Sunday 31 May 2020

थानों में चार कदम उखाड़ देंगे कोरोना का दम। कमिश्नर ने पुलिसकर्मियों का बेहतर इलाज सुनिश्चित किया। कोरोना से निपटने के लिए तैयार पुलिस।

          पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव

अपराध और अपराधियों से निपटने वाली पुलिस कोरोना से भी निपटने को तैयार।

इंद्र वशिष्ठ
कोरोना के साथ ही जीना है लेकिन जीने के लिए काम करना भी जरूरी है। काम भी न रुके और कोरोना से भी बचे रहे। इसके लिए सभी लोग अपनी-अपनी जरूरतों के मुताबिक तमाम तरह के तरीके/ उपाय अपना रहे हैं।
अपराध और अपराधियों से निपटने वाली दिल्ली पुलिस भी कोरोना से निपटने के लिए भी तैयार हो रही है। 
इसी सिलसिले में थानों में पुलिस और लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।

पुलिसकर्मियों के इलाज की बेहतर व्यवस्था-
दिल्ली पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस कर्मियों के इलाज के लिए बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। विशेष पुलिस आयुक्त स्तर के अफसरों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कोरोना संक्रमण के शिकार हुए पुलिस कर्मियों को दिल्ली सरकार के अस्पतालों के अलावा एम्स, सेना के अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों में भी भर्ती कराने के इंतजाम किए गए हैं।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि मास्क, सेनेटाइजर, दस्ताने, फेस शील्ड, पीपीई किट समेत सभी जरूरी चीजें पुलिस कर्मियों के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी विशेष पुलिस आयुक्तों को सौंपी गई है।
कोरोना के बावजूद पुलिस का काम नहीं रुकेगा-
 पुलिस कर्मियों को कोरोना से बचाने के लिए सभी जरुरी चीजें जैसे सैनेटाइजर, मास्क, शील्ड और पीपीई किट आदि तो उपलब्ध कराई ही हुई है।
अब थानों में भी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अनेक उपाय किए गए। 
कोरोना पर काबू पाने के लिए तकनीक/ प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर थाने में पुलिस और लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है।
थानों में चार कदम -
दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त अतुल ठाकुर ने बताया कि थानों में पुलिसकर्मियों और आने वाले लोगों की कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है।
पुलिस कर्मियों और आंगतुकों के बीच सुरक्षित और संपर्क रहित( देह से दूरी) व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
इसके लिए थानों में प्रवेश द्वार पर ही चार हाईटेक उपकरण लगाए गए हैं।
 आगंतुक संपर्क रहित सेंसर आधारित सैनिटाइजेशन मशीन का उपयोग करके अपने हाथ को साफ करता है। एआई सक्षम थर्मल कैमरा द्वारा थर्मल स्क्रीनिंग से गुजरता है।
थाने के स्टाफ के साथ वीडियो इंटरकॉम के माध्यम से बात करता है। थाने में दिए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों को अल्ट्रावायलेट किरणों से युक्त कीटाणुनाशक डिब्बे में डाल सकते हैं।
इस प्रकार आगंतुक को थाने के भवन में प्रवेश करने की बहुत ही कम आवश्यकता होगी।
  
कोरोना पर काबू करने के लिए उठाए गए चार कदमों  का ब्यौरा-
1- हाथों को सैनिटाइज करने की टच फ्री मशीन- 
थाना परिसर में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति के संपर्क को कम करने के लिए, एक टच-फ्री हैंड सैनिटाइजर रखा गया है। जब भी कोई व्यक्ति मशीन की टोंटी/ नोज़ल के नीचे अपना हाथ रखता है, तो सेंसर को इसका पता लगता है और मशीन की टोंटी हाथों को साफ़ करने के लिए पर्याप्त मात्रा में अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र के छींटे/ फुहार हाथ पर छिड़क देता है।
2.तापमान की जांच के लिए थर्मल कैमरा- 
एक सुरक्षित दूरी से सटीक थर्मल चेकिंग सुनिश्चित करने के लिए थाने  के प्रवेश द्वार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त थर्मल कैमरा स्थापित किया गया है। इसमें एक थर्मल कैमरा और एक स्क्रीन है। कैमरा अपने से 2 फीट की दूरी पर खड़े व्यक्ति के माथे से तापमान को पढ़ता है और स्क्रीन पर तापमान प्रदर्शित करता और बोल कर बताता भी है।
 अगर किसी भी व्यक्ति का तापमान असामान्य होता है तो इस उपकरण में लगा स्पीकर चेतावनी दे कर अलर्ट (वॉइस अलर्ट जेनरेट) भी कर देता है यह भी पता लगा सकता है कि इमारत में प्रवेश करने वाला व्यक्ति नकाब/मास्क पहने हुए है या नहीं।
3. बातचीत के लिए वीडियो इंटरकॉम   -
 कैमरा, माइक्रोफोन और स्पीकर के साथ इंटरकॉम उपकरण थाना परिसर में रखे गए है। इस ऑडियो-वीडियो इंटरकॉम के माध्यम से आगंतुक और ड्यूटी अफसर बात करते हैं । ताकि लोगों को थाने  में प्रवेश करने की आवश्यकता न हो। यह  उपकण लोगों और पुलिस के बीच सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित करता है और कोरोना फैलने के जोखिम को कम करता है।
4.अल्ट्रावायोलेट (यूवी) डिब्बा -
थाने के प्रवेश द्वार पर एक यूवी कीटाणुशोधन बॉक्स रखा गया है। कोई भी वस्तु, शिकायत पत्र, दस्तावेज, फाइलें, मोबाइल फोन/संचार सेट आदि को सेनेटाइज करने के लिए इस डिब्बे में रखा जाता है।



पुलिस और आगंतुक की बातचीत लिए के थाने के द्वार पर लगा वीडियो इंटरकॉम 

हाथों के लिए टच फ्री सेनिटाइजेशन मशीन
तापमान की जांच के लिए थर्मल कैमरा

             अल्ट्रावायलेट किरणों से युक्त डिब्बा

Friday 29 May 2020

पुलिस ने पुजारी के रिश्तेदार शराब तस्कर को छोड़ दिया ? पुलिस कमिश्नर जांच कराएं/कार्रवाई करें। मोबाइल फोन बोलेंगे- सारे राज़ खोलेंगे

                    डीसीपी मोनिका भारद्वाज
मोबाइल फोन बोलेंगे-सारे राज़ खोलेंगे।

इंद्र वशिष्ठ
कालका जी मंदिर के पुजारी को शराब तस्करी में गिरफ्तार करने के मामले में बहुत ही चौंकाने वाली संगीन और खतरनाक जानकारी सामने आई हैं। शराब तस्करी में शामिल एक युवक को पुलिस द्वारा छोड़ देने की जानकारी मिली है।
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव को किसी ईमानदार अफसर से इसकी जांच करानी चाहिए। 
यह ऐसी जानकारी है जिससे पता चलता है कि पुलिस की मिलीभगत से ही अपराधी बेख़ौफ़ होकर अपराध कर रहे हैं।
इससे पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।
IPS चुप-
 इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए विशेष पुलिस आयुक्त सतीश गोलछा (कानून एवं व्यवस्था), संयुक्त पुलिस आयुक्त सुवाशीष चौधरी और डीसीपी मोनिका भारद्वाज को मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई।
व्हाट्सएप और एसएमएस पर मैसेज भी किया गया।

लेकिन इनमें किसी ने भी न तो फोन रिसीव किया और न ही मैसेज का जवाब दिया।
शराब तस्कर के रिश्तेदार को छोड़ दिया- 
हैरानी की बात यह है कि यह जानकारी खुद उस युवक ने दी है जो यह दावा करता है कि  सत्यनारायण उर्फ पोनी  के साथ शराब की तस्करी के समय वह भी उसके साथ था लेकिन पुलिस से सैटिंग करके वह छूट गया। 
 इस बात से यह भी पता चलता है कि पुलिस की मिलीभगत के चलते अपराधी इतने दुस्साहसी हो गए हैं कि वह इस पत्रकार को खुद फोन करके बड़ी शान से बिना डरे बेशर्मी से यह बात बता रहा है।  
अपनी पुलिस से सैटिंग हैं-
पुजारी के रिश्तेदार हिमांशु गोयल उर्फ़ आशु ( त्री नगर, शांति नगर निवासी ) ने बीती रात करीब 12 बजे इस पत्रकार को फोन कर कहा कि आप को असली कहानी नहीं पता। उसने दावा किया कि सत्यनारायण उर्फ पोनी के साथ उस समय कार में वह भी था। आशु पोनी की चचेरी बहन का पति   है।
 उसे पुलिस ने कैसे छोड़ दिया ? इस पर उसने कहा कि अपनी पुलिस में सैटिंग हैं। 
कितने पैसे देकर वह छूटा ? इस बारे में बताने से उसने यह कह कर इंकार कर दिया कि सारी कहानी बता दी तो आप छाप देंगे। उसने कहा कि मिल कर सारी कहानी बता दूंगा। 
इस पत्रकार ने उसे कहा कि अगर तुम ग़लत काम करते हो तो मुझे दोबारा फोन मत करना। 
मोबाइल फोन बोलेंगे सारे राज़ खोलेंगे-
पुलिस कमिश्नर को इस गंभीर और हैरतअंगेज मामले की किसी ईमानदार अफसर से ही जांच करानी चाहिए।
आशु और सत्य नारायण के मोबाइल फोन के डिटेल से दोनों के उस समय साथ होने का आसानी से पता चल जाएगा। यह भी पता चल जाएगा कि पोनी और उसके साथी एक ही कार में थे या आगे पीछे अलग-अलग कारों में थे।
इनके फ़ोन रिकॉर्ड की जांच से ही यह भी पता चल जाएगा कि किस-किस पुलिस वाले की इनसे सांठ-गांठ हैं। उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ के किस पुलिसकर्मी के साथ सैटिंग करके आशु गिरफ्तार होने से बच गया।
सीसीटीवी फुटेज-
इसके अलावा हरियाणा से लेकर  बुराड़ी तक के रास्तों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी यह आसानी से पता चल जाएगा कि शराब की तस्करी में शामिल कुल कितने तस्कर कार में सवार थे।
जखीरा में पोनी के घर पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हुए बताए जाते हैं। उसकी फुटेज से भी यह पता चल सकता है कि वहां पर शराब तस्करी और सट्टेबाजी से जुड़े कौन-कौन लोग और मिलीभगत वाले पुलिस वाले आते जाते रहते थे।
शराब तस्करी में कौन-कौन शामिल-
पोनी के जानकार बताते हैं कि वह अकेला तो कहीं पर भी नहीं जाता है। शराब तस्करी करने भी वह अकेला नहीं जा सकता। ऐसे में उसके साथ कौन-कौन था इसका खुलासा होना चाहिए।
पुलिस को असलियत का पता लगाने के लिए पोनी के बेटों/दोस्तों आदि  के मोबाइल फोन रिकॉर्ड की भी जांच करनी चाहिए।
पुलिस हिरासत में पोनी से कौन कौन मिलने गया और क्या वहां पर आशु भी गया था। इसका पता भी उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ के दफ्तर में पूछताछ और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी लगाया जा सकता है।
पुलिस से सैटिंग कर बेख़ौफ़- 
वैसे लगता है कि पुलिस से मिलीभगत के कारण उपजे अहंकार के कारण आशु ने बेख़ौफ़ हो कर बेशर्मी से यह सच्चाई  बताने का दुस्साहस किया होगा।
क्योंकि वैसे तो कोई भी किसी पत्रकार के सामने इस तरह की बात करने की मूर्खता नहीं करेगा। वह शायद यह भी दिखाना चाहता होगा कि उसकी पुलिस में कितनी जबरदस्त सैटिंग हैं।
कार मालिक कौन है ?-
 उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज ने इस मामले में मीडिया में जो जानकारी दी वह भी आधी अधूरी है। 
जिस सफेद रंग की सैंत्रो कार (DL-4C-AJ 6854) में शराब बरामद हुई, उसके मालिक के बारे में मीडिया में जानकारी नहीं दी गई।
पुलिस की भूमिका-
सत्य नारायण ने अपना पता त्री नगर शांति नगर बताया है जो कि ग़लत है। वह अपने परिवार के साथ जखीरा में सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में रहता है। पुलिस को बताए गए पते को वैरीफाई करना चाहिए था। अगर त्री नगर के पते को वैरीफाई करने भी पुलिस चली जाती तो भी उसे सच्चाई पता चल सकती थी। 
घर/ ठिकाने की तलाशी नहीं ली-
पुलिस ने बताया कि पोनी शराब के अंतराज्यीय गिरोह से जुड़ा हुआ है।
उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज बताएं कि सत्य नारायण को पकड़ने के बाद क्या उसके घर या किसी अन्य ठिकाने की तलाशी ली गई ?
पुलिस ने अगर उसके घर/ ठिकाने की तलाशी ली होती तो शायद और शराब भी बरामद हो सकती थी।  इसके अलावा शराब की तस्करी से जुड़े सबूत भी वहां से मिल सकते थे।
इसके साथ ही पुलिस को यह भी पता चल जाता कि सत्य नारायण का स्थायी घर कहां पर है। ऐसा लगता है कि सत्य नारायण ने जो भी बताया पुलिस ने बिना वैरीफाई किए उस पर विश्वास कर लिया।
सरकारी जमीन पर कब्जा-
अगर पुलिस जखीरा जाती तो उसे पता चल जाता कि वहां पर उसने तो सरकारी जमीन पर कब्जा भी किया हुआ है।
 जखीरा (मोती नगर थाना क्षेत्र) में रेलवे लाइन के  पास जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में रहता है। रेलवे लाइन के पास स्थित इस सरकारी जमीन पर पोनी, उसके भाइयों सोहन लाल उर्फ़ सोनू भारद्वाज और मनमोहन उर्फ़ टीटू का कब्जा है।
 तो जाहिर सी बात है कि बिजली के मीटर भी ग़लत तरीके से लगवाए गए होंगे।
ऐसे में पुलिस को शराब तस्कर के खिलाफ ज़मीन पर कब्जा करने के आरोप में भी कार्रवाई करने का मौका मिला है। 
पुलिस को खुद कार्रवाई करने के साथ-साथ संबंधित सरकारी एजेंसियों को भी कार्रवाई करने के लिए रिपोर्ट भेजनी चाहिए।
पुलिस को पूछताछ के दौरान पोनी के सट्टेबाजी से जुड़े होने का भी पता चला है।
पुलिस अगर गंभीरता से जांच करें तो सत्य नारायण उर्फ़ पोनी का पूरा कच्चा चिट्ठा पुलिस को पता चल जाएगा।
पुलिस ऐसा करें तभी अपराध और अपराधी पर अंकुश लग सकेगा।
कमिश्नर चाहें तो एक दिन में सच्चाई सामने आ जाए-
पुलिस कमिश्नर अगर‌ गंभीरता से कोशिश करें तो एक दिन में ही इस मामले की सारी सच्चाई का पता लगाया जा सकता है। 
इसके बाद अपराधियों को छोड़ने का अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही इस मामले में छोड़े गए अपराधियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
IPS सबक लें-
पुलिस कमिश्नर और आईपीएस अफसर को इस मामले से सबक लेना चाहिए। मातहत जिस भी अपराधी को पकड़ते हैं उसका प्रचार कराने तक ही उनको सीमित नहीं रहना चाहिए। आईपीएस अधिकारियों को हर मामले में मातहतों पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए। अफसरों को अपने स्तर पर और अपने विवेक से खुद भी पता लगाना चाहिए कि मातहत ने किसी अपराधी को छोड़ तो नहीं दिया या मातहत ने अपराधी के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने में लापरवाही तो नहीं बरती।
किसी अपराधी को सांठ-गांठ कर  छोड़ देने के कारण ही अपराधी बेख़ौफ़ हो कर अपराध कर रहे हैं।
सट्टा और शराब पुलिस की मिलीभगत बिना संभव नहीं-
इलाके में कौन-कौन सट्टा, अवैध शराब या अन्य ग़ैर क़ानूनी काम करता है इसकी जानकारी पुलिस को न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। बिना पुलिस की मिलीभगत के सट्टा और अवैध शराब का धंधा भला कोई  कर सकता है।  त्री नगर और जखीरा इलाके में भी वर्षों से सट्टा खेलने/ खिलाने वाले जगजाहिर/ बदनाम है। कल तक बहुत ही मामूली-सी आर्थिक स्थिति वाले अब सट्टे के कारण मकान और महंगी कारों के मालिक बन चुके हैं।
पुलिस हाजिरी लगाती है-
पोनी अपने रिश्तेदारों के सामने बड़े रौब से बताता भी  है कि पुलिस वाले तो उसके यहां हाजिरी लगाने आते हैं। शायद यही वजह है कि पुलिस ने पहले कभी पोनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
मोती नगर थाना की नाक के नीचे शराब तस्कर का अड्डा-
इस मामले में मोती नगर थाना पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग गया है। शराब तस्करी में पकड़ा गया सत्य नारायण उर्फ़ पोनी जखीरा पुल के नीचे रहता है। सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में जाने का एक ही रास्ता है। पुल के नीचे इस घर के बाहर‌ ही ‌ मोती नगर थाना पुलिस की बकायदा बूथ/पिकेट बनी हुई है। यहां तैनात पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए।
उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ ने बताया कि पोनी कई सालों से सट्टा आदि ग़ैर क़ानूनी काम भी कर रहा था। इसके बावजूद वह अब तक कैसे नहीं पकड़ा गया इस पर स्पेशल स्टाफ ने भी हैरानी  जताई।

पुलिस का दावा-
 उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक सूचना के आधार पर स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा, सब इंस्पेक्टर प्रवीण शर्मा, एएसआई यशपाल सिंह, हवलदार अंसार ख़ान और सिपाही रवींद्र सिंह की टीम ने एक सूचना के आधार पर  बाहरी रिंग रोड पर बुराड़ी चौक के पास बैरीकेड लगा कर चेकिंग शुरू कर दी।
मुकरबा चौक की ओर से आई सफेद रंग की सैंत्रो कार को पुलिस ने बैरीकेड लगा कर रोक लिया।
कार में से शराब की 23 पेटी जब्त की गई। इन पेटियों में देसी और अंग्रेजी शराब के कुल 1140 पव्वे बरामद हुए हैं। कार सवार सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ़ पोनी( 50) निवासी जखीरा (मोती नगर थाना क्षेत्र) को गिरफ्तार कर लिया गया।



                     सत्यनारायण उर्फ पोनी

















Wednesday 27 May 2020

कालका जी मंदिर का पुजारी शराब तस्करी में गिरफ्तार। पुलिस ने शराब तस्करों के अंतराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया। शराब की 23 पेटियां बरामद।

                    डीसीपी मोनिका भारद्वाज
                    बरामद शराब के साथ पोनी
कालका जी मंदिर का पुजारी शराब तस्करी में गिरफ्तार।

इंद्र वशिष्ठ
कालका जी मंदिर के एक पुजारी को उत्तरी जिला पुलिस ने शराब की तस्करी में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अवैध शराब के तस्करों के अंतराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश कर शराब की 23 पेटियां बरामद की हैं।
लॉक डाउन में शराब तस्करी -
उत्तरी जिला पुलिस की उपायुक्त मोनिका भारद्वाज के अनुसार लॉकडाउन के दौरान शराब तस्करी को रोकने के लिए पुलिस जुटी हुई थी।
सूचना मिली थी कि हरियाणा से शराब तस्कर शराब लाकर उत्तर और मध्य दिल्ली में सप्लाई करते हैं।
स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा, सब इंस्पेक्टर प्रवीण शर्मा, एएसआई यशपाल सिंह, हवलदार अंसार ख़ान और सिपाही रवींद्र सिंह की टीम ने एक सूचना के आधार पर आज बाहरी रिंग रोड पर बुराड़ी चौक के पास बैरीकेड लगा कर चेकिंग शुरू कर दी।
मुकरबा चौक की ओर से आई सफेद रंग की सैंत्रो कार (DL-4CAJ 6854) को पुलिस ने बैरीकेड लगा कर रोक लिया।
कार में से शराब की 23 पेटी जब्त की गई। पेटियों में देशी और अंग्रेजी शराब के  कुल 1140 पव्वे बरामद हुए हैं। कार सवार सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ़ पोनी( 50) निवासी जखीरा को गिरफ्तार कर लिया गया।

अवैध शराब की तस्करी के लिए आबकारी कानून के अलावा लॉक डाउन के उल्लंघन, जीवन के लिए ख़तरनाक किसी बीमारी के संक्रमण को फ़ैलाने की संभावना के लिए किए जाने वाले किसी भी कार्य को घातक रुप से करने की धारा 188/269/270 के तहत बुराड़ी थाने में मामला ( एफआईआर नंबर 227) दर्ज किया गया है।

पुजारी निकला शराब तस्कर-
 डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार वह यह शराब हरियाणा के शराब माफिया से लेकर यहां सप्लाई करने लाया था।
सत्यनारायण उर्फ पोनी का संबंध दिल्ली के कालका जी मंदिर से जुड़ा हुआ है। चिराग दिल्ली के सैकड़ों परिवार कालकाजी मंदिर के पुजारी है। उनमें से सत्यनारायण शर्मा  भी एक पुजारी हैं।
मंदिर में पूजा का भी ठेका-
 चिराग दिल्ली के बहुत से पुजारी अब खुद पूजा नहीं कराते हैं वह अपनी बारी आने पर दूसरे पुजारी से पैसा लेकर अपने बदले उसे पूजा करवाने का ठेका दे देते हैं। उस पुजारी को ठेकेदार कहा जाता है। सिर्फ पुजारियों के परिवार का ही सदस्य ही ठेका ले सकता है।

जखीरा में हजारों गज जमीन पर कब्जा-
सत्यनारायण ने पुलिस को अपना स्थायी पता शांति नगर, त्री नगर बताया। लेकिन सत्यनारायण परिवार के साथ जखीरा (मोती नगर थाना क्षेत्र) में रेलवे लाइन के  पास जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में रहता है। रेलवे लाइन के पास स्थित इस सरकारी जमीन पर पोनी, उसके भाइयों सोहन लाल उर्फ़ सोनू भारद्वाज और मनमोहन उर्फ़ टीटू का कब्जा है।
पुलिस की मिलीभगत-
 रेलवे पुलिस, स्थानीय पुलिस और अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों की मिलीभगत से हजारों गज जमीन पर कब्जा कर के इन लोगों ने किराएदार रखे हुए है।
बिजली कंपनियों की सांठ-गांठ से बिजली के मीटर लगाए गए हैं। एक मीटर तो सोनू ने अपने मौसा बी डी झा उर्फ़ सरजी के नाम से भी लगवाया था। 
पुलिस गंभीरता से जांच करें तो इन तीनों भाइयों के साथ साथ कब्जा करने और मीटर लगवाने में मदद करने वाले अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज किए जाने चाहिए।

 धर्मशाला में भी किराएदार-
यहीं नहीं कालका जी में कुछ दानवीरों ने धर्मशाला बना कर देखभाल के लिए धर्मशाला इनकी दादी को सौंप दी थी लेकिन इस परिवार ने धर्मशाला पर पूरी तरह अपना कब्जा कर उसमें भी किराएदार रख दिए। इसके अलावा कालका जी मंदिर के पास सैकड़ों गज जमीन पर भी कब्जा कर लिया। 

पुलिस हाजिरी लगाती है-
पोनी अपने रिश्तेदारों के सामने बड़े रौब से बताता भी  है कि पुलिस वाले तो उसके यहां हाजिरी लगाने आते हैं। शायद यही वजह है कि पुलिस ने पहले कभी पोनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
आईपीएस के साले के करोड़ों देने है-
सट्टा और जुए की लत के कारण पोनी पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। दक्षिण जिला के तत्कालीन डीसीपी ईश्वर सिंह के साले वीर सिंह का ही इसने दो -ढाई करोड़ रुपए देना है। इसके अलावा अनेक रिश्तेदारों, दोस्तों जानकारों से भी इसने कर्ज लिया हुआ है।
वीर सिंह से लिए कर्ज की बात तो वह बड़ी शान से खुद ही सबको बताता है। 

उत्तरी जिला पुलिस अगर गहराई और गंभीरता से जांच करे तो सारी असलियत सामने आ जाएगी। मोती नगर थाना क्षेत्र में जखीरा वर्षों से सट्टे और जुए के अड्डे के रुप में भी त्री नगर और इंद्र लोक में बदनाम  हैं।




                    सत्यनारायण उर्फ पोनी







Tuesday 26 May 2020

SHO की जान बचाने के लिए बेटी बोली आप ने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया। देखिए ये आप की सरकार है खून के आंसू रो रहे इंसान है।



SHO की जान बचाने के लिए बेटी बोली आप ने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया।
देखिए ये कैसी सरकार है खून के आंसू रो रहे इंसान है।
पुलिसकर्मियों का जीते जी तो इलाज भी नहीं करते, मरने पर देते हैं एक करोड।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा हैं कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 2500 बिस्तर बेड/ और 239 वेंटिलेटर खाली हैं। इसके अलावा सरकारी अस्पताल में कुल 3829 बिस्तरों में से 3164 बिस्तर पर आक्सीजन देने की सुविधा उपलब्ध है। कुल 250 वेंटिलेटर में से सिर्फ 11 पर ही मरीजों को रखा गया है। शेष वेंटिलेटर खाली हैं।

मुख्यमंत्री के दावों की पोल पिछले दो महीनों से लगातार खुल रही हैं। इसके बावजूद मरीजों को भर्ती नहीं करने, इलाज न करने या इलाज में लापरवाही बरतने का शर्मनाक सिलसिला लगातार जारी हैं। मुख्यमंत्री द्वारा फिर भी लगातार दावे किया जाना अमानवीय संवेदनहीन शर्मनाक है।

मुख्यमंत्री के दावों की असलियत बताने वाले यह दो मामले ओर है। नन्द नगरी थाने के एसएचओ को ही राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने भर्ती करने से इंकार कर दिया।
एक अन्य मामले में धर्मेंद्र भारद्वाज रोते हुए अपनी मां के लिए वेंटिलेटर/ बेड की गुहार लगा चुके हैं।

 नन्द नगरी थाने के एसएचओ का मामला-
कोरोना पाज़िटिव एस एच ओ अवतार सिंह रावत को शनिवार 23 मई को तेज़ बुखार (103) हुआ। वह अपने थाने के पास स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गए।
जीटीबी एंक्लेव थाने के एसएचओ ने अस्पताल के सीएमओ से बात की। लेकिन डाक्टरों ने अवतार सिंह को  भर्ती करने से इंकार कर दिया। 
इसके बाद वरिष्ठ अफसरों ने आर्मी बेस अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन वहां एस एच ओ को संतुष्टि नहीं हुई। फिर वह एम्स झज्जर में गए। वहां डाक्टर ने उनकी सुध नहीं ली।
एस एच ओ की बेटी ने लगाई गुहार-
 एस एच ओ अस्पताल में  बेड और सुविधाओं की कमी होने के कारण एक से दूसरे अस्पताल भटकते रहे।
24 घंटे तक इलाज न होने से परेशान एस एच ओ की बेटी नियति रावत ने रविवार शाम को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर आदि को टि्वट किया। जिसके बाद रविवार रात को एस एच ओ को राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया।
लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया-
एस एच ओ की बेटी ने टि्वट में उपरोक्त सभी से कहा कि यह अमानवीय है। आपने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
 बाद में एस एच ओ की बेटी ने यह टि्वट डिलीट कर दिया। लेकिन दूसरा टि्वट कर बताया कि उसके पिता का अब इलाज हो रहा है।

पुलिस एफआईआर दर्ज कर बचाए लोगों की जान-
पांच मई को सिपाही अमित राणा सांस लेने में तकलीफ से तड़पता हुआ अस्पतालों में भटकता रहा लेकिन किसी ने उसे भर्ती नहीं किया। सिपाही अमित को अगर तुरंत वेंटिलेटर/आक्सीजन मिल जाता तो उसकी जान बच भी सकती थी।
सिपाही की  मौत के मामले में  डाक्टर और अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थी। इलाज न करना, भर्ती न करना या इलाज में लापरवाही बरतना अपराध है जब तक ऐसा अपराध करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का सिलसिला जारी रहेगा।

कमिश्नर करें कर्तव्य का पालन-
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करें और उन डाक्टर और अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें जो इलाज न करके, भर्ती न करके या इलाज में लापरवाही करके मरीजों को मौत के मुंह में धकेलने का अपराध कर रहे है। 
आम मरीजों की शिकायत पर तो पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती हैं।
लेकिन पुलिस कमिश्नर ने अगर सिपाही अमित की मौत के मामले में ही उन डाक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी होती  तो अस्पताल एस एच ओ नन्द नगरी को भी भर्ती करने से इंकार नहीं करते।
एफआईआर दर्ज करने के पुख्ता कारण-
पुलिस अफसरों को भी यह तो मालूम ही होगा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो दावा कर रहे हैं कि अस्पतालों में बिस्तर, वेंटिलेटर और आक्सीजन खाली हैं। ऐसे में पुलिस के  पास उन डॉक्टर और अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के पुख्ता और ठोस सबूत है जो मरीजों का इलाज या भर्ती करने से इंकार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पर लगा दाग़ धुलेगा नहीं-
सिपाही अमित की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने उसके परिवार को एक करोड़ रुपए दिए। लेकिन एक करोड़ रुपए देने से केजरीवाल पर लगा सिपाही की मौत का दाग़ धुलेगा नहीं। सांस लेने के लिए तड़प रहे सिपाही अमित को भर्ती करके आक्सीजन दी जाती तो उसकी जान बच सकती थी।

मां को आंखों के सामने मरते हुए कैसे देख लें-
यमुना विहार निवासी  धर्मेंद्र भारद्वाज ने अपनी मां श्यामा शर्मा(71) को पटपड़गंज, मैक्स अस्पताल में 19 मई को भर्ती कराया था। 21मई को उनके
कोरोना पाज़िटिव होने की रिपोर्ट आई।
 धर्मेंद्र भारद्वाज ने रोते हुए अपनी पीड़ा का एक वीडियो 22 मई को वायरल किया। जिससे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और देश की राजधानी में महामारी के पीड़ितों के इलाज के लिए किए जाने वाले दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है।
वेंटीलेटर का इंतजाम करो-
कोरोना पाज़िटिव रिपोर्ट आने के बाद मैक्स अस्पताल ने धर्मेंद्र से कहा कि आप वेंटिलेटर/ बेड का इंतजाम कर लो, हमें ट्रीटमेंट की अथारिटी नहीं है।आपकी मां को शिफ्ट करना पड़ेगा। धर्मेंद्र ने अनेक अस्पतालों और कोरोना हेल्प लाइन समेत सभी जगह फोन किए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

खून के आंसू रोया बेटा -
रोते हुए अपनी पीड़ा बयान कर रहे धर्मेंद्र ने कहा कि दिल्ली सरकार वेंटिलेटर/ बेड उपलब्ध होने के इतने बड़े-बड़े दावे करती हैं। विज्ञापन भी देती है। लेकिन यह सब दावे झूठे हैं। जमीनी हकीकत में यह सब जीरो हैं।
देश की राजधानी में हम इतना हेल्पलेस फील कर रहे हैं।
कोरोना पाज़िटिव के परिजन जो इस समस्या का सामना कर रहे हैं। ये समझिए उनकी आंखों से खून निकल रहा है। कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही है।

धर्मेंद्र ने प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से गुहार लगाई और पूछा कि अब ऐसे में हम अपनी आंखों के सामने अपने परिजनों को जाता हुआ देखेंगे क्या ? हम तिल तिल मरता देख रहे हैं। हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
वीडियो वायरल करने का असर यह हुआ कि मैक्स में ही इलाज जारी है।
लेकिन मैक्स अस्पताल ने इस मामले में जो किया वह अमानवीय संवेदनहीन व्यवहार ही नहीं है अपितु अपराध है।

गरीबों की दुर्दशा का अंदाजा लगाइए-
दिल्ली पुलिस  कर्मियों यानी कोरोना योद्धाओं तक को भर्ती नहीं किया जा रहा है। अमीर मरीजों के परिजनों को भी इलाज के लिए रोना गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। ऐसे में ग़रीब और आम कोरोना मरीजों की दुर्दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।

दावों का निकला दम-
मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि अगर कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ेगी तो उनके इलाज के लिए अस्पतालों में व्यापक व्यवस्था की गई हैं।
लेकिन जो सरकार, अस्पताल और डाक्टर अभी बहुत ही सीमित/कम संख्या में भर्ती मरीजों का ही इलाज करने में ही विफल हो गई है। ऐसे में वह मरीजों की बेतहाशा वृद्धि पर क्या ख़ाक इलाज करेगी।

मुख्यमंत्री का मुख्य और एकमात्र लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ मरीजों के इलाज की व्यवस्था करना होना चाहिए जिसमें वह अभी तक बुरी तरह फेल हो गए हैं।

दावों की धज्जियां उड़ाने वाले मामले-

मां की जान बचाने के लिए बेटी गिड़गिडाई  -
केशव पुरम की पूजा गुप्ता को एक मई को लोकनायक अस्पताल में भर्ती किया गया। पूजा की दोनों किडनी पूरी तरह ख़राब है। वह घर से अपनी जो दवाई और कपड़े ले गई अस्पताल में वह भी चोरी हो गए। इलाज करना तो बहुत दूर खाना और पानी भी समय पर नहीं मिल रहा है। तीन मई को पूजा की बेटी ने अपनी मां की जान बचाने के लिए वीडियो वायरल कर गुहार लगाई। डाक्टरों की लापरवाही के कारण पूजा की जान भी जा सकती हैं।

फौजी की मौत डाक्टरों पर आरोप-
एक अन्य वीडियो में डायबिटीज़ के मरीज रिटायर्ड फौजी की मौत के लिए उसके बेटे ने डाक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

पिता की जान बचाने के लिए बेटी ने लगाई  गुहार-
इसके पहले जहांगीर पुरी के अरविंद गुप्ता की जान बचाने के लिए उसकी बेटी और पत्नी को वीडियो वायरल कर गुहार लगानी पड़ी थी। कोरोना पीड़ित अरविंद गुप्ता पहले से डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज हैं। भर्ती किए जाने के बाद डाक्टरों ने उनको देखा तक नहीं। शुगर के मरीज अरविंद को भूखा रख कर उसकी जान से खिलवाड़ किया गया। 

बिलखती रानी ने लगाई थी गुहार अम्मी मुझे बचा लो-
इसके अलावा बल्लीमारान की रानी ख़ान और पुरानी दिल्ली के फैजान आदि के वीडियो वायरल हुए। कोरोना पीड़ित इन मरीजों की डायलिसिस न करके जानबूझकर इन सबकी जान को ख़तरे में डाल दिया गया। 

मरीजों और परिवार में भरोसा कायम करें सरकार-
माना कि कोरोना की तो कोई दवा और टीका अभी तक नहीं बना है। 
लेकिन इन मामलों से तो यह आशंका पैदा हो रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि  मरीजों की गंभीर बीमारी का इलाज न होने से मरीजों की मौत हो जाए और सरकार उसे भी कोरोना से हुई मौत मान ले।
सरकार को अस्पताल में भर्ती उपचाराधीन मरीज और मरने वाले हर मरीज की बीमारी और इलाज का पूरा ब्यौरा मरीज़ के परिवार को देना चाहिए/ सार्वजनिक करना चाहिए जिससे साफ़ पता चल जाएगा कि हार्ट, शुगर किडनी, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज को किस दिन क्या दवा दी गई और डायलिसिस आदि कब की गई।

टेस्ट के लिए गिड़गिड़ाना- 
अभी हालात यह हैं कि जिस कोरोना पीड़ित को सरकार खुद अस्पताल में भर्ती करती है उसका इलाज कराने और परिवार के अन्य सदस्यों के टेस्ट कराने के लिए भी लोगों को गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।
दूसरी ओर ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मामले  भी सामने आ रहे हैं कि जिसमें वह खुद अस्पताल में भर्ती होने जाते हैं तो उनको भर्ती करने से इंकार कर दिया जाता है।
हाल ही में मौजपुर के ऐसे ही एक मरीज़ को भर्ती होने के लिए पूरा दिन अस्पताल के धक्के खाने का मामला भी उजागर हुआ।

