Sunday 22 April 2018

महिला डीसीपी भी महफूज़ नहीं, पुलिस निरंकुश, कमिश्नर संवेदनहीन,


    महिला डीसीपी भी महफूज़ नहींपुलिस निरंकुश, कमिश्नर संवेदनहीन,
 इंद्र वशिष्ठ
 देश की राजधानी में एक युवती का चरित्र हनन किया गया, सरेआम एक  युवती को लूट
 लिया गया और खुलेआम एक युवती की इज्जत से खिलवाड़ किया गया। इन तीनों ही मामलों में युवतियों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने तुरंत कार्रवाई नहीं की। 
लोगों की नज़र में यह तो पुलिस का आम रवैया हैं और इसमें कुछ भी खास या नई बात नहीं है। लेकिन आगे की बात पढ़ कर आप चौंक जाएंगे और पुलिस के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दावे की असलियत उजागर करने वाली भयानक तस्वीर आपके सामने होगी। तीनों ही मामलों में आरोपी/ अपराधी पुलिस वाले / वर्दी वाले गुंडे  हैं।

इन तीनों ही मामलों में सबसे खास बात यह भी है कि तीनों युवतियां आम/लाचार/कमजोर नहीं है । तीनों  बहुत ही ख़ास पेशे से जुड़ी हुई ताकतवर युवतियां है। आप को जानकर हैरानी होगी इनमें से एक  तो दिल्ली में उत्तर पश्चिमी जिला में तैनात महिला डीसीपी असलम खान हैं।
असलम के मायने महफूज़ होता हैं। लोगों को अपराधियों और निरंकुश पुलिस वालों से महफूज रखने में जुटी  इस आईपीएस युवती का "कसूर" सिर्फ इतना ही है कि माडल टाउन थाने की पुलिस बेकसूर सीए हर्षित और उसके पिता की पिटाई करने के बाद उनको झूठे मामले में फंसाने की तैयारी कर रहे थे। निरंकुश पुलिस वालों की इस नापाक साजिश को इस आईपीएस युवती ने विफल कर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन किया। 
लेकिन भ्रष्ट पुलिस वाले कितने निरंकुश और दुस्साहसी हो गए कि आप भी जानकार चौंक जाएंगे।
 देवेंद्र सिंह नामक व्यक्ति ने फेसबुक पर इस डीसीपी के बारे में ही अपमानजनक टिप्पणी करके डीसीपी का चरित्र हनन की नापाक कोशिश की। छानबीन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि देवेंद्र सिंह हवलदार है और पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक के दफ्तर में तैनात हैं। यह पता चलते ही डीसीपी ने
हवलदार द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की फोटो भी सबूत के रुप में पुलिस कमिश्नर को दी ।
ऐसे में कोई भी संवेदनशील/काबिल पुलिस कमिश्नर हवलदार के खिलाफ कार्रवाई करने में तनिक भी देर नहीं करता । लेकिन पुलिस कमिश्नर ने अनुशासनहीनता की भी हद पार करने वाले हवलदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जब इस संवाददाता द्वारा यह मामला उजागर किया गया।  इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने हवलदार देवेंद्र सिंह को निलंबित किया। हालांकि पुलिस कमिश्नर को हवलदार से पूछताछ और उसके मोबाइल के रिकॉर्ड की जांच करा कर उन पुलिस वालों का भी पता लगाना चाहिए था जो डीसीपी के चरित्र हनन की साज़िश में शामिल हैं। पुलिस कमिश्नर को ऐसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी जिससे पुलिस बल में संदेश जाता कि ऐसी ग़लत हरकत /अनुशासनहीनता बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
माडल टाउन थाने के एस एच ओ सतीश समेत उन पुलिस वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी जिन्होंने  हर्षित के साथ मारपीट की और उसे झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की थी। लेकिन पुलिस कमिश्नर ने ऐसी कोई कार्रवाई इन पुलिस वालों के खिलाफ नहीं की। जिससे पुलिस कमिश्नर की काबिलियत पर भी सवालिया निशान लग जाता है। संवेदनहीन ,कमजोर पुलिस कमिश्नर के कारण ही भ्रष्ट पुलिस वाले इतने निरंकुश हो गए कि महिला डीसीपी  तक का अपमान करने का दुस्साहस करते हैं ऐसे पुलिस वाले ही आम जनता पर अत्याचार कर पुलिस बल की छवि ख़राब करते हैं।
