Thursday, 30 October 2025

1 लाख रुपये के साइबर फ्रॉड की तुरंत ई-एफआईआर : दिल्ली पुलिस


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस ने 1 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि वाले साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतों पर 1 नवंबर (शनिवार) से साइबर ई-एफआईआर दर्ज करने की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में यह व्यवस्था 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि वाले साइबर फ्रॉड के लिए है।
कानून का उल्लंघन-
लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा ई-एफआईआर के लिए ठगी की रकम की एक लाख रुपये की सीमा तय करना सही नहीं। ये तो कानून का उल्लंघन है
ठगी चाहे एक रुपये की हो या एक लाख की एफआईआर तुरंत दर्ज करने में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। 


तुरंत ई-एफआईआर-
1 नवंबर, 2025 से, शिकायतकर्ता किसी भी थाने में जा सकता है, जहां पर एकीकृत सहायता डेस्क के पुलिसकर्मी उसकी शिकायत दर्ज करेंगे और यदि राशि एक लाख रुपये से अधिक है, तो तुरंत ई-एफआईआर दर्ज करेंगे।
त्वरित-गहन जांच-
 इन सभी ई-एफआईआर की जांच उनके संबंधित क्षेत्राधिकार वाले साइबर पुलिस स्टेशनों, अपराध शाखा और आईएफएसओ में नियमित एफआईआर के समान ही की जाएगी। थाना स्तर पर ई-एफआईआर दर्ज करने से त्वरित और गहन जांच, ठगी गई राशि की ज़ब्ती और वसूली सुनिश्चित होगी। 
इस पहल का उद्देश्य ऑनलाइन वित्तीय घोटालों के पीड़ितों के लिए एक तेज़, अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक तंत्र प्रदान करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि साइबर फ्रॉड के मामलों में भी, जहां राशि 10 लाख रुपये से कम है, त्वरित कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।
एफआईआर आसानी से दर्ज-
दिल्ली पुलिस की इस सेवा का उद्देश्य ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी, यूपीआई घोटाले, पहचान की चोरी और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी जैसे साइबर अपराधों के पंजीकरण/ एफआईआर की प्रक्रिया को सरल बनाकर दिल्ली के निवासियों को सुविधा प्रदान करना है। यह पहल जवाबदेही बढ़ाने और एफआईआर पंजीकरण प्रक्रिया में देरी को समाप्त करने के लिए डिजिटल सत्यापन और रीयल-टाइम पावती सुविधाओं को एकीकृत करती है।

वर्तमान में नागरिक राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके या केवल https://cybercrime.gov.in पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं।


स्पेशल सेल की साइबर यूनिट इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) के अफसर के अनुसार कि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रोजाना करीब 3000 कॉल आती है। जिनमें से सिर्फ 10 फीसदी यानी औसतन करीब 300 कॉल ही पैसे के ट्रांजैक्शन को लेकर होती है। यह हेल्पलाइन सिर्फ फाइनैंशल फ्रॉड के लिए है, लेकिन इस पर कई अन्य तरह की कॉल्स भी आती है। इससे यह हेल्पलाइन नंबर बिजी रहती है। यह काम सिर्फ 20 हेल्पलाइन डेस्क कर रही है। अब 225 थानों में भी ई-एफआईआर होने से शिकायतों का बंटवारा हो जाएगा, जिससे रिपोर्टिंग की स्पीड बढ़
जाएगी। वाकई साइबर फाइनैशनल फ्रॉड हुआ है, ये बात भी तुरंत क्लियर हो जाएगी।
 अभी रोजाना रिपोर्ट होने वाले साइबर केसों में 10 फीसदी एक से 10 लाख रुपये के बीच के मामले होते है। यानी औसतन रोज 30 ऐसे मामले सामने आते हैं। अब पीड़ितों को साइबर पुलिस स्टेशन, 1930 पर कॉल करने या https://cybercrime.gov.in के बजाय सीधे नजदीकी थाने में जाने का विकल्प मिल जाएगा। 


जीरो ई-एफआईआर-
दिल्ली में इस साल मई में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और हेल्पलाइन 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय हानि से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से दिल्ली पुलिस के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज करना शुरू किया गया। इसे तुरंत संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों को भेजा जाएगा।
इसमें शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4 सी ) ने अभूतपूर्व गति से अपराधियों को पकड़ने के लिए नई ई-जीरो एफआईआर पहल शुरू की। दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया यह नया सिस्टम, एनसीआरपी या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वतः एफआईआर में परिवर्तित करता है। 

दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर लोगों से ऑनलाइन धोखाधड़ी के प्रति अतिरिक्त सतर्क रहने का आग्रह किया है। 



Thursday, 23 October 2025

4 बिहारी बदमाशों का दिल्ली में एनकाउंटर


इंद्र वशिष्ठ,
दिल्ली के रोहिणी इलाके में दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने एक कथित एनकाउंटर में बिहार के चार वांटेड बदमाशों को मार गिराया। ये बदमाश सुपारी/कांट्रेक्ट किलर (भाड़े के हत्यारे) थे। इन बदमाशों ने गिरोह का नाम सिग्मा एंड कंपनी रखा हुआ था। 
बिहार पुलिस को सीतामढ़ी जिले में हत्या के चार और रंगदारी वसूलने के लिए धमकी देने के एक मामले में इन बदमाशों की तलाश थी। बिहार पुलिस ने इन पर एक लाख रुपये का इनाम रखा हुआ था। मारे गए बदमाशों के नाम रंजन पाठक( गिरोह सरगना) बिमलेश महतो, मनीष पाठक (तीनों सीतामढ़ी जिला) और अमन ठाकुर (शिवहर जिला) है। अमन ठाकुर का दिल्ली के करावल नगर में भी एक ठिकाना था। इनके पास से 5 पिस्तौल और एक कार बरामद हुई है।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि बुधवार- वीरवार की रात रोहिणी इलाके में कार सवार इन बदमाशों को रुकने का इशारा किया गया। लेकिन बदमाशों ने पुलिस पर गोलियां चला दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में चारों बदमाश मारे गए। 
पुलिस के अनुसार पिछले तीन महीने में इन बदमाशों ने सीतमढी जिले में बाजपट्टी, डूमरा और चुरोत थाना इलाके में चार लोगों की हत्या की थी ये सभी हत्याएं सुपारी किलिंग(पैसा लेकर हत्या) थी। 
बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि वारदात के बाद ये बदमाश दिल्ली, नेपाल या अन्य जगह भाग जाते थे। 


Thursday, 16 October 2025

पंजाब पुलिस का DIG कबाड़ी से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार, 7.5 करोड़ रुपये, जेवरात, हथियार और विदेशी शराब बरामद

    ‌‌‌‌     डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर


पंजाब का डीआईजी गिरफ्तार, 7.5 करोड़ रुपये, जेवरात , हथियार बरामद



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर,आईपीएस और उसके बिचौलिए कृषानू को 5 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर, पंजाब के पूर्व डीजीपी मेहल सिंह भुल्लर का पुत्र हैं। 
7.5 करोड़ रुपये बरामद-
पंजाब और चंडीगढ़ में डीआईजी के घर और फॉर्म हाउस की तलाशी के दौरान 7.5 करोड़ रुपये , 2.5 किलोग्राम वजन के सोने के आभूषण, 50 अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज़, दो वाहनों (मर्सिडीज और ऑडी) की चाबियाँ, 26 महंगी घड़ियाँ, लॉकर की चाबियाँ, 108 शराब की बोतलें,1 बंदूक,1पिस्तौल, 1रिवॉल्वर,1 एयरगन और 117 कारतूस बरामद हुए हैं। बिचौलिए कृषानू के घर से भी 21 लाख रुपये बरामद हुए हैं। 
सेवा पानी/मंथली मांगी-
सीबीआई ने फतेहगढ़ जिले में मंडी-गोबिंदगढ़ निवासी कबाड़/स्क्रैप डीलर आकाश बत्ता की शिकायत पर रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण भुल्लर और उसके बिचौलिए कृषानू के खिलाफ 16.10.2025 को मामला दर्ज किया। 
आरोप है कि डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने शिकायतकर्ता आकाश के खिलाफ दर्ज एक मामले को "निपटाने" और उसके कबाड़ के व्यवसाय के खिलाफ आगे कोई पुलिस कार्रवाई नहीं करने के लिए,अपने बिचौलिए कृषानू के माध्यम से 8 लाख की रिश्वत और मासिक सेवा पानी/ मंथली रिश्वत  की मांग की थी।

