Monday 27 September 2021

आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत क्यों नहीं भेजते ? इस्लामिक स्टेट का आतंकियों की भर्ती का ऑनलाइन कनेक्शन।




आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत क्यों नहीं भेजते ?
इस्लामिक स्टेट का आतंकियों की भर्ती का  ऑनलाइन कनेक्शन। 


इंद्र वशिष्ठ

सावधान- लोगों, खास कर मुस्लिम समुदाय को अपने बच्चों पर खास ध्यान/ नजर रखने की जरुरत है। क्योंकि अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी गिरोहों के अलावा इस्लामिक स्टेट भी युवाओं को आतंकवाद के जहन्नुम में धकेल कर उनकी बलि चढ़ाने के लगातार ताक में रहता हैं। आपके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख और पढ़ रहे है और किस-किस के साथ संपर्क में हैं इस पर पैनी नजर रखने की जरुरत है। वरना बाद में पछताना पकड़ सकता हैं। 

आईएस का आतंकी जाल-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए) की प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान पाया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट (आईएस) लगातार ऑनलाइन दुष्प्रचार के जरिए भारत में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भोले-भाले युवाओं को निशाना बनाया जाता है। एक बार जब कोई व्यक्ति इनमें दिलचस्पी दिखाता है, तो उसे एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विदेशों में स्थित ऑनलाइन हैंडलर के साथ संवाद करने के लिए लुभाया जाता है।
 युवाओं को उनके भोलेपन के आधार पर
विदेश में बैठा हैंडलर ऑनलाइन सामग्री अपलोड करने, स्थानीय भाषा में आईएस ग्रंथों का अनुवाद, साजिश, एक मॉड्यूल तैयार करने, हथियार और गोला-बारूद जुटाने, आईईडी बम तैयार करने, आतंकी फंडिंग और यहां तक ​​कि हमलों के लिए उस व्यक्ति का इस्तेमाल करते हैं। 168 गिरफ्तार-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए) ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट (आईएस) की विचारधारा से प्रेरित आतंकी हमलों, साजिश और आतंकी फंडिंग के 37 मामलों की जांच की है। सबसे ताजा मामला एनआईए ने जून 2021 में दर्ज किया था। इन मामलों में अब तक कुल 168 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। 31 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 27 आरोपियों को अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया है। 
ऑनलाइन आतंकी भर्ती-
यह आतंकी गिरोह भोले भाले युवक-युवतियों को गुमराह कर उनका ब्रेनवॉश कर देता है। इसके लिए इस आतंकवादी गिरोह ने कोई भर्ती केंद्र नहीं खोला हुआ है बल्कि फेसबुक, टि्वटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इनकी भर्ती की जा रही है। इस गिरोह के लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ऐसे लोगों को तलाशते हैं जो उनकी विचारधारा से प्रभावित लगते हैं। 
आतंक की ऑनलाइन ट्रेनिंग-
इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें विदेशों में बैठे ऑनलाइन हैंडलर के जरिए ट्रेंड किया जाने लगता है।
यह ऑनलाइन हैंडलर जब यह बात पूरी तरह से समझ जाता है कि सामने वाला शख्स उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुका हैं तो फिर उसके जरिए आतंकवादी संगठन की जहरीली विचारधारा वाली सामग्री उसे दी जाती है और धीरे-धीरे उसे आतंकी कार्यों की तरफ प्रेरित किया जाता है। उसे ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए ही बम तैयार करने, हथियारों और गोला बारूद की जानकारी दी जाती है। फिर उनके जरिए ही स्थानीय आतंकियों का एक ग्रुप बनाकर बम विस्फोट भी करा दिए जाते हैं।
चौकन्ने रहें-
एनआईए ने आम जनता से अपील की है कि यदि वह इस तरह की कोई भी सामग्री या संदिग्ध गतिविधि इंटरनेट पर देखें, तो तुरंत एनआईए के फोन नंबर 011-2436880 पर इसकी सूचना दें।
आतंकी सरगना अपने बच्चों को हूरों के पास भेजेंं।-
दूसरी ओर कश्मीर में युवाओं को आतंकवाद में धकेलने वाले नेताओं की असलियत भी उजागर होने लगी है। कश्मीरियों को ऐसे नेताओ से सावधान रहना चाहिए। ऐसे नेता ही कश्मीरियों के असली दुश्मन है। कश्मीरियों को ऐसे नेताओं और आतंकी सरगनाओं से पूछना चाहिए कि  अगर जेहाद इतना महान और पवित्र है कि वह सीधा जन्नत में हूरों/परियों के पास पहुंचाता है तो फिर दूसरों को उकसाने वाले पहले अपने बच्चों को जन्नत जाने का मौका क्यों नहीं देते है। जो जेहाद के नाम पर उकसाते है वह अपने बच्चों को तो बड़े शहरों या विदेश में हिफाजत से रखते है। गरीब के बच्चों को उकसा कर मरवा देते है।
दिल्ली दरबार कसूरवार- 
कश्मीर की समस्या के लिए इन नेताओं से ज्यादा कसूरवार दिल्ली दरबार के वह नेता रहे हैंं जिन्होंने सालों से दामाद की तरह इन अलगावादियों को पाल कर रखा। इनकी सुरक्षा आदि पर जनता के टैक्स का करोड़ों रूपया सालाना लुटाया।
एनआईए का मिशन कश्मीर-
कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की एनआईए की कोशिश लगातार जारी हैंं। आतंकवदियों,पत्थरबाजों को धन मुहैया कराने वाले व्यापारी/ हवाला कारोबारी और अलगावादी नेताओं के गठजोड़ पर अगर जबरदस्त चोट जारी रही तो आतंकवाद पर अंकुश लग सकता है। लेकिन एनआईए या किसी भी जांच एजेंसी के लिए आतंकवादियों को पैसा मुहैया कराने वालों के खिलाफ अदालत में आरोपों को साबित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)





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