बच्चे की जान बचाने के लिए मौसी ने लगाई गुहार-
28 अप्रैल को एक महिला ने वीडियो वायरल किया जिसमें बताया कि कोरोना पीड़ित चौदह साल के उसके भांजे को लोकनायक, राममनोहर लोहिया अस्पताल के अलावा गंगा राम और मैक्स जैसे प्राइवेट अस्पताल ने भी भर्ती करने से इंकार कर दिया।
यह हकीकत मुख्यमंत्री के कोरोना से निपटने के लिए किए गए इंतजाम के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। 
इन सब मामलों से पता चलता है कि उप-राज्यपाल/ मुख्यमंत्री/ सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। इसलिए यह सिलसिला जारी है और कोई सुधार नहीं हो रहा है।
मुख्यमंत्री बताएं क्या कार्रवाई की-
मुख्यमंत्री बताएं कि इलाज़ न करने या लापरवाही बरतने वाले कितने डाक्टर, नर्स के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की।
मुख्यमंत्री को यह सब जानकारी जनता को देनी चाहिए।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोरोना के बारे में अभी जो जानकारी या आंकड़े आदि देते हैं वह काम तो सरकार या अस्पताल का कोई अदना सा प्रवक्ता भी कर सकता है।  
सेवा भाव सबसे जरुरी-
मुख्यमंत्री का काम होता है लोगों की परेशानी को सुन कर उनके इलाज के लिए उचित व्यवस्था करना। डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की सुरक्षा के लिए पीपीई समेत सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना।
सुरक्षा उपाय /उपकरण/ सुविधा/ व्यवस्था के बावजूद भी अगर कोई डाक्टर या नर्स संक्रमण के भय  या किसी अन्य कारण से कोरोना मरीजों का इलाज करने में अनिच्छा दिखाता है तो उसे जबरन उस काम में न लगाया जाए। क्योंकि बिना सेवा भाव वाले लोगों के कारण ही मरीजों की जान को खतरा पैदा हो सकता है।
डाक्टर खुल कर सामने आए-
अगर सरकार द्वारा डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ आदि के लिए सुरक्षा किट या अन्य जरूरी सामान उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। डाक्टरों को क्या-क्या समस्या/दिक्कत पेश आ रही हैं।
 तो डाक्टरों को यह बात खुल कर मीडिया में बतानी चाहिए।  ताकि लोगों के सामने यह साफ़ हो जाए कि  कसूरवार डाक्टर है या सरकार।
वरना अभी तक तो यही बात सामने आई हैं कि डाक्टर इलाज करना तो दूर मरीजों को देख भी नहीं रहे हैं। इस तरह डाक्टर मरीजों की जान बचाने के अपने धर्म का पालन न करके अपराध भी कर रहे हैं।


धर्मेंद्र भारद्वाज








Sunday 24 May 2020

पाकिस्तान के नापाक मंसूबे आतंकवाद,नशा और जासूसी। घर के भेदी ढहा रहे लंका।


पाकिस्तान के नापाक मंसूबे आतंकवाद,नशा और जासूसी।   घर के भेदी ढहा रहे लंका।

इंद्र वशिष्ठ
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी
भारत में ख़ास कर कश्मीर में आतंकवादी हमला करने की कोशिश में लगे रहते है। इसके अलावा यह आतंकी गिरोह भारत के लोगों को नशे के दलदल में धकेलने में भी लगे हुए है। आतंकवाद के लिए पैसा जुटाने के लिए यह आतंकी गिरोह नशे का कारोबार करते हैं।

घर का भेदी लंका ढाए-
 सेना, सीमा सुरक्षा बल और पुलिस  आतंकवादियों के मंसूबों पर पानी फेरने में लगातार जुटे रहते हैं। 
लेकिन यह भी सच है कि बिना भारतीय गद्दारों यानी देशद्रोहियों के पाकिस्तान अपने मंसूबों में कभी भी सफल नहीं हो सकता है।
आतंकवाद हो या नशे/ हेरोइन की तस्करी यह सब देशद्रोहियों की सांठ-गांठ से होता है। इनमें सुरक्षा बल और पुलिस वालों के शामिल होने के मामले अक्सर सामने आ रहे हैं।
कुछ समय पहले ही कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंद्र सिंह को आतंकवादियों के साथ कार में जाते हुए गिरफ्तार किया गया था।
सबसे ख़तरनाक/गंभीर और शर्मनाक बात यह है कि सेना में मौजूद कुछ गद्दार भी पाकिस्तान के जासूस बन कर देशद्रोह करते हैं।
भारतीय राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने नोसैना में मौजूद ऐसे ही 11 गद्दारों को गिरफ्तार किया। इसके अलावा पाकिस्तानी आतंकवादियों के गिरोह से जुड़े पंजाब के नशे के एक कुख्यात सौदागर को भी गिरफ्तार किया गया।
नौसेना के गद्दारों को धन देने वाला मुंबई का व्यापारी-
पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले भारतीय नौसेना कर्मियों को धन देने वाले मुंबई के व्यापारी मोहम्मद हारुन हाजी अब्दुल रहमान को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया है। 
 मुंबई निवासी मोहम्मद हारुन हाजी अब्दुल रहमान लकड़ावाला (49) विशाखापत्तनम जासूसी मामले में एक प्रमुख साजिशकर्ता हैं। 
भारतीय नौसेना के गद्दार बने पाकिस्तान के जासूस-
यह मामला एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी गिरोह से संबंधित है जिसमें पाकिस्तान में स्थित और भारत के विभिन्न स्थानों के व्यक्ति शामिल हैं। 
भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के स्थानों / गतिविधियों के बारे में संवेदनशील और ख़ुफ़िया/ वर्गीकृत जानकारी एकत्र करने के लिए पाकिस्तानी जासूस भारत में एजेंटों की भर्ती करते हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क-
एनआईए को जांच से पता चला है कि कुछ नौसेना कर्मी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में आए और धन लाभ के बदले महत्वपूर्ण ख़ुफ़िया  जानकारी साझा करने में शामिल थे।
व्यापारी पैसा पहुंचाते-
 नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में पैसा उन भारतीय सहयोगियों/ व्यापारियों के माध्यम से जमा किया गया था, जिनके पाकिस्तान में व्यापारिक हित हैं।
नौसेना के 11 गद्दार गिरफ्तार-
इस मामले में अब तक 14 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 11 नौसेना कर्मी और एक पाकिस्तानी मूल की भारतीय नागरिक शाइस्ता क़ैसर शामिल हैं।
पिछले साल नवंबर में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा थाने में सीआई सेल ने इस सिलसिले में मामला दर्ज किया था।
दिसंबर में एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की थी। 
व्यापार की आड़ में पाकिस्तान में जासूसों से मुलाकात-
एनआईए को जांच में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद हारून लकड़ावाला सीमा पार व्यापार करने की आड़ में अपने आकाओं से मिलने के लिए कई बार कराची, पाकिस्तान का दौरा कर चुका है। 
इन यात्राओं के दौरान वह दो पाकिस्तानी जासूसों अकबर उर्फ़ अली और रिज़वान के संपर्क में आया जिन्होंने उसे नियमित अंतराल पर नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में पैसा जमा करने के निर्देश दिए।

आतंकवादियों को धन देने वाला नशे का सौदागर।    
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पंजाब और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर नशे और आतंकवाद के कुख्यात सौदागर रंजीत सिंह उर्फ़ चीता उर्फ़ राणा को हरियाणा के सिरसा में गिरफ्तार किया।  रंजीत सिंह की हेरोइन की तस्करी के अलावा आतंकवादी गिरोह हिजबुल मुजाहिदीन को रकम मुहैया कराने के मामले में भी तलाश की जा रही थी।
पाकिस्तान से सेंधा नमक में छिपा कर  लाते हेरोइन।-
अटारी बार्डर पर पिछले साल जून में कस्टम विभाग ने 532 किलो हेरोइन जब्त की थी। यह हेरोइन पाकिस्तान से सेंधा नमक के बीच छिपा कर लाई गई थी। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनसे पूछताछ में पता चला कि हेरोइन की चार खेप पाकिस्तान से वह पहले भी भारत ला चुके हैं। हेरोइन की तस्करी कस्टम हाउस एजेंटों, ट्रांसपोर्टरों, आयातकों की सांठ-गांठ से की जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय हवाला  के जरिए पैसों का लेन-देन किया जाता था। एनआईए द्वारा इस मामले में रंजीत सिंह समेत 15 लोगों के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में अदालत में आरोपपत्र दाखिल भी किया जा चुका हैं।
इस मामले में मुख्य अभियुक्त रंजीत सिंह की तलाश की जा रही थी। एक ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर उसे सिरसा में बेगू रोड पर एक खेत में बने मकान में छापा मारकर गिरफ्तार किया गया। रंजीत और अपने परिवार के साथ सात महीने से यहां छिपा हुआ था। 
आतंकवादियों को धन -
पंजाब पुलिस ने पिछले महीने की  25 तरीख को अमृतसर में हिजबुल मुजाहिदीन के हिलाल अहमद  को 29 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया। कश्मीर में नौगांव निवासी हिलाल अहमद ने यह रकम कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ़ आपरेशनल कमांडर रियाज़ नाइकू (अब मारा जा चुका) को देनी थी। 
आतंकवादी गिरोह हिजबुल मुजाहिदीन को रकम मुहैया कराने के इस मामले में भी मुख्य अभियुक्त रंजीत सिंह की तलाश की जा रही थी।
अपने पांच भाइयों के साथ रंजीत पिछले कई सालों से नशे के कारोबार में सक्रिय हैं। अमृतसर निवासी इन अभियुक्तों के खिलाफ अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
आतंकवाद के लिए नशे का धंधा-
एनआईए को जांच के दौरान पता चला है कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी गिरोह भारत में आतंकवाद के लिए नशे के कारोबार से धन जुटाने में लगे हुए हैं। आतंकवाद के मकसद को पूरा करने के लिए ही नशे की तस्करी के कारोबार को हवाला और कोरियर  के जरिए कश्मीर घाटी में स्थानांतरित किया गया है।




Saturday 23 May 2020

बांग्लादेशी लड़कियों से जिस्मफरोशी कराने वाले अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर मियां बीवी को NIA ने गिरफ्तार किया।

बांग्लादेशी लड़कियों से जिस्मफरोशी कराने वाले अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर मियां बीवी को  NIA ने गिरफ्तार किया ।

इंद्र वशिष्ठ
बांग्लादेश से लड़कियों को अवैध रूप से भारत लाकर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेलने वाले अतंरराष्ट्रीय गिरोह के प्रमुख मानव तस्कर और उसकी पत्नी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया है।
मानव तस्कर की पत्नी बांग्लादेश की नागरिक-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मानव तस्करी और देह व्यापार के प्रमुख आरोपी जस्टिन उर्फ़ अब्दुल सलाम (47) और उसकी पत्नी शिवुली खातून(29) को हैदराबाद में गिरफ्तार किया है।
शिवुली खातून बांग्लादेश की नागरिक है वह 2012 में अवैध रूप से भारत में आ गई थी।
हैदराबाद पुलिस ने पिछले साल अप्रैल में देह व्यापार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई थी। यह मामला यौन शोषण के लिए हैदराबाद सहित भारत के विभिन्न शहरों में बांग्लादेश से मानव तस्करी से संबंधित है। 
अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर गिरोह-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिरीक्षक(आईजी) आलोक मित्तल के अनुसार बांग्लादेश और भारत के अपराधियों/ एजेंटों का मानव तस्करी और देह व्यापार का यह संगठित गिरोह हैं। यह गिरोह यौन शोषण के लिए बांग्लादेश से अवैध रूप से लड़कियों की तस्करी करके भारत लाता था।
इन लड़कियों को हैदराबाद और भारत के अन्य शहरों के वेश्यालयों/ कोठों पर देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता था।
यौन शोषण के लिए बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत लाई गई दो लड़कियों को अब्दुल के घर से मुक्त कराया गया।
मानव तस्करी-देह व्यापार में पत्नी शामिल-
अब्दुल की गिरफ्तारी के बाद उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार किया गया।
एनआईए को जांच में पता चला कि शिवुली खातून अपने पति अब्दुल के वेश्यालय चलाने और मानव तस्करी के अपराध में पूरी तरह सहयोगी/ शामिल है।
तीन लड़कियों को मुक्त कराया-
शिवुली खातून और अब्दुल सलाम के घर पर तलाशी के दौरान, एक ओर लड़की को बचाया गया है। इस लड़की घर में बनाए गए एक  ठिकाने पर छिपा कर रखा गया था। जिन लड़कियों को बचाया गया है, वे जस्टिन उर्फ़ अब्दुल सलाम और शिवुली खातून के सहयोगियों के माध्यम से बांग्लादेश से अवैध रूप से यौन शोषण के लिए भारत में आई थी

तीन बांग्लादेशी गिरफ्तार -
 इस मामले में तीन बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद यूसुफ खान उर्फ़ मोहम्मद इमरान शेख,  बिथी बेगम उर्फ़ ख़दीजा शेख़ और सोजिब शेख़ और एक भारतीय नागरिक, रूहुल अमीन ढाल्ली को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और उनके खिलाफ चार्जशीट भी 12 मार्च 2020 को दायर की जा चुकी है।
अब्दुल सलाम के  पैतृक और  किराए के घर की तलाशी ली गई। वहां से अपराध से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं।