Friday 29 December 2023

सोनिया विहार थाने का हवलदार और सिपाही गिरफ्तार, मकान बनाना है तो रिश्वत दो।

 

हवलदार और सिपाही गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के सोनिया विहार थाने के एक हवलदार और एक सिपाही को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि उत्तर पूर्वी जिले के सोनिया विहार थाने में तैनात हवलदार रवींद्र राठी और सिपाही जितेंद्र को शिकायतकर्ता से आठ हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 

 बीस हजार दो-
शिकायतकर्ता राहुल कौशल पुरी में अपनी बहन के पुराने मकान को तोड़ कर नया मकान बना रहा है। हवलदार रवींद्र राठी ने मकान के निर्माण कार्य को रुकवा दिया। हवलदार रवींद्र राठी ने निर्माण कार्य करने देने की एवज़ में बीस हज़ार रुपए रिश्वत मांगी।

परस्पर बातचीत के बाद हवलदार रवींद्र राठी मकान की प्रथम छत (लैंटर) के लिए आठ हज़ार रुपए रिश्वत लेने को तैयार हो गया। 
शिकायतकर्ता ने सीबीआई में शिकायत कर दी। सीबीआई ने आरोपों के सत्यापन के बाद हवलदार रवींद्र राठी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। 

सीबीआई ने जाल बिछाया और हवलदार रवींद्र राठी की ओर से शिकायतकर्ता राहुल से आठ हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए सिपाही जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद हवलदार रवींद्र राठी को भी गिरफ्तार कर लिया।  हवलदार और सिपाही के परिसरों की तलाशी ली गई।







बांग्लादेशी नागरिकों की भारत में घुसपैठ करानेवाले 4 मानव तस्कर गिरफ्तार : एनआईए

बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ 
कराने वाले मानव तस्कर गिरफ्तार 


इंद्र वशिष्ठ, 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 
भारत-बांग्लादेश सीमा पर मानव तस्करों के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए शुक्रवार को त्रिपुरा के रास्ते भारत में अवैध घुसपैठ कराने में शामिल चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया।

इस साल अक्टूबर में गुवाहाटी में एनआईए द्वारा दर्ज मानव तस्करी के मामले के तहत त्रिपुरा पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में यह गिरफ्तारियां की गईं।

एनआईए ने इससे पहले, 8 नवंबर 2023 को मानव तस्करी सिंडिकेट पर देशव्यापी छापेमारी के बाद 29 प्रमुख गुर्गों को गिरफ्तार किया था।
एनआईए की जांच के अनुसार, शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए आरोपी भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित थे और इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए 29 लोगों से जुड़े हुए थे। वे उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा के कई जिलों में सक्रिय सुसंगठित सिंडिकेट से जुड़े रैकेटियर्स के इशारे पर मानव तस्करी की गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। सिंडिकेट का नेटवर्क भारत के अन्य हिस्सों में स्थित गुर्गों से भी जुड़ा हुआ था।

जांच से यह भी पता चला है कि गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी भारत में बांग्लादेशी मूल के व्यक्तियों की अवैध घुसपैठ की सुविधा के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से सक्रिय तस्करों के साथ समन्वय कर रहे थे।

एनआईए की जांच से पता चला है कि आरोपी सीमा पार से भारत में तस्करी करके लाए गए व्यक्तियों के लिए जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों की भी व्यवस्था कर रहे थे।

भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संचालित संगठित मानव तस्करी सिंडिकेट के बारे में विश्वसनीय सूचना के बाद एनआईए द्वारा 6 अक्टूबर 2023 को मामला दर्ज किया गया था। एनआईए को जानकारी मिली थी कि विदेशी मूल के व्यक्तियों को भारत के विभिन्न हिस्सों में बसाने के इरादे से अवैध रूप से तस्करी की जा रही है।

मानव तस्करी सिंडिकेट के देश के विभिन्न हिस्सों और सीमा पार सक्रिय अन्य मददगारों और तस्करों के साथ संबंध पाए गए। इन संबंधों की पहचान भारत-बांग्लादेश सीमा के माध्यम से मानव तस्करी गतिविधियों में लगे एक बड़े नेटवर्क के हिस्से के रूप में की गई थी। 



Wednesday 27 December 2023

मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) गैर कानूनी संगठन घोषित

मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) गैर कानूनी संगठन घोषित


इंद्र वशिष्ठ, 
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया है। 

 गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ये संगठन और इसके सदस्य जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी गतिविधियों मे शामिल हैं और आतंकी गतिविधियों और लोगों को भड़का कर वहां इस्लामिक शासन स्थापित करने को समर्थन देने में लिप्त हैं। 
इस संगठन के सदस्य लोगों को भड़का कर जम्मू और कश्मीर में इस्लामिक शासन स्थापित करना चाहते हैं, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए हानिकारक है।

इस संगठन के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए), भारतीय दंड संहिता, आर्म्स एक्ट और रनबीर दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
 सरकार ने गैर कानूनी गतिविधि  (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत इस संगठन को गैरकानूनी संगठन घोषित किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार का संदेश एकदम स्पष्ट है कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के तहत कठोरतम सज़ा दी जाएगी। 
आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के तहत, गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023 में अब तक 4 संगठनों को आतंकी संगठन, 6 व्यक्तियों को आतंकवादी और 2 संगठनों को गैर कानूनी संगठन घोषित किया जा चुका है। 









 

Thursday 21 December 2023

अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले कानून बदल गए, तीन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है ।




अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले कानून बदल गए

तीन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है ।


इंद्र वशिष्ठ

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया। सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित कर दिया। लोक सभा ने बुधवार, 20 दिसंबर 2023 को इन विधेयकों को पारित कर दिया था। 
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में नए युग की शुरूआत-
चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि संसद से ये तीनों विधेयक पारित होने पर भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगा । उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों को वर्ष 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज़ों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था और इनमें कहीं भारतीय नागरिकों, उनके सम्मान, मानवाधिकारों की सुरक्षा और निर्बल को संरक्षण देने की व्यवस्था नहीं थी।  पुराने कानूनों में मानव वध और महिला के साथ दुर्व्यवहार को प्राथमिकता न देकर खज़ाने की रक्षा, रेलवे की रक्षा और ब्रिटिश ताज की सलामती को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा कि आज प्रस्तुत इन तीनों विधेयकों का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए सिस्टम से गवर्न होगी। 
150 साल पुराने कानूनों में परिवर्तन-
 अमित शाह ने कहा कि  आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले लगभग 150 वर्ष पुराने तीनों कानूनों में पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान औऱ भारत की जनता की चिंता करने वाले परिवर्तन किए गए हैं।  1860 में बने भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था।  अब उसकी जगह भारतीय़ न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएंगे। 
उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।
मानव हत्या और महिला सुरक्षा की दिशा में न्याय नहीं, बल्कि अंग्रेजों के खजाने और ब्रिटिश ताज की रक्षा ही पुराने कानून की प्राथमिकता थी। 
इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है।

