Thursday 31 August 2023

IPS संजय सिंह: इंसानियत और काबलियत


              संजय सिंह IPS, 

         इंसानियत और काबलियत 




इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (लाइसेंसिंग और लीगल डिवीजन) संजय सिंह भारतीय पुलिस सेवा में अपनी 33 वर्ष की शानदार पारी सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद वीरवार ( 31 अगस्त 2023) को सेवानिवृत्त हो गए। 
आईपीएस के 1990 बैच के अगमू कैडर के संजय सिंह ने अपनी पुलिस सेवा की शुरुआत उत्तर पश्चिम जिले में  रोहिणी सब-डिवीजन के एसीपी के पद से की थी। 
दिल्ली पुलिस में संजय सिंह पश्चिम जिले के एडिशनल डीसीपी, उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी,उत्तरी रेंज के संयुक्त आयुक्त, स्पेशल कमिश्नर मुख्यालय और दो बार स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद पर रहे है। इसके अलावा वह गोवा, अंडमान निकोबार में भी तैनात रहे। 
काबलियत-
पश्चिम जिले में एडिशनल डीसीपी के पद पर रहते हुए संजय सिंह ने तत्कालीन डीसीपी दीपक मिश्रा के नेतृत्व में अपहरण के अनेक सनसनीखेज मामलों को सुलझाया।
एनकाउंटर-
पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश राजबीर रमाला और उसके साथी इंद्र पाल सिंह (यूपी पुलिस का बर्खास्त इंस्पेक्टर) के दक्षिण दिल्ली के नटराज एंपोरियम में हुए कथित एनकाउंटर में संजय सिंह की भी भूमिका थी। (साल 1995) 
कैबरे पर छापा-
आनन्द पर्वत स्थित कुख्यात कमल कैबरे पर एडिशनल डीसीपी संजय सिंह के नेतृत्व में छापा मारा गया। कमल कैबरे का मालिक देवराज दीवान बाद में सोनीपत से विधायक बना‌। ( साल1996) 
पार्षद की हत्या में पार्षद गिरफ्तार-
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी के पद पर रहते हुए संजय सिंह ने साल 2002 में त्रि नगर क्षेत्र  के कांग्रेस के निगम पार्षद आत्मा राम गुप्ता की हत्या की गुत्थी सुलझाई। 
आत्मा राम गुप्ता की हत्या के आरोप में कांग्रेस की ही निगम पार्षद शारदा जैन को गिरफ्तार किया गया। कांग्रेस की ही पार्षद मेमवती बरवाला और आत्मा राम गुप्ता के संबंधों से नाराज शारदा जैन ने यह हत्या कराई थी।
आत्मा राम गुप्ता को उत्तर प्रदेश में ले जा कर हत्या की गई। 
बलि का बकरा-
साल 2019 में तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों ने पुलिस को पीटा, आगज़नी और तोडफ़ोड़ की। 
इस मामले में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक और उत्तर जिले की तत्कालीन डीसीपी मोनिका भारद्वाज के ख़िलाफ़ तो कोई कार्रवाई नहीं की गई। 
लेकिन संजय सिंह को बलि का बकरा बना दिया गया। 
संजय सिंह को स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद से हटा दिया गया। 
हालांकि कुछ समय बाद संजय सिंह को स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद पर दोबारा तैनात कर दिया गया।
विवाद-
साल 2013 में गोवा में आईजी के पद पर तैनात रहते हुए एक विदेशी महिला को अपनी सरकारी कार चलाने के लिए देने के कारण हुए विवाद के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संजय सिंह का तबादला कर दिया गया था। 
इंसानियत की मिसाल -
एक बार एक बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति अपनी किसी समस्या के लिए पुलिस मुख्यालय में संजय सिंह के पास आए। वह बुजुर्ग व्यक्ति शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर थे, उनका शरीर कांप रहा था और वह ऊंचा सुनते थे। 
संजय सिंह ने उन बुजुर्ग की समस्या सुनी और तुरंत उत्तर पश्चिम जिले के संबंधित थाना के एसएचओ को उनकी समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया। 
इसके बाद संजय सिंह ने अपने मातहत पुलिसकर्मी को बुलाया और उन बुजुर्ग को उनके घर गाड़ी से भिजवाने की भी व्यवस्था की। 
एक बार एक व्यक्ति संजय सिंह से मिलने आया और उन्हें उपहार में कमीज़ का कपड़ा दिया। संजय सिंह ने उस व्यक्ति के जाने के बाद अपने दफ़्तर में तैनात एक पुलिसकर्मी को बुलाया और वह कपड़ा उसे दे दिया। 

नौकरी के शुरुआती दौर में पुलिसकर्मियों का बीमा करने के दौरान संपर्क में आए एलआईसी के  रिटायर्ड अफसर राम किशन शर्मा के गंभीर रूप से बीमार/ लकवाग्रस्त होने का पता चलने पर संजय सिंह उनके घर उनका पता लेने गए। 

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की एक बच्ची का संजय सिंह ने अशोक विहार के एक पब्लिक स्कूल में दाखिला कराया। 
इन मामलों से संजय सिंह की इंसानियत और  संवेदनशीलता का पता चलता है।