Friday 30 July 2021

बदमाश काला जठेड़ी और अनुराधा उर्फ लेडी डॉन उर्फ रिवाल्वर रानी गिरफ्तार। काला की हड्डियों में पानी भरा है।

                   काला जठेड़ी
   सुशील पहलवान, काला जठेड़ी का भाई प्रदीप 
सुशील पहलवान का दोस्त से दुश्मन बना इनामी बदमाश काला जठेड़ी गिरफ्तार।
 राजस्थान की इनामी अपराधी अनुराधा उर्फ रिवाल्वर रानी  भी गिरफ्तार।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने हत्या, लूट और जबरन वसूली करने वाले 6 लाख रुपए के इनामी बदमाश संदीप उर्फ काला जठेड़ी को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया है। काला पहचान छिपाने के लिए सिख के भेष में रह रहा था। उसने दाढ़ी बढ़ा ली और पगड़ी पहनता था।

अनुराधा उर्फ रिवाल्वर रानी उर्फ लेडी डॉन, मैडम मिंज-
काला जठेड़ी के साथ अनुराधा चौधरी उर्फ मैडम मिंज को भी गिरफ्तार किया गया है।। ये दोनो रुड़की में पति पत्नी की तरह  रह रहे थे।
अनुराधा राजस्थान के बदमाश आनंद पाल सिंह की साथी है।
राजस्थान पुलिस के साथ  कथित मुठभेड़ में आनंद पाल मारा गया था। तब अनुराधा फरार हो गई थी। राजस्थान पुलिस ने अनुराधा पर दस हजार रुपए का  इनाम रखा हुआ है।
बताया जाता है कि आनंद पाल के गिरोह को चलाने में अनुराधा का ही दिमाग था।
आनंद पाल के मारे जाने के बाद अनुराधा लारेंस विश्नोई और काला जठेड़ी के संपर्क में आई थी।