सीबीआई ने वीरवार को जाल बिछाया और चंडीगढ़ के सेक्टर 21 में डीआईजी की ओर से शिकायतकर्ता आकाश से 5 लाख रुपये लेते हुए बिचौलिए कृषाणु को रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद कृषानू ने डीआईजी को फोन करके रिश्वत मिल जाने की सूचना दी। डीआईजी ने कृषानू और शिकायतकर्ता आकाश को अपने दफ़्तर आने का निर्देश दिया। सीबीआई टीम ने डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को चंडीगढ़ में उसके दफ़्तर से गिरफ्तार कर लिया। 






Wednesday, 15 October 2025

NHIDCL का कार्यकारी निदेशक 10 लाख रुपये लेते हुए गिरफ्तार, 2.62 करोड़ रुपये बरामद, 50 लाख मांगने वाला सीजीएसटी सुपरिटेंडेंट गिरफ्तार,19 लाख बरामद


एनएचआईडीसीएल का कार्यकारी निदेशक  10 लाख रुपये लेते हुए गिरफ्तार 
 2.62 करोड़ रुपये नकद बरामद

50 लाख मांगने वाला सीजीएसटी सुपरिटेंडेंट गिरफ्तार, 19 लाख बरामद


इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) गुवाहाटी के कार्यकारी निदेशक और क्षेत्रीय अधिकारी मैसनम रितेन कुमार सिंह को बिनोद कुमार जैन (निजी व्यक्ति) से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
आरोपी अफसर के परिसरों की तलाशी के दौरान 2.62 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। अफसर और उसके परिवार के सदस्यों के नाम पर पूरे भारत में 09 भू-संपत्तियाँ और 20 अपार्टमेंट अर्जित करने का पता चला। इसके अलावा, अफसर के नाम पर महंगे वाहनों की खरीद से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर एनएचआईडीसीएल, क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी के कार्यकारी निदेशक और क्षेत्रीय अधिकारी मैसनम रितेन कुमार सिंह तथा कोलकाता की कंपनी मैसर्स मोहन लाल जैन के दो प्रतिनिधियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। 
सीबीआई ने 14.10.2025 को जाल बिछाकर आरोपी कार्यकारी निदेशक मैसनम रितेन कुमार सिंह और कंपनी के प्रतिनिधि बिनोद कुमार जैन को रिश्वत का लेन-देन करते समय गिरफ्तार कर लिया
डेमो से मोरन बाईपास के अंत तक राष्ट्रीय राजमार्ग-37 को 4-लेन बनाने के अनुबंध और असम राज्य में अन्य अनुबंधों से संबंधित निजी कंपनी द्वारा किए गए कार्य के लिए अनुकूल समय विस्तार (ईओटी) और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रिश्वत ली थी। 
पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर आरोपियों के 07 कार्यालय और आवासीय परिसरों की तलाशी ली गई।
आरोपी लोक सेवक की अचल/चल संपत्तियों का आगे सत्यापन जारी है।
दोनों गिरफ्तार आरोपियों को विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलों, गुवाहाटी की अदालत में पेश किया गया ।
50 लाख मांगने वाला सीजीएसटी सुपरिटेंडेंट गिरफ्तार-
सीबीआई  ने एक अन्य मामले में नासिक कमिश्नरेट के सीजीएसटी एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधीक्षक हरी प्रकाश शर्मा को शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपये  रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। आरोपी के परिसरों की तलाशी में 19 लाख रुपये बरामद हुए।
 इस अफसर ने एक निजी कंपनी के आईजीएसटी इनपुट मामले में शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न करने के लिए शुरुआत में 50 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी, जिसे बाद में उसने घटाकर 22 लाख रुपये कर दिया था।
आरोपी ने शिकायतकर्ता को 14.10.2025 को 5 लाख रुपये और शेष 17 लाख रुपये 17.10.2025  को देने का निर्देश दिया था। 
सीबीआई ने 14.10.2025 को जाल बिछाया और आरोपी को नासिक स्थित उसके कार्यालय के बाहर शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। 





Thursday, 9 October 2025

कश्मीर में आतंकवाद को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों को खुली छूट: अमित शाह

   कश्मीर में आतंकवाद को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों को खुली छूट: अमित शाह




