Saturday 17 November 2012

पाकिस्तान या आतंकिस्तान—-


लश्कर-इंडियन मुजाहिद्दीन का गठजोड़,--पाकिस्तान फिर नापाक/बेनकाब--
-पाकिस्तान या आतंकिस्तान—- (पुणे/मुंबई हमला)-
इंद्र वशिष्ठ
पुणे सीरियल बम धमाकों में शामिल महाराष्ट्र के ही आतंकियों की गिरफ्तारी से यह साफ/साबित हो गया कि आतंकी गिरोह इंडियन मुजाहिद्दीन ने महाराष्ट्र में अपनी जड़े गहराई तक जमा ली है। इनकी गिरफ्तारी से पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी गिरोह लश्कर ए तोएबा और इंडियन मुजाहिद्दीन के गठजोड़/रिश्तों का भी खुलासा हुआ है। इस मामले ने भी एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान के आतंकी/शैतानी चेहरे का पर्दाफाश कर दिया है। इसके पहले  मुंबई हमले के एक मुख्य सरगना सैयद जबीउद्दीन अंसारी(31) उर्फ अबू हमजा उर्फ अबू जिंदाल उर्फ रियासत अली की गिरफतारी ने भी दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया था। सैयद जबीउद्दीन अंसारी(31) से पूछताछ के दौरान ही दिल्ली पुलिस को पता चला कि विदेश में बैठे आतंकवादी भारत के प्रमुख शहरों में आतंकी हमले करने की साजिश रच रहे है। पाकिस्तान में मौजूद इंडियन मुजाहिद्दीन के रियाज और उसका भाई इकबाल भटकल((मूल निवासी भटकल,कर्नाटक) और सऊदी अरब में मौजूद लश्कर आतंकी फैयाज अहमद कागजी(मूल निवासी बीड़,महाराष्ट्र) यह साजिश रच रहे है। इस सूचना के आधार पर तफ्तीश करते-करते दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को इंडियन मुजाहिद्दीन के असद खान (निवासी औरंगाबाद), इमरान खान (निवासी पीर बुरहान नगर,नांदेड,महाराष्ट्र) को 26-9-2012 को और सैयद फिरोज उर्फ हमजा (निवासी पुणे) को 1-10-2012 को गिरफ्तार करने में सफलता मिली। इन आतंकियों ने 1-8-2012 को पुणे में सिलसिलेवार बम धमाके करना कबूल किया। इन आतंकियों से पूछताछ में यह भी पता चला कि इनका इरादा दिल्ली में त्योहार के अवसर पर बम धमाके करने का था। बिहार में बोध गया के मंदिर भी इनके निशाने पर थे। इनके पास से 5 किलो विस्फोटक सामग्री,10 डेटोनेटर और बैटरी आदि बरामद हुई। भटकल भाइयों के कहने पर दिल्ली में पुल प्रहलाद पुर इलाके में इन आतंकियों के रहने के लिए किराए के मकान का इंतजाम करने वाले राजू भाई नामक व्यकित को पुलिस तलाश रही है। असद अगस्त 2009 से फैयाज के संपर्क में था। ये तीनों अनेक बार सऊदी अरब जाकर फैयाज कागजी से मिले भी थे। जनवरी 2012 में फैयाज ने असद को रियाज और इकबाल भटकल से मिलवाया था। भटकल भाई अपने साथी कतील सिद्दीकी की 8-6-2012 को यरवदा जेल में हुई हत्या का बदला लेने के लिए यरवदा जेल ,पुणे कोर्ट या मुंबई में बम धमाके या कतील की हत्या करने वाले शरद मोहल और अशोक भालेराव के रिश्तेदारों की हत्या कराना चाहते थे। आतंकी कतील ने जेल में कहा था कि वह डबरू सेठ मंदिर में बम धमाका करेगा। इसी बात पर कतील की हत्या कर दी गई। (कतील को जामा मस्जिद के बाहर विदेशियों पर हमला मामले में स्पेशल सेल ने नवंबर 2011 में गिरफ्तार किया था। जर्मन बेकरी बम धमाके के समय वहां के गणपति मंदिर के बाहर बम रखने की कोशिश के मामले में महाराष्ट्र पुलिस कतील को ले गई थी।) आखिरकार भटकल भाइयों के कहने पर इन आतंकियों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर पुणे में जंगली महाराज रोड पर बम धमाके किए। कुल 6 बम रखे गए थे। जिसमें 5 बम फटे । इनमें तीन बम साइकिलों में लगाए गए थे। । असद ने बी कॉम के बाद साफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स किया था। इमरान और सैयद फिरोज 12 वीं तक पढ़े है।
इन तीनों से पूछताछ के आधार पर 10-10-2012 को दिल्ली पुलिस ने जयपुर में इरफान मुस्तफा( राज नगर, अहमद नगर,महाराष्ट्र ) को पकड़ा । पुणे बम धमाकों में इरफान की अहम भूमिका थी। इरफान असद का साला है। पुणे धमाकों के लिए रियाज भटकल ने हवाला से 3 लाख रुपए भेजे थे,वह इरफान ने प्राप्त किए थे। रियाज के कहने पर इरफान ने दो पिस्तौल खरीद कर इमरान को दी थी। फिरोज की वर्कशाप से पुलिस ने पिस्तौल बरामद की। इरफान भी सऊदी अरब में फैयाज कागजी से मिला था। कगजी ने उसे रियाज भटकल से मिलवाया। इरफान ने फिरोज के साथ मिल कर पुणे में कासरवाड़ी में आतंकवादियों के लिए मकान किराए पर लिया। इरफान बम बनाने में माहिर है। इरफान ने इंजीनियरिंग की है। इनसे पूछताछ के आधार पर 23-10-2012 को स्पेशल सेल ने हैदराबाद में सैयद मकबूल उर्फ जुबैर निवासी नांदेड,महाराष्ट्र को पकड़ा गया। असद के फार्म हाऊस पर सैयद ने इन को यूरिया,डीजल औऱ पटाखे के बारूद को मिला कर बम बनाना सिखाया था। सैयद का इरादा बोधगया में फिदायीन हमला करने का था।
जबीउद्दीन महत्वपूर्ण-- इन आतंकियों की गिरफ्तारी सैयद जबीउद्दीन अंसारी(31) उर्फ अबू जिंदाल से पूछताछ के दौरान मिली महत्वपूर्ण सूचनाओं के कारण ही संभव हो पाई।  जबीउद्दीन भारत के लिए डेविड हेडली,तहव्वुर राणा और अजमल कसाब से भी ज्यादा अहम/महत्वपूर्ण है। कसाब को सिर्फ ट्रेनिंग पार्ट की जानकारी थी। हेडली और राणा को मुंबई हमले की साजिश के बारे में पता था। उन्होंने एफबीआई को इस बारे में बताया भी है लेकिन ये दोनों भारत की जांच एजेंसियों की कस्टडी में कभी नहीं रहें। दो साल पहले भारतीय एजेंसियों को इनसे अमेरिका में पूछताछ का मौका मिला था। लेकिन इनसे पूरा सच नहीं जाना जा सका।  लेकिन जबीउद्दीन के रुप में एक  ऐसा शख्स पकड़ में आ गया जो मुंबई हमले की पूरी साजिश का खुलासा कर सकता है और पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने नंगा कर सकता है। जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू हमजा  को 21 जून 2012 को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफतार किया। उसे सउदी अरब से डिपोर्ट करा कर लाया गया। वह रियासत अली के नाम से बने पाकिस्तानी पासपोर्ट पर सउदी अरब में रह रहा  था।
मुख्य साजिशकर्ता -जबीउद्दीन मुंबई में 26-11-2008 को हुए आतंकवादी हमले का एक मुख्य साजिशकर्ता है। हमलावर अजमल कसाब और उसके 9 साथियों को उसने हिंदी सिखाई उनको मुंबई के बारे में जानकारी दी, इन सब को कराची के समुद्र तट से मुंबई के लिए रवाना भी किया। कसाब को मुंबई के सीएसटी स्टेशन का रास्ता भी बताया था।
 कराची में कंट्रोल रूम- कराची में बने लश्कर ए तोएबा के कंट्रोल रूम में बैठ कर जबीउद्दीन मुंबई में हमला कर रहे आतंकवादियों को फोन पर दिशा- निर्देश दे रहा था।उस समय कंट्रोल रूम में लश्कर का सरगना जकी उर रहमान लखवी, अबू अलकामा,खालिद उर्फ वसी,शाहिद उर्फ नदीम, हाफिज सईद और पाक सेना का अफसर भी था। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने वह बातचीत रिकार्ड कर ली थी। जबीउद्दीन  की आवाज के नमूने से उसका मिलान किया जाएगा।जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू हमजा महाराष्ट्र में बीड जिले के गेवराई गांव का निवासी है। उसने बीड में आईटीआई से इलेक्ट्रिशयन का कोर्स किया था। 2003 में वह शहंशाह नगर में बिजली का काम करता था। वहां पर उसकी मुलाकात फैयाज कागजी से हुई। कागजी कालेज में उसका सीनियर था। कागजी ने उसका औरंगाबाद में बीएड में दाखिला कराया था। वहां उसकी आमिर से मुलाकात हुई। कागजी और आमिर ने उसे असलम कश्मीरी से मिलवाया। नवंबर 2005 में कागजी के साथ सैयद जबीउद्दीन अंसारी(31) नेपाल में पाकिस्तानी जुनेद से मिला और भारत में बम धमाके करने के बारे में बातचीत की। पहले सिमी से जुड़ा रहा जबीउद्दीन  गुजरात दंगों का बदला लेना चाहता था।
मुंबई हमले की साजिश- जबीउद्दीन ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि मुंबई हमले की साजिश 2006 में रची गई थी। शुरु में औरंगाबाद,बीड और मालेगांव के युवकों से यह हमला कराया जाना था। फरवरी 2006 में औरंगाबाद में रेलों में बम धमाके की योजना बनाई गई थी।  लेकिन मई 2006 में औरंगाबाद में 16 ए के 47 रायफल,43 किलो आरडीएक्स और 50 हथगोले की एक बड़ी खेप के साथ उनके कई लोग पुलिस की पकड़ में आ गए तो प्लान फेल हो गया। ये हथियार जुनेद ने भेजे थे। जबीउद्दीन उस समय पुलिस को चकमा देकर भाग गया। इसके बाद वह शौकत की मदद से  बंगलादेश गया वहां पर इंडियन मुजाहिद्दीन के नेताओ से मिला। पाकिस्तान के कराची में जैश ए मुहम्मद के चीफ मसूद अजहर और आईएम के रियाज और इकबाल भटकल से मिला था । भटकल भाइयों ने एक दावत दी थी वहीं उसकी मुलाकात आदिल उर्फ अजमल कसाब से हुई थी।  मुरीदके में लश्कर के ट्रेनिंग कैम्प में उसे  और उसके साथ गए 6 अन्य भारतीयों को ट्रेनिंग दी गई। 2007 में फिर से मुंबई हमले की साजिश रची गई और 35 पाकिस्तानियों को ट्रेनिंग में रखा गया। इनमें से कसाब समेत दस को चुना गया। मुजफ्फराबाद के पास एक कैम्प में मुंबई में हमला करने वाले कसाब और 9 अन्य आतंकवादियों को कमांडों जैसा ट्रेंड किया गया। हमले की रिहर्सल भी कराई गई थी।
जबीउद्दीन ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि 26/11 को मुंबई पर हुए हमले को दो महीने पहले सितंबर में अंजाम दिया जाना था। उसने बताया कि सितंबर2008 में कराची से एक बोट  में दस आतंकी  मुंबई हमले के लिए रवाना हुए थे। लेकिन बोट टूटने के कारण उनको वापस लौटना पड़ा।
 जबीउद्दीन ने जिहाद के नाम पर युवकों की भर्ती के लिए 10 ई-मेल आईडी का इस्तेमाल किया था। जबीउद्दीन के खिलाफ दिल्ली,मुंबई और गुजरात में 10 मामले दर्ज है। इनमें 3 बीड़ जिले में दर्ज है। 2003 में एक महिला की हत्या की कोशिश के आरोप में जबीउद्दीन को गिरफतार किया गया था। जबीउद्दीन से मुंबई एटीएस ने 9-5-2006 के औरंगाबाद हथियार बरामदगी केस,26-11-2008 मुंबई हमला,13-2-2010 जर्मन बेकरी ब्लास्ट और नासिक पुलिस अकादमी हमला मामले में पूछताछ की है। 4-10-2012 को जबीउद्दीन को वापस दिल्ली लाया गया। 8-10-2012 से एनआईए ने लश्कर की साजिश के बारे में पूछताछ के लिए जबीउद्दीन को रिमांड पर लिया ।
जबीउद्दीन ने जनवरी 2009 में कराची में निकाह कर लिया। उसका दो साल का एक बेटा भी है। पाकिस्तान पर बढ़ रहे दबाव के कारण बाद में वह  पाकिस्तानी पासपोर्ट पर सउदी अरब भाग गया। 
अमेरिकी दबाव- सऊदी अरब ने अमेरिका के दबाव में जबीउद्दीन को भारत को सौंपा हैं। मुंबई हमले में अमेरिकी भी मारे गए थे। इस लिए अमेरिका ने करीब एक दशक तक अपने मुखबिर रहें हेडली को भी खुद ही गिरफतार किया और अमेरिकी राणा को भी पकड़ा।  22-1-2002 में कोलकाता में अमेरिकन सेंटर पर हमला कराने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन के आफताब अंसारी को भी अमेरिका के दबाव में ही दुबई ने भारत को सौंपा था। अमेरिकी नागरिकों की हत्या करने वालों आतंकवादियों को अमेरिका दुनिया के किसी भी कोने से खोज कर और दबाव डाल कर सजा दिलाने के लिए उस देश के हवाले करवा देता है  लेकिन अमेरिका का दोहरापन है कि हेडली को उसने भारत के हवाले नहीं किया।

असलम कश्मीरी- 25-8-2009 को स्पेशल सेल ने असलम कश्मीरी को गिरफतार किया था।  मुंबई हमले में जबीउद्दीन के शामिल होने के बारे में असलम कश्मीरी से ही पुलिस को पुख्ता जानकारी मिली बताते है। इसके बाद ही पुलिस हमले के भारतीय हैंडलर की पहचान कर सकी थी।   
अबू हमजा और अबू जिंदाल दरअसल जबीउउदीन को लश्कर ए तोएबा के दिए गए नाम है। अबू का अर्थ सेनापति और सारे सेनापतियों का जो सरदार या सरगना या मुखिया होता है उसे हमजा कहा जाता है। आमतौर पर अबू हमजा फिदायीन दस्ते का मुखिया होता है।