जब एक महिला डीसीपी की शिकायत पर ही बड़ी मुश्किल से आधी अधूरी कार्रवाई  की जाती है तो हर्षित गोयल जैसे आम आदमी की शिकायत पर पुलिस कमिश्नर द्वारा पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की उम्मीद रखना बेकार है।
अब जाने अन्य दो युवतियों के बारे में ये दोनों लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानी मीडिया से जुड़ी हुई है। दोनो बड़े अखबार समूह की है इनमें से एक युवती फोटो पत्रकार हैं। यह दोनों 23 मार्च को एक प्रदर्शन की कवरेज करने गई थी। फोटो पत्रकार युवती पर पुलिस वालों के झुंड ने हमला किया और उसका कैमरा लूट लिया । उसने इसकी शिकायत पुलिस में की लेकिन हमला करने वाले पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर पुलिस ने कई दिन तक एफआईआर तक दर्ज नहीं की। दूसरी पत्रकार ने आरोप लगाया कि दिल्ली कैंट थाने के एसएचओ विद्या धर ने सरेआम उसका यौन उत्पीडन/ इज्जत पर हमला किया। इस मामले में एक वीडियो भी सामने आया जिसमें एस एच ओ की हिमायत में एडिशनल डीसीपी  कुमार ज्ञानेश यह कोशिश करते दिखाई देते हैं  कि युवती  शिकायत  ही दर्ज न करें।  लेकिन शिकायत देने के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की।
महिला पत्रकारों के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पत्रकारों को पुलिस मुख्यालय से लेकर संसद भवन तक प्रदर्शन करना पड़ा। गृहमंत्री तक से गुहार लगाई गई। तब जाकर कई दिन बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। फोटो पत्रकार के मामले में कार्रवाई के नाम पर एक महिला पुलिस कर्मी और एक पुरुष हवलदार को निलंबित कर खानापूर्ति की गई। एक पुलिस वाले के पास से लूटा गया कैमरा बरामद किया गया। लेकिन उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि लूट या चोरी का माल जिससे बरामद किया जाता है उसे गिरफ्तार किया जाता है।
महिला पत्रकार के यौन उत्पीडन मामले में पुलिस की भूमिका-- पुलिस ने  इस मामले में भी वारदात के चार दिन बाद 26 मार्च को  एफआईआर तो दर्ज कर ली लेकिन इतने संगीन आरोप होने के बावजूद एस एच ओ विद्या धर  को सिर्फ लाइन हाजिर किया गया। पुलिस ने इन दोनों मामलों में पहले विजिलेंस जांच कराई। जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। इसके बावजूद यौन उत्पीडन ( धारा 354 ए) के आरोपी एस एच ओ विद्या धर और हमला कर कैमरा लूटने वाले पुलिस वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया।
इन‌ मामलों से यह सवाल भी उठता है कि क्या पुलिस यौन उत्पीडन और लूट की हर शिकायत पर पहले भी विजिलेंस जांच करा कर ही एफआईआर दर्ज करती थी ? या अब आगे से ऐसा करना शुरू करेगी ?
सीआरपीसी की धारा 154 में स्पष्ट है कि किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना/ शिकायत मिलते ही पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए।
कुछ साल पहले ही आईपीसी में संशोधन कर धारा 166 ए(सी) जोड़ी गई है जिसके अनुसार  संज्ञेय अपराध खासकर महिला के खिलाफ होने वाले अपराध की रिपोर्ट दर्ज न करना भी दंडनीय अपराध  है ऐसा करने वाले पुलिस वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस अपराध के लिए क़ैद और जुर्माने की सज़ा है।
इन तीनों ही मामलों से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जब ऐसी ताकतवर युवतियों की शिकायत पर भी पुलिस तुरंत एफआईआर और सही/ठोस कार्रवाई तक नहीं करती है तो लाचार और कमजोर महिलाओं की शिकायत पर अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगने वाली।
पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होने  का ढिंढोरा तो बहुत पीटती है लेकिन हक़ीक़त यह है कि पुलिस कमिश्नर महिला डीसीपी  तक की शिकायत को भी संवेदनशीलता/गंभीरता से नहीं लेते हैं। आम महिला की शिकायत पर पुलिस कितनी संवेदनशील होगी इन मामलों से साफ़ पता चल जाता है।


Saturday 7 April 2018

महिला Dcp Aslam Khan का अपमान करने वाला HC निलंबित,SHO को संरक्षण? पीड़ित को न्याय कब मिलेगा ?