इंद्र वशिष्ठ, 
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बलों को जम्मू- कश्मीर में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को कुचलने के लिए पूरी स्वतंत्रता है। सर्दियां आ रही हैं, आतंकवादी बर्फबारी का फ़ायदा उठाकर घुसपैठ ना कर पाएं, इसके लिए सुरक्षा बल हर तरह से तैयार रहें।
गृहमंत्री ने वीरवार को नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। 
गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। सुरक्षा एजेंसियों के दृढ़ प्रयासों के कारण, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र के शत्रुओं द्वारा पोषित आतंकवादी नेटवर्क लगभग समाप्त हो गया है। 
गृह मंत्री ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सतर्क रहते हुए समन्वित तरीके से काम करने की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। 
अमित शाह ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद केन्द्रशासित प्रदेश प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में मदद मिली है।
बैठक में जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल, केन्द्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो, थल सेनाध्यक्ष, जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों  के महानिदेशक तथा भारत सरकार, सेना और जम्मू और कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।



Saturday, 4 October 2025

Toddler's identity exposed by DCP, Will CP act? CP Show the Courage

            CP Show the Courage 
Toddler's identity exposed by DCP, Will CP act? 
CP Show the Courage 



Inder Vashisth
A case of flouting the law by revealing the identity of a toddler has come to light at Delhi Police Headquarters, right under the nose of Commissioner of Police, Satish Golchha. 
On September 28th, Central District DCP Nidhin Valsan held a press conference at Police Headquarters regarding the arrest of the kidnappers of a one-and-a-half-year-old child. 
Exposed  Identity
DCP Valsan exposed the identity of the child and his parents by presenting them before the media. 
For publicity, DCP Nidhin Valsan had the media take photos and videos of him holding the child in his arms, having the child cut a cake, and so on.
Punishable  Offense-
Revealing the identity of a child victim of a crime is a punishable offense. Some newspapers like Indian Express,Times of India, Nav Bharat Times and some YouTube channels are equally responsible for revealing the child's identity.
History Repeated-
The same case was occurred in the year 2000, when  Ajay Raj Sarma was the CP, Delhi. This journalist was the one who raised questions about the then Central District DCP Muktesh Chandra presenting foreign rape victims to the media at police headquarters in June 2000.
DCP Removed 
The then Commissioner Ajay Raj Sharma removed Muktesh Chandra from the post of District Deputy Commissioner of Police. In response to a question asked in Parliament, it was also reported that the DCP had been reprimanded and removed from his post as District DCP.
CP Show the Courage 
Now the question is- will CP, Delhi initiate the action against DCP Nidhin Valsan for violating the JJ Act and presented the victim before the media like an 'item'. In this case the guidelines of the Supreme Court has also been violated.
Would Commissioner Satish Golchha dare to remove a DCP like the late Ajay Raj Sharma, former Delhi Police Commissioner?

Attempts were made to contact Police Commissioner Satish Golchha and Police spokesperson Sanjay Tyagi regarding this matter.
A message was also left in the Commissioner's office. A WhatsApp message was also sent to Police spokesperson Sanjay Tyagi regarding this matter.
Arrested-
On September 24th, a one-and-a-half-year-old child from a family from Kota, Rajasthan, sleeping on the footpath on Pusa Road in the Karol Bagh police station area, was abducted.
Four accused arrested including one buyer. one minor involved in this case also apprehended. 
The child, belonging to a family from Rajasthan who had come to Delhi to sell toys, was sold by the kidnappers for 45,000 rupees in Mahoba district, Uttar Pradesh. The person who bought the child had two daughters and desired a son.





Thursday, 2 October 2025

DCP निधिन वाल्सन ने डेढ़ साल के बच्चे की पहचान ही उजागर कर दी, कमिश्नर सतीश गोलछा की नाक के नीचे पुलिस मुख्यालय में कानून की धज्जियां उड़ाई गई, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स ने भी पहचान उजागर की

                   DCP निधिन वाल्सन
इस फोटो में इस पत्रकार द्वारा तीनों के चेहरे ढके गए हैं। 

              
DCP निधिन वाल्सन ने डेढ़ साल के बच्चे की पहचान ही उजागर कर दी

कमिश्नर सतीश गोलछा की नाक के नीचे पुलिस मुख्यालय में कानून की धज्जियां उड़ाई गई

इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया
और नवभारत टाइम्स ने भी पहचान उजागर की




