Friday 21 June 2024

दिल्ली पुलिस का सब-इंस्पेक्टर एक लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस का सब-इंस्पेक्टर 
एक लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार


इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए दिल्ली पुलिस के छावला थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ को आज गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि एक शिकायत पर द्वारका जिले के छावला थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। 
आरोप है कि एक मामले में गिरफ्तार न करने की एवज़ में सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ ने शिकायतकर्ता से तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी। सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ परस्पर बातचीत के बाद दो लाख रुपए रिश्वत लेने के लिए राजी हो गया।
 सीबीआई ने जाल बिछाया और शिकायतकर्ता से एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ को रंगे हाथों पकड़ लिया। सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ के थाने में स्थित कमरे और घर की तलाशी ली गई।


Tuesday 18 June 2024

आतंकवाद के पैसे से डाक्टरी की पढ़ाई, 1 करोड़ 13 लाख रुपए जब्त





आतंकवाद के पैसे से डाक्टरी की पढ़ाई, 
1 करोड़ 13 लाख रुपए जब्त




इंद्र वशिष्ठ,  
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माओवादियों द्वारा बिहार, झारखंड के ठेकेदारों और अन्य लोगों से जबरन वसले गए एक करोड़, तेरह लाख, सत्तर हज़ार, पांच सौ रुपए जब्त किए हैं। आतंकवाद की इस आय का इस्तेमाल कुछ आरोपियों की रिश्तेदार की मेडिकल/डाक्टरी की पढ़ाई के लिए किया गया था। यह रकम सीपीआई (माओवादी) मगध जोन पुनरुद्धार प्रयास के मामले से जुड़ी हुई है।

एनआईए की जांच में पता चला कि आरोपी वरिष्ठ माओवादी नेता की रिश्तेदार की मेडिकल की शिक्षा के लिए यह रकम सीधे तमिलनाडु, चेन्नई स्थित मेडिकल कॉलेज के बैंक खाते में भेजी गई। आरोपी के करीबी रिश्तेदारों के बैंक खातों के माध्यम से यह  ऋण राशि की आड़ में कॉलेज के बैंक खाते में भेजी गई। 
माओवादियों द्वारा लोगों से जबरन वसूली गई यह रकम जिस मेडिकल स्टूडेंट के लिए भेजी गई, वह एफआईआर में नामजद आरोपी/चार्जशीटेड सीपीआई (माओवादी) के स्पेशल एरिया  कमेटी सदस्य  प्रद्युम्न शर्मा की भतीजी है। वह गिरफ्तार आरोपी तरुण कुमार की बहन और गिरफ्तार आरोपी अभिनव उर्फ गौरव उर्फ बिट्टू की कजन है।
एनआईए ने गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत यह रकम जब्त की है। एनआईए ने 30 दिसंबर 2021 को खुद ही सीपीआई (माओवादी) मगध जोन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था।



Thursday 13 June 2024

श्री राजमहल ज्वैलर्स की 112 करोड़ रुपए की संपत्तियों की कुर्की


श्री राजमहल ज्वैलर्स की 112 करोड़ की संपत्तियों की कुर्की



इंद्र वशिष्ठ, 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मैसर्स श्री राज महल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड (एसआरएमजेपीएल) से संबंधित 94.18 करोड़ रुपए मूल्य की चल/अचल संपत्तियां तथा इसी समूह की कंपनी मैसर्स गिन्नी गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड (जीजीपीएल) से संबंधित 13.43 करोड़ रुपए की संपत्तियां कुर्क की हैं। इन संपत्तियों का स्वामित्व अशोक गोयल, प्रदीप गोयल, प्रवीण कुमार गुप्ता (प्रमोटरों /निदेशक) के पास है। इस मामले में कुल कुर्की राशि 112 करोड़ रुपए है।

