Saturday 4 September 2021

मुकेश अंबानी को डरा कर पैसा वसूलना चाहते थे मुंबई के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, NIA ने वर्दी वाले गुंडों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

                  सचिन वाजे
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा (अब शिवसेना नेता)
 
मुकेश अंबानी को डरा कर पैसा वसूलना चाहते थे मुंबई के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट।
NIA ने वर्दी वाले गुंडों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।


इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए ) ने मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक से भरी स्कार्पियो गाडी खड़ी करने और मनसुख हिरेन की हत्या के मामले मे अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। 
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट समेत पांच पुलिसकर्मी -
इस मामले में एनआईए ने मुंबई पुलिस के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन हिंदू राव वाजे, पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, पुलिसकर्मी सुनील धर्मा माने, रियाजुद्दीन हिशामुद्दीन काजी, पूर्व सिपाही विनायक बालासाहेब शिंदे समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।

साजिश में शामिल-
चार्जशीट मेंं संतोष आत्माराम शेलार, नरेश रमणीक लाल गोर, आनंद पांडुरंग जाधव, मनीष वसंतभाई सोनी और सतीश तिरुपति मोथकुरी उर्फ तानी का भी नाम कथित साजिश रचने वालों में शामिल किया गया है।

डरा कर अंबानी से पैसे वसूलने का इरादा-
एंटीलिया और मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में दायर दस हजार पन्नों के आरोप पत्र ( चार्जशीट ) में एनआईए ने कहा है कि बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे मशहूर उद्योगपति को डराकर जबरन वसूली करना चाहता था। इसी साल फरवरी में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया  पास एक स्कॉर्पियो कार से विस्फोटक पदार्थ बरामद हुए थे।
वाजे और उसके गिरोह ने मनसुख हिरेन को मौत के घाट उतारा-
सचिन वाजे का मुख्य मकसद आतंक पैदा कर उद्योगपति से पैसे वसूल करना था। बाद में वाजे और उसके साथियों ने मनसुख हिरेन को मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि उन्हें संदेह था कि मामला एनआईए के पास जाएगा और मनसुख हिरेन एजेंसी को पूछताछ के दौरान सब कुछ बता सकता है। 
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनने की चाह-
चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि वाजे जबरन वसूली के माध्यम से अपनी और दूसरों की जेब भरने के अलावा एक बेहतरीन डिटेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में अपना दबदबा फिर से हासिल करना चाहता था। इसी वजह से उसने जिलेटिन की छड़ों से लदी स्कॉर्पियो को रखने की साजिश रची और एक बड़े व्यापारिक समूह के अध्यक्ष (अंबानी) को संबोधित करते हुए एक धमकी भरा पत्र भी लिखा।
बर्खास्त-
मुंबई के पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले ने मई में मामले में कथित भूमिका के लिए सचिन वाजे, सुनील माने और रियाजद्दीन काजी को बर्खास्त करते हुए कहा था कि वाजे ने एक प्रसिद्ध उद्योगपति को अपने और दूसरों के लिए पैसों की वसूली करने की कोशिश की, जिसके लिए धमकी भरा पत्र भी लिखा गया था। 
सुपर कॉप-
शुरू में एनआईए ने कहा था कि सचिन वाजे विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को रखकर और फिर उस मामले को सुलझा कर  सुपरकॉप बनना चाहता था।
गवाहों को सुरक्षा-
तीन सितंबर को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश प्रशांत सित्रे के सामने चार्जशीट पेश की गई है। स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने 20 प्रमुख गवाहों के लिए सुरक्षा की मांग की और अदालत ने इसे मंजूर कर लिया है। पिछले महीने एनआईए ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले के गवाहों को धमकी दी गई है। जिसकी वजह से कई गवाह डर गए हैं।
10 आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत-
एनआईए ने कहा कि उसके पास सचिन वाजे, पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, बर्खास्त पीआई सुनील माने, एपीआई रियाजुद्दीन काजी सहित सभी 10 आरोपियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य है।
300 से ज्यादा गवाह-
आरोप पत्र  में 300 से ज्यादा गवाहों की गवाही के अलावा डिजिटल और दस्तावेजी सबूत हैं। आरोपियों के खिलाफ विस्फोटक लदी गाडी  रखने की साजिश, उसकी चोरी और मनसुख हिरेन की हत्या के विभिन्न चरणों में शामिल आरोपियों के खिलाफ आपत्तिजनक सबूत सामने आए। मामले में आगे की जांच जारी है।
आईपीसी की धाराएं-
एनआईए ने चार्जशीट आईपीसी की धारा 120बी, 201, 286, 302, 364, 384, 386, 403, 419, 465, 471, 473 और 506, आर्म्स एक्ट की धारा 3 और 25, विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा 4 और यूएपीए की धारा 16, 18 और 20 के तहत दायर की है।
 यूएपीए की धारा 20 का मतलब एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना होता है। 
जैश-उल-हिंद -
 चार्जशीट में कथित आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद से जुड़े प्रमुख संदिग्ध के बारे में भी उल्लेख किया है। इसी संगठन का नाम सामने आया था, जिसने पहले स्कॉर्पियो रखने का दावा किया था, लेकिन बाद में पीछे हट गया।
 जैश-उल-हिंद का नाम इस्तेमाल करने के पीछे कौन कौन है, इसका पता लगाने के लिए एनआईए की जांच जारी है।
 3 मामलों में दाखिल किए गए आरोप पत्र-
 तीन मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। पहली एफआईआर स्कॉर्पियो में जिलेटिन छड़ें रखने से संबंधित है। वहीं दूसरी एफआईआर स्कॉर्पियो की चोरी से संबंधित है, जो मनसुख हिरन के नाम पर थी। तीसरी एफआईआर मनसुख हिरन की मौत से जुड़ी है।
अंबानी को धमकी भरा पत्र-
मुकेश अंबानी के घर के पास कार्मिकल रोड पर खड़ी मिली महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी में जिलेटिन की 20 छड़ें मिली थी।
साथ ही धमकी भरा एक पत्र। इसमें लिखा था, 'नीता भाभी और मुकेश भैया और फैमिली। एक झलक है यह। अगली बार यह सामान पूरा कनेक्ट होकर आएगा। ओरिजनल गाड़ी में आएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली को उड़ाने के लिए इंतजाम हो गया है। संभल जाना। गुड नाइट।'
शुरू में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में जांच शुरू की थी। मनसुख हिरेन की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मामले को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को स्थानांतरित किया गया। इसके बाद एनआईए को मामले की जांच सौंप दी गई। 
आतंक की गुत्थी अनसुलझी-
इस पूरे मामले में अभी भी एक गुत्थी अनसुलझी है। 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में जिलेटिन मिलने के दो दिन बाद एक मैसेज जैश उल हिंद के नाम से आया, जिसमें उस स्कॉर्पियो में इस आतंकवादी संगठन ने जिलेटिन रखने का दावा किया था। हालांकि कुछ घंटे बाद जैश उल हिंद के नाम से एक और मैसेज आया और खुद को असल जैश उल हिंद बताने वाले ने दावा किया कि उनके संगठन के नाम से भेजा गया मैसेज फर्जी है। साथ ही कहा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर उसके आतंकवादी संगठन ने कोई स्कॉर्पियो नहीं खड़ी की, कोई जिलेटिन नहीं रखा।
तिहाड़ जेल कनेक्शन-
लेकिन 11 मार्च को मुंबई पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापा मारा  और वहां से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तहसीन अख्तर के पास से कुछ मोबाइल जब्त किए। आरोप लगा कि इन्हीं मोबाइल में से किसी एक से जैश उल हिंद वाला मैसेज किया गया था। सवाल यह है कि जब सचिन वझे को स्कॉर्पियो में जिलेटिन प्लांट करने के मामले में अरेस्ट किया गया है, तो उसी केस में जैश उल हिंद वाली गुत्थी अभी तक क्यों नहीं सुलझी है। शायद आने वाले दिनों में इस रहस्य से भी पर्दा उठेगा।
इस साल 24/ 25 फरवरी की रात 20 जिलेटिन छड़ों से भरी स्कॉर्पियो और एक धमकी भरा पत्र मुकेश अंबानी के घर के पास मिला था। इसके बाद 5 मार्च 2021 को स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन का शव मुंब्रा से बरामद किया गया। 
सचिन वाजे पहले भी गिरफ्तार -
सचिन वाजे जब अंधेरी सीआईयू में थे, तब उन पर बम ब्लास्ट आरोपी ख्वाजा युनूस की पुलिस कस्टडी में मौत से जुड़ी साजिश रचने का आरोप लगा था। उस केस में वह 3 मार्च 2004 को गिरफ्तार भी हुए थे। वझे ने बाद  नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। सालों तक पुलिस फोर्स से बाहर रहे वाजे की पिछले साल ही पुलिस फोर्स में वापसी हुई और उन्हें फिर से क्राइम इंटलिजेंस यूनिट यानी सीआईयू में तैनाती दे दी गई।
साल 2003 में बम ब्लास्ट केस में ख्वाजा यूनुस को हिरासत में लिया गया था और उसकी मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि जांच के लिए औरंगाबाद ले जाते वक्त ख्वाजा पुलिस जीप से कूद गया और उसकी मौत हो गई। हालांकि, ख्वाजा की मां आसिया बेगम का कहना है कि उनके बेटे को हिरासत में टॉर्चर किया गया था जिससे उसकी मौत हो गई।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा-
कभी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को मुंबई में अपराधियों के लिए मौत का दूसरा नाम माना जाता था। प्रदीप शर्मा के कथित  एनकाउंटर 150 के आसपास बताए जाते है। इंसपेक्टर प्रदीप शर्मा ने जुलाई 2019 में पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह शिव सेना में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
सिपाही - 
मुंबई पुलिस में सिपाही रहा विनायक शिंदे पहले से ही एक फर्जी एनकाउंटर मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उन दिनों वह पैरोल पर बाहर था। चूंकि वह एक समय सचिन वाजे के साथ काम कर चुका था, इसलिए वाजे ने मनसुख मामले में उसे भी अपना साथी बना लिया।










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