इंद्र वशिष्ठ
क्या अपराध के शिकार/पीड़ित बच्चों की पहचान उजागर करने पर रोक लगाने वाला कानून सरकार ने खत्म कर दिया है ? 
डीसीपी कानून से ऊपर-
अगर कानून जिंदा है तो क्या वह दिल्ली पुलिस के डीसीपी निधिन वाल्सन पर लागू नहीं होता ? 
क्या मध्य जिले के डीसीपी निधिन वाल्सन द्वारा अपराध पीड़ित गरीब बच्चे की पहचान उजागर करना अपराध नहीं है ? 
गरीब का बच्चा-
बच्चा यदि किसी रईस या किसी वीआईपी का होता, क्या तब भी डीसीपी उसकी पहचान उजागर करने की हिम्मत करते ? 
क्योंकि बच्चा फुटपाथ पर सोने  वाले परिवार का था, इसलिए प्रचार के लिए पूरे परिवार को ही मीडिया के सामने पेश कर दिया गया। 
कमिश्नर डीसीपी के ख़िलाफ़ एक्शन लेंगे ? 
पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा की नाक के नीचे पुलिस मुख्यालय में कानून की धज्जियां उड़ाने का यह मामला सामने आया है। 
क्या कमिश्नर सतीश गोलछा भी दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर स्वर्गीय अजय राज शर्मा की तरह डीसीपी को हटाने की हिम्मत कर सकते हैं? 
इस बारे में पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा और पुलिस प्रवक्ता संजय त्यागी से संपर्क करने की कोशिश गई। 
कमिश्नर के दफ़्तर में संदेश भी छोड़ा है। पुलिस प्रवक्ता संजय त्यागी को इस बारे में व्हाट्सएप पर संदेश भी भेजा  है। 

कानून का उल्लघंन-
वरिष्ठ वकील, स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी  लक्ष्मी नारायण राव(एल एन राव) ने बताया कि पुलिस अफसर द्वारा पीड़ित बच्चे और उसके परिवार को मीडिया के सामने ले कर आना, उनकी पहचान उजागर करना कानून का सरासर उल्लघंन/ गैरकानूनी है। 
पूरा परिवार पेश किया-
मध्य जिले के डीसीपी निधिन वाल्सन ने 28 सितंबर को डेढ़ साल के बच्चे के अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी के बारे में पुलिस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बच्चे और उसके माता पिता को भी मीडिया के सामने पेश करके उनकी पहचान ही उजागर कर दी। 
फोटो/वीडियो बनवाई-
मीडिया में प्रचार के लिए तो डीसीपी ने गरीब बच्चे को गोद में लेकर, बच्चे से केक कटवाने आदि की बकायदा मीडिया से फोटो और वीडियो बनवाई। 
डीसीपी क्या इतने नादान है ? 
डीसीपी निधिन वाल्सन द्वारा ऐसा करना उनकी पेशेवर काबलियत, कानूनी समझ और संवेदनशीलता पर सवालिया निशान लगाते हैं। 
क्या डीसीपी निधिन वाल्सन इतने नादान हैं कि उन्हें यह भी नहीं मालूम कि अपराध पीड़ित  मासूम बच्चे को मीडिया के सामने पेश करना उसके फोटो, वीडियो बनवाना, पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है। 
इतिहास दोहराया -
मध्य जिले के किसी डीसीपी द्वारा अपराध पीड़ित की पहचान उजागर करने का 25 साल में यह दूसरा मामला सामने आया है। 
डीसीपी मुक्तेश चंद्र को हटाया- 
मध्य जिला के तत्कालीन डीसीपी मुक्तेश चंद्र  द्वारा जून 2000 में बलात्कार पीड़िता विदेशी युवतियों को मीडिया के सामने ही पेश करने पर इस पत्रकार ने ही सवाल उठाया था। जिससे मुक्तेश चंद्र की पेशेवर काबिलियत और संवेदनशीलता पर सवालिया निशान लग गया था। 
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय राज़ शर्मा ने इस मामले में भी मुक्तेश चंद्र को जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटा दिया था। यही नहीं संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में भी खुल कर यह जानकारी दी कि इस मामले में डीसीपी को फटकार लगाई गई है और जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटा दिया गया है।

मीडिया ने भी कानून की धज्जियां उड़ाई-
पहचान उजागर कर दी-

नवभारत टाइम्स  के ऑनलाइन संस्करण में  फोटो छपी है जिसमें बच्चे का मुंह तो छिपा दिया गया लेकिन उसके माता पिता का चेहरा खुला हुआ है। अखबार के संपादक की नज़र में क्या पीड़ित बच्चे के माता पिता की पहचान उजागर करना शायद अपराध नहीं है। माता पिता से ही बच्चे की पहचान भी उजागर हो जाती है क्या उन्हें इतनी सी भी समझ नहीं है। 
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बच्चे और उसके माता पिता का चेहरा छिपाए बिना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली फोटो छाप दी। 
इंडियन एक्सप्रेस के ऑनलाइन संस्करण ने भी बच्चे और उसके माता पिता का चेहरा छिपाए बिना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली फोटो लगा दी। 
इससे इन प्रमुख अखबारों के संपादकों की पेशेवर काबलियत पर सवालिया निशान लग जाता है। 
इसके अलावा सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, कुछ यू-टयूब चैनलों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली वीडियो मौजूद है। 
इन सबके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। 

बच्चों की पहचान उजागर करने पर रोक के कानून-
भारत में दो मुख्य कानून , किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे एक्ट) और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो एक्ट) अपहरण और अन्य बच्चों से जुड़े अपराधों में पीड़ित बच्चों की पहचान उजागर करने पर रोक लगाते हैं। मीडिया और किसी भी संचार माध्यम को बच्चे का नाम, पता, स्कूल या कोई भी ऐसी जानकारी प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है जिससे उसकी पहचान हो सके। और इसके उल्लंघन पर दंड का प्रावधान है। 
किशोर न्याय अधिनियम, 2015:
इस कानून की धारा 74 के अनुसार, किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका, ऑडियो-विजुअल मीडिया या संचार के अन्य साधनों को किसी भी जांच या न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में बच्चे का नाम, पता, स्कूल या कोई अन्य विवरण प्रकाशित करने से मना किया गया है, जिससे उसकी पहचान हो सके। 
सजा:
धारा 74(3): धारा 74(1) के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले "किसी भी व्यक्ति" को छह महीने तक के कारावास या 2 लाख रुपये तक के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। निपुण सक्सेना बनाम भारत संघ - सर्वोच्च न्यायालय
पोक्सो अधिनियम, 2012:
यह अधिनियम भी बाल शोषण के मामलों में पीड़ित की गोपनीयता की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि विचारण के दौरान किसी भी समय बच्चे की पहचान प्रकट न हो। 
सजा:
इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर एक वर्ष तक के कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है. 
अपवाद
पहचान प्रकट करने की अनुमति केवल तभी दी जा सकती है जब विशेष न्यायालय यह निर्धारित करता है कि ऐसा करना बच्चे के सर्वोत्तम हित में है, और इसके कारण लिखित में अभिलिखित किए जाने चाहिए। 
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) बच्चों के अधिकार से जुड़े मामलों की निगरानी करता है और मीडिया द्वारा पीड़ित बच्चों की पहचान उजागर करने पर रोक लगाने के उद्देश्य से भी काम करता है। 

पुलिस की कहानी-
मध्य जिले की करोल बाग़ थाना पुलिस ने 24 सितंबर को अपहृत किए गए डेढ़ साल के बच्चे को 48 घंटे में बरामद कर लिया।
पूसा रोड, गंगा राम अस्पताल की लालबत्ती के पास फुटपाथ पर सो रहे राजस्थान के कोटा के एक परिवार के इस बच्चे का अपहरण कर लिया गया था मासूम के अपहरणकर्ता सहित बच्चे की ख़रीद फ़रोख्त में संलिप्त कुल 4 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और 1 नाबालिग को भी पकड़ा गया। 
राजस्थान से करोलबाग में  खिलौने, गुब्बारे आदि बेचने दिल्ली आए परिवार के बच्चे को अपहरणकर्ताओं ने 45,000 में उत्तर प्रदेश महोबा ज़िले में बेच दिया था। जिस व्यक्ति ने खरीदा उसके दो बेटियां हैं लड़के की चाह में उसने बच्चे को खरीदा। 
पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से सभी अपराधियों को पता लगा कर धर दबोचा।