ईडी ने एसआरएमजेपीएल और जीजीपीएल और उनके निदेशकों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। उक्त एफआईआर के अनुसार, सोने और हीरे जड़ित आभूषणों के निर्माण और व्यापार में लगे एसआरएमजेपीएल और  जीजीपीएल ने बैकों से करोड़ों रुपए का ऋण लिया था।

232 करोड़ की धोखाधड़ी-

बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से क्रमशः 125 करोड़, 45 करोड़ रुपए कर्ज लिया और उसके बाद बैंक को धोखा दिया।

सीबीआई ने बैंकों के साथ लगभग 232 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में श्री राज महल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों/प्रमोटरों और इस समूह की कंपनियों के खिलाफ भी कई एफआईआर दर्ज की हैं। 

संपत्तियां खरीद ली-

ईडी की जांच से पता चला कि उपरोक्त संस्थाओं, उनके प्रमोटरों/निदेशकों ने बैंक ऋण निधि को उक्त संस्थाओं के व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया, जैसे व्यक्तिगत नामों पर अचल संपत्तियों में निवेश या अप्रत्यक्ष रूप से उनके द्वारा नियंत्रित कंपनियों के नाम पर डमी निदेशकों के माध्यम से निवेश किया। 

कागजी कंपनियां-

इसके अलावा शेल/कागजी संस्थाओं को कथित बिक्री दिखाकर बैंक ऋण में गिरवी रखे गए शेयरों को भी निकाल लिया गया, ताकि बैंक के बकाया की वसूली के लिए वह उपलब्ध न हो सके। 

शेल संस्थाओं की जांच से पता चलता है कि या तो वे अस्तित्व में ही नहीं हैं या बही खाता में किया गया लेनदेन का दावा फर्जी है। कुछ संस्थाओं ने स्वीकार किया है कि उन्होंने प्रमोटरों के अनुरोध पर प्रविष्टियाँ प्रदान की हैं। उक्त कुछ फर्जी इकाइयां गिन्नी गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड और श्री राज महल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों/निदेशकों के रिश्तेदारों द्वारा संचालित की जाती हैं।

100 कंपनियां-

ईडी की जांच से यह भी पता चला है कि जीजीपीएल और एसआरएमजेपीएल के प्रमोटरों/निदेशकों ने लगभग 100 कंपनियों/इकाइयों की स्थापना की है, जिनका इस्तेमाल मुख्य कंपनियों एसआरएमजेपीएल और इसकी समूह कंपनियों से फंड की लेयरिंग और डायवर्जन के लिए किया गया था।

दुकानें कुर्क-

ईडी 18 जनवरी 2024 को गिन्नी गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के मामले में पहले ही लगभग 4.34 करोड़ रुपए की करोल बाग स्थित दुकानों  को  कुर्क कर चुका है। 

ईडी ने 11-04-2023 और 07-05-2024 को तलाशी अभियान चलाया था और

बीएमडब्ल्यू/मर्सिडीज कारें , आपत्तिजनक  रिकॉर्ड आदि जब्त किया था। 













Friday 7 June 2024

फर्जी एनकाउंटर करने वाले पंजाब पुलिस के रिटायर्ड डीआईजी को 7 साल की कैद, डीएसपी को उम्रकैद और 3.75 लाख रुपए जुर्माने की सज़ा





