Sunday 8 May 2022

दंगा कर DCP उषा रंगनानी की बगल में जा बैठा दंगाई, IPS अफसरों की काबिलियत पर सवालिया निशान

    डीसीपी उषा रंगनानी की बगल में तबरेज माइक थामे हुए।
    
डीसीपी उषा रंगनानी की बगल में तबरेज माइक थामे हुए।
तबरेज अंसारी(40)


दंगा कर डीसीपी उषा रंगनानी की बगल में जा बैठा दंगाई।

इंद्र वशिष्ठ
जहांगीर पुरी दंगों के मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि दंगों में शामिल एक आरोपी दंगे के बाद उत्तर पश्चिम जिले की डीसीपी उषा रंगनानी के बगल में ही बैठा हुआ था। 
 दंगों में शामिल इस अभियुक्त तबरेज को अपराध शाखा ने कल गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने दावा किया कि तबरेज भी हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल था।
दंगा करने वाला डीसीपी की बगल में-
एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें इलाके में दंगे के बाद  अमन कमेटी की सभा को पहले डीसीपी उषा रंगनानी संबोधित करती हैं। उसके बाद डीसीपी उषा रंगनानी माइक बगल में बैठे तबरेज को सौंप देती हैं। तबरेज ने सभा को संबोधित किया कि ' तिरंगा यात्रा निकालेंगे, शांति का संदेश देंगे लोगों को '। इस सभा के बाद ही 24 अप्रैल को तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। इस यात्रा में भी तबरेज डीसीपी के बिल्कुल बगल में मौजूद रहा था।
यह सबको मालूम है कि डीसीपी की बगल में वहीं व्यक्ति बैठ सकता है जिसे पुलिस अफसर चाहे यानी जिसकी एसएचओ या वरिष्ठ अफसरों से अच्छी पहचान/ नजदीकी/ दोस्ती हो। 
थाना पुलिस का आलम यह  है कि उसे यह पता ही नहीं चला कि तबरेज दंगा करने में शामिल है। अब मामला उजागर होने पर पुलिस की  किरकिरी हुई है। पुलिस की भूमिका और काबिलियत पर सवाल लग गया है।
आईपीएस की काबिलियत पर सवाल-
भले ही एक बार को कोई शिकायतकर्ता डीसीपी से न मिल पाए, लेकिन आपराधिक मामलों में शामिल या नफरती भडकाऊ भाषण देने वाले तक आईपीएस अफसरों की बगल मे बैठ या खड़े हो जाते हैं।
दिल्ली में साल 2020 में कपिल मिश्रा ने तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्य के बगल में खड़े होकर ही भड़काऊ भाषण दिया था। अब जहांगीर दंगों में शामिल आरोपी तबरेज का डीसीपी के बगल में बैठ कर सभा को संबोधित करने का मामला सामने आया है।
इससे आईपीएस अफसरों की पेशेवर काबिलियत और समझदारी पर सवालिया निशान लग जाता है। किस व्यक्ति के साथ उठना-बैठना या मंच साझा करना चाहिए क्या आईपीएस को इतनी मामूली सी बात की भी समझ नहीं है। 
डीसीपी की बगल में खड़े हो कर भड़काऊ भाषण-
24 फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के दौरान बीजेपी नेता कपिल मिश्रा  का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उत्तर पूर्वी जिला के तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या उसके साथ खड़े है। तभी कपिल मिश्रा ने विवादित भाषण दिया था।
दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी-
23 फरवरी 2020 को कपिल मिश्रा के भडकाऊ भाषण के बाद ही सीएए समर्थक और विरोधी आमने-सामने आ गए और हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा की चपेट में आने से 53 लोगों की मौत हो गई थी।
पुलिस कमिश्नर/आईपीएस फोटो खिंचवाने में चौकन्ना रहे-
पुलिस के कार्यक्रमों, क्रिकेट मैच आदि में अनजान/ अजनबी व्यक्ति भी पहुंच जाते हैं। कुछ दरबारी पत्रकार भी ऐसे लोगों को साथ लेकर आते हैं वहां पर पुलिस कमिश्नर और अन्य आईपीएस अफसर के साथ ऐसे पत्रकार अजनबी/संदिग्ध शख्स की फोटो अफसरों के साथ खिंचवाने के लिए अपना कैमरे वाला तक लेकर आते हैं।
पुलिस कमिश्नर और ईमानदार अफसरों को ज्यादा चौकन्ना रहना चाहिए ताकि कोई अनजान/ संदिग्ध उनके साथ फोटो खिंचवाने में सफल न हो पाए। अफसरों के साथ खींची गई फोटो का इस्तेमाल ऐसे लोग इलाके में लोगों और पुलिस पर रौब जमाने के लिए करते हैं।
डीसीपी को अपराधी ने चांदी का ताज पहनाया-
 उत्तर पूर्वी जिला ‌पुलिस तत्कालीन उपायुक्त अतुल ठाकुर को तो आपराधिक मामलों में शामिल विकास जैन चांदी का ताज पहना कर फोटो खिंचवाने में सफल हो गया था इस फोटो को दिखा कर वह इलाके में डीसीपी को अपना दोस्त बता कर लोगों पर रौब जमाता था।जिसकी वजह से अफसर की किरकरी हुईं।
पुलिस अफसरों का दर्जी बना फर्जी पुलिस वाला-
चांदनी चौक के आर्य टेलरिंग हाऊस के दर्जी संजीव वर्मा ने भी आईपीएस प्रेमनाथ के साथ फोटो खिंचवाई और फेसबुक पर यह ढिंढोरा भी पीट दिया कि प्रेमनाथ के साथ उसने खाना भी खाया।
 संजीव वर्मा नामक व्यक्ति ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी तो मेरी नज़र पुलिस के झंडे के साथ उसकी फोटो और उसके नीचे लिखे शब्द "सीपी आफिस" यानी  पुलिस कमिश्नर दफ्तर और प्रोफाइल में लिखे "दिल्ली पुलिस में कार्यरत " (work's at Delhi Police) पर अटक गई। फोटो में दाढ़ी वाला यह शख्स पुलिस वाला नहीं लगा।  दिल्ली पुलिस के नीचे ही लिखा था कि टेलरिंग हाऊस का मालिक।
एक ओर दिल्ली पुलिस और दूसरी ओर टेलरिंग हाऊस मालिक लिखा होने से शक हुआ इस व्यक्ति की असलियत जानने की कोशिश की तो पाया कि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर से लेकर अनेक आला अफसर और पत्रकार भी  इसके फेसबुक दोस्त हैं।
संजीव ने फेसबुक पर सात मार्च 2019 को ही पुलिस मुख्यालय में दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रेम नाथ के साथ अपनी एक फोटो भी पोस्ट की हुई हैं। जिसमें उसने यह भी लिखा है कि आज़ प्रेम नाथ के साथ लंच भी किया। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रेम नाथ के दफ्तर से मालूम किया तो असलियत पता चली कि संजीव वर्मा चांदनी चौक में "आर्य टेलरिंग हाऊस" का मालिक है। संजीव कुछ दिन पहले प्रेमनाथ से मिलने आया था। संजीव की दुकान पर पुलिस अफसर भी कपड़े /वर्दी सिलवाते हैं। इस वजह से वह अफसरों को जानता है। 
 पुलिस अफसर यह बात सपने भी नहीं सोच सकते कि उनके साथ फोटो खिंचवाने वाले किस तरह खुद को ही पुलिस वाला तक बताने की हिम्मत कर सकते हैं। पुलिस के झंडे के साथ वाली फोटो एक मार्च को पोस्ट की गई हैं।
चिराग तले अंधेरा--
पुलिस द्वारा फर्जी पुलिस वाले पकड़े जाने के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। लेकिन इस मामले से तो चिराग़ तले अंधेरा वाली कहावत पुलिस अफसरों पर लागू होती हैं। फेसबुक पर इंस्पेक्टर से लेकर वरिष्ठ अफसरों तक के जु़ड़े होने के बावजूद संजीव द्वारा खुद को पुलिस वाला बताना, होली की शुभकामनाओं वाली पोस्ट में दिल्ली पुलिस का चिन्ह इस्तेमाल करना पुलिस अफसरों की काबिलियत/ भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं वाली पोस्ट में तो संजीव के पांव के नीचे आईपीएस की टोपी की भी फोटो हैं। इन सब पोस्ट पर उसके कई पुलिस दोस्तों ने भी लाइक और कमेंट किया है। जिससे पता चलता है कि उन्होंने पोस्ट देखी है। इसके बावजूद अफसरों ने आंखें मूंद ली।
 फेसबुक पर खुद को खुलेआम दिल्ली पुलिस का बताने वाला दर्जी आला पुलिस अफसरों से मिलता रहता है। 
फेसबुक पर उसके साथ जुड़े पुलिस अफसर और पत्रकार ही अगर सजग और जिम्मेदार होते तो उसका भांडा पहले ही फूट जाता।
यह तो एक मामला है लेकिन न जाने और कितने लोग होंगे जो पुलिस अफसरों से जुड़े होने पर खुद को भी इस तरह पुलिस वाला बताते/ दिखाते होंगे।
संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर के एक अफसर ने बताया कि कुछ दिनों पहले एक दरबारी पत्रकार ने बहुत  कोशिश की थी कि वह पूर्वी दिल्ली में  एक अनजान व्यापारी के घर आयोजित कार्यक्रम में आ जाएं लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया।

