पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा
पुलिस कमिश्नर भ्रष्टाचार पर अंकुश कब लगाओगे ?
इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई द्वारा दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। सीबीआई ने एक महीने के भीतर ही दिल्ली पुलिस के 8-10 कर्मियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के 5-6 मामले दर्ज किए हैं। 5-6 पुलिस कर्मियों को रंगेहाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। दो हवलदार तो सीबीआई से बचने के लिए रिश्वत देने आए शिकायतकर्ता को ही पिस्तौल की नोंक पर अगवा करके भागने में सफल हो गए। बेखौफ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की निरंकुशता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है।
कमिश्नर की भूमिका-
सीबीआई की लगातार धरपकड़ के बावजूद
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहे पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा सहित आईपीएस अधिकारियों की पेशेवर काबलियत/ भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
तीन पुलिस वाले गिरफ्तार-
शुक्रवार, 19 जुलाई को 3 अलग अलग मामलों में सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के 4 कर्मियों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
हौजखास थाने के सब- इंस्पेक्टर युद्धवीर सिंह यादव को ढाई लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। सब- इंस्पेक्टर युद्धवीर सिंह यादव ने न्यायालय में अनुकूल कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने हेतु शिकायतकर्ता वकील अमित गौतम से 03 लाख रुपए की माँग की। सीबीआई ने सब- इंस्पेक्टर को शिकायतकर्ता से 2.5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा।
सीबीआई ने दूसरे मामले में पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र थाने के हवलदार सुधाकर और हवलदार राजकुमार को दस हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। आरोप है कि सिविल कपड़ों में 04 व्यक्ति शिकायतकर्ता नाजरीन की दुकान पर आए, उनमें से दो ने स्वयं को स्पेशल स्टाफ, दिल्ली पुलिस, आनंद विहार के सदस्य के रूप में पेश किया। उन्होंने एक मामले में उसका नाम न फंसाने के लिए शिकायतकर्ता से 50,000 रुपए की रिश्वत की माँग की।
19 जुलाई को ही गोविन्द पुरी थाना इलाके में
स्पेशल ब्रांच में तैनात हवलदार राव कुंवर सेन को पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए शिकायतकर्ता वीरेंद्र गिरि (निवासी नवजीवन कैम्प, कालकाजी) से तीन हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। लेकिन सीबीआई द्वारा अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
एसीपी 5 लाख रुपए में मानेगा-
सीबीआई ने आठ जुलाई को दिल्ली पुलिस के ज्योति नगर थाने के एटीओ/इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार को शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
सीबीआई के अनुसार एसीपी दीपक चंद्र की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता से कहा कि उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले का जांच अफसर एसीपी दीपक चंद्र पांच लाख रुपए से कम में उनका मामला नहीं निपटाएंगे।
रिश्वत लेने से पहले इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता को एसीपी दीपक चंद्र से मिलवाया भी था। एसीपी दीपक चंद्र ने शिकायतकर्ता को जांच में मदद करने का भरोसा दिया।
शिकायतकर्ता को अगवा किया-
तीन जुलाई को सीबीआई ने उत्तर जिले के नारकोटिक्स सैल में तैनात हवलदार रवींद्र ढाका और हवलदार प्रवीण सैनी के ख़िलाफ़ शिकायतकर्ता से दस लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया। सीबीआई हवलदारों को रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। इस मामले में इंस्पेक्टर सुरेन्द्र और दोनों हवलदारों को निलंबित किया गया है। हवलदारों ने जालसाज़ी/धोखाधड़ी करके शिकायतकर्ता के भाई की जमानत करा देने के नाम पर रिश्वत मांगी थी।
शिकायतकर्ता अरुण तीन जुलाई को रिश्वत की रकम देने गया। हवलदार प्रवीण सैनी और रवींद्र ढाका ने शिकायतकर्ता को अपनी कार में बिठा लिया। शिकायतकर्ता ने रिश्वत के तीन लाख रुपए हवलदारों को दिए। तभी हवलदारों की नज़र सीबीआई की टीम पर पड़ गई। हवलदारों ने शिकायतकर्ता के सिर पर पिस्तौल लगा दी और कार भगा ली। हवलदारों ने रास्ते में न्यू पुलिस लाइन कालोनी में कहीं रिश्वत के रुपए फेंक दिए। शिकायतकर्ता की तलाशी ली उसके पास मिले रिकार्डर और फोन को तोड़ कर नाले में फेंक दिया। हवलदार चलती कार में शिकायतकर्ता की पिटाई करते रहे और ब्रिटानिया चौक से आगे रिंग रोड पर शिकायतकर्ता को कार से धक्का देकर फरार हो गए। शिकायतकर्ता वहां से सीबीआई टीम के पास वापस गया और आपबीती बताई। सात जुलाई को दोनों हवलदारों के ख़िलाफ़ रुप नगर थाने में अपहरण, लूट और धमकी मामला दर्ज किया गया।
इसके पहले 20 जून को छावला थाने के सब- इंस्पेक्टर विजय गौड़ को सीबीआई ने एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता को एक मामले में गिरफ्तार न करने की एवज़ में तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।
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