Friday 30 July 2021

मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के 391 मामले।




मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के  391 मामले।


इंद्र वशिष्ठ

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित 391 मामलों का पता चला है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी ने वीरवार को राज्यसभा में बताया कि विभिन्न मंत्रालयों से महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित कुल 391 शिकायतें मिली हैं।
स्मृति ईरानी ने राज्यसभा सांसद बिनोय विस्वम द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा  को यह जानकारी दी।
शी-बॉक्स।-
मंत्री ने बताया कि उनके मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण की सुविधा देने के लिए एक ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन तंत्र विकसित किया है। इसे यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) नाम दिया गया है।
एक बार शी-बॉक्स में शिकायत दर्ज होने पर यह कार्रवाई के लिए अधिकार क्षेत्र वाले संबंधित प्राधिकारी के पास सीधे पहुंचती है। ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की है।
391 शिकायतें-
मंत्री ने बताया  कि अब तक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) से संबंधित 36 शिकायतों समेत विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित शी-बॉक्स में कुल 391 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 150 शिकायतें एक जनवरी 2020 से अब तक प्राप्त हुई हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबंधित शी-बॉक्स में दर्ज 36 शिकायतों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि उनमें से कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के केवल दो मामले थे, जबकि तीन प्रविष्टियों में एक ही व्यक्ति के खिलाफ एक ही शिकायत से संबंधित थी। इसके अलावा अन्य 32 मामले महिलाओं के खिलाफ हिंसा, दहेज प्रताड़ना, दुर्व्यवहार, सुझाव आदि से संबंधित विभिन्न मामलों में जन शिकायतों से संबंधित  हैं।
मंत्री ने बताया कि इसके अलावा एमडब्ल्यूसीडी के खिलाफ पोर्टल में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के दो मामलों में से कोई भी मंत्रालय के कार्यस्थल से संबंधित नहीं है।
सुरक्षित वातावरण सर्वोच्च प्राथमिकता।-
मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि देश में महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण देना सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण और शिकायत निपटान) अधिनियम, 2013 लागू किया है। जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के लिए बिना उनकी आयु ,रोजगार स्थिति या कार्य प्रकृति चाहे सरकारी या निजी में संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रही हो। ऐसी महिलाओं को कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ संरक्षण देना और इससे संबंधित शिकायतों का निपटान करना है। यह अधिनियम सार्वजनिक या निजी कार्यस्थलों के नियोक्ताओं पर एक सुरक्षित कार्य वातावरण देने का दायित्व डालता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कानून के सख्त कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर राज्यों व संघ राज्य प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों को दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण किया जा सके।

वन स्टॉप सेंटर-
मंत्री ने एक अन्य जवाब में कहा कि देशभर में 733 वन-स्टॉप सेंटर (ओएससी) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 704 सेंटर 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित हो चुके हैं।
ओएससी सेंटर एक ही छत के नीचे हिंसा या संकट से प्रभावित महिलाओं को पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता और परामर्श, मनो-सामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित कई एकीकृत सेवाएं प्रदान करते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ओएससी द्वारा अब तक 305,896 मामलों का निपटारा किया जा चुका है।

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