Monday 26 August 2019

टिमटिमाते केजरीवाल की बिजली चमकेगी या बत्ती गुल होगी ? केजरीवाल को बिजली का सहारा।




बिजली बिल माफ़ , 
केजरीवाल का रास्ता साफ़ ?
AAP के MLA  बिजली के भरोसे।

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सत्ता बरकरार रखने  के लिए बिजली बिल माफ़ और हाफ करने का जबरदस्त दांव चला हैं। 
दिल्ली के एमएलए अब अपने-अपने इलाके में ऐसे उपभोक्ताओं/ वोटरों की संख्या पता लगाने में जुट गए हैं। जिनके इस योजना के कारण बिजली बिल माफ़ और हाफ हो गए हैं। 
बिजली बिल माफ़ और हाफ के सहारे यह विधायक आगामी विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने की तैयारी कर रहे हैं। 
विधायक बकायदा सरकार से ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या पता करने में लग गए हैं। इन आंकड़ों के आधार पर विधायक चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। इन आंकड़ों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनमें से कितने प्रतिशत वोट तो उनको ही मिल ही सकते है।

इसका अंदाजा विधानसभा में आम आदमी पार्टी के त्री नगर इलाके के  विधायक जितेंद्र सिंह तोमर द्वारा पूछे गए सवाल से ही लगाया जा सकता हैं।
कानून की फर्जी डिग्री लेने के आरोप में जेल जा चुके पूर्व मंत्री जितेंद्र तोमर ने बिजली मंत्री से सवाल पूछा कि त्री नगर विधानसभा सभा क्षेत्र में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या कितनी है जिनकी बिजली की खपत प्रति माह 400 यूनिट और  250 यूनिट से कम है। मार्च 2015  के बाद से लगाए बिजली के कुल मीटरों की संख्या और मीटर के लंबित मामलों की जानकारी भी मंत्री से मांगी।
बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने विधानसभा में इस सवाल के जवाब में बताया कि टीपीडीडीएल के अनुसार त्री नगर विधानसभा क्षेत्र में 49179  उपभोक्ताओं की बिजली की खपत जून 2019 में प्रति माह 400 यूनिट से कम है 34042 उपभोक्ताओं की बिजली की खपत प्रति माह 250 यूनिट में कम है। 
मंत्री ने बताया कि मार्च 2015 के बाद 14703 बिजली के नए मीटर लगाए गए हैं।नए बिजली के मीटर लगाने के 14 मामले लंबित हैं।

दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली बिल माफ़ और 201 से 400  यूनिट तक बिजली बिल हाफ करने का कुछ दिन पहले ही ऐलान किया था।

उल्लेखनीय है कि त्री नगर विधानसभा क्षेत्र में  मतदाताओं की कुल संख्या लगभग डेढ़ लाख है। बिजली बिल माफ़ और हाफ होने का लाभ जिन उपभोक्ताओं को मिला है। आम आदमी पार्टी की  चुनावी नैया पार लगाने में यह उपभोक्ता  महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी द्वारा कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को  हटाने का जबरदस्त असर आगामी विधानसभा चुनावों में पड़ेगा। इसके बावजूद दिल्ली में बिजली बिल माफ़ और हाफ का असर भी जरुर दिखाई देगा।


सरकारी अस्पताल में आपरेशन और जांच के लिए लंबा इंतजार  की समस्या को दूर करने के लिए सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा रैफर किए गए मरीज़ का आपरेशन प्राइवेट अस्पताल में किए जाने की सुविधा दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई है। 
इन सुविधाओं को अच्छी तरह और ईमानदारी से लागू किया जाए तो आम आदमी को इन सुविधाओं से बहुत बड़ी राहत मिल सकती है ।
इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक में इलाज और जांच की सुविधा उपलब्ध कराने का असर भी दिखाई देगा
पहले पानी बिल माफ़ (20हजार लीटर तक) और अब बिजली बिल माफ़ और हाफ दिल्ली विधानसभा के चुनाव में असर डालेगा।










