कमिश्नर सतीश गोलछा
कमिश्न का महरौली एसएचओ पर करम , 3 एसएचओ पर सितम
इंद्र वशिष्ठ,
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है।
सतीश गोलछा को कमिश्नर का पद संभाले हुए एक महीना हुआ है रिश्वतखोरी का चौथा मामला सामने आया है।
पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
लुटेरों की मदद के लिए रिश्वत-
विजिलेंस यूनिट ने उत्तरी जिले के वजीराबाद थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर ललित को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
सब-इंस्पेक्टर ललित ने 2 लुटेरों की जमानत कराने में मदद करने और अदालत में कमज़ोर चार्जशीट दाखिल करने के लिए 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी। सब- इंस्पेक्टर ललित को एक लुटेरे की पत्नी से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
पैसे फेंक दिए-
रिश्वत लेते ही एसआई को रेड की भनक लग गई। वह तुरंत बाथरूम में गया और रिश्वत की रकम थाने में तीसरी मंजिल के अपने कमरे से नीचे फेंक दी। नीचे कबाड़ पड़ा हुआ है इसलिए रकम बरामद नहीं हुई।
पुलिसवाला उठा ले गया-
दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि रिश्वतखोर एसआई ललित को बचाने के लिए कोई दूसरा एसआई रकम उठा कर ले गया। रकम बरामद करने के लिए एसआई ललित को रिमांड पर लिया गया है।
सब-इंस्पेक्टर ललित को सस्पेंड कर दिया गया।
एसएचओ लाइन हाज़िर-
वजीराबाद थाने के एसएचओ मनोज वर्मा को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
स्नैचिंग की अनेक वारदात में शामिल हरजीत सिंह सचदेवा और वसीम शेख को सब- इंस्पेक्टर ललित ने गिरफ्तार किया था। दोनों जेल में हैं।
हरजीत सिंह की पत्नी ने विजिलेंस यूनिट को बताया कि सब- इंस्पेक्टर ललित ने जमानत कराने में मदद करने और अदालत में कमज़ोर चार्जशीट दाखिल करने के लिए उससे 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी है। बातचीत के बाद वह 15 हजार रुपये लेने को तैयार हो गया।
कमिश्नर की कथनी और करनी में अंतर-
पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा द्वारा एसएचओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में भेदभाव किया जा रहा है।
महरौली एसएचओ पर कृपा
विजिलेंस ने 18 सितंबर को महरौली थाने के एएसआई पप्पू राम मीणा और बिचौलिए को 5 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। लेकिन कमिश्नर सतीश गोलछा ने महरौली थाने के एसएचओ संजय सिंह को लाइन हाज़िर नहीं किया।
जबकि इसके पहले ऐसे ही मामलों में हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज और अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर किया जा चुका है।
डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई, बड़बोलापन-
कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। डीसीपी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात करना तो कमिश्नर का बड़बोलापन दिखलाता है। डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो खैर उनमें हिम्मत नहीं होगी।
रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें।
एसएचओ लाइन हाज़िर-
विजिलेंस ने 9 सितंबर को थाना हौज काजी में एएसआई राकेश कुमार को 15,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। एएसआई ने रिश्वत की रकम भीड़ में उछाल दी थी।
हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
एसएचओ लाइन हाज़िर-
सीबीआई ने 25 अगस्त को उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह की नाक के नीचे एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए चिट्ठा मुंशी हवलदार राजकुमार मीणा को गिरफ्तार किया। इस मामले में भी अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर किया गया।
आईपीएस जिम्मेदार-
वैसे आज के इन हालात के लिए वे आईपीएस अफसर जिम्मेदार है जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ/ फायदों/सेवा के लिए बरसों से भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पाला पोसा या फलने फूलने का मौका दिया। ऐसे आईपीएस अफसरों ने अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन किया होता, तो भ्रष्टाचार आज नासूर नहीं बन पाता।
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