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा करने में जुटी हुई हैं। 
इसलिए पुलिस द्वारा दिए गए अपराध के आंकड़े सच्चाई से कोसों दूर होते हैंं।
एफआईआर दर्ज कराने के लिए अड़ना चाहिए। लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस ने उनके साथ हुई वारदात की सही एफआईआर दर्ज की  है या नहीं है। यानी लूट को लूट और चोरी को चोरी में ही दर्ज़ किया गया है।
 
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
 
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
  
 
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
  