 नए कानूनों के प्रमुख अंश-

भारतीय न्याय संहिता- 
इसमें 358 धाराएं होंगी  (IPC की 511 धाराओं के स्थान पर)
20 नए अपराधों को जोड़ा गया है,
33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है, 
83 अपराधों में जुर्माने की सजा राशि को बढ़ाया गया है, 
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है, 
6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरु किया गया है। 
19 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
इसमें 531 सेक्शन होंगे (CrPC की 484 धाराओं के स्थान पर) 
कुल 177 प्रोविजन में बदलाव हुआ है, 
9 नए सेक्शन, 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं तथा 
44 नए प्रोविजन तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए है
35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है
35 जगह पर ऑडियो-विडियो का प्रावधान जोड़ा गया है 
14 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 
इसमें 170 धाराएं होंगी (मूल 167 धाराओं के स्थान पर) 
कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है, 
2 नई धारा, 6 उप-धाराएँ जोड़ी गई हैं तथा
6 धाराएँ निरस्त/हटा दी गई हैं।
भारतीय न्याय संहिता : 
प्रमुख फीचर भारतीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता ( प्रायोरिटी)। 
ब्रिटिश शासन को मानव-वध या महिलाओं पर अत्याचार से महत्त्वपूर्ण राजद्रोह और खजाने की रक्षा थी 
इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है।
इन कानूनों की प्राथमिकता ( प्रायोरिटी) भारतीयों को न्याय देना है, उनके मानवाधिकारों की रक्षा करना  है। 
महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध-
भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए 'महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध' नामक एक नया अध्याय पेश किया है। इस विधेयक में 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रावधान (प्रोविजन) में बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है। नाबालिग महिलाओं के सामूहिक बलात्कार को पॉक्सो के साथ सुसंगत बनाता है।
18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दण्‍ड का प्रावधान किया गया है।
 गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान। 
18 वर्ष से कम उम्र की लड़की/ स्‍त्री के साथ सामूहिक बलात्कार का एक नयी अपराध केटेगरी। 
धोखे से यौन संबंध बनाने या विवाह करने के सच्‍चे इरादे के बिना विवाह करने का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान करता है। 
 आतंकवाद-
भारतीय न्याय संहिता में पहली बार टेररिज्म की व्याख्या की गई है। इसे दंडनीय अपराध बना दिया गया है।
व्याख्या : भारतीय न्याय संहिता खंड 113. (1) “जो कोई, भारत की एकता, अखंडता, संप्रभूता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या प्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के आशय से या भारत में या किसी विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के आशय से बमों, डाइनामाइट, विस्फोटक पदार्थों, अपायकर गैसों, न्यूक्लीयर का उपयोग करके ऐसा कार्य करता है, जिससे, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है, संपत्ति की हानि होता है, या करेंसी के निर्माण या उसकी तस्करी या परिचालन तो वह आतंकवादी कार्य करता है।
आतंकी कृत्‍य मृत्‍युदंड या आजीवन कारावास के साथ दंडनीय है जिसमें पैरोल नहीं होगा; 
आतंकी अपराधों की एक श्रृंखला भी पेश की गई है।
सार्वजनिक सुविधाओं या निजी संपत्ति को नष्ट करना अपराध है, 
ऐसे कृत्यों को भी इस खंड के तहत शामिल किया गया है जिनसे 'महत्वपूर्ण अवसंरचना की क्षति या विनाश के कारण व्यापक हानि' होती है। 
संगठित अपराध (ऑर्गनाइज्ड क्राइम) 
संगठित अपराध से संबंधित एक नई दांडिक धारा जोड़ी गई है। 
भारतीय न्याय संहिता 111. (1) में पहली बार संगठित अपराध की व्याख्या की गई है 
सिंडिकेट से की गई विधिविरुद्ध गतिविधि को दंडनीय बनाया है। 
नए प्रावधानों में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां अथवा भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य को जोड़ा गया है। 
छोटे संगठित अपराधों को भी अपराध घोषित किया गया है, जिसके लिए 7 साल तक की कैद हो सकती है। इससे संबंधित प्रावधान खंड 112 में हैं। 
आर्थिक अपराध की व्याख्या भी की गई है : करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टापों का हेरफेर, कोई स्कीम चलाना या किसी बैंक/वित्तीय संस्था में गड़बड़ ऐसे कृत्य शामिल है; 
संगठित अपराध में, किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो आरोपी को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा 
जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा।
संगठित अपराध में सहायता करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है। 
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रावधान-
मॉब लिंचिंग का नया प्रावधान : नस्‍ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर की गई हत्‍या से संबंधित अपराध का एक नया प्रावधान सम्मिलित किया गया है जिसके लिये आजीवन कारावास अथवा मृत्‍युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है। 
स्नैचिंग का भी एक नया प्रावधान-
गंभीर चोट के कारण लगभग निष्क्रिय स्थिति में जाने अथवा स्थाई रूप से विकलांग होने पर अब और अधिक कठोर दंड दिये जाएंगे।
 पीड़ित केंद्रित ( विक्टिम-सेंट्रिक) 
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में विक्टिम-सेंट्रिक सुधार के 3 प्रमुख फीचर्स होते है:
पार्टिसिपेशन का अधिकार (विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका, BNSS 360)
इनफार्मेशन का अधिकार (BNSS खंड 173, 193 और 230), नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार और यह तीनों फीचर्स नए कानूनों में सुनिश्चित किये गए है। 
जीरो एफआईआर कहीं भी-
जीरो FIR दर्ज करने की प्रथा को संस्थागत बना दिया गया है (BNSS 173)
FIR कहीं भी दर्ज कर सकते हैं, भले ही अपराध किसी भी इलाके में हुआ हो।
पीड़ित (विक्टिम) के सूचना के अधिकार
विक्टिम को FIR की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार।
पीड़ित को 90 दिनों के भीतर जांच में प्रगति के बारे में सूचित करना ।
पीड़ितों को पुलिस रिपोर्ट, FIR, गवाह के बयान आदि के अनिवार्य प्रावधान के माध्यम से उनके मुकदमे के ब्‍योरे की जानकारी का एक महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है।
जांच और मुकदमे के विभिन्न चरणों में पीड़ितों को जानकारी प्रदान करने के लिए उपबंध शामिल किए गए हैं।
 देशद्रोह- राजद्रोह – सेड़ीशन को पूर्णतः हटा दिया गया है।
भारतीय न्याय संहिता धारा 152 में अपराध : 
अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना है 
भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; 
IPC धारा 124क में “सरकार के खिलाफ” की बात की गयी है, मगर भारतीय न्याय संहिता धारा 152 “भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता” की बारे में हैं
IPC में ‘आशय या प्रयोजन’ की बात नहीं थी, लेकिन नए कानून में देशद्रोह के डिफिनेशन में ‘आशय’ की बात है, जिसमें अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के लिए सेफ़गार्ड प्रोवाइड करता है 
अब घृणा, अवमानना जैसे शब्दों को हटाकर ‘सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियाँ, अलगाववादी गतिविधियां’ जैसे शब्द सम्मिलित किये गए है। 
भारतीय न्याय संहिता धारा 152: 
“जो कोई, जानबूझकर या प्रयोजन पूर्वक, बोले गए या लिखे गए शब्दों से, या संकेतों द्वारा, या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा, या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों के उपयोग से, या अन्यथा, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है तो उसे आजीवन कारावास या कारावास जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।“
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रमुख फीचर-
टाइम-लाइन : 
आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच, आरोप पत्र, मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही, कोग्निज़ंस, चार्जेज, प्ली बारगेनिंग, सहायक लोक अभियोजक की नियुक्ति, ट्रायल, जमानत, जजमेंट और सजा, दया याचिका आदि के लिए एक समय-सीमा निर्धारित की गई है।
35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है, जिससे स्पीडी डिलीवरी ऑफ़ जस्टिस संभव होगी। 
तीन दिनों के भीतर FIR -
BNSS में, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के माध्यम से शिकायत देने वाले व्यक्ति द्वारा तीन दिनों के भीतर FIR को रिकॉर्ड पर लिया जाना होगा। 
यौन उत्पीड़न के पीड़ित की चिकित्सा जांच रिपोर्ट मेडिकल एग्जामिनर द्वारा 7 दिनों के भीतर जांच अधिकारी को फॉरवर्ड की जाएगी।
पीड़ितों/मुखबिरों को जांच की स्थिति के बारे में सूचना 90 दिनों के भीतर दी जाएगी।
60 दिनों में आरोप तय-
आरोप तय करने का काम सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा आरोप की पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर किया जाना होगा। 
मुकदमे में तेजी लाने के लिए, अदालत द्वारा घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति में मुकदमा शुरू करना आरोप तय होने से 
90 दिनों के भीतर होगा। 
किसी भी आपराधिक न्यायालय में मुकदमे की समाप्ति के बाद निर्णय की घोषणा 45 दिनों से अधिक नहीं होगी।
सत्र न्यायालय द्वारा बरी करने या दोषसिद्धि का निर्णय बहस पूरी होने से 30 दिनों के भीतर होगा, जिसे लिखित में मेंशनड कारणों के लिए 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। 
महिलाओं के प्रति अपराध 
e-FIR के माध्यम से महिलाओं के प्रति अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पेश करता है। संवेदनशील अपराधों की त्वरित रिपोर्टिंग में सहायता करता है। 
नए विधेयक उन संज्ञेय अपराधों के लिए e-FIR की भी अनुमति देते हैं जहां आरोपी अज्ञात होता है। 
इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पीड़ितों को अपराध की रिपोर्ट करने के लिए एक विवेकशील अवसर प्रदान करता है। 
जांच की प्रगतिशिकायतकर्ता को सूचना और इलेक्ट्रॉनिक पारदर्शिता
पारंपरिक प्रचलन से हटकर पुलिस के लिए सख्‍ती से 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के संबंध में शिकायतकर्ता को बताना जरूरी है।
समय पर ट्रायल: स्थगन और समयसीमा का मार्गदर्शन
न्यायिक क्षेत्र में दो चीज़ों पर बल दिया जा रहा है - सुनवाई में तेजी लाना और अनुचित स्थगन पर अंकुश लगाना। 
धारा 392(1) में 45 दिनों के भीतर निर्णय की बात करते हुए मुकदमे को खत्‍म करने के लिए बेहतर ढंग से एक समयसीमा निर्धारित की गई है। 
न्याय में विलंब का अर्थ न्याय से वंचित होना है।
टैक्‍नोलॉजी के इस्‍तेमाल को बढ़ाना: दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रक्रिया बनाना। 
क्राइम सीन – इन्वेस्टीगेशन – ट्रायल तक सभी चरणों में टेक्नोलॉजी का उपयोग  
पुलिस जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी, 
सबूतों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा 
विक्टिम और आरोपियों दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी।
यह क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 
FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट तथा जजमेंट सभी डिजिटाइज्ड हो जायेंगे।
सभी पुलिस थानों और न्यायालयों द्वारा एक रजिस्टर द्वारा ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर अथवा ऐसा कोई अन्य विवरण रखा जाएगा। 
एविडेंस, तलाशी व जब्ती में रिकॉर्डिंग
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य 
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग 'अविलंब' मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए।
फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की आवश्यकता।
पुलिस जांच के दौरान दिए गए किसी भी बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग का विकल्प। 
फोरेंसिक 
7 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में 'फोरेंसिक एक्सपर्ट' द्वारा क्राइम सीन पर फोरेंसिक एविडेंस कलेक्शन अनिवार्य । 
इससे क्वालिटी ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन में सुधार होगा और 
इन्वेस्टीगेशन साइंटिफिक पद्धति पर आधारित होगी। 
100%  सज़ा दर(कन्विक्शन रेट) का लक्ष्य । 
सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक के इस्तेमाल को जरूरी । 
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष के भीतर तैयार की जानी है। 
इनिशिएटिवज 
नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) की स्थापना पर फोकस
NFSU के कुल 7 परिसर +2 ट्रेनिंग अकादमी 
(गांधीनगर, दिल्ली, गोवा, त्रिपुरा, गुवाहाटी, भोपाल, धारवाड़)
CFSL पुणे एवं भोपाल में नेशनल फोरेंसिक साइंस अकादमी की शुरुआत 
चंडीगढ़ में अत्याधुनिक DNA विश्लेषण सुविधा का उद्घाटन
सर्च और जब्ती
पुलिस द्वारा सर्च और जब्ती की कार्यवाही करने के लिए भी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। 
पुलिस द्वारा सर्च करने की पूरी प्रक्रिया अथवा किसी संपत्ति का अधिगृहण करने में  इलेक्ट्रानिक डिवाइस के माध्यम से वीडियोग्राफी। 
पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग बिना किसी विलंब के संबंधित मैजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी।
पुलिस की अकाउंटेबिलिटी : चेक एंड बैलेंस 
गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना प्रदर्शित करना: 
राज्य सरकार को एक पुलिस अधिकारी को नामित करने के लिए अतिरिक्त दायित्व दिया है जो सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार लोगों के संबंध में जानकारी एकत्र करने के लिए जिम्मेदार होगा। 
ऐसी जानकारी को प्रत्येक पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना भी आवश्यक है।  
प्रक्रियाओं को सरल बनाना
अब छोटे-मोटे मामलों में समरी ट्रायल द्वारा तेजी लाई जाएगी।
कम गंभीर मामलों, चोरी, चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करना अथवा रखना, घर में अनधिकृत प्रवेश, शांति भंग करने, आपराधिक धमकी आदि जैसे मामलों, के लिए समरी ट्रायल को अनिवार्य बनाया गया है। 
उन मामलों में जहां सजा 3 वर्ष (पूर्व में 2 वर्ष) तक है, मजिस्ट्रेट लिखित रूप में दर्ज कारणों के अंतर्गत ऐसे मामलों में समरी ट्रायल कर सकता है।
सिविल सर्वेन्ट्स के विरुद्ध प्रॉसिक्यूशन चलाने के लिए सहमति या असहमति पर सक्षम अधिकारी 120 दिनों के अंदर निर्णय लेगा, यदि ऐसा न हो, तो यह मान लिया जाएगा कि अनुमति प्रदान हो गई है।
सिविल सर्वेन्ट्स, एक्सपर्ट्स, पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य उसका प्रभार धारण करने वाला व्यक्ति ऐसे दस्तावेज या रिपोर्ट पर टेस्टीमनी दे सकेगा। 
अंडर ट्रायल कैदी
कोई व्यक्ति पहली बार अपराधी है, और ‘एक तिहाई कारवास’ काट चूका है, तो उसे अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
जहां विचाराधीन कैदी ‘आधी या एक तिहाई अवधि’ पूरी कर लेता है, जेल अधीक्षक अदालत को तुरंत लिखित में आवेदन दे।
विचाराधीन कैदी को आजीवन कारावास या मौत की सजा में रिहाई उपलब्ध नहीं होगी 
नई विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम-
राज्य सरकार राज्य के लिए एक एविडेंस प्रोटेक्शन स्कीम तैयार करेगी और नोटिफाईड भी की जाएगी । 
घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की-
10 वर्ष अथवा अधिक की सजा अथवा आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड की सजा वाले मामलों में दोषी को घोषित अपराधी (प्रोक्लेम्डल ऑफेंडर) घोषित किया जा सकता है। 
घोषित अपराधियों के मामलों में, भारत से बाहर की संपत्ति की कुर्की और जब्ती के लिए एक नया प्रावधान किया गया है। 
पहले केवल 19 अपराधों में ही प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित हो सकते थे, अब इसमें 120 अपराधों  को दायरे में लाया गया है  
जिसमें बलात्कार के अपराध को शामिल किया गया है, जो पहले शामिल नहीं था
संपत्तियों का निपटान-
देश के पुलिस स्टेशनों में बड़ी संख्या में केस संपत्तियां पड़ी रहती हैं। 
जांच के दौरान, अदालत या मजिस्ट्रेट द्वारा संपत्ति का विवरण तैयार करने और फोटोग्राफ/वीडियोग्राफी के बाद भी ऐसी संपत्तियों के त्वरित निपटान का प्रावधान किया गया है 
फोटो या वीडियोग्राफी किसी भी जांच, परीक्षण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। 
फोटो खींचने/वीडियोग्राफी करने  के 30 दिनों के भीतर, संपत्ति के निपटान, डिस्ट्रक्शन, जब्ती या वितरण का आदेश देगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम बड़ा (मेजर) परिवर्तन-
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रिकार्ड,
ईमेल, सर्वर लॉग्स, कंप्यूटर पर उपलब्ध दस्तावेज, स्मार्टफोन या लैपटॉप के मैसेजेज, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य। 
इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड 'दस्तावेज़' की परिभाषा में शामिल। 
इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान 'साक्ष्य' की परिभाषा में शामिल हैं
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मानने के लिए और अधिक मानक जोड़े गए, जिसमें इसकी उचित कस्टडी-स्टोरेज-ट्रांसमिशन-ब्रॉडकास्ट पर जोर दिया गया।
दस्तावेजों की जांच करने के लिए मौखिक और लिखित स्वीकारोक्ति और एक कुशल व्यक्ति के साक्ष्य को शामिल करने के लिए और अधिक प्रकार के माध्यमिक साक्ष्य जोड़े गए, जिनकी जांच अदालत द्वारा आसानी से नहीं की जा सकती है।
साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की कानूनी स्वीकार्यता, वैधता और प्रवर्तनीयता स्थापित की गई।





ढाई लाख रुपए लेते हुए डाकघर का सुपरिटेंडेंट गिरफ्तार: सीबीआई


ढाई लाख रुपए लेते हुए सुपरिटेंडेंट गिरफ्तार 

इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने डाकघर के वरिष्ठ सुपरिटेंडेंट को
2.5 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि शिकायतकर्ता से 2.5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग करने एवं  स्वीकार करने पर  भीमावरम मण्डल,पश्चिम गोदावरी जिला (आंध्र प्रदेश) में डाक घर के वरिष्ठ सुपरिटेंडेंट पी बालासुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर वरिष्ठ डाकघर सुपरिटेंडेंट पी बालासुब्रमण्यम, भीमावरम मण्डल, पश्चिम गोदावरी जिला (आंध्र प्रदेश) के विरुद्ध मामला दर्ज किया।  आरोप है  कि वरिष्ठ सुपरिटेंडेंट पी बालासुब्रमण्यम  ने शिकायतकर्ता के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होने के आधार पर उसको 30.11.2023 को निलंबित करने का आदेश जारी किया,  जबकि यह मामला अदालत में चल रहा था।
आरोप है कि शिकायतकर्ता से उसका निलंबन रद्द करने के लिए आरोपी वरिष्ठ
सुपरिटेंडेंट पी बालासुब्रमण्यम ने प्रारम्भ में 10 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। परस्पर  बातचीत के पश्चात, आरोपी ने कथित तौर पर रिश्वत की राशि घटाकर 2.5 लाख रुपए कर दी।
सीबीआई ने जाल बिछाया एवं  आरोपी को शिकायतकर्ता से 2.5 लाख रुपए  की रिश्वत स्वीकार करने के दौरान  रंगे हाथों पकड़ा। आरोपी  के आवासीय एवं कार्यालयी परिसरों में तलाशी ली गई, जिससे आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।

वरिष्ठ सुपरिटेंडेंट पी बालासुब्रमण्यम को विजयवाड़ा में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। 





Wednesday 20 December 2023

NIA के 84 में से 81 मामलों में सजा हुई

एनआईए के 84 में से 81 मामलों में सजा हुई 

इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा की गई 81 मामलों की तफ्तीश अदालत में सही साबित हुई है। 

अदालत द्वारा पिछले 5 साल के दौरान 84 मामलों में निर्णय/फैसला दिया गया है, जिनमें से 81 मामलों में अभियुक्तों को सजा हुई है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में सांसद शंभू शरण पटेल और दीपक प्रकाश द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। 

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में बताया कि 1 दिसंबर 2018 से 2023 ( 30 नवंबर 2023 तक) के दौरान, अदालत द्वारा  84 मामलों में निर्णय दिया गया है, जिनमें से, 81 मामलों में आरोपियों की दोषसिद्धि/ सजा हुई है। 3 मामलों में आरोपी को अदालत द्वारा बरी/दोष मुक्त किया गया है। 
साल 2023 में (30 नवंबर तक) 15 मामलों में अदालत ने फैसला सुनाया और 15 मामलों में ही आरोपियों को सज़ा हुई है।

गृह राज्य मंत्री ने बताया कि‌ केंद्र सरकार ने 1 दिसंबर 2018 से 2023 ( 30  नवंबर 2023 तक) के दौरान एनआईए को जांच के लिए 324 मामले सौंपें हैं।








Monday 18 December 2023

एनआईए ने आईएसआईएस के 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया, बम बनाने का सामान बरामद।