Wednesday 14 August 2019

CBI सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो, निष्पक्ष‌ और सक्षम जांच एजेंसी बने।



 CBI  सरकारके नियंत्रण से मुक्त हो,
निष्पक्ष और सक्षम जांच एजेंसी बने।
CBI अफसर राष्ट्रपति पदक से सम्मानित। 

इंद्र वशिष्ठ

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि जिन मामलों में राजनीतिक रंग नहीं होता, उनमें सीबीआई अच्छा काम करती है। 
सीबीआई  को सरकार के नियंत्रण से अलग करने के लिए सीएजी के समान वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश  ने कहा कि सीबीआई की जांच प्रक्रिया को सरकार/राजनीतिक के दबाव से दूर रखने के लिए इसको कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) के समान वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे सीबीआई सरकार के 'प्रशासनिक नियंत्रण' से पूरी तरह 'अलग' हो सकेगी।

रंजन गोगोई ने कहा, सीबीआई की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका लगातार कोशिश कर रही है. सीबीआई को राजनीतिक प्रभाव से बचाने के लिए अदालतों ने कई गाइडलाइंस जारी की हैं. 

मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआई पर उठाया सवाल-

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई द्वारा आयोजित  डी पी कोहली मेमोरियल लेक्चर में यह बात कही। इस  दौरान  उन्होंने सीबीआई की कमियों और ताकतों के बारे में साफ बात की और उसे आगे बढ़ने के बारे में सलाह भी दी। उन्होंने कहा, 'यह सच है कि कई हाई प्रोफाइल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में एजेंसी न्यायिक जांच के मानकों को पूरा नहीं कर पाई है। यह बात भी उतनी ही सच है कि इस प्रकार की खामियां शायद कभी-कभार नहीं होती।' 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार के मामले प्रणालीगत समस्याओं को उजागर करते हैं और संस्थागत आकांक्षाओं, संगठन की संरचना, कामकाज की संस्कृति और शासन करने वाली राजनीति के बीच तालमेल की गहरी कमी की ओर संकेत करते हैं। उन्होंने कहा, 'ऐसा क्यों है कि जब किसी मामले का कोई राजनीतिक रंग नहीं होता, तब सीबीआई अच्छा काम करती है।

सीबीआई निष्पक्ष और सक्षम जांच एजेंसी बने।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हाल ही में लोकपाल का लागू होना एक अच्छी प्रगति है, लेकिन मौजूदा चुनौती यह तय करने की है कि सीबीआई को कैसे एक सक्षम और निष्पक्ष जांच एजेंसी बनाया जाए जो जनता की सेवा करने के उद्देश्यों से पूरी तरह प्रेरित हो, संवैधानिक अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखे और जटिल समय में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम हो। 

 उन्होंने ने सीबीआई में स्टाफ की कमी को भी एक प्रमुख चिंता बताया। 

सुप्रीम कोर्ट ने विनीत नारायण मामले में सीबीआई डायरेक्टर के पद के लिए गाइडलाइंस जारी की थी. इन सभी कारणों से सीबीआई की स्वायत्तता पर बुरा असर पड़ रहा है। 

मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सीबीआई अफसरों और कर्मचारियों को  पदक और प्रशंसा पत्र  प्रदान किए।


स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा सीबीआई के 32 अफसरों / कार्मिकों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक प्रदान किए गए हैं।







Monday 5 August 2019

कश्मीर को 3 सियासतदानों के परिवारों ने लूटा,कश्मीर स्वर्ग था स्वर्ग रहेगा, कश्मीर से धारा 370 हटी। रक्तपात युग का अंत होगा।

जम्मू-कश्मीर में रक्तपात युग का अंत होगा।
तीन सियासतदानों के परिवारों ने कश्मीर को लूटा।

इंद्र वशिष्ठ

जम्मू-कश्मीर में लंबे रक्तपात भरे युग का अंत संविधान के अनुच्छेद 370 के हटाने से होगा। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जड़ धारा 370  है।
  धारा 370 के कारण ही कश्मीर में भ्रष्टाचार फला-फूला फैला। ग़रीबी बढ़ी लोग गुरबत में जी रहे हैं। यह धारा महिला और दलित विरोधी है।

गृहमंत्री अमित शाह ने  1989 से 2018 तक रक्तपात के कारण मारे गए 41849 लोगों को याद करते हुए कहा कि ये धारा 370 की भेंट चढ़ गए। अगर यह धारा नहीं होती तो उनकी जान नहीं जाती।
इस धारा ने कितना नुक़सान जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का किया ?
 इसका उदाहरण हैं कि विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए जो शरणार्थी कश्मीर में गए उनको आजतक वहां की नागरिकता नहीं मिली वे वहां पार्षद तक नहीं बन सकते।  पाकिस्तान से आए शरणार्थी देश का प्रधानमंत्री ( मनमोहन सिंह और इंद्र कुमार गुजराल) तो बन सकते है लेकिन कश्मीर में पार्षद नहीं बन सकता।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन के संकल्पों, बिलो पर राज्य सभा सदस्यों ने जो शंकाएं और विचार रखे उनका जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह  ने राज्य सभा में यह बात कही।

गृहमंत्री ने कहा कि लोगों को आरोग्य और शिक्षा की सुविधा नहीं मिली। जम्मू-कश्मीर की जनता जम्हूरियत लोकतंत्र चाहती है। धारा 370 के कारण तीन  परिवारों के शासन ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत नहीं होने दिया।

 धारा 370 भ्रष्टाचार और गरीबी के लिए जिम्मेदार है
2004-2018 तक 277000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा दिया गया। हजारों करोड़ भेजा गया लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। कोई एजेंसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वहां नहीं है
 इस धारा के कारण भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने वाली एजेंसी की कश्मीर में एंट्री नहीं हैं।
तीन सियासतदां परिवार से जुड़े लोगों ने सीमेंट की एजेंसी ले ली। सीमेंट 100 रुपए प्रति बोरी महंगी है।
इन तीनों सियासतदां परिवारों से आशीर्वाद प्राप्त व्यक्ति ही वहां बिजनेस कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद इनकी अब जांच शुरू हो रही हैं।
अमित शाह ने कहा कि इसलिए ये हो हल्ला हो रहा है ये हो हल्ला कश्मीर के लिए नहीं हो रहा है।

 पर्यटन --
पर्यटन भी इस धारा के कारण नहीं बढ़ा क्योंकि कोई भी अच्छा होटल वहां जमीन नहीं खरीद सकता है।
कोई भी इंडस्ट्री उद्योग लगाना चाहता है तो कैसे लगा सकता है  इस धारा को हटाने का विरोध करने वाले मुझे समझा दें।

इस धारा से घाटी के लोगों, युवाओं का कोई भला नहीं होने वाला है सिर्फ सियासतदानों का भला होता है।
आरोग्य की हालत भी वहां खस्ता है  प्राइवेट अस्पताल वहां नहीं बन सकता है

अमित शाह ने कहा कि इस धारा की वकालत करने वाले बताएं कि कौन डाक्टर वहां जाएगा जिसे घर जमीन खरीदने की अनुमति नहीं, मतदान का अधिकार नहीं।
शिक्षा --  6 से14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिला लेकिन कश्मीर के बच्चों को नहीं मिला। इस धारा के हटने से अब शिक्षा का अधिकार मिलेगा।

अमित शाह ने कांग्रेस को आईना दिखाया--

कांग्रेस द्वारा इस बिल को अचानक लाए जाने और असंवैधानिक बताया जाने पर अमित शाह ने कांग्रेस को आईना दिखाया।
अमित शाह ने हम तो राष्ट्र हित का बिल लाए हैं
 आप  (कांग्रेस), तो इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से बचाने का संवैधानिक सुधार बिल उसी दिन लाए और पारित कर लिया। आप हमें उपदेश दे रहे हैं।


 गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अब कश्मीर में इंटरस्टेट शादियां हो रही। इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की लड़की ने किसी उड़ीया वासी  से शादी कर ली लेकिन उसे और उसके बच्चों को अधिकार मिलता है क्या  ?

अमित शाह ने कहा विपक्ष कहता है कि धारा 370 हटाने से " ये हो जाएगा वो हो जाएगा "। लेकिन मैं कहता हूं कि "कुछ नहीं होने वाला"।

गृहमंत्री ने कहा कि हमारी पॉलिसी  को ठीक नहीं कहने वाले बताएं कि किस की नीति जिम्मेदार है 41849 लोगों के मारे जाने के लिए। साल 1989 से आतंकवाद शुरू हुआ। आतंकवाद पनपा, बढ़ा चरम पर पहुंचा। अलगाववादियों ने युवाओं के मन में नाराजगी का भाव भरा।  राजस्थान, गुजरात, बिहार ओडिशा का तो युवा गुमराह नहीं होता क्योंकि वहां धारा 370 नहीं है।
हुर्रियत, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, घुसपैठियों सबने कश्मीरी युवाओं को गुमराह किया।

 अमित शाह ने कहा धारा को हटाने का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि रक्तपात हो जाएगा।
आप क्यों ऐसी शुभकामनाएं देते हैं । हम एक प्रयोग कर रहे हैं ऐसे में आप कहें कि सब अच्छे से हो जाए।
 कश्मीर के युवाओं को अनपढ़ रख कर जो उकसाते हैं जो धारा 370 की वकालत करते हैं। उनके बेटे बेटी लंदन , अमेरिका में पढ़ते हैं ।

कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए धारा हटाना जरूरी है । कश्मीर के युवाओं को गले लगाना चाहते हैं ।शेष भारत की तरह कश्मीर में भी विकास करना चाहते हैं।

अमित शाह ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि चिंता मत करो ये धारा घिसते घिसते घिस जाएगी। लेकिन कांग्रेस उसे बड़े जतन से संभाल कर रखें रही।
महाराजा हरि सिंह ने 27-10-1947 को कश्मीर का भारत में विलय किया था। धारा 370 साल  1949 में आई। इस धारा का  कश्मीर के भारत में विलय/ जुड़ाव से कोई लेना देना नहीं है।

यह धारा सिर्फ तीन सियासतदानों के परिवारों को प्रोटेक्ट करता है। इन परिवारों ने इतने सालों तक जम्मू कश्मीर को लूटा है

यह धारा भारत के तो हित में है ही नहीं कश्मीर घाटी के भी हित में नहीं है।

कब तक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा ?
अमित शाह ने कहा कि मैं आश्वस्त करता हूं कि जैसे ही स्थिति सामान्य हो जाएगी उसे उचित समय पर राज्य बनाएंगे। कश्मीर स्वर्ग था और स्वर्ग रहेगा।

गृहमंत्री ने कहा कि 70 साल धारा 370 के साथ  जिए। हमें 5 साल दे दीजिए हम कश्मीर को सबसे विकसित राज्य बना देंगे। कश्मीरी युवाओं को कहा कि 5 साल में परिवर्तन आएगा। कश्मीर को हंसता खेलता देखेंगे

अपने वोट बैंक के लिए यह धारा हटाने के आरोप पर
अमित शाह ने कहा कि संसद तो क्या जब हम म्युनिसिपैलिटी में भी नहीं थे तब से धारा 370 को हटाना हमारे घोषणा पत्र में था क्योंकि हम मानते हैं कि यह गलत  है। 
कुछ राजनीतिक दलों ने एनजीओ की ब्रिगेड बना रखी हैं जो इस धारा को हटाने को अदालत में चैलेंज करेंगे। लेकिन लीगल स्कूटनी में कुछ नहीं होने वाला।

गृहमंत्री अमित शाह ने 5-8-2019 की सुबह 11-15 बजे धारा 370 को हटाने और जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के ऐतिहासिक संकल्पों और बिलो को राज्य सभा में पेश किया। 
राज्य सभा सदस्यों ने जो शंकाएं, विचार रखे और स्पष्टीकरण मांगा उनका जवाब गृहमंत्री ने शाम 5.36 बजे दिया।

 राज्य सभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पास होते ही अमित शाह प्रधानमंत्री  का अभिवादन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमित शाह की पीठ थपथपाई।

जम्मू-कश्मीर की पीडीपी के सांसदों नजीर अहमद लवाय,मीर मोहम्मद फैयाज ने राज्य सभा में इसका विरोध किया। मीर मोहम्मद फैयाज ने संविधान की प्रति भी फाड़ दी। जिसके बाद दोनों सांसदों को सदन से बाहर निकाल दिया गया।








                            (संसद भवन 5-8-2019)

Friday 2 August 2019

आतंकवादी घोषित करना, आतंकवाद के खिलाफ नया हथियार , NIA सज़ा दिलाने में नंबर वन।

 आतंकवादी घोषित करना,आतंकवाद के खिलाफ नया हथियार,


अमित शाह ने दिग्विजय सिंह को दिया करारा जवाब, 

NIA सज़ा दिलाने में नंबर वन 


इंद्र वशिष्ठ

आतंकवाद की वारदात  संगठन/ संस्था  नहीं व्यक्ति
 करता है। व्यक्ति ही  संस्था/ संगठन बनाते है। सरकार एक संगठन पर प्रतिबंध लगाती हैं तो वह व्यक्ति संस्था का नाम बदलकर कर दूसरे नाम से संस्था/ संगठन बना लेते हैं। 
फिर उस पर प्रतिबंध लगाने और सबूत जुटाने में दो साल ओर लग जाते हैं इस दौरान वह आतंकवाद  फैलाते रहते हैं। संस्थाओं पर प्रतिबंध कब तक लगाते रहेंगे ? 
 जब तक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति  को आतंकवादी घोषित नहीं करते इनके काम पर रोक नहीं लग सकती। 
 इसलिए आतंकवाद पर काबू पाने के लिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की जरूरत है।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में गैर कानूनी गतिविधि निवारण (संशोधन) बिल के समर्थन में यह बात कही।

इसका उदाहरण उन्होंने आतंकी यासीन भटकल के मामले से दिया। कई वारदात में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल को कोलकाता पुलिस ने पकड़ा था लेकिन यासीन ने उस समय अपना फर्जी नाम पुलिस को बताया और बाद में जमानत पर रिहा हो गया। पुलिस के पास उस समय उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि नहीं थी।
 गृहमंत्री ने कहा कि यासीन भटकल को अगर साल  2009 में आतंकवादी घोषित किया गया होता तो उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि देशभर के सभी थानों में होते और तो वह कोलकाता पुलिस से एनआईए की जद में आ जाता।

एनआईए का सज़ा दर में अव्वल नंबर --

 गृहमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 31-7-2019 तक 278 मामले दर्ज किए हैं इनमें से 204 मामलों में अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिए गए हैं। 54 मामलों में अदालत ने फैसला सुना दिया है जिसमें 48 मामलों में सज़ा हुई हैं। सज़ा की दर 91 फीसदी है यह दुनियाभर की जांच एजेंसियों में सबसे ज्यादा सज़ा की दर है। इन मामलों में  221 आरोपियों को सज़ा हुई है। अदालत ने 98 आरोपियों को दोषमुक्त कर किया है।

गृहमंत्री ने बताया कि किसी को आतंकी घोषित करने का मतलब यह नहीं कि अंतिम ठप्पा लग गया है।
इसकी अपील के लिए सरकार की कमेटी है समीक्षा कमेटी , हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती हैं। स्कूटनी का चार स्तर पर प्रावधान है।

आतंकवादी घोषित करने के चार पैमाने --

जब कोई आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेता है , आतंकवाद के लिए तैयारी में मदद करता है,
आतंकवाद की अभिवृद्धि कराने में इसकी कार्य योजना बनाता है , 
घोषित आतंकवादी संस्थानों की गतिविधियों में शामिल  पाया जाता है।
इन चार बिंदुओं की परिधि में शामिल होने पर व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जाएगा।

गृहमंत्री ने कहा कि आतंकी अगर दो क़दम बढ़ते हैं तो हमें चार कदम आगे बढ़ाने होंगे तभी आतंकवाद पर काबू पाया  जा सकता है। इसकेे लिए हमें अपनी जांच एजेंसियों को मजबूत करना है।

कांग्रेस के पी चिदंबरम ने इस एक्ट की धारा 5 और 6 पर आपत्ति जताई और कहा कि इसमें सबसे बड़ा खतरा यह है कि व्यक्ति विशेष की अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। सिर्फ बिलीव के आधार पर उस व्यक्ति  को आतंकी घोषित करना ग़लत है। किसी व्यक्ति का नाम कब लेंगे और किस स्तर पर आतंकी घोषित किया जाएगा।

गृहमंत्री ने चिदंबरम के सवाल के जवाब में बताया कि उपलब्ध व्यक्ति से गहन पूछताछ के बाद और वह पूछताछ में सहयोग करेगा तब करेंगे। लेकिन जो व्यक्ति उपलब्ध नहीं है तो उसे तो पहले ही आतंकवादी घोषित किया जाएगा जैसे कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम आदि को तो पहले ही किया जा सकता है। 


अमित शाह - दिग्विजय सिंह में नोंक-झोंक  -

कांग्रेस के  दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह संशोधन असंवैधानिक है और हमें इनकी नीयत पर संदेह है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे भरोसा है कि आप सबसे पहले मुझे इसमें डालोगे। आपकी नीयत पर भरोसा नहीं है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुरुपयोग की बात कम से कम कांग्रेस के मित्र न करें। मैं इनका इतिहास बताने लगूंगा तो सात अगस्त यानी सत्र के अंतिम दिन तक जाएगा। 
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस द्वारा आपातकाल यानी इमरजेंसी में क्या किया गया था ?   कानून के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस अपना अतीत देख ले।

इसी बीच दिग्विजय सिंह बीच में कुछ आपत्ति जताते हुए बोलने लगे तो अमित शाह ने कहा कि दिग्विजय सिंह अभी चुनाव हार कर आए हैं इसलिए  अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। 

अमित शाह ने बड़े ही रौबदार/ हड़काने वाले अंदाज में दिग्विजय सिंह से कहा कि आपकी बात का जवाब तो देना ही पड़ेगा और आपको सुनना भी पड़ेगा।

दिग्विजय सिंह द्वारा खुद को आतंकवादी घोषित किए जाने की बात पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं आश्वस्त करता हूं कि  " कुछ नहीं करोगे, तो कुछ नहीं होगा "।

दिग्विजय सिंह ने अमित शाह से कहा कि जय प्रकाश नड्डा की ताजपोशी कर दीजिए। इस पर अमित शाह ने दिग्विजय सिंह से कहा कि आप अपना अध्यक्ष तो चुन लीजिए।

वरिष्ठ वकील सांसद के टी एस तुलसी ने इस एक्ट के संशोधन पर विरोध जताते हुए कहा कि इससे गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। इस संशोधन के अनुसार किसी व्यक्ति को सिर्फ इसी आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है कि आप सोचते और महसूस करते हैं कि वह आतंकवादी है।

सांसद मीर मोहम्मद फैयाज ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे कानून का सबसे ज्यादा दुरुपयोग कश्मीर में होगा। 

मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा कि मेरे घर भी कोई गन लेकर आएगा और कहेगा  खाना दो तो बंदूक के सामने मैं क्या कर सकता हूं। ।  कश्मीर में ऐसा ही हो रहा है आतंकी खाना खा कर चला जाता हैं फिर पुलिस उनके घर पहुंच कर परेशान करती है जबकि इसमें उनका क्या कसूर है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए
जांच एजेंसियों के हाथ मजबूत करने वाला यह
गैर कानूनी गतिविधि निवारण (संशोधन) बिल राज्यसभा में भी पास हो गया।