Tuesday 24 November 2020

IPS समीर शर्मा के स्टाफ पर वसूली का आरोप। समीर शर्मा की भूमिका पर सवालिया निशान। कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने दिए जांच के आदेश।


                          समीर शर्मा
कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने दीवाली से पहले  जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक जांच  चल ही रही है ?

                

इंद्र वशिष्ठ

पश्चिम जिले में पुलिस द्वारा सट्टेबाजों से लाखों रुपए वसूलने की कोशिश का मामला सामने आया है।
इस मामले में पश्चिम जिले के एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के निजी स्टाफ के शामिल पाए जाने से पुलिस महकमे में हंगामा मच गया है। एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है। 
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने दीवाली से पहले इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक जांच पूरी ही नहीं हुई है ?
 सतर्कता विभाग के अलावा पश्चिम जिले के डीसीपी दीपक पुरोहित द्वारा भी मामले की जांच की जा रही है। एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा इस समय हैदराबाद कोर्स पर गए हुए है।

दीवाली पर वसूली-
पुलिस सूत्रों के अनुसार दीवाली से ठीक पहले  सुभाष नगर में कुछ पुलिस वालों ने एक घर में छापा मारा था। छापेमारी में सिपाही ललित और सब-इंस्पेक्टर विकास आदि शामिल थे। वहां से बरामद लाखों रुपए की गिनती करते हुए विकास के दफ्तर का सीसीटीवी फुटेज भी अफसरों को मिला है।
सूत्रों के अनुसार वहां से करीब 26-30 लाख रुपये बरामद हुए थे। इन पुलिस वालों ने 15-20 लाख रुपए लेकर सट्टेबाजों को छोडने की बात  की। इसके बाद पुलिस वालों ने कुछ रकम बरामद दिखाने और मामला दर्ज करने की बात की।
सूत्रों के अनुसार इसी दौरान सट्टेबाज के परिवार ने  पुलिस कंट्रोल रुम और अपने जानकर अफसरों को फोन कर दिया कि पुलिसकर्मियों द्वारा पैसा वसूली और मारपीट की जा रही है। 
सूत्रों के अनुसार सट्टेबाजों का जानकार ट्रैफिक पुलिस का एक इंस्पेक्टर भी इन पुलिस वालों के पास गया और उनकी अवैध  कार्रवाई का विरोध किया।
पुलिस कमिश्नर की जानकारी में मामला आ गया।
यह पता चलते ही पश्चिम जिले के स्पेशल स्टाफ की तरफ से राजौरी गार्डन थाने में सट्टेबाजी का मामला दर्ज कर अंकित को गिरफ्तार दिखा दिया गया। पुलिस ने इस मामले में 25 लाख 40 हजार रुपए बरामद बताए है।
कमिश्नर ने पहले इस मामले की जांच द्वारका के डीसीपी संतोष मीणा को सौंपी थी।
सूत्रों के अनुसार अब पश्चिम जिले के डीसीपी दीपक पुरोहित द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
जिस दिन छापेमारी की गई थी उस दिन डीसीपी दीपक पुरोहित छुट्टी पर थे। एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा काम देख रहे थे।
सिपाही सिक्योरिटी से वसूली करने पहुंच गया-
सूत्रों के अनुसार हैरानी की बात यह है कि सिपाही ललित की पोस्टिंग सिक्योरिटी ब्रांच में है। किसी मामले में शिकायत पर ही ललित का सिक्योरिटी में तबादला किया गया था।
सिपाही ललित एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा का चहेता बताया जाता है। इसीलिए सिपाही ललित को सिक्योरिटी से कोविड सेंटर की डयूटी के बहाने से  हरि नगर थाने में  बुला लिया गया।  ललित की करतूत का पता चलते ही हरिनगर थाने के एस एच ओ जीत सिंह ने उस दिन उसकी डयूटी से गैर हाजिरी लगवा दी। सिक्योरिटी में तैनात सिपाही ललित का छापेमारी करने जाने से साफ लगता है कि वह वसूली की नीयत से गए थे।
ललित सिक्योरिटी/ कोविड सेंटर पर डयूटी करता था या एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा की सेवा में रहता था। इसका खुलासा ललित के मोबाइल फोन रिकॉर्ड, लोकेशन और दफ्तर आदि जगहों पर लगे सीसीटीवी फुटेज से भी आसानी से हो जाएगा।
सब-इंस्पेक्टर विकास एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के दफ्तर में स्टाफ अफसर( एस ओ) के रुप में तैनात है।
सूत्रों के अनुसार विकास ने जांच के दौरान डीसीपी दीपक पुरोहित को बताया है कि वह एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के आदेश पर छापा मारने गए थे।
एसीपी सट्टा पकड़ रहा था इंस्पेक्टर पटाखे-
राजौरी गार्डन थाने में  सट्टेबाजी का मुकदमा खुद दर्ज कराने वाले जिले के एसीपी (आपरेशन) सुदेश रंगा ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। एसीपी ने सिर्फ इतना बताया कि इंस्पेक्टर नरेंद्र के पास मामले की जांच है। 
दूसरी ओर इंस्पेक्टर नरेंद्र ने कहा कि दीवाली से पहले उन्होंने सिर्फ पटाखे वगैरह पकड़े थे। सट्टे का मामला तो एसीपी ने दर्ज कराया है। 
सुभाष नगर इलाके में चल रहे सट्टे के धंधे ने राजौरी गार्डन थाना पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।
 मामला गडबड है ?
इन सब बातों से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के स्टाफ ने वसूली की नीयत/ इरादे से सट्टेबाज के घर छापा मारा। सट्टेबाज के परिवार ने पुलिस कंट्रोल रुम /अफसरों को शिकायत कर दी। इसके बाद इन पुलिस वालों को बचाने के लिए इंस्पेक्टर को दरकिनार कर एसीपी से एफआईआर दर्ज करवा दी गई।
मोबाइल फोन राज खोल देगें- 
सुभाष नगर में अंकित के घर और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज से भी साफ पता चल जाएगा कि इस कथित छापेमारी में ललित के साथ कौन कौन था। एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा, ललित ,विकास और स्पेशल स्टाफ के एसीपी और इंस्पेक्टर के मोबाइल फोन रिकार्ड/ लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज से यह सच सामने आ जाएगा कि कौन किस समय, कहां और किस किस के संपर्क में था।
आईपीएस समीर शर्मा की भूमिका-
जिले में कोई भी मुकदमा डीसीपी की अनुमति या जानकारी के बिना दर्ज नहीं किया जाता। मातहतों द्वारा छापेमारी की सूचना भी पहले वरिष्ठ अफसरों को दी जाती है।
 डीसीपी दीपक पुरोहित तो कोरोना ग्रस्त होने के कारण उस दिन छुट्टी पर थे। इसलिए इस मामले में एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है। एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के एसओ और चहेते ललित के शामिल पाए जाने से यह मामला काफी गंभीर हो गया है। 
सूत्रों का कहना है कि समीर शर्मा और ललित के "घनिष्ठ" संबंधों के बारे में पुलिस कमिश्नर को पहले भी बताया जा चुका है। लेकिन आईपीएस द्वारा आईपीएस को बचाया ही जाता है।
देखना है कि पुलिस कमिश्नर इस मामले में भी एडिशनल डीसीपी शर्मा के समीर के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या नहीं।

