Friday 1 May 2020

कुंडली के चक्कर में बीत रही शादी की उम्र। गूगल बाबा/पंडित कर रहे गुमराह। कालसर्प के नाम पर ठगते हैं पंडित।


आचार्य डॉ विद्या रतन भारद्वाज

मांगलिक योग के नाम पर गूगल बाबा और पंडित कर रहे गुमराह।
काल सर्प योग के नाम पर भी ठगते हैं पंडित-
कुंडली के चक्कर में बीत रही उम्र।
मंगली के चक्कर में लड़के-लड़कियों का अमंगल।

इंद्र वशिष्ठ

विवाह के लिए लड़के-लड़कियों की जन्म कुंडली मिलाई जाती है। कुंडली का मिलान आज-कल लोग खुद भी इंटरनेट पर उपलब्ध ज्योतिष के सॉफ्टवेयर से कर/करा लेते हैं। लेकिन गूगल पर कुंडली का मिलान पूरी तरह सही/ सटीक नहीं हो पाता है।
कुंडली न मिलने के कारण शादियों में देरी हो रही है। लड़के लड़कियों की शादी की सही उम्र तक निकल जाती है। 
कुंडली में मुख्य रूप से गण, मांगलिक, नाड़ी दोष आदि के आधार पर कुंडली का मिलान किया जाता।

इनमें से कोई भी दोष पाए जाने पर शादी नहीं किए जाने की परंपरा है। आजकल यह देखा जा रहा है कि लड़के लड़कियों की सही उम्र में शादी नहीं हो रही। इसकी मुख्य वजह यही बताई जाती है कि कुंडली नहीं मिली। मांगलिक होना भी एक मुख्य कारण बताया जाता है।
यह माना जाता है कि मांगलिक के लिए मांगलिक से शादी करना जरूरी है। ऐसा न करने पर शादी के बाद जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इस कुंडली मिलान के चक्कर में लड़के लड़कियों की शादी की उम्र निकल जाती है।  समाज में ऐसे लड़के लड़कियों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है जिनकी इस वजह से शादी ही नहीं हो पाई।

पहले यह कार्य मुख्य रूप से ब्राह्मण और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता विद्वानों द्वारा किया था। 
इंटरनेट युग में यह काम भी गूगल पर किया जाने लगा है। गूगल पर दुनिया भर के साफ्टवेयर/ वेबसाइट कुंडली मिलान या जन्मपत्री बनाने के लिए उपलब्ध हैं।
लेकिन इनकी प्रमाणिकता और सटीकता पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए। 

गूगल से नहीं विद्वान से कुंडली मिलवाओ- 

कुंडली का मिलान ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता विद्वान से ही कराना चाहिए। विद्वान वह है जिसने ज्योतिष शास्त्र की बकायदा शिक्षा ग्रहण की है। विद्वान किसी भी जाति का हो सकता है उसका ब्राह्मण होना ही अनिवार्य नहीं है। जो विद्वान अपनी शिक्षा के ज्ञान से समाज को सही राह दिखाएं  वास्तव में वहीं ब्राह्मण  है।
ऐसे पंडितों से बचना चाहिए जिनको ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान ही नहीं है।

ऐसे में मांगलिक दोष या योग क्या है ? शादी के लिए यानी जोड़ी बनाने में इसकी कितनी अहमियत /भूमिका या जरुरत है ?
ज्योतिष शास्त्र में इसके बारे क्या लिखा हुआ है ?

इसके बारे में गुरु मुख से ज्योतिष,आयुर्वेद चिकित्सा व संस्कृत साहित्य की शिक्षा ग्रहण कर उपाधि प्राप्त आचार्य डाक्टर विद्या रतन द्वारा शास्त्रों के अनुसार दी गई  जानकारी प्रस्तुत है।

दिल्ली नगर निगम के आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग से सेवानिवृत्त वैद्य आचार्य विद्या रतन ने बताया कि शास्त्रों में मांगलिक योग के बारे में न्यायसंगत,तर्कसंगत जानकारी दी गई है। जो सरलता से समझ आ सकती है अगर इस को पढ़ कर भी हम मांगलिक दोष की गलत व्याख्या कर अपने बच्चों के यौवन को नष्ट कर शादी करने में देरी कर रहे हैं तो हम पाप के भागी बन रहे है।
 यह देख कर दुख होता है कि कुछ गूगल पंडित हमारे प्रबुद्ध ब्राह्मण समाज मे भी जहर घोल रहे हैं।
लोग प्रण करें शादी के निर्णय में वे गूगल ज्योतिष को तिलांजलि दें और जितनी जल्दी हो अपने बच्चों के हाथ पीले कर उन्हें वैवाहिक जीवन मे भेज अपने ऋण/ जिम्मेदारी से मुक्ति लें।  

मांगलिक योग के नाम गुमराह -
मांगलिक योग कैसे होता है और कुछ
कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है परन्तु गूगल पंडित,अल्प–ज्ञानी एवं पंडित मांगलिक योग का परिहार कैसे होता है जानते ही नहीं और लोगों को गुमराह करते है।

शास्त्रों में है मंगली भंग योग-
शास्त्रों में बताये गए मंगली–भंग योग की जानकारी लेकर आप पाएंगे कि कोई–कोई व्यक्ति (जातक–जातिका) ही मांगलिक होता है तकरीबन/ ज्यादातर मांगलिक भंग ही होता है । 
शास्त्रों में लिखे गए श्लोकों में मंगली भंग योग का प्रमाण है। 
1-जामित्रे च यदा शोरी लग्ने बा हिबुके जथा!
अष्टमे द्वादशे चैव भौम दोषो न विधते ॥(ज्योतिष सर्वस्या)
अर्थात :अगर जन्म कुंडली में लग्न में,चौथे भाव,सप्तम भाव,अष्टम भाव,और बाहरवें भाव शनि देवता विराजमान हो,तो जातक का मंगली–भंग योग बनता है या कह सकते है कि वो जातक मांगलिक नहीं है।
2- तनु धन सुख मदना युलार्भ व्ययग :कुजस्तु दाम्पत्यम!
विघटयति तद –ग्रहशो न विघटयति तुगमित्रेगेहेवा ॥(मुहूर्त चिंतामणि )
अर्थात:प्रथम भाव,दूसरे भाव, चौथे भाव,पांचवें,आठवें,बाहरवें भावों में बैठा मंगल वर–वधु के वैवाहिक जीवन में विघटन पैदा करता है परन्तु अपने घर अर्थात स्वग्रही मंगल (मेष,वृश्चिक का)या उच्च का (मकर)या मित्र क्षेत्रीय मंगल दोष कारक नहीं है।
3- सबले गुरौ भृगौ वा लग्ने द्यूनगेऽयि वाऽथवा भौमे
वक्रिणि नीचारि – गृहस्थे वाऽर्क स्थेऽपि वा न कुज दोषः। ( फलित मार्तण्ड )
अर्थात:जन्म कुंडली में बलि गुरु और शुक्र लग्न में या सप्तम भाव में हो परन्तु शुक्र मंगल के साथ न हो,अथवा मंगल वक्रीय,नीच या शत्रु के घर में हो,या सूर्य से अस्त हो तो मंगलीक योग नहीं बनता।
4-अगर गुरु देवता योगकारक होकर कुंडली में कहीं से भी मंगल पर दृस्टि डाल दें या देखे तो मांगलिक योग भंग होता है क्योंकि गुरु देवता सबसे शुभ ग्रह माने जाते जो मंगल के बुरे प्रभाव को कम करता है।
5- अगर मंगल देवता योगकारक होकर उच्च के हो जाये तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्योंकि अच्छा ग्रह वो भी उच्च का कभी बुरा फल नहीं देगा ।
6-अगर लग्न कुंडली में मंगल देवता गुरु देवता के साथ युति बना ले तो भी मांगलिक योग भंग होता है क्योंकि गुरु देवता की शुभता मंगल देव के बुरे प्रभाव को कम करता है।
7- अगर मंगल देवता और चंद्र देवता की युति हो लग्न कुंडली में और दोनों योगकारक हो तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्योंकि मंगल अग्नि तत्व है और चंद्र जल तत्व है जिस कारण मंगल का बुरा प्रभाव कम हो जाता है ध्यान देने योग्य बात यही है कि चंद्र का बल ज्यादा होना चाहिए ।
8- अगर मंगल देवता लग्न कुंडली में योगकारक और सम होकर उच्च के और स्वराशि होकर केंद्र में १,४,७ भाव में बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्योंकि मंगल देवता रुचक नामक पंच महापुरुष योग बनाते है लेकिन डिग्री और बलाबल जरूर चेक कर लें।
9- अगर मंगल देवता राहु देवता के साथ युति बनाकर बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है।
10- अगर मंगल देवता ०° या २८° डिग्री के हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्योंकि मंगल देवता में बल ही नहीं तो वो बुरा प्रभाव कैसे देंगे ? 

99 फीसदी कुंडलियों में मांगलिक दोष ख़त्म हो जाता है  -
आचार्य विद्या रतन के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण बातें ग्रहों के कारक भावग्रहों के कारकत्वज्योतिष का मूलज्योतिष के बारे में
ज्योतिष के सूत्रज्योतिष में भावेशज्योतिष में पढ़ें तो ज्ञान हो जाएगा व शंका समाधान सम्भव है।
आप उससे संकेत ले लें,युति,दृष्टि व योग से 99 फीसदी कुंडलियों में  मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
उसके अलावा भी जब कन्या व वर की कुंडली साथ रख कर मिलान करेंगे तब भी अनेक संभावनाएं विद्यमान हो जाती हैं।
उदहारण के तौर पर अगर एक जातक की कुंडली मे मंगल जिस घर मे विराजमान है अगर उसी घर मे दूसरे जातक की कुंडली मे मंगल के अलावा कोई भी पाप ग्रह जैसे सूर्य,शनि, राहु या केतु विराजमान हैं तो दोष खत्म हो जाता है सो दोनों की शादी बन सकती है कोई दिक्कत नहीं है।

ऐसे पंडितों से भी बचना चाहिए जिनको ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान ही नहीं है।
सावधान- काल सर्प योग के नाम पर ठगते हैं पंडित-
ज्योतिष के विद्वान डॉ के एन राव के अनुसार वैदिक ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प जैसे योगों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। 
लोगों को जागरूक करने के लिए राव ने कई साल पहले ही मीडिया में कह दिया था कि यह सब पंडितों का लोगों को लूटने का एक पाखंड है।  इंडियन आडिट एंड अकाउंट सर्विस के रिटायर्ड डीजी के एन राव ने ही भारतीय विद्या भवन में ज्योतिष का नियमित पाठय क्रम शुरू किया। उनके छात्रों में आईपीएस और आईएएस अफसर भी है।

कनाडा का इकलौता हिंदी अखबार "हिंदी Abroad" 




               आचार्य डॉ विद्या रतन भारद्वाज


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