Friday 8 May 2020

हवलदार को चाकू मारा। CP सच्चिदानंद श्रीवास्तव के राज़ में FIR के लिए हवलदार को भी लगानी पड़ रही गुहार। हमलावर खुले घूम रहे।

हवलदार को चाकू मारा।
CP सच्चिदानंद श्रीवास्तव के राज़ में FIR के लिए हवलदार को भी लगानी पड़ रही गुहार।
हमलावर खुले घूम रहे।

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के एक हवलदार पर चाकू से जान लेवा हमला किया गया।
एफआईआर दर्ज कराने के लिए हवलदार को अफसरों के आगे गुहार लगानी पड़ी।
एक अफसर के कहने के बाद एफआईआर तो दर्ज़ की गई लेकिन उसमें हत्या की कोशिश की धारा नहीं लिखी गई।
हवलदार को चाकू मारने वाले हमलावर खुले घूम रहे हैं।
वारदात केशव पुरम थाना के लेखू नगर इलाके में रविवार तीन मई की रात को हुई।
हवलदार महेंद्र पाल(49) के पड़ोस में एक मकान में  कुछ युवक शराब पीकर अक्सर हंगामा करते हैं जिससे आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं। हवलदार महेंद्र ने उनको एक-दो बार पहले भी समझाया था लेकिन वह नहीं माने। 
उल्टा तीन मई की रात को इन लड़कों ने शराब पी कर हवलदार को ही ललकारा। हवलदार उनको समझाने लगा तो उन लड़कों ने उसकी छाती में चाकू मार दिया। चाकू दिल के पास लगा। हवलदार को पीसीआर दीपचंद बंधु अस्पताल में ले गई। डाक्टरों ने उसके ज़ख्म पर टांके लगाए। चाकू अगर जरा सा गहरा और लग जाता या  दिल में लग जाता तो हवलदार की जान जा सकती थी।
आरोपियों में दो के नाम अक्षय गुप्ता और राघव बताए जाते हैं।
अस्पताल से हवलदार केशव पुरम थाना गया। आई़ओ एएसआई बाला साहेब ने कहा कि मामला तो हत्या की कोशिश धारा 307 का बनता है। लेकिन इसके लिए तुम एस एच ओ से बात कर लो।
एसएचओ ने कहा मामूली-सी चोट हैं-
हवलदार महेंद्र एस एच ओ नरेंद्र शर्मा से मिला तो उसने कहा कि यह तो सिंपल इंजरी हैं।  इसलिए धारा 323 का मामला बनता है।
डाक्टर से अगर तुम गंभीर इंजरी लिखवा लो तो हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया जाएगा।
हवलदार ने एस एच ओ को बताया कि दिल के पास लगा यह चाकू अगर जरा सा और गहरा लग जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी। लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
अगले दिन महेंद्र को पता चला कि पुलिस ने तो धारा 323 के तहत अंसज्ञेय मामले की रिपोर्ट दर्ज़ की है।
DCP को बताने के बावजूद सही धारा नहीं लगाईं-
ट्रैफिक पुलिस के टोडा पुर मुख्यालय में तैनात हवलदार महेंद्र ने अपने वरिष्ठ अफसरों को यह बताई। वरिष्ठ अफसर ने उत्तर पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त विजयंता गोयल आर्य को फोन कर सारी बात बताई।
इसके बाद आईओ हवलदार का बयान दोबारा लेकर गया।
इसके बाद भी हत्या की कोशिश की बजाए धारा 324/341/34 के तहत मामला दर्ज किया गया।
हवलदार वरिष्ठ अफ़सर के सामने दोबारा  पेश हुआ और बताया कि आपके डीसीपी से बात करने के बावजूद हत्या की कोशिश की धारा  एफआईआर में दर्ज नहीं की गई। 
क्या यह हत्या की कोशिश नहीं है ?-
उल्लेखनीय है कि अगर कोई किसी पर गोली चलाए और गोली उस व्यक्ति को लगे नहीं तो भी हत्या की कोशिश की धारा के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है।
हवलदार को तो चाकू मारा गया है हमलावर चाकू लेकर आए थे जिससे साफ़ पता चलता हैं कि मारने की नीयत से हथियार लेकर आए थे।
इसके बावजूद हत्या की कोशिश का मामला दर्ज नहीं किया गया। 
एक एसीपी जो अनेक थानों में एस एच ओ के पद पर रह चुके हैं उनका भी कहना है कि इस मामले में हत्या की कोशिश का मामला ही दर्ज किया जाना चाहिए था।
आम आदमी की तो कोई सुनवाई नहीं-
यह मामला हवलदार का है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी के साथ पुलिस क्या करती है। आंकड़ों में अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस इस तरह अपराध को दर्ज़ न करने या हल्की धारा में दर्ज़ करती है।
पुलिस के इस तरह के हथकंडों के कारण ही अपराधी बेख़ौफ़ होकर अपराध करते हैं।
शरीफ़ पुलिस वाले के साथ भी बुरा सलूक-
पुलिस की छवि सामान्यतः लोगों में बेशक अच्छी नहीं है लेकिन महेंद्र पाल जैसे हवलदार की छवि इलाके में इतनी अच्छी है कि लोग कहते है यह तो इतना शरीफ़ है कि पुलिस वाला लगता ही नहीं है।
ऐसे पुलिस कर्मी के साथ भी उसका महकमा ऐसा सलूक करें तो यह बहुत ही शर्मनाक है।
इन अफसरों को क्या यह बात समझ नहीं आती कि पुलिस पर हमला करने वाले के खिलाफ भी अगर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी तो अपराधी बेख़ौफ़ हो जाते हैं।

                     हवलदार महेंद्र पाल




2 comments:

  1. Certainly FIR should hv been there under appropriate section of law.
    Minimizing of offense is quite normal practice in police department.
    Not only this sections of law 332/186 & 353 IPS also need strict punishment. So that there is fear in the mind of a culprts who attack on police officers during there duties. Govt could take a cognizance in case of attack on doctors but they left police while the task of police is much more vulnerable and a police officer is always expose to criminals. He needs a better protection.

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  2. सर दिल्ली पुलिस अखबार में तो बहुत प्रचार कर रही है पर अगर किसी को टेस्ट भी कराना हो तो उसको परमिशन लेनी पड़ती है अफसर परमिशन देंगे तो ही टेस्ट होगा और अगर कोई कोरोनावायरस शाम को 5:00 बजे आ गया तो वह अगले दिन एडमिट होगा वह भी अफसरों की दया पर जबकि अगर कोई पब्लिक का आदमी यह कहेगा मुझे दवाई लेनी है नारियल पानी लेना है तो पुलिस उसके दरवाजे पर खड़ी है पर जब खुद का मुलाजिम कोरोना से पीड़ित है तो पुलिस उसके साथ बिल्कुल नहीं खड़ी है उसको इतनी फॉर्मेलिटी करनी पड़ती है कि शायद वह कोरोना से मरे या ना मरे फॉर्मेलिटी से मर जाएगा

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