स्पेशल सेल के डीसीपी मनीषी चंद्रा ने बताया कि सहारनपुर में यमुनानगर हाईवे पर एक ढ़ाबे के पास से इन्हें गिरफ्तार किया गया। 
काला के पास से उसकी पसंदीदा पिस्तौल (PX-3 चीन निर्मित) और अनुराधा के पास  से 38 बोर की एक लाइसेंसी रिवॉल्वर मिली है, जिसका लाइसेंस किसी और के नाम पर है। पुलिस पता लगा रही है कि यह रिवॉल्वर अनुराधा के पास कहां से आई। 
राजस्थान में लेडी डॉन के नाम से कुख्यात अनुराधा को  काला प्यार से रिवाल्वर रानी कहता था।
काला की दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में संगीन अपराध के कई मामलों में तलाश थी । 
हरियाणा में सोनीपत के राई थाने के जठेड़ी गांव के निवासी संदीप उर्फ काला पर दिल्ली पुलिस ने कुछ समय पहले ही मकोका लगाया है। 
ऑपरेशन D-24
काला जठेड़ी को पकड़ने के लिए स्पेशल सेल की टीम ने इस ऑपरेशन को नाम दिया था OP D-24 ये नाम इसीलिए रखा गया था क्योंकि काला जठेड़ी स्पेशल सेल से 24 घंटे आगे चल रहा था। वक्त से तेज दौड़ने के लिए स्पेशल सेल पुलिस कर्मी इसी कोड के जरिए एक दूसरे के संपर्क में थे। जैसे-जैसे घंटे कम होते वैसे-वैसे काला के करीब पहुंच रही थी पुलिस। इसीलिए समय-समय पर कोड D/20/16/12 यानी घंटो के हिसाब से ऑपरेशन के लीड कर एक दूसरे से संपर्क बनाया जा रहा था।
कई राज्यों में तलाश-
डीसीपी स्पेशल सेल मनीषी चंद्रा ने बताया कि करीब 6 महीने से गैंगस्टर काला जठेड़ी की तलाश की जा रही थी। इन 15 दिनों के दौरान पुलिस को काला जठेड़ी का सुराग मिला। तब पुलिस ने 30 लोगों की एक टीम बनाई. इस टीम ने 8 राज्यों में 10 हजार किलोमीटर का सफर तय किया। गोवा, अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, भिंड, रतलाम, पूरी, पूर्णिया, लखनऊ, पटियाला, हरिद्वार और सहारनपुर। आखिरकार सहारनपुर के पास यमुनानगर हाईवे पर एक ढाबे के पास  काला को गिरफ्तार कर लिया गया।
जब तक यह पकड़ा नहीं गया था तब तक इसका कोई भी पॉजिटिव आईडेंटिफायर, जिसको हम लोग आमतौर पर कहते हैं कि मोबाइल नंबर या आईएमइआई, कोई भी टेक्निकल आईडेंटिफायर टीम के पास नहीं था।
ठिकाने और गाड़ी लगातार बदली-
पुलिस के अनुसार काला जठेड़ी और अनुराधा लगातार लोकेशन बदलते रहते थे। यह अपनी गाड़ियां भी बदल रहे थे। 
हत्याएं-
पुलिस के अनुसार काला के गिरोह ने  दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हत्या की 20-25 वारदात की हैं। 
इस गिरोह में 100 से ज्यादा बदमाश शामिल हैं।
सुशील पहलवान द्वारा छत्रसाल स्टेडियम में मई में सागर पहलवान की हत्या के बाद काला जठेड़ी सुर्ख़ियों में आया था। 
सुशील ने सोनू महाल को पीटा-
सुशील ने सागर पहलवान के साथ ही सोनू 
महाल को भी बुरी तरह पीटा था। बदमाश सोनू महाल काला जठेड़ी का ममेरा भाई  है।
 सुशील की काला जठेड़ी से सांठ गांठ और यारी थी। वह काला के भाई की शादी में भी शामिल हुआ था। सुशील एक बार काला के भाई की हिमायत में सोनीपत पुलिस के पास भी गया था।
 लेकिन सोनू की पिटाई करने से काला जठेड़ी उसका दुश्मन बन गया। इसीलिए सुशील ने काला जठेड़ी से अपनी जान को खतरा बताया था।
गैंगवार की आशंका-
पुलिस सूत्रों के अनुसार वारदात के बाद हरियाणा के बदमाश  काला जठेड़ी ने सुशील से कहा कि, तूने सोनू को पीट कर ठीक नहीं किया। अब तेरी हमारी आमने सामने की दुश्मनी होगी। 
सुशील चाहता था कि काला जठेड़ी सोनू महाल को उसके खिलाफ बयान देने से मना कर दे। लेकिन सोनू महाल ने सुशील के खिलाफ बयान दे दिया है।
अब यह आशंका है कि सुशील पहलवान और काला जठेड़ी के बीच गैंगवार भी हो सकती है।
बदला लेगा या पैसा ?- 
इसलिए वारदात के बाद से ही सुशील काला जठेड़ी से समझौता करने की कोशिश में लगा हुआ है। 
वैसे पैसे के लिए अपराध करने वाले काला जठेड़ी और सोनू महाल भी सुशील से मोटी रकम लेकर चुप बैठ सकते हैं। लेकिन पैसे से ज्यादा अपने अपमान और पिटाई को अहमियत दी तो वह सुशील से बदला लेगा। सुशील के साथ नीरज बवानिया गिरोह के बदमाश भी वारदात में शामिल थे। ऐसे में काला जठेड़ी और सोनू अगर बदला नहीं लेंगे तो अपराध जगत में उनका दबदबा कम हो जाएगा। 
पुलिस हिरासत से फरार-
काला जठेड़ी फरवरी 2020 में फरीदाबाद से पुलिस कस्टडी से भाग गया था। इसके बाद यह बात फैल गई कि काला जठेड़ी विदेश भाग गया और वहीं बैठ कर अपना गिरोह चला रहा है।
लेकिन कुछ समय पहले स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए बदमाश नीतीश कुमार ने पुलिस को बताया कि काला जठेड़ी हरियाणा में  छिपा हुआ है। उसने दूसरे गिरोहों और पुलिस को गुमराह करने के लिये ये बात फैलाई की वो विदेश में है।
काला सीधे नहीं मिलता-
नीतीश ने पुलिस को बताया कि काला जठेड़ी किसी से भी सीधे नहीं मिलता। अगर कोई उससे मिलना चाहता है तो उसे पहले एक स्थान  पर ठहराया जाता है। उस व्यक्ति से उसका मोबाइल फोन लेकर उसे दूसरा फोन दे दिया जाता है। इसके बाद उस व्यक्ति को एक दूसरे स्थान पर 48 घंटे तक ठहराया जाता है। वहां पर उसे नए कपडे़ पहनने को दिए जाते हैं। इसके बाद कोई आकर उसे काला जठेड़ी के ठिकाने पर ले जाता है।
अंतरराष्ट्रीय गिरोह
काला जठेड़ी, पंजाब के बदमाश लारेंस विश्नोई, हरियाणा के सूबे गूजर और राजस्थान के आनंद पाल ,अनुराधा गिरोह ने आपस में एकजुट होकर एक बड़ा गिरोह बन लिया है। इस गिरोह में सौ से ज्यादा बदमाश है। 
काला जठेड़ी के साथी वीरेंद्र प्रताप उर्फ काली राना के बैंकॉक/थाईलैंड, मोंटी के ब्रिटेन और सतेन्द्र जीत सिंह उर्फ गोल्डी के कनाडा में होने का शक है।
पंजाब के बदमाश लारेंस विश्नोई के गिरोह की कमान भी अब काला जठेड़ी संभाल रहा था। 
क्योंकि लारेंस जेल में है। लारेंस को भी स्पेशल सेल ने मकोका के मामले में गिरफ्तार है। लारेंस विश्नोई अभिनेता सलमान खान को भी मारने की धमकी देने के कारण सुर्खियों में आया था है।