पुलिस आयुक्त ने एंटो को बख्श दिया-
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने द्वारका जिले के डीसीपी के तीन कम्प्यूटर ले जाने वाले डीसीपी के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाने की बजाए उसे बख्श दिया।
इस मामले ने पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव की पेशेवर काबिलियत/भूमिका पर  सवालिया निशान लगा दिया है।
 काबिल और दबंग कमिश्नर ही निरंकुश आईपीएस, बेखौफ अपराधियों और पुलिस मेंं व्याप्त भ्रष्टाचार अंकुश लगा सकता है।
अमानत में ख्यानत -
 द्वारका जिले के डीसीपी के दफ्तर से टच स्क्रीन वाले तीन कम्प्यूटर अगस्त में अपने तबादले के साथ ही डीसीपी एंटो अल्फोंस द्वारा ले जाए जाने का खुलासा इस पत्रकार ने 8 नवंबर को किया था। यह कम्प्यूटर बिना किसी लिखित अनुमति/आदेश के ले जाए गए थे। इस तरह यह मामला अमानत में ख्यानत के तहत अपराध का बनता है।
इस पत्रकार द्वारा यह खुलासा करने से लाखों रुपए मूल्य के सरकारी कम्प्यूटर बच गए वरना कभी यह पता ही नहीं चलता कि कम्प्यूटर कौन ले गया। इस तरह ही घपले होते हैं।
अगर कोई काबिल दमदार कमिश्नर होता तो एंटो अल्फोंस के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई करता।
पुलिस आयुक्त की भूमिका पर सवाल-
मामला उजागर होने के बाद एंंटो को कानूनी/ विभागीय कार्रवाई से बचाने के लिए कम्प्यूटर उनको री एलोकेट दिखा दिए गए।जबकि 8 नवंबर को एंटो अलफोंस ने खुद इस पत्रकार से कहा था कि वह कम्प्यूटर नहीं लाए।
वैसे कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने तो दानिप्स सेवा के पूर्वी जिले के उस एडशिनल डीसीपी संजय कुमार सहरावत तक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जिसके खिलाफ जाली जन्म प्रमाण से नौकरी हासिल करने के आरोप में सीबीआई ने केस दर्ज किया है। लोदी कालोनी थाने में हिरासत में मौत के संगीन मामले में भी एस एच ओ को नहीं हटाया गया।
दो करोड़ वसूली में ए एस आई गिरफ्तार-
बीस नवंबर को ही दक्षिण जिला पुलिस ने ए एस आई राजबीर सिंह को हौजखास निवासी बिल्डर से दो करोड़ रुपए की जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार किया। पीसीआर में तैनात वीरता पदक विजेता राजबीर ने हरियाणा के बदमाश प्रमोद उर्फ काला के साथ मिलकर वसूली की साजिश रची थी।
शराब माफिया से 5 लाख मांगे-
इसके पहले सीबीआई ने तिलक नगर के सिपाही जितेंद्र को शराब माफिया से पांच लाख रुपए रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया था।


No comments:

Post a Comment