Thursday 22 July 2021

IPS से सिपाही तक अवैध निर्माण के हमाम में..., कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव कानून का शासन कायम करें।

  कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव कानून का शासन कायम करें।

IPS से सिपाही तक अवैध निर्माण के हमाम में....


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के डीसीपी और एएसआई का झगड़ा सुर्खियों में है। इस मामले में डीसीपी ,उनकी पत्नी और एएसआई के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। दोनों पक्षों में कई महीनों से विवाद चल रहा था। 
लेकिन पुलिस कालोनी का असली मुद्दा तो अतिक्रमण और अवैध निर्माण है। पुलिस खुद कानून की धज्जियां उड़ा रही हैं।

कानून का शासन?
कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव ने पद संभालने के बाद कहा था कि कानून का शासन सही मायने में (यानी जमीन पर)  लागू करना उनकी प्राथमिकता है। अब देखना है कि कमिश्नर अवैध निर्माण करने वाले अफसरों और पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या नहीं।

आईपीएस के अवैध निर्माण-
किंग्सवे कैंप की न्यू पुलिस लाइन कालोनी में लगभग हर घर में अतिक्रमण या अवैध निर्माण किया गया है।
इस कालोनी में ए, ई और जी ब्लॉक में बीस से ज्यादा वरिष्ठ पुलिस अफसर रहते है जिनमें डीसीपी, संयुक्त आयुक्त और विशेष आयुक्त स्तर के अफसर भी है। अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने वालों मेंं ये वरिष्ठ अफसर भी शामिल है।
इस कालोनी में रह चुके एक आईपीएस अफसर ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर सिपाही और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तक ने यानी हर रैंक के पुलिस वालों ने दो-तीन कमरे अवैध रुप से बनाए हुए हैंं।

कमिश्नर कार्रवाई करें-
इस अफसर का कहना है कि क्यों नहीं  पुलिस कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव इन अवैध निर्माण को तुड़वा देते, जैसे आईपीएस रामाकृष्णन ने किया था।
इस अफसर ने बताया कि दो दशक पहले हाउसिंग के इंचार्ज तत्कालीन स्पेशल कमिश्नर एस रामाकृष्णन ने इस कालोनी में किए गए अवैध निर्माणों को तुड़वा दिया था। रामाकृष्णन ने सर्वे करा कर सबको नोटिस दे दिया कि वह अपने अवैध निर्माण को या तो खुद तोड़ दे वरना वह बुलडोजर से तुड़वा देगे। जिसका जबरदस्त असर हुआ और पुलिस वालों ने अपने अवैध निर्माण खुद ही तोड़ दिए। लेकिन रामाकृष्णन के जाने के बाद फिर अवैध निर्माण हो गए।
 वैसे तो सभी पुलिस कालोनियों में यह समस्या है लेकिन एनपीएल में यह सबसे ज्यादा है।
कमरा बेचते हैं।-
कई आला अफसरों ने तो शानदार अवैध कमरे बनाए हुए हैं।
अवैध कमरे बनाने वाले अफसर फ्लैट खाली करके जाते समय आने वाले अफसर से उन कमरों की एवज में पैसे भी ले लेते है।
अगर कोई पैसा नहीं देता तो वह उस कमरे को तोड़ भी जाते है ताकि दूसरा कोई इस्तेमाल न कर सके।
जबकि वरिष्ठ अफसरों के कमरे और गैराज तो ज्यादातर  एसएचओ आदि  ही  बनवाते है।

नाम न देने की शर्त पर इस अफसर ने बताया कि रिटायर होने वाले एक डीसीपी ने दो कमरों की एवज में उससे एक लाख रुपए मांगे थे, इस वजह से उन्होंने वह फ्लैट नहीं लिया। बाद में किसी दूसरे अफसर ने वह फ्लैट ले लिया।