काला जठेड़ी की दिल्ली पुलिस को मकोका समेत 15 मामलों में तलाश थी। इसके अलावा तीन अन्य राज्यों की पुलिस को 25 मामलों में तलाश थी।
काला को 2012 में जब गिरफ्तार किया गया था तो उसके खिलाफ 34 मामले दर्ज थे।
कोड वर्ड -
बदमाश आपस में बातचीत के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। काला जठेड़ी को अल्फा, काला राणा को टाइगर जबकि गोल्डी बरार को डॉक्टर कहते हैं। टाइगर गिरोह के लोगों के बीच बातचीत माध्यम/संचार केंद्र है। डॉक्टर पैसे और अन्य व्यवस्था करता है।अल्फा शिकार यानी टारगेट तय करता है। 
 पुलिस हिरासत से छुडाया-
इस साल 25 मार्च को इस गिरोह ने कुलदीप उर्फ फज्जा को जीटीबी अस्पताल में पुलिस हिरासत से छुडा लिया था। इस दौरान हुई गोलीबारी में एक बदमाश पुलिस की गोली से मारा गया। दो दिन बाद  पुलिस ने रोहिणी में एक फ्लैट में छिपे कुलदीप को भी मार गिराया ।
स्पेशल सेल  इससे पहले काला जठेड़ी गिरोह के अंकित लागरपुर, रवि जागसी, राजन जाट, सुमित बिचपडी, अमित और सुधीर मान को गिरफ्तार कर चुका है। 


PRESS RELEASE
July 31, 2021

 A mega-operation spread across twelve Indian States results in the apprehension of the ‘Most Wanted Criminal’ of Delhi NCR – Haryana – Rajasthan – Punjab

 An international syndicate, being operated by masterminds based in three different countries and indulging in contract killings, organized bootlegging, extortion and land-grab busted

 Indian kingpin, accused Sandeep @ Kala Jathedi,carrying a cumulative reward of Rs. 6,00,000/- from Delhi and Haryana, arrested from Saharanpur, UP

 Kala Jathedi was absconding since February 2020 after escaping from the custody of Haryana Police after orchestrating an audacious attack on Police escort party

 Was heading a major criminal alliance of dreaded gangsters Lawrence Bishnoi of Punjab/Haryana, Sube Gujjarof Haryana and Anand Pal (now deceased) of Rajasthan

 Along with Kala Jathedi, accused Anuradha Chaudhary@ Anurag @ Madam Minz, an infamous‘Lady Don – Revolver Rani’ of Rajasthan, having a long criminal history and carrying a reward of Rs. 10,000/- from Rajasthanalso arrested 

 Kala Jathedi – Anuradha Chaudhary were constantly shifting their base across the country in different States on the basis of fake identities as a couple

A team of Counter Intelligence, Special Cell, Delhi led by Insp. Vikram Dahiya and Insp. Sandeep Dabas, under the supervision of ACP Rahul Vikram, has arrested Sandeep @ Kala Jathedi, the most wanted gangster of Delhi NCR – Haryana – Rajasthan – Punjab, carryinga cumulative reward of Rs. 6,00,000/- declared from Delhi & Haryana along with his aide and partner, a wanted lady accused Anuradha Chaudhary @ Anurag @ Madam Minz @ Revolver Rani, a resident of Rajasthan. 

When Sandeep @ Kala Jathedi was previously arrested in 2012, he was then running wanted in 34 different criminal cases. After the escape of Kala Jathedi from the custody of Haryana Police in 2020, he and Anuradha @ Revolver Rani were jointly heading a major international criminal alliance which has known nodes of wanted criminal Virender Pratap @ Kala Rana,r/o Karnal, Haryana (operating from Thailand)Satenderjeet Singh @ Goldy Brar,r/o Muktsar, Punjab (operating from Canada) and Monty, r/o Punjab (operating from UK). This criminal alliance was engaged in high-profile extortions, interstate bootlegging, especially in dry states, illegal firearmssmugglingandland-grabbing. To maintain their unquestioned supremacy in the underworld of Delhi-Punjab-Haryana-Rajasthan, the alliance had got over twenty opponents eliminated over the previous two years.Currently, accused Sandeep @ Kala Jathediis wanted in 15 cases of robbery, dacoity, attempt to murder, extortion, Arms Act etc. of Delhi. He was the mastermind behind the escape from custody of accused Kuldeep Mann @ Fajjafrom GTB Hospital, Shahdara. Fajjawas subsequently killed in a Special Cell operation within 3 days of his escape. Accused Kala Jathedi is estimated to be running wanted in over 25 cases registered in other three States of Punjab, Rajasthan, Haryana and the UT of Chandigarh. The details of these cases are being collected.