एनआईए ने आईएसआईएस के 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया



इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को चार राज्यों में 19 स्थानों पर छापेमारी की और प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के बेल्लारी मॉड्यूल के सरगना मिनाज समेत आठ आतंकियों/ गुर्गों को गिरफ्तार किया है। इन आतंकियों का इरादा बम धमाके (आईईडी विस्फोट) करने का था। इनके पास से बम बनाने का सामान भी बरामद हुआ है। 
बेल्लारी गिरोह-
ये सभी आईएसआईएस के बेल्लारी गिरोह के
सरगना मिनाज़ उर्फ ​​मोहम्मद सुलेमान के नेतृत्व में प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के आतंक और आतंक से संबंधित कृत्यों और गतिविधियों को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल थे। 
एनआईए ने सोमवार को सुबह कर्नाटक के बेल्लारी, बेंगलुरु , महाराष्ट्र में अमरावती, मुंबई, पुणे, झारखंड में जमशेदपुर, बोकारो और दिल्ली समेत कुल 19 स्थानो पर छापेमारी की। 
सरगना मिनाज उर्फ मोहम्मद सुलेमान और सैय्यद समीर को बेल्लारी, अनस इकबाल शेख को मुंबई, मोहम्मद मुनीरुद्दीन, सैय्यद समीउल्ला उर्फ समी, मोहम्मद मुजाम्मिल को बेंगलुरु, श्यान रहमान उर्फ हुसैन को दिल्ली और मोहम्मद शाहबाज़ उर्फ जुल्फिकार उर्फ गुड्डू को जमशेदपुर से गिरफ्तार किया गया है।
बम बनाने का सामान-
छापेमारी में आईईडी/बम बनाने का कच्चा सामान जैसे सल्फर, पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल, गनपाउडर, चीनी और इथेनॉल , तेज धार वाले हथियार, बेहिसाब नकदी और आपत्तिजनक दस्तावेजों के साथ-साथ स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए।
एनआईए की प्रारंभिक जांच के अनुसार, आरोपियों ने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए आईईडी/ बम के निर्माण के लिए विस्फोटक कच्चे माल का उपयोग करने की योजना बनाई थी। 
निशाने पर छात्र-
ये आरोपी हिंसक जिहाद, खिलाफत, आईएसआईएस आदि के रास्ते पर चलते हुए एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए लगातार एक-दूसरे के संपर्क में थे। ये आतंकवाद के लिए भर्ती के उद्देश्य से विशेष रूप से कॉलेज के छात्रों को निशाना बना रहे थे, और जिहाद के उद्देश्य से मुजाहिदीन की भर्ती से संबंधित दस्तावेज़ भी प्रसारित कर रहे थे।

एनआईए का अभियान-
सोमवार को की गई छापेमारी भारत के खिलाफ इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की आतंकवाद विरोधी साजिश को नष्ट करने के एनआईए के प्रयासों का हिस्सा थी। 
एनआईए ने 14 दिसंबर, 2023 को आईएसआईएस से प्रेरित बेल्लारी मॉड्यूल के खिलाफ मामला दर्ज किया था। तब से, वह इस मॉड्यूल के सदस्यों को ट्रैक करने और पकड़ने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
एनआईए बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रही है और हाल के महीनों में विभिन्न आईएसआईएस मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। एनआईए ने 9 दिसंबर को भी आईएसआईएस के 15 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। 












Friday 15 December 2023

एनआईए ने दिल्ली और बिहार से 2 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, हथियार, 3 लाख रुपए, सेना की वर्दी बरामद।


एनआईए ने दिल्ली और बिहार से 2 नक्सलियों को गिरफ्तार किया

इंद्र वशिष्ठ, 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रंगदारी और लेवी वसूलने के मामले में आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के खिलाफ शुक्रवार को चार राज्यों में छापेमारी के दौरान दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। दो पिस्तौल, 3 लाख रुपए, भारतीय सेना की वर्दी, आभूषण,मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पेन ड्राइव, डीवीआर, दस्तावेज आदि बरामद हुए है। 
एनआईए द्वारा शुक्रवार को झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली में इस संगठन और आरोपियों से जुड़े कुल 23 स्थानों की तलाशी ली गई। इनमें झारखंड में 19 , बिहार (पटना जिला) और मध्य प्रदेश (सिद्धि जिला) में एक-एक स्थान और नई दिल्ली में दो स्थान शामिल हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बिहार निवासी रमन कुमार सोनू उर्फ ​​सोनू पंडित और दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले के निवासी निवेश कुमार के रूप में हुई। भारत के विभिन्न राज्यों में पीएलएफआई के नेताओं, कैडरों और समर्थकों द्वारा जबरन वसूली / लेवी वसूली से संबंधित मामले में एनआईए द्वारा दर्ज एफआईआर में दोनों आरोपियों का नाम शामिल है।
पीएलएफआई कैडरों द्वारा जबरन वसूली के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण की जानकारी के बाद एनआईए ने 11 अक्टूबर 2023 को आईपीसी और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

एनआईए की अब तक की जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित संगठन के कैडर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विभिन्न कोयला व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, रेलवे ठेकेदारों और व्यापारियों से जबरन वसूली के माध्यम से धन जुटाने में शामिल थे। 
ये सुरक्षा बलों पर हमले, हत्या, आगजनी और समाज में आतंक पैदा करने के लिए विस्फोटकों/आईईडी का इस्तेमाल करने और विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश भी रच रहे थे।
जांच के अनुसार, पीएलएफआई कैडर लेवी वसूलने के अलावा अन्य नापाक गतिविधियों जैसे भर्ती, हथियारों और गोला-बारूद की खरीद में भी शामिल थे।
एनआईए  को जांच से यह भी पता चला है कि पीएलएफआई के नेता, कैडर और समर्थक झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और अन्य पीएलएफआई प्रभावित राज्यों में संगठन को पुनर्जीवित और विस्तारित करने की साजिश रच रहे थे।




Wednesday 13 December 2023

संसद में सांसदों ने कानून की धज्जियां उड़ाई, पिटाई करने वाले सांसदों के ख़िलाफ़ FIR कब होगी ? संसद की सुरक्षा का दावा धुएं में उड़ा। कमिश्नर, आईपीएस की काबलियत/ साख दाव पर।