जहांगीर पुरी दंगा: 36 लोग गिरफ्तार-
 जहांगीरपुरी इलाके में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने 7 मई को तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही पुलिस ने अब तक तीन नाबालिगों समेत 36 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस ने 7 मई को  बताया कि जहीर खान उर्फ ​​जलील (48) और अनाबुल उर्फ ​​शेख (32) को शुक्रवार को जहांगीरपुरी से गिरफ्तार किया गया, वहीं तीसरे आरोपी तबरेज (40) को भी शनिवार को उसी इलाके से गिरफ्तार किया गया। हिंसा के दिन से ही जहीर खान और अनाबुल दोनों फरार थे।
पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से और गवाहों के बयानों के आधार पर उनकी पहचान की गई, जिन्होंने आरोप लगाया था कि दोनों हिंसा में सक्रिय भागीदार थे। दोनों आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए थे और कई बार अपना ठिकाना बदल चुके थे। जब वे यहां अपने घर लौटे तो पुलिस को उनके जहांगीरपुरी में होने का पता चला। अधिकारी के अनुसार, जलील को सीसीटीवी फुटेज में पिस्तौल लहराते हुए देखा गया था और उसने गोली चलाई या नहीं इसकी जांच की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि अनाबुल झड़पों में सक्रिय भागीदार था।
पुलिस ने दावा किया कि तबरेज भी हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल था, तकनीकी सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर ताजा गिरफ्तारियां की गई हैं।


         दर्जी संजीव वर्मा

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