बेरोजगारी और कर्जादारी ने ली,
25 हजार लोगों की जान।
इंद्र वशिष्ठ
भारत में तीन साल में बेरोजगारी और कर्ज के कारण परेशान होकर 25 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। बेरोजगारी के कारण आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हुई है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में 9 फरवरी 2022 को बताया कि साल 2018 से 2020 के दौरान 16,091 लोगों ने दिवालियापन/आर्थिक तंगी या कर्ज के कारण आत्महत्या की, जबकि 9,140 लोगों ने बेरोजगारी के कारण अपना जीवन समाप्त कर लिया।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव, सांसद छाया वर्मा और सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि बेरोजगारी के कारण साल 2020 में 3,548 लोगों ने , साल 2019 में 2,851 और साल 2018 में 2,741 लोगों ने आत्महत्या की है।
दिवालियापन या कर्ज के कारण साल 2020 में 5,213 लोगों ने, साल 2019 में 5,908 और साल 2018 में 4,970 लोगों ने आत्महत्या की है।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि मानसिक विकारों के भार को कम करने के लिए सरकार राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आत्महत्या रोकने संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराना है।
सरकार ने नागरिकों के लिए रोजगार और आय के सृजन हेतु कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
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