Monday 17 June 2013

सीबीआई और आईबी के गले की हड्डी

इंद्र वशिष्ठ ,

इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामला सीबीआई और आईबी के लिए गले की हड्डी बन गया है। सीबीआई की तफ्तीश और साख दांव पर है।सीबीआई की जांच जिस मुकाम  पर है वहां आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार का बचना आसान नहीं है। इशरत मामले का पूरा ऑपरेशन ही आईबी का था।  इसलिए आईबी अपने अफसर को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

सूत्रों के अनुसार आईबी ने इस मामले में खुलकर सामने आने में बहुत देर कर दी। आईबी को मामले के ये तथ्य शुरु में ही सरकार के सामने स्पष्ट कर देने चाहिए थे। तब शायद यह सियासी मुद्दा बन कर इस हद तक नहीं पहुंचता। सीबीआई डायरेक्टर ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ साक्ष्य होने की बात कहीं हैं । आईबी इस मामले में सिर्फ यह कह कर नहीं बच सकती कि आतंकवादियों के बारे में इनपुट देने तक ही उनकी भूमिका थी। या जांच से जुड़े आईपीएस सतीश वर्मा निजी वजहों से राजेंद्र कुमार को फंसा रहे हैं। उधर आईबी ने सरकार को यह बताया कि राजेंद्र कुमार और गुजरात के  मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कोई संबंध नहीं है। यह सफाई इसलिए दी गई कि यह कहा जा रहा था कि मोदी ने राजेंद्र कुमार के साथ मिलकर एनकाउंटर कराया है । आईपीएस अफसरों की माने तो आईबी को डर है कि मोदी को इस मामले में फंसाने के  चक्कर में कहीं राजेंद्र  कुमार को बलि का बकरा न बना दिया जाए। इसलिए आईबी ने यह भी बताया  कि लश्कर के आतंकवादियों की फोन इंटरसेप्ट की  बातचीत में पता चला था कि उनका इरादा नरेंद मोदी की हत्या करने का है। सूत्रों के अनुसार आईबी की भूमिका किसी आतंकवादी के बारे में सिर्फ इनपुट देने तक सीमित नहीं होती है। आमतौर पर आईबी अपने ऑपरेशन को  पूरे अंजाम तक पहुंचाने  तक शामिल रहती है।

सीबीआई द्वारा आरोपी के तौर पर राजेंद्र कुमार को समन करने पर आईबी के द्वारा सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान लगाना भी सही नहीं माना जा रहा है इससे यह संदेश निकल रहा है क्या आईबी को भी सीबीआई की तफ्तीश पर भरोसा नहीं है? या आईबी अपने अफसर को बचाने की कोशिश कर रही है? ऐसे में सीबीआई के लिए भी यह तफ्तीश अब साख का सवाल बन गई है। दूसरी ओर सूत्रों का यह भी मनना है कि आईबी के इतने बड़े अफसर के खिलाफ कार्रवाई से फर्जी मुठभेड़ों पर रोक लगेगी। सीबीआई डायरेक्टर को बुलाना तफ्तीश में दखलदांजी है। अब हालात यह है कि सीबीआई चाह कर भी राजेंद्र को नहीं बचा सकती। सीबीआई की तफ्तीश पर हाई कोर्ट की नजर है। सीबीआई सिर्फ इतना लिहाज कर सकती है राजेंद्र को गिरफ्तार किए बिना उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दे। सूत्रों के अनुसार यहीं वजह है कि सीबीआई डायरेक्टर से कहा गया कि वह राजेंद्र कुमार से पूछताछ कर सकते है लेकिन इस मामले में उनको फिलहाल गिरफ्तार ना किया जाए।

उल्लेखनीय है कि आतंकवादी डेविड हेडली ने अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई को पूछताछ में बताया था कि इशरत जहां लश्कर की मानव बम थी।

वर्ष 2004 में इशरत जहां और  लश्कर ए तोएबा के तीन अन्य आतंकवादियों के बारे में राजेंद्र कुमार ने ही इनपुट गुजरात पुलिस को दिया था। राजेंद्र कुमार उस समय गुजरात में आईबी में ज्वाइंट डायरेक्टर थे। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी |