इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस ने 1 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि वाले साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतों पर 1 नवंबर (शनिवार) से साइबर ई-एफआईआर दर्ज करने की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में यह व्यवस्था 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि वाले साइबर फ्रॉड के लिए है।
कानून का उल्लंघन-
लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा ई-एफआईआर के लिए ठगी की रकम की एक लाख रुपये की सीमा तय करना सही नहीं। ये तो कानून का उल्लंघन है
ठगी चाहे एक रुपये की हो या एक लाख की एफआईआर तुरंत दर्ज करने में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। 
तुरंत ई-एफआईआर-
1 नवंबर, 2025 से, शिकायतकर्ता किसी भी थाने में जा सकता है, जहां पर एकीकृत सहायता डेस्क के पुलिसकर्मी उसकी शिकायत दर्ज करेंगे और यदि राशि एक लाख रुपये से अधिक है, तो तुरंत ई-एफआईआर दर्ज करेंगे।
त्वरित-गहन जांच-
 इन सभी ई-एफआईआर की जांच उनके संबंधित क्षेत्राधिकार वाले साइबर पुलिस स्टेशनों, अपराध शाखा और आईएफएसओ में नियमित एफआईआर के समान ही की जाएगी। थाना स्तर पर ई-एफआईआर दर्ज करने से त्वरित और गहन जांच, ठगी गई राशि की ज़ब्ती और वसूली सुनिश्चित होगी। 
इस पहल का उद्देश्य ऑनलाइन वित्तीय घोटालों के पीड़ितों के लिए एक तेज़, अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक तंत्र प्रदान करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि साइबर फ्रॉड के मामलों में भी, जहां राशि 10 लाख रुपये से कम है, त्वरित कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।
एफआईआर आसानी से दर्ज-
दिल्ली पुलिस की इस सेवा का उद्देश्य ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी, यूपीआई घोटाले, पहचान की चोरी और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी जैसे साइबर अपराधों के पंजीकरण/ एफआईआर की प्रक्रिया को सरल बनाकर दिल्ली के निवासियों को सुविधा प्रदान करना है। यह पहल जवाबदेही बढ़ाने और एफआईआर पंजीकरण प्रक्रिया में देरी को समाप्त करने के लिए डिजिटल सत्यापन और रीयल-टाइम पावती सुविधाओं को एकीकृत करती है।
वर्तमान में नागरिक राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके या केवल https://cybercrime.gov.in पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं। 
स्पेशल सेल की साइबर यूनिट इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) के अफसर के अनुसार कि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रोजाना करीब 3000 कॉल आती है। जिनमें से सिर्फ 10 फीसदी यानी औसतन करीब 300 कॉल ही पैसे के ट्रांजैक्शन को लेकर होती है। यह हेल्पलाइन सिर्फ फाइनैंशल फ्रॉड के लिए है, लेकिन इस पर कई अन्य तरह की कॉल्स भी आती है। इससे यह हेल्पलाइन नंबर बिजी रहती है। यह काम सिर्फ 20 हेल्पलाइन डेस्क कर रही है। अब 225 थानों में भी ई-एफआईआर होने से शिकायतों का बंटवारा हो जाएगा, जिससे रिपोर्टिंग की स्पीड बढ़
जाएगी। वाकई साइबर फाइनैशनल फ्रॉड हुआ है, ये बात भी तुरंत क्लियर हो जाएगी।
 अभी रोजाना रिपोर्ट होने वाले साइबर केसों में 10 फीसदी एक से 10 लाख रुपये के बीच के मामले होते है। यानी औसतन रोज 30 ऐसे मामले सामने आते हैं। अब पीड़ितों को साइबर पुलिस स्टेशन, 1930 पर कॉल करने या https://cybercrime.gov.in के बजाय सीधे नजदीकी थाने में जाने का विकल्प मिल जाएगा। 
जीरो ई-एफआईआर-
दिल्ली में इस साल मई में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और हेल्पलाइन 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय हानि से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से दिल्ली पुलिस के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज करना शुरू किया गया। इसे तुरंत संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों को भेजा जाएगा।
इसमें शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4 सी ) ने अभूतपूर्व गति से अपराधियों को पकड़ने के लिए नई ई-जीरो एफआईआर पहल शुरू की। दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया यह नया सिस्टम, एनसीआरपी या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वतः एफआईआर में परिवर्तित करता है। 
दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर लोगों से ऑनलाइन धोखाधड़ी के प्रति अतिरिक्त सतर्क रहने का आग्रह किया है। 
