Friday, 19 September 2025

महरौली थाने का एएसआई गिरफ्तार, कमिश्नर सतीश गोलछा का बड़बोलापन, कथनी और करनी में अंतर , दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर, कमिश्नर ठेंगे पे

  कमिश्नर सतीश गोलछा का बड़बोलापन, 
    कथनी और करनी में अंतर


महरौली थाने का एएसआई गिरफ्तार, 





इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लगातार पकड़े जाने के बावजूद निरंकुश बेखौफ पुलिसकर्मियों द्वारा वसूली जारी है। 
सतीश गोलछा को कमिश्नर का पद संभाले हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ है रिश्वतखोरी के मामले लगातार सामने आ रहें हैं।  पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। 

डीसीपी, एसएचओ जिम्मेदार-
पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। लेकिन कमिश्नर की इस बात का भी निरंकुश, बेखौफ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर कोई असर नहीं हो रहा।
बड़बोले कमिश्नर-
कमिश्नर सतीश गोलछा की कथनी और करनी में अंतर साफ़ नज़र आ रहा है। डीसीपी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात करना कमिश्नर का बड़बोलापन दिखलाता है। 
डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो उनमें हिम्मत हो नहीं सकती। 
रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें। कमिश्नर द्वारा डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कहना हास्यास्पद है। 
आईपीएस जिम्मेदार-
वैसे आज के इन हालात के लिए वे आईपीएस अफसर जिम्मेदार है जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ/ फायदों/सेवा के लिए बरसों से भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पाला पोसा या फलने फूलने का मौका दिया। ऐसे आईपीएस अफसरों ने अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन किया होता, तो भ्रष्टाचार आज नासूर नहीं बन पाता। 

महरौली थाने का एएसआई गिरफ्तार-
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने 18 सितंबर को महरौली थाने में तैनात एएसआई पी आर मीणा और उसके दलाल/बिचौलिए को 7 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 
शिकायतकर्ता हितेश निवासी नेब सराय का आरोप है कि मामूली विवाद के बाद एएसआई पी आर मीणा ने उसकी मोटर साइकिल जब्त कर ली। 
बाइक छोड़ने के लिए एएसआई पी आर मीणा ने दस हज़ार रुपये रिश्वत मांगी। 
वीरवार शाम को शिकायतकर्ता से रिश्वत लेने के बाद बिचौलिए मोहम्मद शाकिर ने जैसे ही पैसे एएसआई पी आर मीणा को दिए विजिलेंस यूनिट ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। बिचौलिया सैलून में काम करता है। 

हौज़ काजी  थाने के एएसआई ने रिश्वत के नोट हवा में उछाल दिए
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने 9 सितंबर को थाना हौज काजी में तैनात एएसआई राकेश कुमार को शिकायतकर्ता से 15,000 रुपये  रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राकेश कुमार ने बचने के लिए रिश्वत की रकम हवा में उछाल दी थी। 
डिवीजन अफसर एएसआई राकेश ने बाजार सीता राम, हौज काजी निवासी शिकायतकर्ता को झूठे मामले में न फंसाने के लिए रिश्वत मांगी। रिश्वत लेने के बाद एएसआई राकेश कुमार शिकायतकर्ता के साथ थाने से बाहर आ गया। शिकायतकर्ता का इशारा मिलने पर विजिलेंस टीम एएसआई राकेश को गिरफ्तार करने के लिए लिए आगे बढ़ी, एएसआई राकेश ने भनक लगते ही रिश्वत की रकम लोगों के बीच में हवा में उछाल दी। भीड़ भाड़ में वहां से गुजरने वाले कुछ लोग 5 हजार रुपये उठा कर ले गए। विजिलेंस की टीम सिर्फ 10 हजार रुपये ही मौके से बरामद कर पाई। 

दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर, 

डीसीपी की नाक के नीचे रिश्वतखोरी-
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह की नाक के नीचे ही 25 अगस्त को वसूली करके बेखौफ पुलिसकर्मियों ने साबित कर दिया कि कमिश्नर और डीसीपी उनके ठेंगे पर हैं। 
कमिश्नर सतीश गोलछा ने अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर कर दिया। 
इस मामले में सस्पेंड किया गया सब-इंस्पेक्टर विशाल मीणा अब तक फरार है। सीबीआई को उसकी तलाश है। 
चिट्ठा मुंशी गिरफ्तार-
सीबीआई ने 25 अगस्त को उत्तर पश्चिम जिले के अशोक विहार थाने में तैनात चिट्ठा मुंशी हवलदार राजकुमार मीणा को एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। एसएचओ अपने खास पुलिसकर्मी को ही चिट्ठा मुंशी लगाते हैं। हवलदार राजकुमार मीणा ने सब- इंस्पेक्टर विशाल मीणा की ओर से रिश्वत ली थी। उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी का दफ़्तर और अशोक विहार थाना एक ही इमारत में है।
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर

एएसआई और सिपाही गिरफ्तार-
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने 17 अगस्त, रविवार को वजीरपुर फायर स्टेशन के पास टायर पंचर की दुकान चलाने वाले व्यक्ति दो हजार की रिश्वत लेते हुए पीसीआर वैन में तैनात इंचार्ज एएसआई वी ठाकुर और सिपाही राकेश को गिरफ्तार किया।
पुलिसकर्मी शिकायतकर्ता से एक हजार रुपये मंथली मांग कर रहे थे। शिकायतकर्ता ने रुपये देने की बजाए विजिलें में शिकायत कर दी। 
केस दर्ज करने की धमकी-
विजिलेंस यूनिट ने 8 अगस्त को द्वारका जिले के बिंदापुर थाने में तैनात हवलदार विजय सिंह को 15 हज़ार रिश्वत लेते हुए पकड़ा। 
शिकायतकर्ता से उसके कर्मचारी की वैरीफिकेशन न कराने पर केस दर्ज करने की धमकी दे कर रिश्वत मांगी। 
हवलदार विजय ने शिकायतकर्ता के ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ की वेरीफिकेशन के नाम पर 25 हजार रुपये की मांग की। बाद में वह 15 हजार रुपये लेने पर तैयार हो गया।  
आरोपी ने 15 हजार ले भी लिए। इसके बाद 15 हजार रुपये मंथली की मांग कर दी। 
हवलदार अब दो महीनों के 30 हजार रुपये और मांगने लगा। परेशान होकर शिकायतकर्ता ने विजिलेंस यूनिट शिकायत कर दी। 
 
सुभाष प्लेस थाने का एसएचओ महेश कसाना लाइन हाज़िर,
शकूर पुर में खुलेआम शराब और सट्टा
पुलिस की मिलीभगत/सांठगांठ के बिना शराब/ड्रग्स/सट्टे का धंधा हो ही नहीं सकता। इस बात की पुष्टि इस मामले से भी होती है। 
उत्तर पश्चिम जिले के सुभाष प्लेस थाने के एसएचओ महेश कसाना को लाइन हाज़िर किया गया है। शकूर पुर इलाके में खुलेआम अवैध शराब बिकने और सट्टा चलने के कारण एसएचओ महेश कसाना को थाने से हटा कर जिला पुलिस लाइन में भेज दिया गया।
एसएचओ महेश कसाना को इसके पहले अप्रैल में सिर्फ फटकार लगा कर बख्श दिया गया था। जिला पुलिस के वरिष्ठ अफसर के अनुसार इस साल अप्रैल में दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने शकूर पुर इलाके में खुलेआम शराब बिकने और सट्टा चलते हुए पाया था। 
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने विजिलेंस की रिपोर्ट मिलने के बाद शकूर पुर इलाके में अवैध शराब बेचने और सट्टा चलाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। 
फटकार लगा कर बख्श दिया-
एसएचओ महेश कसाना को तब सैंश्योर दिया गया था। सैंश्योर का मतलब आधिकारिक तौर पर किसी को गलत कार्य करने पर डांटना/फटकारना या निंदा/ आलोचना करना भी कहा जाता है। तत्कालीन एसीपी शैलेंद्र चौहान से भी स्पष्टीकरण/ जवाब तलब (एक्सप्लेनेशन) किया गया था। बीट में तैनात तीन पुलिसकर्मियों को बीट से हटा दिया गया था। 
धंधा चालू है- लेकिन कुछ दिन ही बाद शकूर पुर इलाके में दोबारा से शराब बिकने लगी और सट्टा भी शुरू हो गया। विजिलेंस यूनिट ने अब पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी। जिसके आधार पर वीरवार को एसएचओ महेश कसाना को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
पहले भी बख्शा गया- सीबीआई ने 2 जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। उस समय भी एसएचओ महेश कसाना के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

एक करोड़ मांगने वाला इंस्पेक्टर सुनील जैन गिरफ्तार-
इसके पहले पुलिस कमिश्नर पद का अतिरिक्त प्रभार संभालते ही होमगार्ड के तत्कालीन डीजी शशि भूषण कुमार सिंह के सामने भ्रष्टाचार का ऐसा मामला सामने आया है। जिससे पता चलता है कि पुलिस में भ्रष्टाचार कितने चरम पर है। 
उत्तर पश्चिम जिले के डीआईयू में तैनात इंस्पेक्टर सुनील जैन को तीस लाख रुपए लेने के मामले में रोहतक, हरियाणा की एंटी करप्शन ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। 
इंस्पेक्टर सुनील जैन ने अलीपुर थाने में दर्ज दो मामलों को हल्का करने / आरोपी का नाम निकाल देने के लिए एक करोड़ रुपए रिश्वत मांगी थी। 
तीस लाख लेते गिरफ्तार-
इंस्पेक्टर सुनील जैन की ओर से रिश्वत के तीस लाख रुपए लेते हुए सोनीपत में संदीप को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद एंटी करप्शन की टीम इंस्पेक्टर सुनील जैन को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली आई। 
उत्तर पश्चिम जिले के मौर्या एंक्लेव थाना भवन में स्थित डीआईयू के दफ़्तर में जिले के आला अफसरों की मौजूदगी में हरियाणा की एंटी करप्शन ब्रांच के डीएसपी के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुनील जैन से पूछताछ की गई। इसके बाद शुक्रवार रात को इंस्पेक्टर सुनील जैन को गिरफ्तार करके ले गई। संदीप इंस्पेक्टर सुनील जैन के भाई के सोनीपत जिले में स्थित 3 जी स्कूल में क्लर्क है। 
इंस्पेक्टर सस्पेंड-
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि इंस्पेक्टर सुनील जैन को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके ख़िलाफ़ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। 
वकील ने पकड़वाया-
इस मामले में शिकायतकर्ता वकील विपिन ( गांव बडवासनी, सोनीपत) ने रोहतक, एंटी करप्शन ब्रांच में एक अगस्त को इंस्पेक्टर सुनील जैन के ख़िलाफ़ एक करोड़ रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज कराया। इंस्पेक्टर सुनील जैन और विपिन की बातचीत की रिकॉर्डिंग भी एंटी करप्शन ब्रांच को दिए जाने का शिकायत में दावा किया गया है। 
विपिन के नरेला निवासी रिश्तेदार प्रवीण लाकड़ा के खिलाफ प्रवीण गुप्ता ने अलीपुर थाने में दो मामले दर्ज कराए है। इंस्पेक्टर सुनील जैन उन मामलों का जांच अफसर है। आरोप है कि प्रवीण लाकड़ा के मामलों को हल्का करने और नाम निकालने के लिए इंस्पेक्टर सुनील जैन ने एक करोड़ रुपए रिश्वत मांगी। सौदेबाजी के बाद में वह सत्तर लाख लेने पर राजी हो गया। 
कहानी के अंदर कहानी-
पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रवीण लाकड़ा और प्रवीण गुप्ता का गोदाम बनाने का धंधा है। प्रवीण गुप्ता ने प्रवीण लाकड़ा के ख़िलाफ़ दो मामले अलीपुर थाने में दर्ज कराएं। प्रवीण गुप्ता को इस साल दो गाडियों में आए बदमाशों ने इतना पीटा कि वह अभी तक ठीक नहीं हुआ है।
प्रवीण गुप्ता की शिकायत पर बाहरी उत्तरी जिले के अलीपुर थाने में मारपीट, हत्या की कोशिश, लूट आदि धाराओं में प्रवीण लाकड़ा आदि के ख़िलाफ़ दो मामले दर्ज हैं। प्रवीण लाकड़ा ने भी प्रवीण गुप्ता के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज कराया है। 
प्रवीण लाकड़ा की तलाश-
पुलिस मुख्यालय ने इन मामलों की जांच के लिए उत्तर पश्चिम जिले के एडिशनल डीसीपी सिकंदर के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित की थी। इंस्पेक्टर सुनील जैन हत्या के प्रयास, लूट आदि धाराओं के तहत दर्ज मामले में जांच अधिकारी है।
जिले के आला अफसर ने बताया पुलिस की जांच में आया कि प्रवीण लाकड़ा ने साज़िश रच कर प्रवीण गुप्ता पर हमला कराया। इन मामलों में प्रवीण लाकड़ा की तलाश है। पुलिस ने लुक आउट नोटिस जारी कराया है ताकि प्रवीण लाकड़ा विदेश न जा सके। प्रवीण लाकड़ा की जमानत की अर्जी हाईकोर्ट तक से खारिज हो चुकी है। 
चार्जशीट दाखिल-
जिला पुलिस के आला अफसर ने बताया कि जिस मामले में धारा हटाने के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया है। उसमें तो पुलिस इंस्पेक्टर सुनील जैन की गिरफ्तारी से पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इस मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। एक आरोपी विदेश भाग गया। प्रवीण लाकड़ा समेत दो आरोपियों की तलाश की जा रही है। 
थानेदारनी ने 50 लाख मांगे-
पश्चिम विहार ईस्ट थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट द्वारा 50 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला 27 जुलाई को सामने आया। बीस लाख से ज्यादा सब- इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट ले चुकी है। 
विजिलेंस यूनिट मामले की जांच कर रही है। पता चला है कि पश्चिम विहार में रहने वाले शिकायतकर्ता डॉक्टर नीरज कुमार और उसके स्टाफ की पिटाई पीरागढ़ी के एक पुलिस बूथ में ले जाकर की गई। उनसे 50 लाख रुपए की मांग की गई थी, पीड़ित ने 20.50 लाख रुपए का इंतजाम बेंगलुरु के एक रिश्तेदार से करवाया। बाकी के 19.50 लाख बाद में देने की हामी पीड़ित से भरवाई गई।
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय में पीड़ित के एक दूर के रिश्तेदार के हस्तक्षेप के बाद पश्चिम जिले के आला अधिकारी को मामले की जानकारी दी गई। यह भी पता चला कि जब पीड़ित जिले के एक अधिकारी के पास था, तब भी पीड़ित को फोन पर धमकाया गया। इस मामले में कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के भी शामिल होने का पता चला है।
थानेदार ने 7 लाख मांगे-
साउथ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के कापसहेड़ा थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर सुरेश द्वारा चोरी के मामले में गिरफ्तार न करने की एवज में सात लाख रुपए मांगने का मामला सामने आया है। 24 जुलाई को विजिलेंस की टीम ने 50 हजार रुपए लेते हुए सब इंस्पेक्टर सुरेश को पकड़ लिया। सब- इंस्पेक्टर ने बचने के लिए कहानी बना दी कि ये रकम तो केस प्रॉपर्टी के रूप में उसने जब्त की है। विजिलेंस ने जांच की तो पता चला कि थाने में इस बारे में सब- इंस्पेक्टर सुरेश ने रिकॉर्ड में कुछ भी दर्ज (डीडी एंट्री) नहीं किया था। जिसके बाद विजिलेंस यूनिट ने सब- इंस्पेक्टर के खिलाफ के खिलाफ़ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर लिया।
विजिलेंस के अनुसार शिकायतकर्ता किसान और टैक्सी ऑपरेटर विक्रम ने बताया था कि उसके भाई ने दो महीने पहले 30 लाख रुपये की चोरी की थी। इस अपराध के लिए उसके खिलाफ कापसहेड़ा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। विक्रम ने चोरी की रकम बरामद करने में पुलिस की मदद करने का दावा किया था। इस सिलसिले में कापसहेड़ा थाने का सब- इंस्पेक्टर सुरेश हरियाणा गया और शिकायतकर्ता विक्रम को कथित तौर पर हिरासत में ले लिया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि दबाव में आकर उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए 7 लाख का इंतजाम किया और सब- इंस्पेक्टर सुरेश को 50 हजार रुपए बतौर एडवांस देना तय हुआ। विक्रम ने विजिलेंस में शिकायत कर दी। 24 जुलाई को विजिलेंस टीम ने ट्रैप लगाया। 50 हजार की रकम के साथ लिया पकड़ लिया।


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