Tuesday, 23 September 2025

IFSO / स्पेशल सेल का सब- इंस्पेक्टर 2 लाख लेते गिरफ्तार , विजिलेंस टीम ने फिल्मी स्टाइल में पीछा करके पकड़ा, कमिश्नर सतीश गोलछा की कथनी और करनी में अंतर



विजिलेंस टीम ने फिल्मी स्टाइल में पीछा करके पकड़ा

एसआई ने टक्कर मार कर भागने की कोशिश की


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़वाने के लिए लोग अब हिम्मत करने लगे हैं। पुलिस ने भी लोगों से रिश्वत मांगने वाले पुलिसकर्मियों की सूचना देने के लिए आगे आने की अपील की है। 
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने स्पेशल सेल की आईएफएसओ/साइबर क्राइम यूनिट के सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर सिंह को दो लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
विजिलेंस टीम ने फिल्मी स्टाइल में आज दोपहर द्वारका इलाके की सड़कों पर दो किलोमीटर तक पीछा करके कार में भाग रहे सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर को घेर कर पकड़ा। 
5 लाख मांगे-
सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर सिंह ने साइबर क्राइम के मामले के आरोपी और इस मामले में शिकायतकर्ता विष्णु विश्नोई से उसके बैंक अकाउंट डी-फ्रीज कराने के लिए 5 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी।
आज एसआई करमवीर सिंह ने शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपये की पहली किस्त लेने के लिए सेक्टर 14, द्वारका मेट्रो स्टेशन पर बुलाया।
टक्कर मार कर भागने की कोशिश-
एसआई करमवीर सिंह अपनी निजी कार से मेट्रो स्टेशन आया। शिकायतकर्ता को कार में बिठा लिया। सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर को जैसे ही रेड की भनक लगी, उसने अपनी कार भगा ली। विजिलेंस टीम ने लगभग दो किलोमीटर तक पीछा करके आखिरकार उसे घेर लिया। 
घिर जाने पर सब- इंस्पेक्टर कर्मवीर ने अपनी कार रिवर्स करके विजिलेंस टीम की गाड़ी को टक्कर मार कर भागने की कोशिश की। विजिलेंस टीम ने उसे दबोच लिया। 
एसआई करमवीर की कार के डैशबोर्ड से 2 लाख रुपये की रिश्वत राशि बरामद की गई। 

वजीराबाद थाने का एसआई गिरफ्तार, 
एसएचओ लाइन हाज़िर

लुटेरों की मदद के लिए रिश्वत-
विजिलेंस यूनिट ने 21 सितंबर को उत्तरी जिले के वजीराबाद थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर ललित को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
सब-इंस्पेक्टर ललित ने 2 लुटेरों की जमानत कराने में मदद करने और अदालत में कमज़ोर चार्जशीट दाखिल करने के लिए 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी। सब- इंस्पेक्टर ललित को एक लुटेरे की पत्नी से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 
पैसे फेंक दिए-
रिश्वत लेते ही एसआई को रेड की भनक लग गई। वह तुरंत बाथरूम में गया और रिश्वत की रकम थाने में तीसरी मंजिल के अपने कमरे से नीचे फेंक दी। नीचे कबाड़ पड़ा हुआ है इसलिए रकम बरामद नहीं हुई। 
पुलिसवाला उठा ले गया-
दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि रिश्वतखोर एसआई ललित को बचाने के लिए कोई दूसरा एसआई रकम उठा कर ले गया। रकम बरामद करने के लिए एसआई ललित को रिमांड पर लिया गया है। 
सब-इंस्पेक्टर ललित को सस्पेंड कर दिया गया। 
एसएचओ लाइन हाज़िर-
वजीराबाद थाने के एसएचओ मनोज वर्मा को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
स्नैचिंग की अनेक वारदात में शामिल हरजीत सिंह सचदेवा और  वसीम शेख को सब- इंस्पेक्टर ललित ने गिरफ्तार किया था। दोनों जेल में हैं। 
हरजीत सिंह की पत्नी ने विजिलेंस यूनिट को बताया कि सब- इंस्पेक्टर ललित ने जमानत कराने में मदद करने और अदालत में कमज़ोर चार्जशीट दाखिल करने के लिए उससे 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी है। बातचीत के बाद वह 15 हजार रुपये लेने को तैयार हो गया। 

कमिश्नर की कथनी और करनी में अंतर-
सतीश गोलछा को कमिश्नर का पद संभाले हुए एक महीना ही हुआ है, रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी का यह पांचवां मामला सामने आया है।
पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। 
पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा द्वारा एसएचओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में भेदभाव किया जा रहा है।
महरौली एसएचओ पर कृपा
विजिलेंस ने 18 सितंबर को महरौली थाने के एएसआई पप्पू राम मीणा और बिचौलिए को 5 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। लेकिन कमिश्नर सतीश गोलछा ने महरौली थाने के एसएचओ संजय सिंह को लाइन हाज़िर नहीं किया। 
जबकि इसके पहले ऐसे ही मामलों में हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज और अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर किया जा चुका है। 
डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई, बड़बोलापन-
कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। डीसीपी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात करना तो कमिश्नर का बड़बोलापन दिखलाता है। डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो खैर उनमें हिम्मत नहीं होगी। 
रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें। 
एसएचओ लाइन हाज़िर-
विजिलेंस ने 9 सितंबर को थाना हौज काजी में एएसआई राकेश कुमार को 15,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। एएसआई ने रिश्वत की रकम भीड़ में उछाल दी थी। 
 हौज़ काजी थाने के एसएचओ मनोज को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
एसएचओ लाइन हाज़िर-
सीबीआई ने 25 अगस्त को उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह की नाक के नीचे एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए चिट्ठा मुंशी हवलदार राजकुमार मीणा को गिरफ्तार किया। इस मामले में भी अशोक विहार थाने के एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर किया गया। 
आईपीएस जिम्मेदार-
वैसे आज के इन हालात के लिए वे आईपीएस अफसर जिम्मेदार है जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ/ फायदों/सेवा के लिए बरसों से भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पाला पोसा या फलने फूलने का मौका दिया। ऐसे आईपीएस अफसरों ने अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन किया होता, तो भ्रष्टाचार आज नासूर नहीं बन पाता। 






No comments:

Post a Comment