Thursday 30 September 2021

तिहाड़ जेल में आतंकियों,बदमाशों की बल्ले-बल्ले। मोबाइल फोन,ऐशो-आराम से भरपूर,अपराधियों की पसंदीदा जेल। "क्राइम फ्राम तिहाड़"


तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल 

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तिहाड़ जेल के 32 अफसरों/ कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज।

तिहाड़ जेल के 32 अफसरों/ कर्मियों के खिलाफ यूनिटेक के पूर्व प्रमोटर अजय चंद्रा और संजय चंद्रा के साथ सांठगांठ/ मिलीभगत के मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने भ्रष्टाचार अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। इनके निलंबन आदि की कार्रवाई के लिए तिहाड़ जेल और गृह मंत्रालय को पत्र भी भेजा गया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश-
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट के आधार पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों और जेल में बंद यूनीटेक के पूर्व प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा बंधुओं के बीच साठगांठ के मामले में एफआईआर दर्ज करने का 6 अक्टूबर को  निर्देश दिया था।
सुपरिटेंडेंटो से लेकर वार्डर तक शामिल-
तिहाड़ जेल नंबर 7 के जिन 32 अफसरों के खिलाफ के एफआईआर दर्ज की गई हैं उनमें  सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट,हेड वार्डर और वार्डर आदि शामिल हैं। 
26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रा बंधुओं को  
मुंबई जेल भेजा-
तिहाड़ जेल से महाराष्ट्र में मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था। दिल्ली पुलिस कमिश्नर से इस मामले की जांच करने को कहा था।
 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को बताया था पहले कि वे जांच को प्रभावित करने के अलावा जेलकर्मियों की मिलीभगत से जेल से ही अपना गुप्त दफ्तर/ कारोबार  चला रहे हैं। (अपडेट 12-10-2021)



तिहाड़ जेल में आतंकियों और बदमाशों की बल्ले-बल्ले।
मोबाइल फोन,ऐशो-आराम से भरपूर सुविधाओं ने बनाया अपराधियों की पसंदीदा जेल।
"क्राइम फ्राम तिहाड़"
आतंकी, बदमाश, ठग सब मोबाइल से लैस। 



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली और आसपास के राज्यों में सक्रिय कई गिरोहों के सरगना तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसके बावजूद उनके गिरोह लगातार वारदात कर रहे हैं। ताजा उदाहरण रोहिणी अदालत में बदमाश जितेंद्र उर्फ गोगी की हत्या का है।

सबसे खतरनाक और चौंकाने वाली बात यह है कि दूसरे राज्यों की जेलों में बंद बदमाशों को तिहाड़ जेल की "मेहमान नवाजी" और ऐशो आराम की "सुविधाएं" इतनी पसंद आ रही हैं कि वे इस जेल में ही आने के लिए अपराध तक कर रहे हैं।

जेल से चल रहा महागिरोह-
तिहाड़ में मौजूद कुख्यात बदमाशों ने अपराध जगत में एकछत्र राज/वर्चस्व कायम करने के लिए महागठबंधन कर अंतराज्यीय "महागिरोह" बना लिए हैं।  
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल और अपराध शाखा के अफसरों का कहना हैं कि सरगना तिहाड़ जेल से ही गिरोह चला रहे हैं। मोबाइल फोन के जरिए वह जेल में बैठे लगातार अपने गिरोहों के संपर्क में रहते हैं। वहीं से जबरन वसूली/रंगदारी,भाड़े पर हत्या और अपने दुश्मनों को ठिकाने लगवा रहे हैं।
जेल अफसरों की भूमिका पर सवाल-
पुलिस अफसरों का यह कहना ही तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल, सुपरिटेंडेंटो / जेलरों आदि की भूमिका और काबिलियत पर सवालिया निशान लगाने के लिए पर्याप्त है।
जाहिर सी बात  है कि जेल की चारदीवारी में बंद बदमाशों को मोबाइल फोन या अन्य सुविधाएं कोई मुफ्त में तो उपलब्ध कराई नहीं जाती। इसके लिए बदमाशों द्वारा जेल के कुछ भ्रष्ट अफसर/कर्मचारियों का मुंह रिश्वत रुपी गोबर से भरा जाता हैं।
अफसरों की गिरफ्तारी है जरुरी- 
बदमाशों से सांठगाठ करने वाले जेल और पुलिस के अफसरों को भी जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, अपराध और अपराधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। ऐसे अफसरों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) और गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि ऐसे अफसर बदमाशों को अपराध के लिए मोबाइल आदि सुविधा उपलब्ध कराने का संगीन अपराध करते हैं। ऐसे अफसरों को उन बदमाशों का साथी अपराधी ही माना जाना चाहिए। हालांकि जेल प्रशासन समय समय पर तलाशी के दौरान मोबाइल फोन और नशीले पदार्थ आदि पकड़ने का दावा भी करता है। तिहाड़ जेल के महानिदेशक पद पर संदीप गोयल को जुलाई 2019 में नियुक्त किया गया था। 
बदमाशों की पसंदीदा जेल-
तिहाड़ जेल को अतिसुरक्षित जेल कहा जाता है लेकिन जेल के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने जेल को  बदमाशों के लिए अतिसुरक्षित,  ऐशो आराम की सुविधाओं से सम्पन्न और पसंदीदा जेल बना दिया है। बदमाशों को मोबाइल फोन के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाती हैं। जेल में होने के कारण इन बदमाशों की जान अपने दुश्मनों से भी सुरक्षित रहती है। क्योंकि जेल से बाहर होने पर तो इन बदमाशों को अपने दुश्मन गिरोहों से जान का खतरा बना रहता। पुलिस और दुश्मनों से अपनी जान बचाने के लिए लगातार भागना-छिपना पड़ता है। एक बार जेल की चारदीवारी के भीतर जाने के बाद तो यह काफी हद तक सुरक्षित हो जाते हैं। दिन रात डर कर छिपते रहने से पीछा छूट जाता है। फिर जेल में आराम से अपना समय बिताने के साथ-साथ बेखौफ होकर वहीं से अपने गिरोहों को चलाते हैं। 
जैसे कोरोना काल में दफ्तर की बजाए घर से काम (वर्क फ्राम होम) किया जाने लगा। ठीक इसी तर्ज पर जेल में बंद बदमाश तो बहुत सालों से ही "क्राइम फ्राम जेल" कर रहे हैं।
स्पेशल सेल ने हवालात को बनाया मयखाना-
फिल्मों में और मजाक में बदमाश जेल को ससुराल कहते हैं लेकिन जेल में और पुलिस की हवालात में बदमाशों का जश्न मनाया जाना साबित करता है कि कुख्यात बदमाशों की वाकई दामाद जैसी खातिरदारी की जाती हैं।
हाल ही में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के हवालात में बदमाशों ने दारू पार्टी की और उसका वीडियो भी वायरल कर पूरी दुनिया के सामने पुलिस को नंगा कर दिया। लेकिन इस मामले में सिर्फ़ एक सब-इंस्पेक्टर रोहित को निलंबित कर खानापूर्ति कर दी गई। आतंकियों से निपटने वाले सेल के हवालात में बदमाश पार्टी कर सकते हैं तो बाकी थानों की हवालात में क्या हालात होंगे यह अंदाजा लगाया जा सकता है। भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की ऐसी सांठगांठ के कारण ही बदमाश बेखौफ हो जाते हैं वरना पुलिस अफसर अगर  ईमानदार हो तो बदमाशों का मूत निकल जाता है।  
अंतरराज्यीय बदमाशों का गठबंधन-
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुख्यात बदमाशों ने मिलकर अब दो बड़े गिरोह बना लिए हैं। जिसमें तिहाड़ में बंद लॉरेंस विश्नोई (पंजाब), संपत नेहरा और संदीप उर्फ काला जठेड़ी (हरियाणा) का एक गिरोह है। इनका दिल्ली के बदमाश जितेंद्र मान उर्फ गोगी गिरोह ,अशोक प्रधान गिरोह, राजेश बवानिया,गौरव मोंटी,हैप्पी और फरार कपिल सांगवान उर्फ नंदू गिरोह से गठजोड़ है।
दूसरा गठजोड़ नीरज बवानिया, सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया,सोनू दरिया पुर,पूर्व विधायक रामबीर शौकीन, इरफान उर्फ छेनू और पश्चिम उत्तर प्रदेश के सुनील राठी का है। ये सभी फिलहाल दिल्ली में तिहाड़,मंडौली और रोहिणी जेल में है।
यह दोनों  महागिरोह जेल से ही जबरन वसूली ,भाड़े पर हत्या यानी सुपारी किलिंग और अपने दुश्मनों की हत्या करवा रहे हैं। ये गिरोह शराब कारोबार, यमुना रेत खनन और भूमि/संपत्ति कब्जा करने आदि में भी सक्रिय हैं।
अदालत में हत्या-
रोहिणी अदालत में 24 सितंबर 2021 को जज गगनदीप सिंह के सामने ही वकीलों के वेश मेंं आए दो बदमाशों ने जितेंद्र उर्फ गोगी की गोली मार कर हत्या कर दी। पुलिस ने दोनों हत्यारों 
राहुल त्यागी और जगदीप को मार गिराया। 
हालांकि कहा यह जा रहा है कि हत्यारों की योजना गोगी की हत्या के बाद जज के सामने सरेंडर करने की थी।
गोगी की हत्या जेल में बंद उसके दुश्मन सुनील ताजपुरिया ने सुनील राठी की मदद से करवाई है। हत्यारों का इंतजाम उसी ने किया था।
इंटरनेट कॉलिंग-
अपराध शाखा ने इस मामले में मंडौली जेल में बंद सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया से पूछताछ की। उसे मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है। पुलिस को शक है कि हत्या की साजिश जेल के अंदर ही रची गई थी। 
पुलिस को तफ्तीश में पता चला कि ताजपुरिया इंटरनेट कॉलिंग के जरिए अपने साथियों के संपर्क में था। 
यूपी से दिल्ली-
साल 2018 में बागपत जेल में कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी की गोली मार कर हत्या करने वाले सुनील राठी ने अदालत से गुहार लगाई और मंडौली जेल में आ गया।
पुलिस की भूमिका पर सवाल-
कानून व्यवस्था की पोल खोलने वाले इस मामले से पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग गया है। यह अदालत की सुरक्षा व्यवस्था में भी गंभीर चूक है।
पुलिस के खुफिया तंत्र को भी यह भनक नहीं लगी कि अपराधी अदालत में हत्या की साजिश रच रहे हैं। 
बेखौफ बदमाश-
पुलिस ने भले ही हत्यारों को मौके पर ही मार गिराया। लेकिन अदालत के अंदर बदमाशों द्वारा हत्या करना बताता है कि उन्हें पुलिस की मौजूदगी से बिल्कुल भी डर नहीं लगता है। बदमाशों के मन से पुलिस और कानून का डर भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही निकलता जा रहा हैं।
तिहाड़ जाने के लिए अपराध-
कुछ भ्रष्ट अफसरों/ कर्मचारियों के कारण ही
तिहाड़ जेल कुख्यात बदमाशों की पसंदीदा जेल बन गई है। इसलिए दूसरे राज्यों की जेलों में बंद  बदमाश तिहाड़ जेल में आने के लिए तिकड़म,जुगाड़ लगाने के अलावा दिल्ली में अपराध तक करवा रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने कुछ समय पहले रंगदारी के लिए गोलियां चलाने वाले गुरुग्राम के कौशल गिरोह के बदमाशों को पकड़ा। इन बदमाशों ने बताया कि हिसार जेल में बंद कौशल तिहाड़ जेल में आने के लिए दिल्ली में वारदात करवा रहा है। कौशल तिहाड़ पहुंचने के अपने इरादे में कामयाब हो गया। कौशल ने 2019 में एक करोड़ रुपए न देने पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता विकास चौधरी की हत्या करवाई थी। इसके बाद ही कौशल को 2019 में दुबई से भारत लाया गया था।
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल इसी साल मकोका में लॉरेंस विश्नोई को अजमेर जेल से और संपत नेहरा को हरियाणा जेल से ले आई। काला जठेड़ी को फिलहाल हरियाणा पुलिस ले गई है।
गैंगवार का ऐलान-
जितेंद्र गोगी की हत्या के बाद गैंगवार की आशंका जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर गिरोह द्वारा गोगी की हत्या का बदला लेने का ऐलान किया जा चुका है। जिसे देखते हुए पुलिस सतर्कता बरत रही है।
फरार शाहरुख-
यमुनापार का कुख्यात बदमाश मोहम्मद इरफान उर्फ छेनू पहलवान और हाशिम बाबा भी तिहाड़ जेल  से अपने गिरोह चला रहे हैं। हाशिम अपने साथी शाहरुख आदि से दुश्मनों की हत्या करवा  रहा है। हाशिम का भी लॉरेंस विश्नोई से गठजोड़ है। हत्या की अनेक वारदात में शामिल शाहरुख को छिपने मे लॉरेंस गिरोह मदद कर रहा है।
फरार बॉक्सर-
जीटीबी अस्पताल से पुलिस हिरासत से कुलदीप फज्जा को फरार कराने वाला पूर्व नेशनल खिलाड़ी दीपक पहल उर्फ बॉक्सर पुलिस की पकड़ में नहीं आया है। हालांकि जीटीबी मामले में पुलिस की जवाबी फायरिंग में एक बदमाश मारा गया। स्पेशल सेल ने बाद में रोहिणी में एक फ्लैट में छिपे फज्जा को भी मार गिराया। गोगी गिरोह के कमान दीपक संभाल सकता है।
पंजाब में गैंगवार-
लॉरेंस विश्नोई की पंजाब के ही दविंदर वंवीहा गिरोह से गैंगवार चल रही है। दविंदर तो 2016 में एनकाउंटर में मारा गया। लेकिन उसका गिरोह अभी भी  सक्रिय है। गिरोह की कमान अर्मेनिया में मौजूद लक्की पटियाल के हाथों में हैं। इस गिरोह ने अगस्त में मोहाली में युवा अकाली नेता विक्रम सिंह उर्फ विक्की की हत्या की थी। इस गिरोह ने सोशल मीडिया पर बताया कि विक्की लॉरेंस के साथ जुड़ा हुआ था। जिस तरह लॉरेंस ने अपना एक महागिरोह बनाया है उसी तर्ज पर वंवीहा गिरोह ने भी महागिरोह बनाया है। 
भोंडसी जेल सही मायने में जेल-
जेल का मतलब सही मायने जेल ही होना चाहिए। जहां इतनी सख्ती हो कि बदमाश उस जेल से जल्दी से बाहर निकलने की सोचेंं और दोबारा उस जेल में जाने के नाम से ही उनकी कंपकपी छूट जाए। अगर अपराधी वहां भी मोबाइल या अपनी मनचाही सुविधाएं भोगने लगे, तो उसे जेल नहीं कहा जा सकता है। 
स्पेशल सेल के एक अफसर ने बताया कि गुरुग्राम के भोंडसी जेल में अफसरों की सख्ती के कारण बदमाशों को मोबाइल या अन्य मनचाही सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। इसलिए बदमाश वहां नहीं रहना चाहते।
रोहिणी जेल में बैठ कर 200 करोड़ वसूले-
रोहिणी जेल में बंद बेंगलुरु के सुकेश चंद्रशेखर ने जेल में बैठे बैठे फोर्टिस के हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह की पत्नी अदिति सिंह के साथ ठगी कर 200 करोड़ रुपए वसूल लिए।
अदिति सिंह ने सात अगस्त को इसकी दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि पिछले साल जून में एक व्यक्ति ने खुद को कानून मंत्रालय का वरिष्ठ अधिकारी बताकर फोन से संपर्क किया और कहा कि वह उसके पति को जमानत दिलवाने में मदद कर सकता है। उस समय अदिति के पति जेल में थे जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था।
सेल ने फोन बरामद किए।
स्पेशल सेल ने सात अगस्त को रोहिणी जेल में  सुकेश चंदशेखर की बैरक में छापा मारकर जेल से जबरन वसूली का धंधा चलाने के आरोप में उसे उसके दो साथियों दीपक रमनानी व प्रदीप के साथ गिरफ्तार किया था। 
सुकेश के बैरक से दो महंगे मोबाइल फोन, महंगे मिनरल वाटर की बोतलें, बीस से ज्यादा कंबल और तख्त मिला था। 
जेल अफसर गिरफ्तार-
इसके बाद जेल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट सुभाष बत्रा ,असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट डीएस मीणा को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच स्पेशल सेल से आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई।
इसके बाद कनॉट प्लेस स्थित आरबीएल बैंक के मैनेजर कोमल पोद्दार व बैंक के दो अन्य कर्मचारी अविनाश कुमार व जितेन्द्र नरुला को भी गिरफ्तार किया। इन तीनों ने रुपयों का प्रबंध किया था व ट्रांजेक्शन किए थे। 
इस मामले में  सुकेश की प्रेमिका अभिनेत्री लीना पॉल समेत चार और लोगों को 5 सितंबर को गिरफ्तार किया गया।
रिश्वत मामले में अप्रैल, 2017 में एक होटल से गिरफ्तार चंद्रशेखर को शुरुआत में तिहाड़ जेल में रखा गया था।
 सुकेश चंद्रशेखर की मदद करने के मामले में रोहिणी जेल के 9 अधिकारी व कर्मचारी शक के दायरे में आए। इनमें से  6 को निलंबित किया  गया।
आरोप है कि इन अधिकारियों ने ना सिर्फ सुकेश को ऐशो-आराम वाली सुविधाएं मुहैया कराईं, बल्कि जेल परिसर में उसी ऐसी जगह भी बताई, जहां वह सीसीटीवी की नजर मेंं न आए।

