सुशील भूरा पहलवान और अजय पहलवान संग।
मजिस्ट्रेट के सामने घायल गु़ंडोंं के बयान दर्ज कराए पुलिस।
ओलंपियन सुशील पहलवान "दोस्त" गु़ंडोंं को खरीदेगा?
ओलंपियन सुशील पहलवान को पुलिस से भी ज्यादा डर किसी ओर से लग रहा है। असल में सुशील को सबसे ज्यादा डर कुख्यात गुंडे काला जठेड़ी से लग रहा है। पुलिस से तो सुशील को सिर्फ़ इतना ही डर हैं कि वह उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल देगी। लेकिन सबसे ज्यादा डर उसे अपनी जान को लेकर भी सता रहा होगा। पुलिस तो ओलंपियन पहलवान होने के नाते उसका कुछ तो लिहाज कर ही लेगी। लेकिन कुख्यात काला जठेड़ी गिरोह तो इस बात का भी लिहाज नहीं करेगा कि वह ओलंपियन पहलवान है।
इसलिए पुलिस के हाथों पकड़े जाने या आत्म समर्पण करने से पहले वह काला जठेड़ी और सोनू महाल को खरीदने की कोशिश करेगा।
बेशक सुशील काला जठेड़ी आदि गु़ंडो के साथ सांठगांठ और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त था। लेकिन सुशील और गु़ंडो में सबसे बड़ा फर्क यह है कि सुशील सम्मानित ओलंपियन पहलवान होने की आड़ में यह सब कर रहा था जबकि काला जठेड़ी आदि तो घोषित गु़ंडे है।
गलती मान ली-
सूत्रों के अनुसार सुशील ने वारदात के बाद हरियाणा के बदमाश काला जठेड़ी से संपर्क किया। सुशील ने काला से कहा कि उससे गलती हो गई। वह तो सोनू आदि को इसलिए उठा कर लाया था कि थप्पड़ चट्टू मार कर, धमका कर उससे संपत्ति खाली करा लेगा।
सूत्रों का कहना है कि काला जठेड़ी ने सुशील से कहा कि, तूने यह ठीक नहीं किया। अब तेरी हमारी आमने सामने की होगी।
सुशील चाहता था कि काला जठेड़ी सोनू को उसके खिलाफ बयान देने से मना कर दें। लेकिन सोनू ने सुशील के खिलाफ बयान दे दिया है। सोनू काला जठेड़ी का खास साथी है वह हत्या के अनेक मामलों में आरोपी है।
सजा और जान का खतरा-
इसलिए सुशील को यह भी डर होगा कि अगर पुलिस ने उसे पकड़ लिया तो काला जठेड़ी गिरोह कहीं पुलिस हिरासत में या जेल में उसकी हत्या न कर दे।
इसलिए वह सबसे पहले काला जठेड़ी से ही समझौता कर अपनी जान बचाने की कोशिश करेगा।
सूत्रों के अनुसार काला जठेड़ी से इस बारे में सुशील की ओर से संपर्क किया भी गया है।
गु़ंडो को खरीद लेगा-
वह अपनी जान बचाने के लिए काला जठेड़ी को मोटी रकम दे कर उसे खरीद सकता है।
हालांकि काला जठेड़ी ने शुरु में तो सुशील से कह दिया कि तूने ठीक नहीं किया। अब हमारी तुम्हारी आमने सामने होगी, जिसका मतलब है कि वह बदला लेने के लिए सुशील की हत्या भी कर सकता है।
लेकिन जो गुंडे सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए अपराध करते हैंं उनके लिए इज्ज्त, बेइज्जती मायने नहीं रखती। ऐसे गुंड़ों के लिए बदला लेने से ज्यादा पैसा ही महत्वपूर्ण होता है। और वैसे भी सुशील कोई उनके किसी जानी दुश्मन गिरोह का तो है नहीं । वह तो उनका दोस्त/ साथी ही है।
इसलिए यह संभावना है कि सुशील को डरा कर उससे मोटी रकम लेकर काला जठेड़ी समझौता कर लेगा। यह भी हो सकता है कि जिस संपत्ति को लेकर यह सारा मामला हुआ वह काला जठेड़ी को ही सुशील दे देगा। काला जठेड़ी को भी सुशील को डराने से ही पैसा मिलेगा। सुशील को मारने से तो उसे कोई फायदा नहीं हो सकता।
सुशील को यह भी मालूम है कि इस मामले में घायल सोनू भी कुख्यात गुंंडा है। अगर समझौता नहीं हुआ तो वह अदालत में उसके खिलाफ गवाही जरूर देगा। तो उसे सजा भी जरुर होगी।
गु़ंडो से यारी-
सुशील की काला जठेड़ी के अलावा सुंदर भाटी, नीरज बवानिया समेत अनेक कुख्यात बदमाशों से सांठगांठ है। ये सब टोल टैक्स, अवैध कब्जा और विवादित संपत्ति आदि का धंधा करते है। यह सारे गुंडे स्टेडियम में आते रहते है।
मजिस्ट्रेट के सामने बयान-
पुलिस सूत्रों का कहना है घायल सोनू और अमित का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाना चाहिए। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान अदालत में मान्य होता है। घायल सोनू और अमित ने पुलिस के सामने सुशील के खिलाफ बयान दिया है पुलिस के सामने दिया बयान अदालत में मान्य नहीं होता है। दूसरा अगर सुशील काला जठेड़ी को पैसा देकर खरीद लेगा तो वह पुलिस के सामने दिए बयान से अदालत में मुकर जाएंगे।
इसलिए पुलिस को अपना केस मजबूत बनाने के लिए घायलों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराने चाहिए।
हालांकि पुलिस का दावा है कि इस मामले में गिरफ्तार प्रिंस दलाल के मोबाइल फोन से एक वीडियो वारदात का मिला है। जिसमें सुशील भी पिटाई करते दिखाई दे रहा है। लेकिन घायलों के मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान से सजा की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
सुशील और उसके नीरज बवानिया गिरोह के साथी चार मई की रात माडल टाउन से सोनू महाल, सागर पहलवान और अमित को उठा कर स्टेडियम में ले गए। वहां इन तीनों की बुरी तरह पिटाई की गई। सागर पहलवान की अस्पताल में मौत हो गई।
इस मामले में घटनास्थल से ही प्रिंस दलाल को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके अलावा भूरा पहलवान भी पुलिस को मिल गया है। भूरा सुशील के साथ हरिद्वार गया था। भूूूरा को पूछताछ के बाद छोड़ दिए जाने से भी पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग रहा है।
इस मामले में कांग्रेस के पार्षद सजायाफ्ता सुरेश बक्करवाला के बेटे अजय पहलवान की भी तलाश है।
रामदेव की चुप्पी खोल रही पोल?
सुशील शरण लेने या मदद के लिए क्या रामदेव के पास गया या संपर्क साधा था?
पुलिस ने रामदेव से तहकीकात की है क्या?
इन सवालों पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव और रामदेव ने कोई जवाब नहीं दिया है। इन दोनों की चुप्पी से यहीं लगता है कि सुशील पतंजलि गया था। अगर नहीं गया होता तो रामदेव चीख चीख कर इस बात का खंडन करता।
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