Wednesday, 24 September 2025

देसी तमंचों/कट्टों के लिए देसी गोलियां बनाने वाला गिरफ्तार, 5 मिनट में गोली बनाने में माहिर, दिल्ली पुलिस ने पहली बार पकड़ी देसी कारतूस बनाने की फैक्ट्री, 210 कारतूस बरामद


देसी तमंचों / कट्टों के लिए देसी गोलियां बनाने वाला गिरफ्तार
210 कारतूस बरामद
5 मिनट में गोली बनाने में माहिर



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में 315 बोर के अवैध कारतूस/गोलियां बनाने की फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। दिल्ली पुलिस द्वारा अवैध यानी देसी कारतूस बनाने की फैक्ट्री शायद पहली बार पकड़ी गई है। 
210 कारतूस बरामद-
पुलिस ने 7 देसी पिस्तौल/तमंचे/कट्टे, .315 बोर के 210 देसी कारतूस, 607 कारतूस के खोखे/खोल, पीतल की 20 छड़ें , बुलेट लीड्स, गन पाउडर, लेथ मशीन,औजार आदि सामान बरामद किया हैं। 
3 गिरफ्तार-
इस मामले में अवैध कारतूस बनाने में माहिर इलियास (65) निवासी मुरादाबाद शहर, अवैध तमंचे/ कारतूस बेचने वाले फाजिल (50) निवासी मुरादाबाद और जमीर(57) निवासी रामपुर को गिरफ्तार किया गया। 

स्पेशल सेल के डीसीपी अमित कौशिक ने बताया कि एक सूचना के आधार पर एसीपी कैलाश बिष्ट की देखरेख में इंस्पेक्टर सुनील तेवतिया की टीम ने  22 सितंबर को फाजिल को गाजीपुर, दिल्ली से पकड़ा। उसके पास से 4 देसी तमंचे और 166 कारतूस बरामद हुए। फाजिल से पूछताछ के आधार पर रामपुर यूपी से जमीर को 20 कारतूस के साथ पकड़ा गया। 
फैक्ट्री पर छापा-
जमीर से पूछताछ पर मुरादाबाद शहर निवासी इलियास को गिरफ्तार किया गया।
इलियास से 3 देसी पिस्तौल/ तमंचे बरामद हुए। स्पेशल सेल ने मुरादाबाद पुलिस की मदद से इलियास की फैक्ट्री पर छापा मारा। वहां से 315 बोर के देसी कारतूस, कारतूस बनाने का सामान, मशीन आदि मिली। 
5 मिनट में गोली तैयार
डीसीपी अमित कौशिक ने बताया कि इलियास 20-25 साल से अवैध कारतूस बनाने का धंधा कर रहा है। वह अवैध कारतूस 5 मिनट में बना लेता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली, एनसीआर में वह अब तक हजारों अवैध कारतूस बना कर बेच चुका हैं। 
मुरादाबाद के मुगलपुरा थाना की पुलिस उसे चार बार (आर्म्स एक्ट के दो, हत्या की कोशिश और गैंगस्टर एक्ट के मामलों में) गिरफ्तार भी कर चुकी है। लेकिन जेल से बाहर आते ही वह फिर से अवैध कारतूस बनाने का धंधा शुरू कर देता है।
मोटा मुनाफा-
इलियास से कारतूस/तमंचे जमीर खरीद कर फाजिल को बेचता था फाजिल दिल्ली एनसीआर में बेचता था। इलियास को एक कारतूस बनाने की लागत करीब 40-45 रुपये आती थी जिसे वह 80-100 रुपये में जमीर आदि को बेचता था। 





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