फर्जी एनकाउंटर: रिटायर्ड डीआईजी को 
7 साल की कैद, डीएसपी को उम्रकैद 





इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मोहाली ने दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी, सिटी तरन तारन (डीआईजी के रूप में सेवानिवृत्त) को अपहरण की धारा 364 के तहत सात साल कैद, पचास हजार रुपए जुर्माना और  गुरबचन सिंह, तत्कालीन थानेदार/एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी तरन तारन (डीएसपी के तौर पर सेवानिवृत्त) को  हत्या, अपहरण, सबूत नष्ट करने की धारा 302, 364, 201 व 21 के तहत गुलशन कुमार की हत्या के मामले मे उम्रकैद और  तीन लाख 25 हजार रुपए जुर्माने की सज़ा  सुनाई है। 
गुलशन का पंजाब पुलिस ने  22 जून 1993 को उनके घर से अपहरण कर लिया और बाद में 22 जुलाई 1993 को एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। 
सर्वोच्च न्यायालय ने 15-11-1995 को परमजीत कौर की याचिका पर पंजाब पुलिस द्वारा अज्ञात शवों के बड़ी संख्या में दाह संस्कार से संबंधित मामले की जांच करने का सीबीआई को आदेश दिया था। 
जाँच  के दौरान चमन लाल ने बताया कि उनके बेटे गुलशन कुमार को दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी सिटी तरन तारन के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने 22 जून1993 को उनके घर से अपहरण कर लिया एवं बाद में  22 जुलाई 1993 को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला।
पुलिस ने परिवार के सदस्यों को सूचित किए बिना  22 जुलाई1993 को उनके बेटे के शव का  तरन तारन के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया। तदनुसार, दिलबाग सिंह, तत्कालीन डीएसपी सिटी तरन तारन, अमृतसर एवं 4 अन्य के विरुद्ध सीबीआई द्वारा 28 फरवरी1997 को  मामला दर्ज किया गया।

जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई द्वारा तत्कालीन डीएसपी दिलबाग सिंह, तत्कालीन एसएचओ / इंस्पेक्टर गुरबचन सिंह, तत्कालीन एएसआई अर्जुन सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई), तत्कालीन एएसआई देविंदर सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) और तत्कालीन सब- इंस्पेक्टर बलबीर सिंह (सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया। 
अदालत के समक्ष पेश किए गए साक्ष्यों से पता चलता है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने हत्या को मुठभेड़ का रूप दिया। गवाही व दस्तावेज़, दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा बनाई गई कहानियों को झूठी साबित करते हैं।
अदालत में  सुनवाई के दौरान, चश्मदीद गवाहों और ठोस सबूतों से यह सिद्ध हुआ कि आरोपी व्यक्तियों  दिलबाग सिंह एवं गुरबचन सिंह सहित अन्यों ने गुलशन कुमार का उसके घर से अपहरण कर लिया, उसे अवैध हिरासत में रखा और बाद में उसकी हत्या कर दी। 












Thursday 6 June 2024

सेल्स टैक्स अफसर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार : सीबीआई



सेल्स टैक्स अफसर रिश्वत लेते हुए 
गिरफ्तार : सीबीआई



इंद्र वशिष्ठ, 
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने  शिकायतकर्ता से 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए सेल्स टैक्स अफसर /एवीएटीओ वार्ड नंबर 95, जोन-8, दिल्ली सरकार को गिरफ्तार किया है। 
 
सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर  आरोपी सेल्स टैक्स अफसर क्लास-II/एवीएटीओ सुनील के विरुद्ध मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप है कि आरोपी सुनील ने, शिकायतकर्ता नरेंद्र पोसवाल के ग्राहक/मुवक्किल मैसर्स गुप्ता एजेंसी के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामले का समाधान करने एवं उक्त एजेंसी के पंजीकरण को रद्द करने की कार्यवाही को समाप्त करने हेतु शिकायतकर्ता नरेंद्र पोसवाल (जीएसटी व आयकर में पेशेवर कर सलाहकार) से अनुचित लाभ स्वरूप 1लाख रुपए की रिश्वत माँग की।  परस्पर बातचीत के पश्चात,  आरोपी ने मांग की गई धनराशि को कम कर दिया एवं  40 हजार रुपए की रिश्वत राशि स्वीकार करने पर सहमत हो गया।  

सीबीआई ने जाल बिछाया एवं आरोपी सेल्स टैक्स अफसर क्लास-II/एवीएटीओ सुनील को शिकायतकर्ता से 40 हजार रुपए की रिश्वत स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथों पकड़ा। बाद में, आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।  दिल्ली में आरोपी के आवासीय एवं कार्यालय परिसरों में तलाशी ली गई।