तानाशाही नहीं चलेगी, लोकतंत्र बचाओ 

कानून बनाने वालों ने संसद में ही कानून हाथ में लिया


इंद्र वशिष्ठ
संसद की सुरक्षा में हुई गंभीर चूक ने दिल्ली पुलिस के सुरक्षा संबंधित दावों की तो धज्जियां उड़ा ही दी। दूसरी ओर पुलिस इस मामले में कानून और तफ्तीश के बुनियादी सिद्धांतों /प्रक्रिया का ईमानदारी से पालन करती हुई भी नहीं दिख रही है। 
कमिश्नर की भूमिका-
इससे दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अधिकारियों की पेशेवर काबलियत और भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है। 
पुलिस ने लोकसभा के अंदर और संसद के बाहर सड़क पर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने के लिए हानिरहित धुएं का इस्तेमाल करने वाले आरोपियों के ख़िलाफ़ तो गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) जैसे अति कड़े कानून तक में मामला दर्ज कर दिया। क्या यह यूएपीए कानून का सरासर दुरूपयोग नहीं है? क्या सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना आतंकी गतिविधि या देशद्रोह होता है? 
पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा बताएं कि लोकसभा में आरोपियों की बेरहमी से पिटाई करने वाले सांसदों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज क्यों नही किया ? 
पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अधिकारियों ने संविधान और कानून को ईमानदारी और बिना भेदभाव के लागू करने की जो शपथ ली थी, अब उस पर खरा उतर कर दिखाएं। 
यह घटना अगर वाकई में संसद की सुरक्षा में गंभीर चूक का मामला है। तो फिर गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पुलिस कमिश्नर समेत संबंधित आईपीएस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई अभी तक क्यों नहीं की गई। 
तानाशाही बंद करो-
दो युवकों ने लोकसभा में दर्शक दीर्घा से सदन में कूद कर और रंगीन गैस का छिड़काव कर धुआं फैला कर सनसनी फैला दी। कुछ सांसदों ने दोनों युवकों को दबोचा और उनकी जमकर पिटाई करने के बाद सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया गया। युवकों ने तानाशाही नहीं चलने देंगे, काले कानून खत्म करो, लोकतंत्र बचाओ आदि नारे लगाए। कुछ सांसद जब इन निहत्थे युवकों को पीट रहे थे, तब इन युवकों ने कहा कि हम देश प्रेमी हैं, हमें मारो मत, हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं।
सांसदों ने कानून हाथ में लिया-
 इन युवकों ने जो किया, उसके लिए तो उन्हें कानून के अनुसार सज़ा मिलेगी ही। लेकिन इस मामले में आरोपी की पिटाई करने वाले कथित बहादुर सांसदों के आचरण ने संसद की मर्यादा को भी तार तार कर दिया। कई सांसदों ने इन दोनों युवकों को बुरी तरह पीट कर कानून को अपने हाथ में लेने का अपराध किया है। सांसद हनुमान बेनीवाल, मलूक नागर तो बड़ी बेशर्मी से पिटाई करने की बात मीडिया में बोले भी हैं। निहत्थे आरोपी की पिटाई करने वाले कथित बहादुर सांसदों द्वारा युवकों की पिटाई करते समय का वीडियो और उनके बयान से भी साफ साबित हो जाता है कि सांसदों ने अपराध किया है।
विशेषाधिकार की ढाल-
कानून तो किसी को भी किसी की पिटाई करने की इजाज़त नहीं देता है। फिर चाहे पिटाई करने वाले विशेषाधिकार प्राप्त सांसद ही क्यों न हो। ऐसे में इन सांसदों के ख़िलाफ़ भी तो मुकदमा दर्ज होना ही चाहिए। कानून तो बिना भेदभाव के किए हरेक पर समान रूप से लागू होना चाहिए। लोकतंत्र के मंदिर में कानून बनाने वाले सांसदों द्वारा ही कानून अपने हाथ में लेना शर्मनाक है। सांसदों को विशेषाधिकार रुपी ढाल मिलती है। लेकिन विशेषाधिकार की यह ढाल उन्हें सदन में भी किसी को पीटने की/अपराध करने की इजाज़त तो नहीं देती है। 
लोकसभा अध्यक्ष कार्रवाई करें-
देश में अगर वाकई संविधान/कानून का राज है तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को स्वयं आगे बढ़ कर कानून हाथ में लेने वाले, संसद की गरिमा को गिराने वाले इन सांसदों के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस से कहना चाहिए। 
पुलिस की डयूटी-
वैसे तो यह पुलिस का ही कर्तव्य है  कि किसी भी अपराध की सूचना मिलने पर वह ईमानदारी से एफआईआर दर्ज करके तफ्तीश करे। लेकिन अफ़सोस पुलिस ऐसा करती  दिखाई नहीं देती। दोनों युवकों की पिटाई की गई है पुलिस ने उनकी मेडिकल जांच तो कराई ही होगी। इन युवकों को जो चोटें लगी, वह कैसे लगी और किस ने उनको पीटा यह सब भी तो तफ्तीश में शामिल किया जाना चाहिए, वरना पुलिस की तफ्तीश पर ही सवालिया निशान लग जाएगा। तफ्तीश तो तभी सही, निष्पक्ष और पारदर्शी मानी  जाएगी जब पिटाई करने वाले सांसदों के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। 
अगर आम जनता किसी संदिग्ध व्यक्ति/ आरोपी को पकड़ कर उसकी पिटाई कर देती है तो पुलिस जनता के ख़िलाफ़ तो तुरंत एफआईआर दर्ज कर देती है। 
मैसूर से भाजपा के लोकसभा सांसद प्रताप सिम्हा ने अभियुक्त सागर शर्मा (लखनऊ)  और मनोरंजन (कर्नाटक ) का संसद की कार्यवाही देखने का पास बनवाया था। 

संसद की सुरक्षा में चूक का मामला ऐसे वक्त में आया है, जब आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में नौ जवान शहीद हुए थे।
संसद में 13 दिसंबर 2023 की घटना ने 8 अप्रैल 1929 को शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा असेम्बली में बम फेंकने की घटना की याद ताजा कर दी। 
असेम्बली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह ने कहा था कि- 
बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है।

संसद की सुरक्षा में चूक की के कुछ मामले-

वर्ष 2016 में सांसद भगवंत मान ने संसद में दाखिल होते समय सुरक्षा व्यवस्था का लाइव प्रसारण कर दिया। जांच कमेटी ने इसे सुरक्षा में गंभीर चूक माना था। 
काली मिर्च स्प्रे-
13 फरवरी 2014 को  तत्कालीन कांग्रेस सांसद एल राजगोपाल  ने सदन में  मिर्च स्प्रे छिड़क दिया था। आंध्र प्रदेश से तेलंगाना को अलग करने के कानून का विरोध  करने के दौरान सांसदों ने संसद की मर्यादा को तार तार कर दिया। माइक तोडे़, सांसदों में जमकर लात घूंसे चले।
 पिस्तौल -
1990 के दशक में बिहार के सांसद आनंद मोहन सिंह लोकसभा में पिस्तौल लेकर आ गए थे। 
दर्शक दीर्घा से सदन में कूदे-
1990 के दशक में ही उत्तराखण्ड राज्य के गठन के दौरान जब आंदोलन चरम पर था। तब तीन प्रदर्शनकारी दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे। तीनों को हिरासत में लिया गया और थोड़ी देर बाद रिहा कर दिया गया।





(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)









Tuesday 12 December 2023

दिल्ली पुलिस के थाने का किराया साढ़े 7 लाख रुपए


दिल्ली पुलिस के थाने का किराया साढ़े 7 लाख रुपए


इंद्र वशिष्ठ,
देश की राजधानी की पुलिस की हालत ऐसी है, कि दिल्ली पुलिस के एक दर्जन से अधिक थानों के पास अपना भवन/इमारत/परिसर ही नहीं है। किराए के परिसरों में 13 थाने चल रहे हैं। हर महीने लाखों रुपए इनके किराए के रूप में ही देने पड़ते हैं। एक थाने का मासिक किराया तो साढ़े सात लाख रुपए से भी ज्यादा है। 

राज्य सभा में सांसद धीरज प्रसाद साहू और सांसद डा. अमी याज्ञिक ने गृहमंत्री से सवाल पूछा कि क्या यह सच है कि दिल्ली पुलिस को हर साल पर्याप्त धनराशि आवंटित की जाती है लेकिन कई थाने अभी भी किराए के परिसर में हैं? दिल्ली पुलिस के पास अपना भवन नहीं होने के क्या कारण हैं और क्या ऐसे थानों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए कोई समय सीमा है ?
13 थाने -
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में बताया कि दिल्ली पुलिस देश की राजधानी में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाती है। दिल्ली पुलिस को अपनी जिम्मेदारी प्रभावी ढंग से निभाने में सक्षम बनाने के लिए, सरकार अनुमानित आवश्यकताओं के अनुसार हर साल पर्याप्त धन प्रदान करती है। दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि कुल 225 थानों में से केवल 13 थाने किराए के परिसर में चल रहे हैं।आवश्यकता के अनुसार एक थाने की स्थापना और उसके बुनियादी ढांचे का विकास एक निरंतर और सतत प्रक्रिया है।

मासिक किराए के साथ किराए के परिसर में चलने वाले 13 थानों का विवरण पेश है - 
भारत नगर थाना, किराया 76,922 रुपए, शाहबाद डेयरी थाना किराया 1,36,164 रुपए,थाना शाहबाद डेयरी के लिए निर्मित अतिरिक्त  क्षेत्र का किराया 36,581 रुपए, प्रेम नगर थाना किराया 1,45,200 रुपए, स्वरुप नगर थाना किराया 1,28,944 रुपए, भलस्वा डेयरी थाना किराया 2,23,733 रुपए, जैतपुर थाना किराया 7,56,000 रुपए, सोनिया विहार थाना किराया 2,38,823 रुपए, फ़तेहपुरी बेरी थाना किराया 2,47,987 रुपए, छावला थाना किराया 59,787 रुपए , करावल नगर थाना किराया 2,30,000 रुपए, निहाल विहार थाना किराया 2,69,865 रुपए, रणहौला थाना किराया‌ 1,67,400 रुपए, तिगड़ी थाना  किराया 2,50,000 रुपए मासिक है। 



Saturday 9 December 2023

ISIS के 15 आतंकी गिरफ्तार, हथियार, 68 लाख रुपये, हमास के 51 झंडे बरामद: NIA



आईएसआईएस के 15 आतंकी गिरफ्तार : एनआईए


इंद्र वशिष्ठ, 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र और कर्नाटक में आतंकी संगठन आईएसआईएस के 15 आतंकियों /गुर्गो को गिरफ़्तार किया है। इन आतंकियों का इरादा देश भर में आतंकी हमले करने का था। 
गांव आजाद घोषित-
गिरफ्तार आरोपियों में आईएसआईएस के इस गिरोह का सरगना मोहम्मद साकिब नाचान भी शामिल है। साकिब नाचान ने महाराष्ट्र के पडघा- बोरीवली गांव को 'आज़ाद' घोषित कर अपना ठिकाना बना रखा था। इन आतंकियों ने पडघा गांव को 'अल शाम' कहना शुरू कर दिया था जिसका अरबी भाषा में मतलब सीरिया क्षेत्र है। 
छापेमारी-
एनआईए की टीमों ने शनिवार सुबह महाराष्ट्र के पडघा-बोरीवली, ठाणे, मीरा रोड, पुणे और कर्नाटक के बेंगलुरु में 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की। आतंक और आतंक से संबंधित कृत्यों और प्रतिबंधित संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों को बढ़ावा  देने के आरोप में इन 15 आरोपियों को पकड़ा गया है।
आतंक के हिंसक कृत्यों को अंजाम देने और निर्दोष लोगों की जान लेने वाले अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के प्रयासों को बाधित करने और ध्वस्त करने के एनआईए के चल रहे प्रयासों के तहत की गई छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में बेहिसाब नकदी, बंदूकें, तेज धार वाले हथियार, आपत्तिजनक दस्तावेज, स्मार्ट फोन और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त किए गए। 
देश के ख़िलाफ़ युद्ध-
एनआईए की जांच के अनुसार आरोपी अपने विदेशी आकाओं के निर्देशों पर काम करते हुए, आईएसआईएस के हिंसक और विनाशकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आईईडी/बम के निर्माण सहित विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे।
एनआईए की जांच से पता चला है कि आरोपी आईएसआईएस महाराष्ट्र मॉड्यूल के सभी सदस्य पडघा-बोरीवली से काम कर रहे थे, जहां उन्होंने पूरे भारत में आतंक फैलाने और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रची थी। 
आरोपियों ने हिंसक जिहाद, खिलाफत और आईएसआईएस आदि का रास्ता अपनाते हुए देश की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का लक्ष्य रखा था।
एनआईए को प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों ने ग्रामीण ठाणे के पडघा गांव को 'मुक्त क्षेत्र' और 'अल शाम' के रूप में घोषित किया था। वे अपने पडघा ठिकाने को मजबूत करने के लिए  मुस्लिम युवाओं को अपने निवास स्थान से पडघा में स्थानांतरित होने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
ड्रोन से हमला-
आतंकियों की योजना ड्रोन के जरिए भी बम धमाका करने की थी और इसलिए ये ड्रोन को चलाने की भी ट्रेनिंग ले रहे थे। 
निष्ठा की शपथ-
मुख्य आरोपी और आईएसआईएस मॉड्यूल का सरगना साकिब नचान प्रतिबंधित संगठन में शामिल होने वाले व्यक्तियों को 'बायथ' (आईएसआईएस के खलीफा के प्रति निष्ठा की शपथ) भी दिला रहा था।
68 लाख रुपये बरामद-
एक पिस्तौल, दो एयर गन, आठ तलवारें/चाकू, दो लैपटॉप, छह हार्ड डिस्क, तीन सीडी, 38 मोबाइल फोन, 10 मैगजीन किताबें, रुपये शामिल हैं। 68,03,800 रुपये नकद और फलस्तीनी संगठन‌ हमास के 51 झंडे बरामद हुए हैं। 
अभियुक्त-
मुख्य आरोपी मोहम्मद साकिब अब्दुल हामिद नाचन उर्फ रवीश उर्फ साकिब उर्फ खालिद के अलावा गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की पहचान  हसीब जुबैर मुल्ला, कासिफ अब्दुल सत्तार बलेरे, सैफ अतीक नाचान, रेहान अशफाक सुसे, शगफ शफीक दिवकर, फिरोज दस्तगीर कुवारी, आदिल इलियास खोत, फिरोज दस्तगीर कुवारी, आदिल इलियास खोत, मुसाब हसीब मुल्ला, रफील अब्दुल लतीफ नाचान , याह्या रवीश खोत, रज़ील अब्दुल लतीफ़ नाचान, फरहान अंसार सुसे, मुखलिस मकबूल नाचान और मुन्ज़िर अबुबकर कुन्नाथपीडिकल। सभी आरोपी मूल रूप से महाराष्ट्र के जिला ठाणे के रहने वाले हैं।
आदिल खोत के पास हमास के झंडे पाए गए, वहीं फिरोज दस्तगीर कुवान, रजिल अबक्सुल नाचन, जीशान एजाज मुल्ला और मुखलिस मकबूल नाचन के पास से हथियार (बंदूकें, चाकू और तलवारें) बरामद किए गए। सैफ अतीक नाचान, रेहान अशफाक सुसे और आतिफ नासिर मुल्ला से नकदी जब्त की गई।

आईएसआईएस एक वैश्विक आतंकवादी संगठन (जीटीजी) है, जिसे इस्लामिक स्टेट (आईएस)/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंत (आईएसआईएल)/इस्लामिक स्टेट इन खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी)/आईएसआईएस विलायत खुरासान/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द शाम खुरासान के नाम से भी जाना जाता है। यह संगठन देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय आईएसआईएस मॉड्यूल और सेल स्थापित करके भारत में अपना आतंकी नेटवर्क फैला रहा है।
एनआईए ने हाल के महीनों में बड़े पैमाने पर छापेमारी की है और आईएसआईएस के कई आतंकियों को गिरफ्तार कर विभिन्न आईएसआईएस मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।
 एनआईए ने इस साल की शुरुआत में आईएसआईएस महाराष्ट्र मॉड्यूल के खिलाफ मामला दर्ज किया था और तब से, देश भर में सक्रिय विभिन्न आईएसआईएस मॉड्यूल और नेटवर्क को नष्ट करने के लिए मजबूत और ठोस कार्रवाई की है।



Friday 8 December 2023

दिल्ली में बुजुर्गों के साइबर क्राइम का शिकार होने के मामलों में दिनों दिन वृद्धि



बुजुर्गों के प्रति साइबर क्राइम के मामलों में वृद्धि
  


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के साइबर क्राइम का शिकार होने के मामलों में दिनों दिन वृद्धि हो रही है। 

राज्य सभा में सांसद ए.डी. सिंह ने गृहमंत्री से सवाल पूछा कि क्या साल 2022 से दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपराधों में 35 प्रतिशत वृद्धि हुई हैं ? क्या वरिष्ठ नागरिकों के साथ साइबर क्राइम होने की संभावना अधिक होती है? वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपराध को रोकने के लिए किए गए प्रयासों का ब्यौरा क्या है?
जागरूकता की कमी-
राज्य सभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने
बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा बताया गया है, वर्ष 2023 (15 नवंबर तक) के दौरान दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपराध की 1023 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि वर्ष 2022 की इसी अवधि में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपराध की 1056 घटनाएं दर्ज की गईं, जो कि 3.13 फीसदी गिरावट को दर्शाता है। 
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता की कमी के कारण वरिष्ठ नागरिकों के साथ साइबर अपराध की घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2021, 2022 और 2023 (15.11.2023 तक) के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के प्रति साइबर अपराध के क्रमशः 25,113 और 129 मामले दर्ज किए गए। 

पुलिस के उपाय-
दिल्ली पुलिस ने वरिष्ठ नागरिकों के प्रति साइबर अपराध सहित अपराधों को रोकने के लिए कई ठोस उपाय किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ साइबर जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन भी शामिल है, मास मीडिया अभियान, पुलिस मुख्यालयों और सभी 15 पुलिस जिलों में वरिष्ठ नागरिक कक्षों की स्थापना, टोल फ्री वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन नंबर 1291,वरिष्ठ नागरिकों की पहचान एवं पंजीकरण तथा पहचान पत्र जारी करना, वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठों और स्थानीय पुलिस के कर्मचारियों का वरिष्ठ नागरिकों के आवासों पर नियमित दौरा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मोबाइल ऐप, घरेलू नौकरों के लिए समय-समय पर सत्यापन अभियान, वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में मुद्रित सामग्री का वितरण,वरिष्ठ नागरिकों का नियमित सुरक्षा ऑडिट, वरिष्ठ नागरिकों आदि की सुरक्षा के लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय सलाहकार निकायों का गठन करना आदि शामिल है। 







Thursday 7 December 2023

बीएसएफ पर हमला करने वाले आतंकियों की संपत्तियों की कुर्की: NIA


बीएसएफ पर हमला करने वाले
आतंकियों की संपत्तियों की कुर्की


इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में बीएसएफ के काफिले पर 2015 में हुए आतंकी हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के दो अभियुक्तों की संपत्तियों को कुर्क कर लिया।
5 अगस्त 2015 को सुबह लगभग 7 बजे
श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर उधमपुर जिले के नरसू गांव में नरसू नाले के पास हुए हमले में बीएसएफ के दो जवान मारे गए और 13 अन्य घायल हो गए। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में एक आतंकवादी मारा गया और दूसरे को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसकी पहचान नावेद के रूप में हुई है।

एनआईए ने बाद में इस मामले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फैयाज अहमद इटू उर्फ ​​फैयाज खार और खुर्शीद अहमद भट उर्फ ​​खुर्शीद आलम भट उर्फ ​​सूर्या को गिरफ्तार किया। इन दोनों पर जम्मू में एनआईए की विशेष अदालत में मुकदमा चल रहा है। इन दोनों आरोपियों की चार अचल संपत्तियाँ कुर्क की गई है। 
एनआईए ने कुलगाम जिले की तहसील कैमोह के खुडवानी गांव में फैयाज़ अहमद इटू के एक मंजिला घर और अंवतीपुरा, जिला पुलवामा के चेर्सू और सेल गांव में खुर्शीद अहमद भट के दो भूखंडों और दो मंजिला  घर की कुर्की की है। 


सौ रुपये प्रति बस प्रतिदिन वसूली करने वाला हवलदार गिरफ्तार : सीबीआई



सौ रुपये प्रति बस वसूली करने वाला हवलदार गिरफ्तार: सीबीआई


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली में आनन्द विहार बस अड्डे पर पुलिस द्वारा बस वालों से अवैध वसूली करने का मामला सामने आया है। 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक हवलदार समेत दो लोगों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि पटपड़ गंज औद्योगिक क्षेत्र थाने के हवलदार अमर और उसके साथी दीपक को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। 

दुर्गा पार्क, दल्लु पुरा निवासी गौरव की तीन बसें है। ये बसें आनन्द विहार से नोएडा के रुट पर चलती है। गौरव ने 5 दिसंबर को सीबीआई को दी शिकायत में बताया कि उसकी बसों को आनन्द विहार बस अड्डे के बाहर रोकने देने के एवज़ में हवलदार अमर ने उससे प्रति बस सौ रुपये प्रति दिन की रिश्वत मांगी है। 
हवलदार अमर ने धमकी दी है कि अगर उसे पैसे नहीं दिए, तो वह उसकी बसों को बस अड्डे के बाहर रोकने नहीं देगा और बस को बंद कर देगा। 
गौरव के अनुरोध पर हवलदार अमर छह हज़ार रुपये महीना रिश्वत लेने को तैयार हो गया। हवलदार अमर ने गौरव को अपने एक निजी साथी से भी मिलवाया। सीबीआई ने आरोपों के सत्यापन के बाद हवलदार अमर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया।
 सीबीआई ने जाल बिछाया और पांच हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए हवलदार अमर और उसके साथी दीपक को पकड़ लिया। 

गैरीसन इंजीनियर गिरफ्तार-
सीबीआई ने एक अन्य मामले में सैन्य दुर्ग अभियंता के कार्यालय, एमईएस, कोटा (राजस्थान) में कार्यरत सहायक सैन्य दुर्ग अभियंता नरेंद्र कुमार राय को शिकायतकर्ता से 1,10,000 रुपये  की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। आरोपी ने लंबित बिलों को पास करने हेतु 1,50,000 रुपये  एवं  शिकायतकर्ता  की  पूर्व की निविदाओं को बढ़ाने के लिए 10,000 रुपये की मांग की थी। कोटा (राजस्थान) एवं  ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) में स्थित आरोपी  के कार्यालयी व  आवासीय परिसरों में तलाशी ली गई, जिससे आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद हुए।