आतंकवादी के पास मोबाइल-
 25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में जिलेटिन मिलने के दो दिन बाद एक मैसेज जैश उल हिंद के नाम से आया, जिसमें इस आतंकवादी संगठन ने जिलेटिन रखने का दावा किया था। हालांकि कुछ घंटे बाद जैश उल हिंद के नाम से एक और मैसेज आया और खुद को असल जैश उल हिंद बताने वाले ने दावा किया कि उनके संगठन के नाम से भेजा गया मैसेज फर्जी है। साथ ही कहा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर उसके आतंकवादी संगठन ने कोई स्कॉर्पियो नहीं खड़ी की, कोई जिलेटिन नहीं रखा।
तिहाड़ जेल कनेक्शन-
 लेकिन 11 मार्च को मुंबई पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापा मारा  और वहां से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तहसीन अख्तर के पास से कुछ मोबाइल जब्त किए। इन्हीं मोबाइल में से किसी एक से जैश उल हिंद वाला मैसेज किया गया था। हालांकि  जैश उल हिंद वाली गुत्थी अभी तक सुलझी नहीं है। शायद आने वाले दिनों में इस रहस्य से भी पर्दा उठेगा।
संजय चंद्रा से सांठगांठ-
सुप्रीम कोर्ट ने  26 अगस्त को तिहाड़ जेल अधिकारियों को यूनिटेक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंद्र बंधुओं की मिलीभगत से जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाने, कार्यवाही को बाधित करने, जांच को पटरी से उतारने आदि के लिए अवैध गतिविधियों में लिप्त होने के लिए फटकार लगाई।संजय और अजय  चंद्र बंधुओं को आर्थर रोड जेल, मुंबई और तलोजा जेल में अलग-अलग रखने के लिए स्थानांतरित कर दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि ईडी द्वारा जेल कर्मचारियों के खिलाफ कुछ आरोप लगाने के बावजूद दिल्ली पुलिस आयुक्त ने 10 दिनों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।  आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करने और 4 सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से जांच कर रहे है, जिन्होंने कथित तौर पर चंद्रा के साथ सांठगांठ की थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट को बताया कि यूनिटेक के दोनों पूर्व प्रोमोटर संजय और अजय चंद्रा ने जेल से एक डमी निदेशक को प्रभावित करने की भी कोशिश की, जिससे एजेंसी ने पूछताछ की थी। 
ईडी ने बताया कि यूनिटेक के पूर्व संस्थापकों ने बाहरी दुनिया से संपर्क करने और संपत्तियों का निपटारा करने के लिए तिहाड़ जेल परिसर के बाहर कर्मियों को तैनात किया है। जिसका संचालन दोनों तिहाड़ जेल से ही कर रहे थे।
 प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में कहा था कि चंद्रा बंधुओं ने जेल अधिकारियों के साथ मिलीभगत की थी, जिन्होंने उन्हें जेल के भीतर से अपना व्यवसाय संचालित करने में मदद की। चंद्रा बंधुओं ने एक गुप्त कार्यालय बनाया था, जहां उन्होंने अपने खिलाफ जांच से संबंधित जानकारी छिपाई थी।

 संजय चंद्रा ,अजय चंद्रा के खिलाफ कंपनी की गुरुग्राम स्थित परियोजनाओं के 158 खरीदारों ने आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। खरीदारों के अलावा आयकर विभाग ने भी कंपनी पर 950 करोड़ रुपये का कर बकाया होने के चलते खुद को इस मामले में एक पार्टी बनाए जाने का आग्रह सर्वोच्च न्यायालय से किया हुआ है।



Monday 27 September 2021

आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत क्यों नहीं भेजते ? इस्लामिक स्टेट का आतंकियों की भर्ती का ऑनलाइन कनेक्शन।




आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत क्यों नहीं भेजते ?
इस्लामिक स्टेट का आतंकियों की भर्ती का  ऑनलाइन कनेक्शन। 


इंद्र वशिष्ठ

सावधान- लोगों, खास कर मुस्लिम समुदाय को अपने बच्चों पर खास ध्यान/ नजर रखने की जरुरत है। क्योंकि अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी गिरोहों के अलावा इस्लामिक स्टेट भी युवाओं को आतंकवाद के जहन्नुम में धकेल कर उनकी बलि चढ़ाने के लगातार ताक में रहता हैं। आपके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख और पढ़ रहे है और किस-किस के साथ संपर्क में हैं इस पर पैनी नजर रखने की जरुरत है। वरना बाद में पछताना पकड़ सकता हैं। 

आईएस का आतंकी जाल-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए) की प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान पाया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट (आईएस) लगातार ऑनलाइन दुष्प्रचार के जरिए भारत में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भोले-भाले युवाओं को निशाना बनाया जाता है। एक बार जब कोई व्यक्ति इनमें दिलचस्पी दिखाता है, तो उसे एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विदेशों में स्थित ऑनलाइन हैंडलर के साथ संवाद करने के लिए लुभाया जाता है।
 युवाओं को उनके भोलेपन के आधार पर
विदेश में बैठा हैंडलर ऑनलाइन सामग्री अपलोड करने, स्थानीय भाषा में आईएस ग्रंथों का अनुवाद, साजिश, एक मॉड्यूल तैयार करने, हथियार और गोला-बारूद जुटाने, आईईडी बम तैयार करने, आतंकी फंडिंग और यहां तक ​​कि हमलों के लिए उस व्यक्ति का इस्तेमाल करते हैं। 168 गिरफ्तार-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए) ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी गिरोह इस्लामिक स्टेट (आईएस) की विचारधारा से प्रेरित आतंकी हमलों, साजिश और आतंकी फंडिंग के 37 मामलों की जांच की है। सबसे ताजा मामला एनआईए ने जून 2021 में दर्ज किया था। इन मामलों में अब तक कुल 168 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। 31 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 27 आरोपियों को अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया है। 
ऑनलाइन आतंकी भर्ती-
यह आतंकी गिरोह भोले भाले युवक-युवतियों को गुमराह कर उनका ब्रेनवॉश कर देता है। इसके लिए इस आतंकवादी गिरोह ने कोई भर्ती केंद्र नहीं खोला हुआ है बल्कि फेसबुक, टि्वटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इनकी भर्ती की जा रही है। इस गिरोह के लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ऐसे लोगों को तलाशते हैं जो उनकी विचारधारा से प्रभावित लगते हैं। 
आतंक की ऑनलाइन ट्रेनिंग-
इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें विदेशों में बैठे ऑनलाइन हैंडलर के जरिए ट्रेंड किया जाने लगता है।
यह ऑनलाइन हैंडलर जब यह बात पूरी तरह से समझ जाता है कि सामने वाला शख्स उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुका हैं तो फिर उसके जरिए आतंकवादी संगठन की जहरीली विचारधारा वाली सामग्री उसे दी जाती है और धीरे-धीरे उसे आतंकी कार्यों की तरफ प्रेरित किया जाता है। उसे ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए ही बम तैयार करने, हथियारों और गोला बारूद की जानकारी दी जाती है। फिर उनके जरिए ही स्थानीय आतंकियों का एक ग्रुप बनाकर बम विस्फोट भी करा दिए जाते हैं।
चौकन्ने रहें-
एनआईए ने आम जनता से अपील की है कि यदि वह इस तरह की कोई भी सामग्री या संदिग्ध गतिविधि इंटरनेट पर देखें, तो तुरंत एनआईए के फोन नंबर 011-2436880 पर इसकी सूचना दें।
आतंकी सरगना अपने बच्चों को हूरों के पास भेजेंं।-
दूसरी ओर कश्मीर में युवाओं को आतंकवाद में धकेलने वाले नेताओं की असलियत भी उजागर होने लगी है। कश्मीरियों को ऐसे नेताओ से सावधान रहना चाहिए। ऐसे नेता ही कश्मीरियों के असली दुश्मन है। कश्मीरियों को ऐसे नेताओं और आतंकी सरगनाओं से पूछना चाहिए कि  अगर जेहाद इतना महान और पवित्र है कि वह सीधा जन्नत में हूरों/परियों के पास पहुंचाता है तो फिर दूसरों को उकसाने वाले पहले अपने बच्चों को जन्नत जाने का मौका क्यों नहीं देते है। जो जेहाद के नाम पर उकसाते है वह अपने बच्चों को तो बड़े शहरों या विदेश में हिफाजत से रखते है। गरीब के बच्चों को उकसा कर मरवा देते है।
दिल्ली दरबार कसूरवार- 
कश्मीर की समस्या के लिए इन नेताओं से ज्यादा कसूरवार दिल्ली दरबार के वह नेता रहे हैंं जिन्होंने सालों से दामाद की तरह इन अलगावादियों को पाल कर रखा। इनकी सुरक्षा आदि पर जनता के टैक्स का करोड़ों रूपया सालाना लुटाया।
एनआईए का मिशन कश्मीर-
कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की एनआईए की कोशिश लगातार जारी हैंं। आतंकवदियों,पत्थरबाजों को धन मुहैया कराने वाले व्यापारी/ हवाला कारोबारी और अलगावादी नेताओं के गठजोड़ पर अगर जबरदस्त चोट जारी रही तो आतंकवाद पर अंकुश लग सकता है। लेकिन एनआईए या किसी भी जांच एजेंसी के लिए आतंकवादियों को पैसा मुहैया कराने वालों के खिलाफ अदालत में आरोपों को साबित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)





Saturday 25 September 2021

CBI ने AIIMS के डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा।


सीबीआई ने एम्स के डिप्टी डायरेक्टर को रिश्वत लेते पकड़ा।

इंद्र वशिष्ठ 
सीबीआई ने ऑल इंंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस (एम्स) के डिप्टी डायरेक्टर को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
 2 लाख मांगे-
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि भोपाल स्थित एम्स के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) धीरेंद्र प्रताप सिंह को एक केमिस्ट से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है।
शिकायकर्ता केमिस्ट एम्स में दवाइयां और अन्य सामान सप्लाई करता है। उसके बकाया बिलों का भुगतान करने की एवज में डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह ने दो लाख रुपए रिश्वत की मांग की।
रंगेहाथ पकड़ा-
केमिस्ट की शिकायत पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया और डिप्टी डायरेक्टर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। शनिवार को केमिस्ट से एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह को रंगे हाथ पकड़ लिया गया।
सीबीआई ने धीरेंद्र प्रताप के घर और कार्यालय की तलाशी ली। आरोपी को आज भोपाल की अदालत में पेश किया जाएगा।

स्पेशल सेल में DCP के पद पर 30 साल बाद IPS, 6 जिलों की कमान महिला DCP के हाथों में। स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलछा पर करम,संजय सिंह पर सितम,7 जिलों में नए DCP नियुक्त, 40 अफसरों के पदों में फेर बदल।






स्पेशल सेल में डीसीपी के पद पर तीस साल बाद आईपीएस ।
6 जिलों की कमान महिला डीसीपी के हाथों में। 
स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलछा पर करम,संजय सिंह पर सितम।



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस में बड़े स्तर पर आईपीएस और दानिप्स अफसरों के पदों में फेर बदल किया गया है। स्पेशल कमिश्नर स्तर के 11अफसरों के पदों में फेर बदल किया गया है। जबकि 7 जिलों में नए आईपीएस अफसरों को डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है। इनमें से तीन महिला आईपीएस अफसर हैं। कुल चालीस अफसरों के पदों में फेरबदल किया गया है। इनमें से तीस आईपीएस और दस दानिप्स सेवा के अफसर हैं।