Anuradha Chaudhary has a long criminal history of crimeslike kidnapping, extortion, Arms and Excise Act violations, cheating etc.She was a close associate of Rajasthan based gangster Anand Pal, who died in a police encounter in June 2017. She is carrying a reward of Rs. 10,000/ declared from Rajasthan for her arrest. Anuradha is synonymous with terror amongst the business community of Nagaur, Sikar, Didwana etc. in Rajasthan and is known to have used burst fire from AK-47 as a favorite weapon for intimidating her victims. She has over 12 criminal involvements in Rajasthan and is currently running wanted in two separate FIRs of abduction, extortion and firing registered in Nagaur, Rajasthan.


Accused Sandeep @ Kala Jathediand Anuradha Chaudhary were the operations heads of the alliance on the ground and were acting in unison with jailed gangsters Lawrence Bishnoi - Sube Gujjar and Kala Rana – Goldy Brar – Monty from outside India. The criminal alliance was functioning in a well-organized manner and had emerged as a name synonymous with gangland terror in the four major North Indian States. 

Under a well-plannedconspiracy, the gang members floated the fake news of Sandeep @ Kala Jathedifleeing India to divert the attention of police forces. Thereafter,Kala Jathedidisguisedhimself as a Sikh and started growing a beard and wearing a turban. After Anuradha Chaudhary joined him, they got fake identities as husband-wifeprepared and were constantly shifting bases across different States to avoid any trail. They had formulated stringent protocols for communication amongst themselves and associates to maintainfail-proof secrecy. 

Team and Operation:The Counter Intelligence unit of Special Cell, Delhi, in its endeavor to keep Delhi safe, had been persistently working on this criminal alliance. In this continuous operation, the team has already apprehended 20 important members in different operations over the past one and a half year. In-depth interrogations of previously arrested criminals led to drawing up of an operation fornabbing the kingpin i.e. Sandeep @ Kala Jathedi. 

The team worked painstakingly for over four months before it came across some leads connected to Goa.The team of CI Unit, led by an ACP and two Inspectors, started trailing the identifiers from Goa and the search led them to Gujarat, Madhya Pradesh, Bihar, Uttar Pradesh, Andhra Pradesh, Punjab, Haryana and Uttarakhand. The team, in its dogged pursuit, was finally able grab a footage which showed Kala Jathedi in a Sikh attire along with Anuradha.

Thereafter, the operation was code-named ‘Op D-24’ to signify that the criminal was running ahead of us by only 24 hours and it was a race against time to reduce this to D-20/16/12 and so on.

Finally, on 30.07.2021, the two accused were apprehended in a swift and professional operation from nearSarsawa Toll, Saharanpur – Yamuna Nagar highway, U.P. Accused Kala Jathedi’s favorite weapon, an imported PX-3 pistol and Anuradha’s favorite weapon, an IOB make 0.38 revolver, along with live cartridges, were recovered from their respective possession. The accused has been brought to Delhi, produced before the concerned Hon’ble Court and have been taken on 14 days’ Police Custody Remand for further investigation. 

Details of arrested accused persons:

1. Sandeep @ Kala Jathedi,37 yrs, s/o Rajender, r/o VPO Jatheri, PS Rai, Sonipat, Haryana.

2. Anuradha Chaudhary @ Anurag @ Madam Minz @ Lady Don @ Revolver Rani, age 37 yrs, d/o Ramdev Singh, r/o Opposite Modi Collage, Town & PS Laxmangarh, District Sikar, Rajasthan.


Efforts are being made to trace and apprehend remaining gang members. Further investigation is in progress.



(MANISHI CHANDRA)
Dy. Commissioner of Police
Counter Intelligence
Special Cell, Delhi Police

मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के 391 मामले।




मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के  391 मामले।


इंद्र वशिष्ठ

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित 391 मामलों का पता चला है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी ने वीरवार को राज्यसभा में बताया कि विभिन्न मंत्रालयों से महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित कुल 391 शिकायतें मिली हैं।
स्मृति ईरानी ने राज्यसभा सांसद बिनोय विस्वम द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा  को यह जानकारी दी।
शी-बॉक्स।-
मंत्री ने बताया कि उनके मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण की सुविधा देने के लिए एक ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन तंत्र विकसित किया है। इसे यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) नाम दिया गया है।
एक बार शी-बॉक्स में शिकायत दर्ज होने पर यह कार्रवाई के लिए अधिकार क्षेत्र वाले संबंधित प्राधिकारी के पास सीधे पहुंचती है। ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की है।
391 शिकायतें-
मंत्री ने बताया  कि अब तक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) से संबंधित 36 शिकायतों समेत विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित शी-बॉक्स में कुल 391 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 150 शिकायतें एक जनवरी 2020 से अब तक प्राप्त हुई हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबंधित शी-बॉक्स में दर्ज 36 शिकायतों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि उनमें से कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के केवल दो मामले थे, जबकि तीन प्रविष्टियों में एक ही व्यक्ति के खिलाफ एक ही शिकायत से संबंधित थी। इसके अलावा अन्य 32 मामले महिलाओं के खिलाफ हिंसा, दहेज प्रताड़ना, दुर्व्यवहार, सुझाव आदि से संबंधित विभिन्न मामलों में जन शिकायतों से संबंधित  हैं।
मंत्री ने बताया कि इसके अलावा एमडब्ल्यूसीडी के खिलाफ पोर्टल में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के दो मामलों में से कोई भी मंत्रालय के कार्यस्थल से संबंधित नहीं है।
सुरक्षित वातावरण सर्वोच्च प्राथमिकता।-
मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि देश में महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण देना सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण और शिकायत निपटान) अधिनियम, 2013 लागू किया है। जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के लिए बिना उनकी आयु ,रोजगार स्थिति या कार्य प्रकृति चाहे सरकारी या निजी में संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रही हो। ऐसी महिलाओं को कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ संरक्षण देना और इससे संबंधित शिकायतों का निपटान करना है। यह अधिनियम सार्वजनिक या निजी कार्यस्थलों के नियोक्ताओं पर एक सुरक्षित कार्य वातावरण देने का दायित्व डालता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कानून के सख्त कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर राज्यों व संघ राज्य प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों को दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण किया जा सके।

वन स्टॉप सेंटर-
मंत्री ने एक अन्य जवाब में कहा कि देशभर में 733 वन-स्टॉप सेंटर (ओएससी) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 704 सेंटर 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित हो चुके हैं।
ओएससी सेंटर एक ही छत के नीचे हिंसा या संकट से प्रभावित महिलाओं को पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता और परामर्श, मनो-सामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित कई एकीकृत सेवाएं प्रदान करते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ओएससी द्वारा अब तक 305,896 मामलों का निपटारा किया जा चुका है।

Wednesday 28 July 2021

मोदी के मन भाए, राकेश अस्थाना कमिश्नर पद भी पाए। हक दूजे दा मार-मार के IPS बणदे कमिश्नर। मोदी ने IPS की लाइन तोड़ कमिश्नर बनाया। IPS बेचारे सत्ता से हारे। कहीं दीप जले कहीं दिल।

            पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना
        बालाजी श्रीवास्तव , राकेश अस्थाना
कमिश्नर,आईपीएस नियम कायदे से ऊपर है ?
नियम कायदे केवल आम लोगों के लिए ही हैं ?

कमिश्नर पद के लिए काबिलियत ही नहीं, नजदीकियां हैं जरुरी ।
मोदी के मन भाए तो कमिश्नर पद भी पाए।
हक दूजे दा मार-मार के, आईपीएस बणदे कमिश्नर।

बना है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता,
वरना शहर में गालिब की आबरू क्या है। 
मिर्ज़ा गालिब


इंद्र वशिष्ठ
बेशक आप कितने ही काबिल हो लेकिन अगर सत्ताधारी नेता की कृपा आप पर नहीं है तो सारी काबलियत धरी की धरी रह जाती है वह सब बेकार साबित हो जाती है। काबलियत पर कृपा हावी हो जाती है। इस कलयुग में काबिल वहीं,जो नेता के मन भाए। 

विवादों में रहे राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना कर प्रधानमंत्री मोदी ने यह साबित कर दिया। मोदी को एजीएमयूटी काडर में क्या एक भी ऐसा काबिल आईपीएस अफसर नहीं मिला जिसे दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया जा सके। मोदी ने एजीएमयूटी काडर के आईपीएस अफसरों का हक मार कर उनके साथ अन्याय किया है। भाजपा द्वारा ऐसा दूसरी बार किया गया है।

आईपीएस को ठेंगा दिखाया-
गुजरात काडर के 1984 बैच के आईपीएस
राकेश अस्थाना विवादों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का करीबी माना जाता है। इसीलिए एजीएमयूटी काडर के काबिल आईपीएस अफसरों को ठेंगा दिखा कर राकेश अस्थाना को उनके ऊपर थोप दिया गया।

राकेश अस्थाना को कमिश्नर बनाए जाने से  
एजीएमयूटी काडर के अफसर हैरान परेशान  हैं लेकिन बेचारे कर तो कुछ भी नहीं सकते हैंं।
बेशक इस काडर में काबिल अफसर भी हैं लेकिन वह बेचारे शायद  प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से नजदीकी बना उनका आशीर्वाद/ कृपा पाने के काबिल नहीं थे। प्रधानमंत्री को इस काडर के अफसरों की तुलना में राकेश अस्थाना ज्यादा "काबिल" नजर आए। 