झगड़े की जड़ -
डीसीपी एस के सिंह ने पिछले साल दिसंबर मेंं एएसआई सतपाल सिंह और उसके पड़ोसी पुलिस कर्मी के खिलाफ अवैध निर्माण की शिकायत की थी।
एएसआई सतपाल के घर के साथ खाली जमीन है जिस पर अवैध रुप से कमरे बनाए गए है बाकी बची जगह पर भी एएसआई ने पौधे लगा कर अपना कब्जा कर लिया। कुछ समय पहले डीसीपी एस के सिंह ने वहां से पौधे हटवा दिए थे। डीसीपी एस के सिंह इस खाली जगह का इस्तेमाल पार्किंग के रुप में करना चाहते है। 
इस बात को लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा है।
एएसआई ने अतिक्रमण किया-
डीसीपी के पत्नी मंजू ने मीडिया को बताया कि एएसआई सतपाल के घर की एंट्री (मुख्य दरवाजा) दूसरी तरफ से है। एएसआई ने इस तरफ गैरकानूनी तरीक़े से निर्माण करके कब्जा कर लिया और अब वह वहां गेट लगाना चाहता है। सतपाल की बेटी डीसीपी की कार के सामने बैठ जाती है ऐसा वह उकसाने के लिए करती है ताकि कार चालक पुलिसकर्मी उसे गुस्से में कुछ कहेंं तो वह वीडियो बना कर उन्हें फंसा सके।
डीसीपी के साथ तैनात पुलिसकर्मी ने इस बारे में मुखर्जी नगर थाने में शिकायत भी दी थी। 
घेराबंदी क्यों हटाई- 
पुलिस अफसरों ने शिकायत मिलने पर इस साल मार्च में  विवादित खाली जमीन पर टीन की चादर लगवा कर घेरा बंदी करवा दी थी। ताकि अतिक्रमण न हो सके। लेकिन 25 जून को वहां से यह घेरा बंदी हटा दी गई।
जिसके बाद दोनों पक्षों में 18 जुलाई को फिर झगड़ा हो गया। डीसीपी की पत्नी ने एएसआई की बेटी पर ताला फेंक कर मारा। डीसीपी की पत्नी ने भी एएसआई के परिवार के खिलाफ मारपीट करने का मामला दर्ज कराया है।
एएसआई के अवैध कमरे-
डीसीपी एस के सिंह ने बताया कि एएसआई टीन का पार्टीशन हटा कर वहां खाली जमीन पर कब्जा करना चाहता है जिसका उन्होंने विरोध किया। एएसआई ने तीन कमरे और बाथरुम अवैध रुप से बनाए हुए है। इन कमरों को किराए पर देने के लिए ही वह इस तरफ गेट लगाना चाहता है। एएसआई के बेटे ने उनके घर पर पत्थर भी फेंके थे।
अफसरों की भूमिका- 
इस मामले में  पुलिस अफसरों की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।
यह घेराबंदी क्यों हटाई गई और अब वहां कौन अतिक्रमण कर रहा था। इसका खुलासा पुलिस को करना चाहिए।
इस मामले में उत्तर पश्चिम जिला की डीसीपी उषा रंगनानी और संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव को मोबाइल फोन पर संपर्क की कोशिश की गई। लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया। अफसरों की चुप्पी साध लेने से ही यह मामला जातीय रंग ले जाएगा।
पुलिस प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

डीसीपी की भूमिका?
इस पुलिस कालोनी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी प्रथम बटालियन के डीसीपी की है।
डीसीपी एस के सिंह की शिकायत के जवाब में एस्टेट ब्रांच द्वारा लिखे पत्र से साफ पता चलता है कि यहां अवैध निर्माण मौजूद है। फिर उस अवैध निर्माण को हटवाने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। 
इसके अलावा टीन की चादर हटाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
यह विभाग अगर ईमानदारी से समय रहते कार्रवाई करता तो डीसीपी और एएसआई के परिवार में झगड़ा नहीं होता। 
इससे पुलिस के एस्टेट विभाग की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। 
जातीय रंग -
वैसे यह सीधा सीधा अतिक्रमण और पार्किंग का झगड़ा है। अतिक्रमण को भी हटाया जाना चाहिए। वरिष्ठ पुलिस अफसर चाहे तो आसानी से इस समस्या का हल निकल सकता है। वरना एक दिन यह विवाद जातीय रंग ले लेगा। उसके लिए वरिष्ठ पुलिस अफसर ही जिम्मेदार  होंगे।
पुलिस कानून से ऊपर-
पूरी दिल्ली में पुलिस और एमसीडी की मिलीभगत से ही अवैध निर्माण होते हैं। अवैध निर्माण पुलिस की कमाई का बड़ा जरिया है।
हालांकि पुलिस सड़कों पर या सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करती है।
लेकिन दूसरी ओर पुलिसकर्मियों ने ही अतिक्रमण कर अवैध तरीक़े से कमरे बना रखें है। इससे पता चलता है कि पुलिस खुद कानून की धज्जियां उड़ा रही है।


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)




      यह घेेराबंंदी हटा दी गई।
      एएसआई ने गेेेट लगाया।

2 comments:

  1. Very good subject you have taken.All who are living in police. Flats have constructed rooms as per their need which are sold at time of vacation.

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  2. Good issue to raise..can i make you a call...please send yr phone no...or call me at 9910447559

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