Friday 10 September 2021

कमिश्नर आते-जाते रहते हैं, SHO जमे हुए हैं। ईमानदार,काबिल IPS ही SHO पर लगाम लगा सकते हैं।

             कमिश्नर राकेश अस्थाना 

पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने 14 SHO को थानों से हटा दिया। 
23 इंस्पेक्टरों को SHO के पद पर तैनात किया गया है। एक एसएचओ का थाना बदला गया है।
राजौरी गार्डन SHO अनिल शर्मा और कीर्ति नगर SHO देवेंद्र यादव को भी हटा दिया।
दो महीने के भीतर 9 एसएचओ को निलंबित/लाइन हाजिर भी हाजिर किया जा चुका है।
(अपडेट-20-9-2021)


कमिश्नर आते-जाते रहते हैं, एसएचओ जमे हुए हैं।
पश्चिम दिल्ली में अवैध शराब और जुए के अड्डे।  कमिश्नर ने SHO क्यों नहीं हटाए?
कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया निशान।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा कई एसएचओ को निलंबित या लाइन हाजिर किया गया है। यह मामले पुलिस का असली चेहरा पेश करने के लिए पर्याप्त है। इससे एक बार फिर यह साबित हो गया कि पुलिस संगीन अपराध की भी एफआईआर आसानी से दर्ज नहीं करती और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत भी होती है।
कमिश्नर की प्राथमिकता।-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नीयत और प्राथमिकता अगर वाकई बेसिक पुलिससिंग हैं तो उन्हें एसएचओ नियुक्त करने की प्रक्रिया में भी सुधार करना चाहिए। 
दिल्ली के थानों में ऐसे एसएचओ भी हैं जो कई सालों से एसएचओ के पद पर ही जमे हुए हैं। कमिश्नर आते जाते रहते हैं लेकिन यह एसएचओ जमे रहते हैं। इनके सिर्फ़ थाने बदलते हैं।
भ्रष्टाचार का बोलबाला-
अपराध को दर्ज न करना,अपराधियों को संरक्षण देना सबसे बड़ी समस्या है। अवैध शराब का धंधा, सट्टेबाजी, अवैध पार्किंग, अवैध निर्माण, विवादित संपत्ति ,पैसे के लेन देन के विवाद के मामले आदि भी पुलिस की कमाई का सबसे बड़ा जरिया माने जाते हैं। इसी वजह से पुलिस में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
जिन कारणों से पुलिस कमिश्नर ने एसएचओ को निलंबित या लाइन हाजिर किया है वह ही असली समस्या और भ्रष्टाचार की जड़ भी है। कमिश्नर अगर वाकई पुलिस में कोई सुधार करना चाहते हैं तो उन्हें इस जड़ पर ही वार करना चाहिए। 
आंकड़ों की बाजीगरी बंद हो-
अपराध को कम दिखाने के लिए  मामलों को दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा को बंद करना चाहिए। 
अपराध के सभी मामलों को सही तरह दर्ज किए जाने से ही अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। 
लेकिन अपराध को दर्ज न करना एसएचओ से लेकर  कमिश्नर/आईपीएस अफसर तक सभी के अनुकूल है।
आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा कर वह खुद को सफल अफसर दिखाते हैं। जबकि अपराध को दर्ज न करके पुलिस एक तरह से अपराधी की मदद करने का गुनाह ही करती है।
अपराध सही दर्ज होने पर ही अपराध और अपराधियों की सही तस्वीर सामने आएगी। तभी अपराध और अपराधियों से निपटने की  कोई भी योजना सफल हो सकती है। अभी तो आलम यह है कि मान लो कोई लुटेरा पकड़े जाने पर सौ वारदात करना कबूल कर लेता है लेकिन उसमें से दर्ज तो दस ही पाई जाएगी । अगर सभी सौ वारदात दर्ज की जाती तो लुटेरे को उन सभी मामलों में जमानत कराने में ही बहुत समय और पैसा लगाना पड़ता। लुटेरा ज्यादा समय तक जेल में रहता। 
इस तरह अपराध और अपराधी पर काबू किया जा सकता है।
अफसरों पर दबाव जरूरी-
अपराध के सभी मामले दर्ज होंगे तो तभी एसएचओ,एसीपी और डीसीपी पर अपराधियों को पकड़ने का दबाव बनेगा। 
एसएचओ पर जब मामले दर्ज करने और अपराधियों को पकड़ने का पुलिस का मूल काम करने का दबाव होगा, तो ऐसे में वह ही एसएचओ लगेगा जो वाकई मूल पुलिसिंग के काबिल होगा।
मूल काम ही नहीं करती पुलिस-
अभी तो आलम यह है कि लूट,स्नैचिंग, मोबाइल /पर्स चोरी आदि के ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं किए जाते। पुलिस चोरी गए वाहन को तलाश करने की कोई कोशिश नहीं करती। आलम तो यह है कि वाहन चोरी की सूचना पर पुलिस मौके पर भी नहीं जाती।
आईपीएस  भी यह कह कर पल्ला झाड़ लेते है कि  वाहन मालिक को बीमा की रकम तो मिल ही जाती है।
आईपीएस अफसरों के ऐसे कुतर्क से उनकी काबिलियत पर सवालिया निशान लग जाता। पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना होता है।  लेकिन पुलिस अपना मूल काम ही नहीं करती। इसीलिए लुटेरे और वाहन चोर बेखौफ हो कर अपराध कर रहे है।
पुलिस सिर्फ वसूली के लिए है?-
पुलिस अगर अपराध ही सही दर्ज न करे या अपराधियों को पकड़ने की कोशिश ही न करें तो क्या पुलिस सिर्फ़ अवैध वसूली,भ्रष्टाचार और लोगों से बदसलूकी करने के लिए ही है।
ऐसे में तो अब एसएचओ की नौकरी आराम से वसूली करने और अपने आकाओं की फटीक करने की ही रह गई लगती है। 
राकेश अस्थाना के पास मौका है-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा कि बेसिक पुलिसिंग उनकी प्राथमिकता है। राकेश अस्थाना की विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण एक अलग छवि बनी हुई है। लेकिन अब राकेश अस्थाना के पास अपनी पेशेवर काबिलियत की छाप छोड़ने का मौका है।
एसएचओ के कारण आत्महत्या की-
पांडव नगर थाने के एसएचओ विद्या धर को लाइन हाजिर किया गया।
इस थाने में तैनात होम गार्ड बृज लाल का शव  पंखे से लटकता पाया गया था। बृज लाल के परिवार ने एसएचओ विद्याधर सिंह पर बृजलाल को प्रताडित करने के आरोप लगाए हैं।
4 जून 2021 को पांडव नगर थाने की छत पर एसआई राहुल ने सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। राहुल के परिजनों ने भी एसएचओ पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था। परिजनों ने एसएचओ पर कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था।
यौन उत्पीड़न के आरोपी को एसएचओ क्यों लगाया?-
23 मार्च 2018 को जेएनयू छात्रों के प्रदर्शन  के दौरान अंग्रेजी अखबार की पत्रकार ने आरोप लगाया कि दिल्ली कैंट थाने के एसएचओ विद्या धर ने सरेआम उसका यौन उत्पीडन/ इज्जत पर हमला किया।  26 मार्च को एसएचओ विद्या धर के खिलाफ यौन उत्पीडन का मामला आईपीसी की धारा 354 ए के तहत दर्ज किया। इसके बावजूद एसएचओ को गिरफ्तार नहीं किया गया। उसे सिर्फ लाइन हाजिर किया गया।
छेडख़ानी का आरोप पहले भी लगा-
वर्ष 2008 में  विद्याधर सिंह द्वारका सेक्टर-23 थाने में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था।
उस दौरान एसआई विद्या धर पर एक युवती ने छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था।
आईपीएस की भूमिका पर सवाल-
ऐसे गंभीर आरोप लगने के बावजूद इंस्पेक्टर विद्याधर को एसएचओ जैसे पद पर तैनात कर देने के लिए तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव, अमूल्य पटनायक और वह आईपीएस अफसर जिम्मेदार हैं जिन्होंने उसे एसएचओ लगाने के लिए सिफारिश की थी।
छह बार एसएचओ -
वसंत विहार एसएचओ सुनील मित्तल को हाल ही में लाइन हाजिर किया गया है। साल 2018 में माया पुरी थाने के तत्कालीन एसएचओ सुनील को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के लिए सीबीआई ने ऐसी घोर लापरवाही बरती थी कि एसएचओ तो पकड़ा नहीं गया उल्टा हाथ आया एएसआई भी सीबीआई की हिरासत से भाग गया था। 
उस समय कमिश्नर ने सुनील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसे मायापुरी से नजफगढ़ और फिर वसंत विहार का एसएचओ बना दिया गया। सीबीआई ने अब पुलिस कमिश्नर से सुनील मित्तल और एएसआई के खिलाफ विभागीय जांच करने के लिए कहा तब जाकर उसे लाइन हाजिर किया गया है। सुनील छह बार एसएचओ रहा है। 
एसएचओ निलंबित क्यों नहीं किया?-
पहाड़ गंज के एसएचओ विशुद्धानन्द झा को लाइन हाजिर किया गया और सिपाही अमित कुमार को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। इलाके में संगठित अपराध करने वालों को शह देने / मिलीभगत के आरोप में यह कार्रवाई की गई है। पुलिस की मिलीभगत से संगठित अपराध हो रहा था तो एसएचओ को भी निलंबित क्यों नहीं किया गया।
डीसीपी ने बुलाया एसएचओ नहीं आया-
रोहिणी जिले में विजय विहार थाने के  एसएचओ सुधीर कुमार को शराब के नशे में 
सब-इंस्पेक्टर उमेश को गालियां देने के कारण 
निलंबित किया गया। एसएचओ की अलमारी में शराब की 10 बोतलें मिली।
शराब पीकर अपने मातहत पुलिसकर्मियों को गालियां देने वाला जो एसएचओ अपने डीसीपी के बुलाने पर भी हाजिर नहीं होता ,वह भला आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता।
इसका मूल कारण यह है कि पैसे या सिफारिश के दम पर जब तक एसएचओ लगाए जाएंगे तो ऐसा ही होगा। 
ऐसे एसएचओ कानून, पुलिस और जनता के प्रति वफादार नहीं होते। इनकी निष्ठा सिर्फ उस आईपीएस या नेता के प्रति होती हैं जो इन्हें एसएचओ लगवाते हैं।
एसएचओ ने एफआईआर दर्ज नहीं की-
एसएचओ कितने निरंकुश हो गए हैं इसका ताजा उदाहरण पूर्वी जिले का सनसनीखेज मामला भी है। अजीत 4 जून को लापता हो गया उसके परिजन न्यू अशोक नगर थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पता चला कि पांडव नगर थाने के सिपाही मोनू सिरोही ने अजीत को पीटा और अपहरण कर लिया।
यह खुलासा होने पर 27 जुलाई को पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की। सिपाही मोनू और उसके 3 साथियों को अजीत की हत्या के आरोप मे किया गया। एसएचओ प्रमोद कुमार को निलंबित किया गया।  
कमिश्नर और आईपीएस अफसर दावा करते हैं कि एफआईआर आसानी से दर्ज की जाती है लेकिन इस मामले ने उनके दावे की धज्जियां उड़ा दी।
जुगाडू एसएचओ जमे हैं,
पश्चिम जिला पुलिस के सतर्कता विभाग के एसीपी ने जांच में पाया कि राजौरी गार्डन थाने के एसएचओ अनिल कुमार शर्मा और ख्याला थाने के एसएचओ गुरसेवक सिंह इलाके में अवैध शराब की बिक्री और जुए जैसे अपराध को रोकने में पूरी तरह विफल है। यह सब गैरकानूनी गतिविधियां पुलिसकर्मियों की जानकारी में है और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पश्चिम जिला डीसीपी उर्विजा गोयल ने इसे घोर लापरवाही माना। लेकिन इसके बावजूद एसएचओ जमे हुए हैं। अनिल शर्मा कई वर्षों से एसएचओ के पद पर ही है। 
सूत्रों के अनुसार कीर्ति नगर एसएचओ देवेंद्र यादव के खिलाफ वरिष्ठ अफसरों को शिकायतें मिली हैं।
 डीसीपी उर्विजा गोयल भी उसे हटवाना चाहती है लेकिन जुगाडू देवेंद्र यादव जमा हुआ है। 
देवेंद्र यादव भी लगातार कई वर्षों से एसएचओ के पद पर ही है


अपडेट-20-9-2021
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने 14 SHO को थानों से हटा दिया। 
23 इंस्पेक्टरों को SHO के पद पर तैनात किया गया है। एक एसएचओ का थाना बदला गया है।
राजौरी गार्डन SHO अनिल शर्मा और कीर्ति नगर SHO देवेंद्र यादव को भी हटा दिया।
दो महीने के भीतर 9 एसएचओ को निलंबित/लाइन हाजिर भी हाजिर किया जा चुका है।


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