Wednesday 1 March 2023

ISIS के 7 आतंकियों को सज़ा ए मौत,भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बम धमाके में शामिल. मंदिर पर हमले को तैयार दो भाइयों को 10 साल कैद की सज़ा. NIA मामलों में सज़ा दर 93.69. फीसदी हुई.


 अपराधियों को सज़ा दिलाने में NIA नंबर वन. 

आईएसआईएस के सात आतंकियों को सज़ा ए मौत

इंद्र वशिष्ठ
 अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस के सात आतंकियों को लखनऊ स्थित एनआईए की विशेष अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई है. एक आतंकी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.
ये आतंकी हिंसात्मक जिहाद करने और देश में आतंकी हमले करने में शामिल थे आईएसआईएस के लिए ऑनलाइन युवाओं को बरगला कर कट्टरपंथी बना रहे थे. 
दो अलग अलग राज्यों के मामलों में अदालत ने आईएसआईएस से जुड़े दस अभियुक्तों को सज़ा सुनाई है.

लखनऊ स्थित एनआईए की विशेष अदालत के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने 28 फरवरी को आतंकियों को फांसी का  फैसला सुनाया है .
सात को फांसी-
आतिफ़ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, आसिफ इकबाल उर्फ रॉकी, मोहम्मद फैसल, मोहम्मद अजहर, गौस मोहम्मद खान और सैय्यद मीर हुसैन को मौत की सज़ा सुनाई गई है. मोहम्मद आतिफ़ उर्फ आतिफ़ इरानी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.
सैय्यद मीर हुसैन कन्नौज का और अन्य सभी कानपुर के निवासी हैं.
एनकाउंटर-
इनका साथी सैफुल्लाह 7 मार्च 2017 को हाजी कॉलोनी लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.
लखनऊ में एटीएस ने 8 मार्च 2017 को मामला दर्ज किया था.14 मार्च को एनआईए ने दोबारा मामला दर्ज किया. तफ्तीश के बाद 31 अगस्त 2017 को चार्जशीट दाखिल की गई.  
जज ने देश के ख़िलाफ़ युद्ध, गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) , हथियार अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम आदि के अपराध के लिए सज़ा सुनाई है.
बम बनाए-
इन आतंकियों ने अपने साथी मोहम्मद सैफुल्लाह के साथ मिलकर हाजी कॉलोनी, लखनऊ में अपना एक ठिकाना बनाया था. इन्होंने कुछ बम (आईडी) बनाए और उनका टेस्ट किया. ये उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बम रखने में असफल रहे. जांच के दौरान अभियुक्तों के बम बनाने, हथियार और आईएसआईएस के झंडे के साथ कई फोटो भी मिले.
ट्रेन में बम विस्फोट-
 7 मार्च 2017 को  मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में जबड़ी  रेलवे स्टेशन के  पास भोपाल- उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में बम विस्फोट हुआ था जिसमें दस लोग घायल हो गए थे. यह बम आतिफ़, मोहम्मद दानिश, सैय्यद मीर हुसैन और मोहम्मद सैफुल्लाह ने बनाया था.
आईएसआईएस को बढ़ावा-
भारत में आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार और गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ये सभी एकजुट हुए थे.
अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए मोहम्मद फैसल, गौस मोहम्मद खान, आतिफ़ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश और मोहम्मद सैफुल्लाह ने जमीनी रास्तों की खोज की. हिजरा (प्रवास) करने के लिए ये कोलकाता, सुन्दरबन, श्रीनगर, अमृतसर, वाघा बार्डर, बाड़मेर, जैसलमेर, मुंबई और कोझीकोड समेत देश के प्रमुख शहरों में गए थे.
 तफ्तीश में यह पता चला कि गौस मोहम्मद और आतिफ़ मुजफ्फर ने सुन्दरबन के माध्यम से बांग्लादेश जाने के लिए एक रास्ता पता किया. 
कश्मीरी आतंकियों से मिले-
फैसल, आतिफ़ और सैफुल्लाह मार्च 2016 में कश्मीर में कुछ आतंकियों से मिले, जो पाकिस्तान जाने में मदद  कर सकते थे. इनका इरादा पाकिस्तान से आईएसआईएस नियंत्रित सीरिया जाने का था. 
देश को दहलाने का मंसूबा-
इन आतंकियों का उस्ताद एयरफ़ोर्स से रिटायर गौस मोहम्मद है जबकि आतिफ़ इनका सरगना है. एनआईए के अनुसार आईएसआईएस के साहित्य को पढ़कर इस खुरासान मॉड्यूल का इरादा देश को आतंकी हमलों से दहलाने का था.

मंदिर पर हमले को तैयार दो भाइयों को दस साल कैद की सजा-
आईएसआईएस से संबंधित एक अन्य मामले में गुजरात में एनआईए की विशेष अदालत में दो भाइयों को दस साल सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई है.
वसीम आरिफ़ रामोदिया उर्फ निंजा फॉक्स और उसका भाई नईम आरिफ़ रामोदिया उर्फ एनडी फिरदौस नेहरू नगर रैया रोड राजकोट गुजरात के निवासी हैं.
सोशल मीडिया का इस्तेमाल-
ये दोनों आईएसआईएस के नाम पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने और  भर्ती करने के लिए स्काइप और टेलिग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते थे.
आईएसआईएस की विचारधारा की वकालत करने और उसका प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऑनलाइन चैट और संदेश करते थे.
इन्होंने हिंसा और आतंकवाद के कृत्यों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सक्रिय आईएसआईएस गुर्गो के बीच ऑनलाइन चर्चाओं और बैठकों के आयोजन की व्यवस्था की, उनमें भाग लिया और सहायता की.
हिन्दूओं की संपत्ति को जलाने की कोशिश-
इन्होंने गैर मुस्लिमों के वाहनों और दुकानों को आग लगाने की कोशिश की थी. इन्होंने एक आईडी बम बनाने का भी असफल प्रयास किया था. 
मंदिर पर हमले की तैयारी-
अपने ऑनलाइन आईएसआईएस संचालकों के निर्देश पर दोनों आरोपी चोटिला  मंदिर में लोन वुल्फ़ हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हमले को अंजाम देने से पहले ही उन्हें पकड़ लिया गया.
यह मामला शुरू में गुजरात एटीएस द्वारा 22 मई 2017 को दर्ज किया गया था. 25 मई को एनआईए द्वारा फिर से मामला दर्ज किया गया. 22 अगस्त 2017 उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. अदालत ने 28 फरवरी 2023 को सज़ा सुनाई.
सज़ा दर 93.69 फीसदी-
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि इन दोनों अदालती निर्णयों के साथ ही एनआईए के मामलों की सज़ा की दर 93.69 फीसदी हो गई है.
वैज्ञानिक रूप से एकत्र किए गए ठोस सबूतों पर निर्भर, साक्ष्य आधारित जांच की परंपरा को जारी रखते हुए यह एनआईए का एक और मील का पत्थर है.
एनआईए द्वारा की गई जांचों में निष्पक्षता और पारदर्शिता इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि वर्ष 2019 से 2022 ( 2 दिसंबर 2022 तक) के दौरान, अदालत द्वारा 67 मामलों में निर्णय दिया गया है, जिनमें से, 65 मामलों में दोषसिद्धि/ सजा हुई है और 02 मामलों में आरोपी को अदालत द्वारा बरी/दोष मुक्त किया गया हैं।

लोन वुल्फ़ हमला-
आईएसआईएस द्वारा लोन-वुल्फ हमला आतंक की दुनिया में दहशत फैलाने का एक नया जरिया है। इस तरह के हमले में हमलावर या तो खुद को खत्म कर लेते हैं या फिर पुलिस के हाथों एनकाउंटर में मारे जाते हैं। 
लोन-वुल्फ हमले में अकेला आतंकी ही पूरे हमले या ऑपरेशन को अंजाम देता है।  लोन-वुल्फ हमले में हमलावर का पता लगाना भी मुश्किल होता है. इस हमले मे आंतकी रोजाना उपयोग में आने वाली चीजों का हथियार के रूप में उपयोग करते हैं. इस हमले का मकसद होता है कि ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना. इसमें छोटे हथियारों और चाकुओं आदि का प्रयोग किया जाता है.
लोन वुल्फ हमलावर इंटरनेट या किसी अन्य माध्यम के जरिए आतंकी संगठनों के जुड़े होते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर हमला करते हैं.
 लोन वुल्फ हमले में हमलावर का पता लगाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल होता है.
इस हमले में ज्यादा रुपए की भी जरूरत नहीं पड़ती और न ही ज्यादा लोगों की. यही वजह है खुफिया एजेंसियों के लिए इस हमले को पता लगाना और उसे फेल करना आसान नहीं होता.
लोन वुल्फ़ हमला नाम इसलिए है क्योंकि इसमें भेडिये की तरह अकेले हमला किया जाता है.


( लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)



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