Saturday 19 January 2013

दिल्ली में महफूज नही महिलाएं




दिल्ली में महफूज नही महिलाएं


इंद्र वशिष्ठ
राजधानी में महिलाएं साल दर साल असुरक्षित होती  जा रही है। साल २०१२ भी महिलाओं के लिए  सुरक्षित नहीं था। साल के अंत में चलती बस में गैंग रेप ने तो पूरे देश को ही झकझोर दिया। लगातार तीसरे बर्ष  भी  बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले बढ़े है। साल २०१२ में बलात्कार के ७०६ मामले दर्ज हुए जबकि २०११में ५७२ और २०१० में ५०७ बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे।  साल २०१२ में छेड़छाड़ के ७२७, साल २०११ में ६५७ और साल २०१० में ६०१ मामले दर्ज हुए थे। पुलिस का कहना है कि साल २०१२ में बलात्कार के ९६.३२ प्रतिशत मामलों में आरोपी पीडि़ता के जानकार/रिश्तेदार/पड़ोसी या सहयोगी थे। सिर्फ  .६८ प्रतिशत वारदात में आरोपी अजनबी थे।
साल २०१२ में झपटमारी की १४४० वारदात दर्ज हुई जबकि २०११ में १४७६ मामले दर्ज हुए थे पुलिस ने झपटमारी की वारदात कम होने का दावा किया है। लेकिन महिलाओं के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है इसक पता इससे ही लगाया जा सकता है कि चेन झपटने के ज्यादतर  मामले पुलिस दर्ज ही नहीं करती या महिला को रिपोर्ट दर्ज कराने के इतने दुष्परिणाम बता देती है कि महिला खुद ही डर के मारे रिपोर्ट दर्ज नहीं कराती
बीते  साल आईपीसी के तहत दर्ज मामलों में .७५ प्रतिशत की वृद्वि हुई है। आईपीसी के तहत कुल ५४२८७ मामले दर्ज हुए जबकि साल २०११ में यह संख्या ५३३५३ थी। साल २०१२ में ५३.१५ प्रतिशत मामलों को सुलझाने का दावा पुलिस ने किया है। साल २०१२ में संगीन अपराध में १०.६४ प्रतिशत की वृद्वि हुई है। हालांकि पुलिस के आकंडें़  सचाई से दूर होते है क्योंकि आकंड़ों से अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस द्वारा सभी वारदात को दर्ज करना या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा आज भी कायम है। आज भी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए लोगों को सिफारिश या कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। लूट को चोरी में दर्ज  दिया जाता है। जेब कटने और मोबाइल चोरी की ज्यादातर वारदात तो पुलिस दर्ज ही नहीं करती है।
साल २०१२ में हत्या ,डकैती,फिरौती के लिए अपहरण,वाहन चोरी,घरों में चोरी के मामलों में भी कमी का दावा पुलिस ने किया है। हत्या के ५२१,डकैती के २८, फिरौती के लिए अपहरण के २१, वाहन चोरी के १४३९१, घरों में चोरी के १७४६ मामले दर्ज हुए। हत्या की कोशिश,लूट, जबरन वसूली, सेंधमारी, अपहरण के मामले बढ़े है।
सडक़ दुर्घटनाओं में कमी आई -बीते साल १८२२ जानलेवा दुर्घटनाएं हुई जबकि २०११ में यह संख्या २०४७ थी।

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