महिला Dcp Aslam Khan का अपमान करने वाला HC निलंबित,SHO को संरक्षणपीड़ित को न्याय कब मिलेगा ?
इंद्र वशिष्ठ
महिला डीसीपी असलम खान के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले हवलदार देवेंद्र सिंह को  आख़िरकार पुलिस कमिश्नर ने निलंबित कर ही दिया देवेंद्र सिंह  पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक के दफ्तर में तैनात हैं निरंकुश हवलदार ने  महिला डीसीपी के बारे में फेसबुक पर जो आपत्तिजनक टिप्पणी की वह पुलिस कमिश्नर को कई दिन पहले ही दी जा  चुकी थी  इसके बावजूद हवलदार के खिलाफ कई दिनों तक कार्रवाई नहीं किए जाने से पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया था। अब देखना है कि बेकसूर लोगों की पिटाई करने वाले पुलिस वालों और झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करने  वाले एस एच के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत पुलिस कमिश्नर में  है या नहींपुलिस कमिश्नर पीड़ित को न्याय देते हैं या नहीं ?
महिला डीसीपी की शिकायत पर ही  4-5दिन बाद कार्रवाई किए जाने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम महिला की शिकायत  की तो  पुलिस कमिश्नर बिल्कुल परवाह ही नहीं करते होंगे। महिला डीसीपी का  सम्मान ही सुरक्षित  नही है तो आम महिला कहांसुरक्षित होगी।  माडल टाउन थाना इलाके में 26 मार्च को  भूषण गुप्ता  बोरिंग करा रहा था। पुलिस ने काम बंद करा दिया।  इस सिलसिले में भूषण भतीजे सीए हर्षित गोयल के साथ थाने गया था। सबको मालूम है कि बोरिंग से पुलिस को मोटी कमाई होती है। भूषण पुलिस वालों से थाने के अंदर बात कर रहा था हर्षित ने बताया कि वह बाहर  फोन पर बात कर रहा था तभी पुलिस वालों ने उसके साथ बदतमीजी की. जिसका विरोध करने पर कई पुलिस वालों ने उसकी पिटाई की। इस बात का पता चलने पर उसके पिता भी पहुंच गए। पुलिस वालों ने उसके पिता के साथ भी मारपीट की। मदद के लिए हर्षित ने 100 नंबर पर भी फोन किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इसके बाद   एस एच   सतीश ने उसको झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की।
 उत्तर पश्चिमी  जिला की पुलिस उपायुक्त असलम खान की जानकारी में यह मामला आया। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद उन्होंने मामले की जांच विजिलेंस को करने को कहा है। डीसीपी ने बोरिंग करने वाले के खिलाफ क़लंदरा भी  बनवाया।डीसीपी के समय रहते सही कार्रवाई के कारण एस एच हर्षित को झूठे मामले में फंसाने में सफल नहीं हो पाया। साफ छवि की असलम खान बेईमान आईपीएस अफसरों  की भी अांख की किरकरी बनी हुई है। इसके बाद देवेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति ने 26 मार्च को ही   फेसबुक पर अपने साथी माडल टाउन थाने के पुलिस वालों को बचाने के लिए डीसीपी के खिलाफ ही आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।अपने  साथियों को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की भी हद पार कर दी। उसने फेसबुक पर लिखा कि रईसजादे की शिकायत पर  डीसीपी ने पुलिस वालों के खिलाफ ही जांच के आदेश दे दिए।डीसीपी ने उसे चाय भी पिलाई। पैसा बोलता है, कितने में बोला यह डीसीपी बता पाएगी।जाहिर सी बात है कि शिकायतकर्ता के बारे में देवेंद्र को  उन पुलिस वालों ने ही बताया होगा। जिनके ग़लत मंसूबों पर डीसीपी ने पानी फेर दिया।इस पोस्ट पर अजय कुमार छोकर ने भी देवेंद्र के  कमेंट का समर्थन किया है।छानबीन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि देवेंद्र सिंह हवलदार है और पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक के कार्यालय में तैनात हैं अजय कुमार छोकर अपराध शाखा में तैनात हैं।
देवेंद्र ने बाद में पोस्ट हटा दी और फिर फेसबुक खाता ही बंद कर दिया।डीसीपी को इस कमेंट का पता चल गया है यह जानकारी जाहिर सी बात है हवलदार को उसके दोस्त थाने वालों  ने  दी जिसके बाद उसने वह पोस्ट हटा दी और  फेसबुक पेज बंद कर दिया।
इस सारे मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्ट पुलिस वालों की आपस में इतनी सांठगांठ है कि डीसीपी ने फेसबुक कमेंट देख लिया इसकी जानकारी भी हवलदार को देकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई।
लेकिन  पोस्ट हटाए जाने से पहले ही उस कमेंट का फोटो ले कर सबूत सुरक्षित किया जा चुका था। यह सबूत पुलिस कमिश्नर को कई दिन पहले दे दिया गया।इस कमेंट को देख कर कोई भी  काबिल  कमिश्नर हवलदार के खिलाफ कार्रवाई करने में तनिक भी देर नहीं लगाता। पुलिस कमिश्नर को तो तुरंत ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हवलदार से पूछताछ  और उसके मोबाइल फोन के रिकार्ड की जांच करा यह पता लगाना चाहिए था किस किस भ्रष्ट पुलिस वाले से हवलदार की सांठगांठ हैं। तभी यह भी पता चलता कि डीसीपी को बदनाम/ अपमानित करने की साज़िश में कौन-कौन पुलिस वाले शामिल हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नर ने ऐसा कुछ भी नहीं किया था।
पीड़ित को न्याय कब मिलेगा ?
डीसीपी के ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ मामले में तो देर से ही  सही एक आधा अधूरा एक्शन हुआ तो सही। लेकिन पुलिस ने जिन लोगों को पीटा  झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की उनको भी तो न्याय मिलना चाहिए। विशेष पुलिस आयुक्त ( कानून- व्यवस्था) संदीप गोयल को सीए हर्षित गोयल और उसके पिता की पिटाई करने वाले चार पुलिस वालों के खिलाफ  सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। असलम खान को भी संयुक्त पुलिस आयुक्त सागर प्रीत हुड्डा के साथ मिलकर हर्षित को झूठे केस में फंसाने की कोशिश करने वाले एस एच सतीश की करतूतों की ऐसी पुख्ता रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए जिसके आधार पर संदीप गोयल और पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक आसानी से एस एच के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। उत्तर पश्चिमी ज़िले में डीसीपी भी  रह चुके आईपीएस संदीप गोयल अगर "चाहे" तो माडल टाउन इलाके में पुलिस की मिलीभगत से होने वाले अवैध कामोंहुक्का बार और ड्रग्स के धंधे  का आसानी से पता लगा सकते हैं। इसी इलाक़े में रहने वाले एक रिटायर्ड नामी पुलिस अफसर ने भी बताया कि पुलिस की मिलीभगत से खुले आम अवैध काम हो रहे हैं।
पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ऐसे एस एच के खिलाफ कार्रवाई करेंगे तभी आम आदमी का पुलिस में और ख़ास कर वरिष्ठ पुलिस अफसरों पर भरोसा कायम होगा। पुलिस की छवि ईमानदारी से कर्तव्य पालन, लोगों के साथ अच्छे व्यवहार और भ्रष्ट पुलिस वाले के खिलाफ कार्रवाई करने से बनती है। पुलिस की छवि  अपने प्रचार के लिए करोड़ों रुपए विज्ञापनबाज़ी पर फूंकने से कभी नहीं बनती। सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी से कर्तव्य पालन से शांति, सेवा और न्याय का मकसद हासिल किया जा सकता। सूत्रों ने बताया कि  माडल टाउन एसएचओ सतीश के  खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस मुख्यालय को पहले भी लिखा गया था लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एस एच को किसी वरिष्ठ पुलिस अफसर/ नेता का संरक्षण हैं। कई पुलिस अफसरों का मानना है कि डीसीपी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी में थाने के पुलिस वाले शामिल होंगे,अगर ईमानदारी से जांच की जाए तो इस साज़िश में शामिल पुलिस वालों का पता चल जाएगा।।

ईमानदार आईपीएस अफसरों को इस मामले में एकजुट होकर कमिश्नर से एसएचओ समेत ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। वर्ना एक दिन ऐसा आएगा कि भ्रष्ट पुलिस वाले इतने निरंकुश हो जाएंगे कि  उनके साथ भी खुलेआम बदतमीजी करेंगे। ऐसे पुलिस वाले ही आम लोगों का भी  जीना हराम करते हैं।