दिल्ली पुलिस में आतंकियों और कुख्यात बदमाशों से निपटने वाले स्पेशल सेल में डीसीपी के पद पर 1990 के बाद अब आईपीएस अफसर नियुक्त किए गए हैं। एक साथ तीन आईपीएस को डीसीपी पद पर तैनात कर स्पेशल सेल का विस्तार किया गया है।
साल 1985 में 1979 बैच के आईपीएस दीप चंद को स्पेशल ब्रांच का डीसीपी नियुक्त किया गया था। दीप चंद से पहले इस पद पर आईपीएस बृजेश कुमार गुप्ता (बाद में कमिश्नर बने) भी रहे। दीपचंद स्पेशल ब्रांच- दो में डीसीपी पद पर 1985 से 1990 तक रहे। 
उस समय स्पेशल ब्रांच के दो भाग थे जिसे एसबी-एक और एसबी-दो कहा जाता था।  स्पेशल ब्रांच का काम वीवीआईपी की सुरक्षा, भारत आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के रजिस्ट्रेशन,पासपोर्ट आदि की वैरीफिकेशन और शहर में होने वाली गतिविधियों की खुफियागिरी का था।
एसबी-दो का काम आतंकवाद संबंधी मामलों से निपटने का था।
स्पेशल ब्रांच-दो का ही नाम बाद में स्पेशल सेल कर दिया गया। इसके बाद दानिप्स सेवा के अफसरों को ही डीसीपी पद पर नियुक्त किया गया। स्पेशल सेल के डीसीपी पद पर सुखदेव सिंह ,बीएस बोला,अशोक चांद, आलोक कुमार, अजय कुमार और लक्ष्मी नारायण राव रहे हैं। दो बार राष्ट्रपति का वीरता पदक और बारी से पहले तरक्की पाने वाले लक्ष्मी नारायण राव स्पेशल सेल में पहले एसीपी भी रहे थे। ये सभी अफसर सेवानिवृत्त हो चुके है।
आईपीएस स्पेशल सेल में डीसीपी -  
अब आईपीएस जसमीत सिंह (2009), इंगित प्रताप सिंह( 2011) और राजीव रंजन (2010) को स्पेशल सेल के महत्वपूर्ण और संवेदनशील डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है। डीसीपी की संख्या अब सात हो गई है। डीसीपी के चार पदों पर दानिप्स काडर के प्रमोद सिंह कुशवाहा ,संजीव यादव, मनीषी चंद्र और कमल पाल सिंह है।
पांच रेंज -
स्पेशल सेल में अब पांच रेंज बनाई गई हैं। इंगित प्रताप सिंह को मुख्यालय, राजीव रंजन को उत्तरी, संजीव कुमार यादव को दक्षिण पश्चिम रेंज, प्रमोद कुशवाहा को नई दिल्ली रेंज, मनीषी चंद्रा को काउंटर इंटेलीजेंस व जसमीत सिंह को दक्षिण रेंज की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा सेल के ही अंतर्गत सायबर सेल/Cypad का डीसीपी कमल पाल सिंह को बनाया गया है।
स्पेशल सेल बदनाम हुआ-
हाल के दिनों में स्पेशल सेल की अनेक करतूतें उजागर होने के कारण पुलिस की बहुत बदनामी हुई है। स्पेशल सेल ने बदमाशों के लिए हवालात को मयखाना बना कर खाकी को खाक में मिला दिया। इसके अलावा छात्रों को देशद्रोही, आतंकी और दंगाई बता कर जेल में डाल दिया। अनेक मामलों में अदालत में पुलिस की पोल खुल गई। लोदी कालोनी स्थित स्पेशल सेल सुशील पहलवान का आत्म समर्पण कराने और सुशील के साथ फोटो खिंचवाने के कारण भी विवादों में रहा है।
6  जिलों में महिला डीसीपी
तीन और महिला आईपीएस अफसरों, ईशा पांडे को दक्षिण पूर्वी, बेनीता मैरी जैकर को दक्षिण जिला और श्वेता चौहान को मध्य जिला  के डीसीपी के पद पर तैनात करने से अब कुल 15 जिलों में महिला डीसीपी की संख्या बढ़ कर 6 हो गई है। पूर्वी जिले में प्रियंका कश्यप, पश्चिम जिले में उर्विजा गोयल और उत्तर-पश्चिम जिले में उषा रंगनानी पहले से ही तैनात हैं।
साल 2019 तक चार जिलों में महिला डीसीपी थी।
स्पेशल कमिश्नर कानून एवं  व्यवस्था का एक पद खत्म -
दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के तीन पदों में से एक को समाप्त कर दिया गया है। पहले दक्षिण, पश्चिम और पूर्वी जोन थे। अब इसे दो डिवीजन जोन में बांट दिया गया है। पूर्वी ,उत्तरी और मध्य रेंज को डिवीजन जोन-एक में शामिल किया गया है, जिसमें 1990 बैच के आईपीएस स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक को नियुक्त किया गया है।
जोन-दो में नई दिल्ली, दक्षिण और पश्चिम रेंज को शामिल किया गया है। जिसमे स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलछा को तैनात किया गया है। 
मध्य जोन के कानून एवं व्यवस्था के स्पेशल कमिश्नर राजेश खुराना (1994) का तबादला 
इंटेलिजेंस डिवीजन के पद पर किया गया है।
 पहले स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था का केवल एक पद ही होता था। उसके बाद इनकी संख्या दो कर दी गई और पिछले साल यह संख्या बढ़ा कर तीन की गई थी। अब फिर घटा कर दो पद कर दिए गए हैं।
गोलछा पर कृपा बरस रही हैं।-
1991 बैच के आईपीएस सतीश गोलछा को गृह मंत्री/उप-राज्यपाल की कृपा  प्राप्त है वरना उनमें ऐसे क्या सुरखाब के पर लगे हैं कि जूनियर अफसर होने के बावजूद वह सालों से महत्वपूर्ण पद पा रहे हैं। करीब दो साल से स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के पद पर   जमे हुए हैं। सतीश गोलछा इसके पहले दक्षिण जोन और उत्तरी रेंज में इसी पद पर तैनात थे। इसके पहले वह अपराध एवं आर्थिक अपराध शाखा में भी स्पेशल कमिश्नर के पद पर रहे हैं।
कृपा से वंचित हटाए गए।-
दूसरी ओर 1990 बैच के आईपीएस संजय सिंह को पश्चिम जोन से हटा कर स्पेशल कमिश्नर लाइसेंसिंग एंड लीगल डिवीजन के पद पर तैनात कर दिया गया है। वरिष्ठ आईपीएस को एक साल मेंं ही पश्चिम जोन से हटा देने और जूनियर आईपीएस अफसर के जमे रहने से गृह मंत्रालय की ट्रांसफर पोस्टिंग नीति पर सवालिया निशान लग जाते हैं। 
तीस हजारी अदालत में साल 2019 में वकीलों द्वारा पुलिसवालों पर हमला कर उनकी बुरी तरह पिटाई की गई। इसके बाद संजय सिंह को बलि का बकरा बना कर स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के पद से हटा दिया गया था। उस पद पर संजय सिंह तीन- चार महीने ही रहे थे। जबकि सही मायने में उस समय  तत्कालीन नाकारा कमिश्नर अमूल्य पटनायक और उत्तर जिले की नाकाबिल, संवेदनहीन डीसीपी मोनिका भारद्वाज को हटाया जाना चाहिए था। यहीं नहीं उस बेचारे एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह को भी हटा दिया गया था, जिसकी वकीलों ने जमीन पर गिरा कर जमकर पिटाई की थी।
सात जिलों में नए डीसीपी। 
महिला आईपीएस अफसर ईशा पांडे को दक्षिण पूर्वी जिला, श्वेता चौहान को मध्य जिला ,बेनिटा मैरी जैकर को दक्षिण जिला, सागर सिंंह कलसी को उत्तर जिला, गौरव शर्मा को दक्षिण-पश्चिम, बृजेेंंदर कुमार यादव को बाहरी-उत्तरी जिला और शंकर चौधरी को द्वारका जिला के डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है।
कृपा बरसी-
गौरव शर्मा को दूसरी बार जिले का डीसीपी बनाया गया है। इसके पहले बाहरी-उत्तरी जिले के डीसीपी के पद से उन्हें हटा कर सिक्योरिटी का डीसीपी बना दिया गया था।
इन स्पेशल कमिश्नर पर कृपा कब बरसेगी ?
आईपीएस मुक्तेश चंद्र (1988) को स्पेशल कमिश्नर टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्ट इम्प्लिमेंटेशन डिविजन के साथ ही स्पेशल कमिश्नर कम्युनिटी पुलिसिंग और मीडिया सेल डिविजन का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
आईपीएस एस. सुंदरी नंदा (1988)को, स्पेशल कमिश्नर मानव संसाधन विभाग (पर्सनल मैनेजमेंट+ ट्रेनिंग+वेलफेयर) की जिम्मेदारी दी गई है।
आईपीएस नुजहत हसन (1991) को स्पेशल कमिश्नर विजिलेंस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेफ्टी डिविजन की जिम्मेदारी दी गई है।
आईपीएस वीरेंदर सिंह चहल (1991)को, स्पेशल कमिश्नर  ट्रैफिक मैनेजमेंट डिवीजन लगाया गया है।
मोदी के मन भाए कमिश्नर पद पाए-
इन चारों अफसरों को दरकिनार कर जूनियर आईपीएस को कानून-व्यवस्था या अन्य  महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किए जाने से पता चलता है कि बिना कृपा महत्वपूर्ण पद नहीं मिलता। वैसे कृपा से पद मिलने का सबसे बड़ा उदाहरण तो कमिश्नर राकेश अस्थाना ही हैं। मोदी की कृपा से ही तो रिटायरमेंट से ठीक चार दिन पहले गुजरात काडर के आईपीएस राकेश अस्थाना को सेवा विस्तार देकर पुलिस कमिश्नर बना दिया गया। आईपीएस के अरुणाचल, गोवा,मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश काडर के 1987 और 1988 बैच के आईपीएस को दरकिनार कर दिया गया। 

डीसीपी का इतनी जल्दी तबादला-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा बनाए गए कमिश्नर सचिवालय में 5 अगस्त को ही नियुक्त किए गए डीसीपी कमल पाल सिंह मल्होत्रा को हटा दिया गया है। उनके स्थान पर साइबर सेल के डीसीपी अन्येष रॉय को नियुक्त किया गया है। कमलपाल का तबादला साइबर सेल में किया गया है।
नई जिम्मेदारी-
दक्षिण जिला के डीसीपी अतुल ठाकुर को पुलिस मुख्यालय में डीसीपी- एक,दक्षिण पूर्वी जिला के डीसीपी राजेंद्र प्रसाद मीणा को मुख्यालय में डीसीपी-दो और द्वारका के डीसीपी संतोष कुमार मीणा को प्रोवीजन एंड लाइन के डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है।
द्वारका जिले से तबादले के साथ ही तीन कंप्यूटर अवैध रुप से ले जाने वाले उत्तर जिले के डीसीपी एंटो अल्फोंस केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर चले गए हैंं।
वीनू बंसल फिर हटाया गया-
ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त वीनू बंसल का तबादला पुलिस नियंत्रण कक्ष के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर किया गया है। 
उल्लेखनीय है कि वीनू बंसल को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उत्तर पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाया गया था।

आईपीएस अधिकारी रॉबिन हिबू (1993), स्पेशल कमिश्नर, सशस्त्र पुलिस को स्पेशल कमिश्नर सशस्त्र पुलिस डिवीजन और प्रबंध निदेशक, दिल्ली पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के पद पर तैनात किया गया है। 
आईपीएस आई.डी. शुक्ला (1995), स्पेशल कमिश्नर सिक्योरिटी को अब स्पेशल कमिश्नर प्रोटेक्टिव सिक्योरिटी डिविजन की जिम्मेदारी दी गई है। 
आईपीएस  डेविड लालरिनसंग (1995), स्पेशल कमिश्नर पी एंड एल और वेलफेयर को स्पेशल कमिश्नर प्रोविजनिंग एंड फाइनेंसिस डिवीजन नोडल अधिकारी/एसपीयूएनईआर
 बनाया गया है।



40 IPS, DANIPS अफसरों के तबादले और तैनाती की सूची-