इसीलिए तो अरुणाचल, गोवा, मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश( एजीएमयूटी )काडर के आईपीएस अफसरों को दरकिनार कर अस्थाना को बीएसएफ डीजी के पद से रिटायर होने से ठीक 4 दिन पहले एक साल का सेवा विस्तार देकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना दिया गया। 
इस मामले से  पता चलता है कि राजनेता अपने चहेते अफसर के लिए नियम कायदे की कैसे धज्जियां उड़ा देते हैं। 
बालाजी को झटका-
30 जून 2021 को ही एजीएमयूटी काडर के 1988 बैच के आईपीएस स्पेशल कमिश्नर (सतर्कता) बालाजी श्रीवास्तव ने कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। यह तय माना जा रहा था कि बालाजी श्रीवास्तव ही अब कमिश्नर रहेंगे भले  ही कागजी आदेश कार्यवाहक कमिश्नर का रहे। 
क्योंकि बालाजी श्रीवास्तव से पहले सच्चिदानंद श्रीवास्तव को भी एक साल से ज्यादा समय तक कार्यवाहक कमिश्नर ही बना के  रखा गया था, रिटायरमेंट से करीब चालीस दिन पहले ही सच्चिदानंद श्रीवास्तव को नियमित कमिश्नर नियुक्त किया गया था।
अब राकेश अस्थाना को कमिश्नर बनाने से बालाजी श्रीवास्तव को जोर का झटका लगा है। 
वैसे झटका तो उन जुगाड़ू एसएचओ/अफसरों को भी लगा है जो शुरु से ही यह देख कर ही उस आईपीएस की ही सेवा/ फटीक करते है जोकि भावी कमिश्नर होता है। ऐसे में दूसरे आईपीएस को वह खास तवज्जो नहीं देते है।
अब बाहरी आईपीएस को  कमिश्नर बना दिए जाने से उन्हें भी दिक्कत होगी। 
आईपीएस बेचारे सत्ता से हारे  -
वैसे बालाजी श्रीवास्तव को कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया तो कमिश्नर पद के दावेदार 1987 बैच के आईपीएस अफसर सत्येंद्र गर्ग और ताज हसन को दरकिनार कर दिया गया था। इसके बाद ताज हसन को सिविल डिफेंस, होमगार्ड और फायर सर्विस का महानिदेशक बना दिया गया।

"हम नहीं बने तो कोई बात नहीं", लेकिन बालाजी भी कमिश्नर नहीं बन पाया यह सोच के बहुत से आईपीएस खुद को तसल्ली दे सकते हैं। 
बारी से पहले कमिश्नर बनाने की परंपरा-
सत्ता द्वारा बारी से पहले यानी लाइन तोड़ कर और दूसरे का हक मार कर अपने खास वफादार आईपीएस को कमिश्नर बनाने की परंपरा बन गई है। 
किरण बेदी को दरकिनार करके उनसे जूनियर युद्धबीर डडवाल को कमिश्नर बनाया गया था। दीपक मिश्रा,धर्मेंद्र कुमार और कर्नल सिंह को दरकिनार करके उनसे जूनियर अमूल्य पटनायक को कमिश्नर बनाया गया था। ये सभी एजीएमयूटी काडर के ही थे। अब इस काडर के ही 1987 और 1988 बैच के आईपीएस अफसरों को दरकिनार करके गुजरात काडर के राकेश अस्थाना को तो रिटायरमेंट से ठीक पहले बाहर से लाकर कमिश्नर बना दिया गया।
जब बारी से पहले या बाहर से लाकर किसी को कमिश्नर बनाया जाता है तो जाहिर सी बात है कि उस आईपीएस का नुकसान हो जाता है जो बारी के हिसाब से कमिश्नर बनने का असली हकदार होता है। 
वैसे सच्चाई यह है कि सरकार किसी भी दल की हो पुलिस का इस्तेमाल सभी सत्ता के लठैत के रुप में करते हैं। इसलिए वह कमिश्नर ऐसे अफसर को बनाते हैं जो उनके इशारे पर कठपुतली की तरह नाचे।  
आईपीएस के साथ अन्याय-
राकेश अस्थाना को कमिश्नर बनाए जाने  का असर उन आईपीएस अफसरों पर पड़ा है जो कमिश्नर बनने की कतार में सबसे प्रबल दावेदार थे और हैं। 
अगर राकेश अस्थाना दो साल इस पद रहे ,जिसकी संभावना है, तो एजीएमयूटी काडर के अनेक  दावेदार आईपीएस अफसर कमिश्नर बने बगैर ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।अपनी बारी की बाट जोह रहे उन आईपीएस के साथ यह अन्याय है। क्योंकि अपने-अपने काडर में आईपीएस की  मंजिल/लक्ष्य और सपना पुलिस बल के मुखिया का पद ही होता है। सत्ता ने उनका सपना और दिल तोड़ दिया और उनका हक छीन लिया।
इसे राकेश अस्थाना की किस्मत भी कह सकते हैं कि रिटायरमेंट से ठीक पहले उन्हें देश की राजधानी के पुलिस कमिश्नर पद भी मिल गया। दूसरी ओर उन आईपीएस की बदकिस्मती जिनकी कमिश्नर बनने की बारी थी। 
ऐसे में यह कहीं दीप जले, कहीं दिल वाली स्थिति है।
नियम तोड़ा ?-
राकेश अस्थाना को कमिश्नर नियुक्त कर  सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की धज्जियां उड़ाई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले में सभी राज्यों से कहा था कि सरकार पुलिस महानिदेशक या पुलिस आयुक्त  का नाम तय करने के लिए पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उनका कार्यकाल पर्याप्त बचा हो। 
इसी वजह से ही मोदी राकेश अस्थाना को सीबीआई डायरेक्टर नहीं बना पाए थे। लेकिन  अब उन्हें कमिश्नर बना देने से प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।

राकेश अस्थाना का इतिहास-
राकेश अस्थाना पहले महानिदेशक, सीमा सुरक्षा बल और महानिदेशक, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में थे। 
राकेश अस्थाना ने इसके पहले सीबीआई के विशेष निदेशक और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक के पदों पर कार्य किया है।
राकेश अस्थाना ने सीबीआई में दो बार सेवा दी है। गुजरात में उन्होंने नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान वडोदरा के पुलिस आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। तभी से वह मोदी के करीबी हैं।

अजय राज शर्मा दबंग कमिश्नर-
ऐसा यह तीसरा उदाहरण हैं जब एजीएमयूटी काडर के बाहर से एक आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया गया हो।
साल 1999 में भाजपा के शासन काल में 1966 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के आईपीएस अजय राज शर्मा को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया था। काबिल और दबंग अजय राज शर्मा सबसे सफल कमिश्नर रहे हैं। अजय राज शर्मा से आईपीएस अफसर तक डरते थे। कमिश्नर के पद पर तीन साल की बेहतरीन पारी के बाद उन्हें सीमा सुरक्षा बल का महानिदेशक बनाया गया। 
इसके पहले महाराष्ट्र काडर के आईपीएस एस एस जोग को भी दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया था।
लेकिन राकेश अस्थाना और उपरोक्त दोनों अफसरों में एक बड़ा अंतर यह है कि उपरोक्त दोनों अफसरों को जब नियुक्त किया गया तो उनका कार्यकाल कई सालों का बचा हुआ था। जबकि राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से ठीक पहले सरकार ने एक साल का सेवा विस्तार देकर कमिश्नर बनाया है।  
राकेश अस्थाना विवादों में-
राकेश अस्थाना का साल 2018 में सीबीआई में  कार्यकाल के दौरान सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा से विवाद हुआ था और दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। आलोक वर्मा के द्वारा 15 अक्टूबर, 2018 को अस्थाना के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई गई थी। अस्थाना पर आरोप लगा था कि मांस कारोबारी मोइन कुरैशी मामले में एक संदिग्ध को मामले में राहत देने के लिए दो बिचौलियों के माध्यम से 2.95 करोड़ रुपए रिश्वत ली थी।
सरकार ने इसके बाद दोनों अधिकारियों को सीबीआई से हटा दिया था। बाद में अस्थाना को आरोपमुक्त कर दिया गया था। 
सत्ता के लठैत कमिश्नर? -
पिछले कई सालों से कमिश्नर के पद पर ऐसे नाकाबिल आईपीएस अफसर आए हैं जिन्होंने  सत्ता के लठैत बन खाकी को खाक में मिला दिया। ऐसे कमिश्नरों के कारण ही पुलिस में भ्रष्टाचार व्याप्त है। ये कमिश्नर अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में भी विफल रहे। पेशेवर रुप से नाकाबिल कमिश्नरों के कारण ही आईपीएस अफसर और मातहत पुलिसकर्मी भी निरंकुश हो जाते हैं। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता हैं।  हालत यह है कि लूट,झपटमारी आदि अपराध की सही एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती है। अपराध कम दिखाने के लिए अपराध को दर्ज ना करने या हल्की धारा में दर्ज किए जाने की परंपरा जारी है। थानों में लोगों से पुलिस सीधे मुंह बात तक नहीं करती। डीसीपी या अन्य वरिष्ठ अफसरों से मिलने के लिए भी लोगों को सिफारिश तक करानी पड़ती है।
अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि राकेश अस्थाना अपनी पेशेवर काबिलियत दिखा कर कमिश्नर पद का सम्मान,गरिमा बहाल करेंगे या वह अपने पूर्ववर्ती कमिश्नर की तरह सत्ता के लठैत बन पद की गरिमा को मटियामेट करेंगे। 
हालांकि दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद पर पहले अनेक ऐसे आईपीएस अफसर रहे हैं जिनकी काबिलियत और दमदार नेतृत्व क्षमता की मिसाल दी जाती है। काबिल कमिश्नर से ही आईपीएस भी डरते हैं। 

बुनियादी पुलिसिंग प्राथमिकता-
बेसिक पुलिसिंंग, अपराध की रोकथाम (प्रिवेंशन) और अपराध के मामलों का पता लगाना/सुलझाना(डिटेक्शन)दिल्ली के नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की प्राथमिकता है।
राकेश अस्थाना ने पुलिस कमिश्नर का पद भार संभालने के बाद पुलिस के वरिष्ठ अफसरों के साथ की गई बैठक में अपनी प्राथमिकताएं बताई।
राकेश अस्थाना ने अफसरों से बेसिक पुलिसिंग पर फोकस करने को कहा है।
अपराध की रोकथाम और अपराध का पता लगाने, कानून व्यवस्था बनाए रखने और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विशेष कार्यों पर  फोकस करने को कहा  है। पुलिस को टीम के रुप में काम करना चाहिए।
कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा पुलिस का मूल काम कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना होता है।  अपराध की रोकथाम और पता लगाना है उनका फोकस बेसिक पुलिसिंग पर रहेगा। 
कमिश्नर ने कहा मेरी समझ जहां तक है अगर ये काम बखूबी करेंगे तो जनता को संतुष्टि रहेगी और कानून व्यवस्था बनी रहेगी।
कमिश्नर ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद और भरोसा है पुलिस एक टीम की तरह काम करेगी, दिल्ली में बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास करेंगे। 
सुरक्षा की भावना-
कमिश्नर ने कहा कि अपराध का पता लगाना और रोकथाम के कड़े उपाय न केवल अपराध के बोझ को कम करते हैं बल्कि शहर में सुरक्षा की भावना को सुनिश्चित करते हैं खासतौर पर महिलाओं और कमजोर वर्ग समूहों के बीच,जिसके लिए पुलिस को ज्यादा से ज्यादा प्रयास करते रहना चाहिए।

कमिश्नर ने दिल्ली में कानून और व्यवस्था की स्थितियों से निपटने में दिल्ली पुलिस के ट्रैक रिकॉर्ड की प्रशंसा की और साइबर अपराध, आतंक, नशीले पदार्थों, बंदूक तस्करी आदि का भंडाफोड़ करने में अच्छे कामों को जारी रखने पर जोर दिया। 

कमिश्नर, आईपीएस उड़ा रहे नियमों की धज्जियां-
नवनियुक्त कमिश्नर पुलिस मुख्यालय में पहुंचे तो मास्क पहन कर, लेकिन अंदर मास्क उतार दिया।
अगर फोट़ो खिंचवाने के लिए भी मास्क हटाया गया हो तो भी हैं तो यह नियमों का उल्लंघन ही। दूसरा उन्हें बिना मास्क की फोटो सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए इससे तो गलत संदेश ही जाता है।
पीएम की भी नहीं मानते-
 दो गज दूरी, मास्क है जरुरी। इस मंत्र का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार जाप कर रहे हैं। लेकिन उनकी नाक के नीचे ही इस नियम का उल्लंघन पुलिस कमिश्नर और आईपीएस अफसर ही नहीं और उनकी पत्नियां तक करते हैं।
मास्क और दो गज दूरी का पालन न करने पर दिल्ली पुलिस द्वारा जमकर लोगों के चालान किए जा रहे हैं। पुलिस द्वारा रोजाना चालान के आंकड़ों से यह दिखाया जा रहा है कि पुलिस कितनी मुस्तैदी से काम कर रही है। लेकिन पुलिस की यह मुस्तैदी सिर्फ़ आम जनता पर ही दिखाई जा रही हैं।
 पूर्व पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव और आईपीएस अफसर ही नहीं उनकी पत्नियां तक इन नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं।

पुलिस बल के मुखिया ,आईपीएस अफसरों और उनकी पत्नियों द्वारा ही नियमों का पालन और सम्मान नहीं करने से मातहत पुलिसकर्मियों में ही नहीं समाज में भी ग़लत संदेश जाता है।
पुलिस कमिश्नर, आईपीएस अफसर और उनकी पत्नी क्या नियम कायदे से ऊपर है ? 
क्या नियम कायदे सिर्फ आम लोगों के लिए ही हैं ?
कानून के रखवाले पुलिस कमिश्नर और आईपीएस अफसरों,और उनकी पत्नियों द्वारा ही नियमों का उल्लंघन गंभीर और शर्मनाक है। कमिश्नर और आईपीएस की पेशेवर काबिलियत पर भी सवालिया निशान लग गया है।


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)




 (पुलिस अफसरों की इंटरस्टेट मीटिंग 4-8-2021)