Thursday 30 June 2022

सीबीआई ने 5 लाख लेते रेलवे के चीफ इंजीनियर को गिरफ्तार किया ।

सीबीआई ने 5 लाख लेते रेलवे के चीफ इंजीनियर को गिरफ्तार किया ।

इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने पांच लाख रुपए रिश्वत लेते हुए  रेलवे के चीफ इंजीनियर को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई ने शिकायतकर्ता से पांच लाख रुपए की रिश्वत की मांग करने एवं स्वीकार करने पर पी आर सुरेश मुख्य अभियन्ता( दक्षिण मध्य रेलवे, सिकन्दराबाद) को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि पी आर सुरेश मुख्य अभियन्ता  (दक्षिण मध्य रेलवे, रेल निर्माण निलयम, सिकन्दराबाद) के खिलाफ  29 जून को मामला दर्ज किया गया , जिसमें आरोप है कि उप्पल-जम्मीकुन्टा रेलवे स्टेशनों के मध्य आर ओ बी  के निर्माण हेतु ठेके की अवधि बढ़ाने के लिए आरोपी ने शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपए रिश्वत की मांग की।
सीबीआई ने जाल बिछाया एवं आरोपी मुख्य अभियंता पी आर सुरेश को शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग करने एवं स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथ पकड़ा। आरोपी के परिसर में तलाशी ली गई।
गिरफ्तार आरोपी को हैदराबाद की सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।।





Monday 27 June 2022

MCD इंजीनियर ने लैंटर के लिए 3 लाख मांगे,1 लाख लेते बेलदार गिरफ्तार।

एमसीडी इंजीनियर ने लैंटर के लिए तीन लाख मांगे, बेलदार एक लाख लेते गिरफ्तार।

इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने तीन लाख रुपए रिश्वत मांगने वाले एमसीडी के असिस्टेंट इंजीनियर और एक बेलदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए बेलदार  को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर एमसीडी के नजफगढ़ जोन के असिस्टेंट इंजीनियर एम एस मीणा और  एमसीडी के बेलदार प्रकाश के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 
आरोप है कि असिस्टेंट इंजीनियर एम एस मीणा शिकायतकर्ता को अपने घर के स्लैब / लैंटर के निर्माण की अनुमति देने के लिए बेलदार प्रकाश के माध्यम से 3 लाख रुपए की रिश्वत की मांग कर रहा था। 

सीबीआई ने जाल बिछाया तथा एमसीडी के बेलदार प्रकाश को स्वयं के लिए एवं 
असिस्टेंट इंजीनियर एम एस मीणा की ओर से एक लाख रुपए की रिश्वत स्वीकार करने के दौरान पकड़ा। 
आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली गई, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। 

गिरफ्तार बेलदार को दिल्ली की सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने उसे दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया।

Saturday 25 June 2022

पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश को हटाया गया। मोदी राज में भी IPS लुटा रहे हैं सरकारी खजाना।

                    कुमार ज्ञानेश

पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश को हटाया गया।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर के पद से कुमार ज्ञानेश को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। कुमार ज्ञानेश को अकैडमी से हटा कर पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करने का यह आदेश 22 जून को जारी किया गया है।

सात करोड़ से ज्यादा खर्च दिए।-
पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस कमिश्नर को पुलिस अकैडमी में इस अफसर द्वारा अपनी क्षमता/सीमा / पावर से अधिक धन खर्च करने और प्रक्रिया का पालन न करने का पता चला है। यह रकम आठ करोड़ के आस पास बताई जाती है।
 डीसीपी या डिप्टी डायरेक्टर को किसी कार्य के लिए डेढ़ लाख रुपए तक खर्च करने का ही अधिकार/सीमा है। इससे ज्यादा की रकम के काम के लिए पुलिस कमिश्नर से मंजूरी लेना अनिवार्य है। 
सूत्रों के अनुसार स्पेशल कमिश्नर (ट्रेनिंग) सतेंद्र गर्ग ने सभी पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों के दौरे के दौरान वहां हुए कार्यो के बारे में अफसरों से पूछा, कि यह काम किस मद/ हेड और किसके अप्रूवल से किया गया है। उन्हें बताया गया है कि माइनर वर्क हेड में डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) कुमार ज्ञानेश के आदेश से काम कराया गया और सामान खरीदा गया है।
स्पेशल कमिश्नर को संदेह हुआ तो पड़ताल की गई, जिसमे पता चला कि साढ़े सात करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए। सारे काम करीब डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के बिल बना कर करा दिए गए है।  कराए गए काम और खरीदे गए सामान की कीमत ज्यादा चुकाने का संदेह है।
स्पेशल कमिश्नर सतेंद्र गर्ग ने पुलिस कमिश्नर को सारी बात बताई। 
कमिश्नर के वित्तीय सलाहकार द्वारा भी मामले की जांच की जा रही है।
मालूम नहीं क्यों हटाया-
इस बारे में पूछने पर कुमार ज्ञानेश का कहना है कि वह छुट्टी पर हैं, उन्हें मालूम नहीं क्यों हटाया गया और पुलिस मुख्यालय में अटैच क्यों किया गया है।
क्या उन्होंने सात-आठ करोड़ रुपए का अकैडमी में काम डेढ़-डेढ़ लाख के बिल बना कर कराया है ?  
कुमार ज्ञानेश: अभी एकदम से तो याद नहीं है, रिकॉर्ड देख कर बता पाऊंगा। वैसे सारे कार्य नियम- प्रक्रिया के अनुसार कराए गए हैं।
नवंबर 2021 में ही कुमार ज्ञानेश को अकैडमी में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था।
दफ्तरों को चमकाया-
अकैडमी में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नाम न देने की शर्त पर बताया कि एक-डेढ़ हजार कुर्सियां खरीदी गई हैं। कुछ शौचालय में सीट बदली गई है। 
इसके अलावा अकैडमी के डायरेक्टर  ऋषि पाल , डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश समेत अफसरों आदि के दफ्तरों की साज सज्जा पर, लकड़ी के काम, फॉल्स सीलिंग आदि  पर भी जम कर पैसा खर्च किया गया है। 

मैदान पर काम नहीं-
इस अफसर के अनुसार जबकि प्रशिक्षण के लिए सबसे जरुरी मैदान/ ग्राउंड पर काम नहीं किया गया। आज भी मैदान पर पहले पानी डाला जाता है ताकि प्रशिक्षुओं के दौड़ लगाने के दौरान मिट्टी न उड़े। मैदान पर सिंथेटिक ट्रैक बनाया जाना चाहिए। आज भी पुराने समय की तरह प्रशिक्षण के लिए रस्से आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि इसके स्थान पर अन्य आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। प्रशिक्षण के लिए उपकरण या अन्य जरूरी सुविधाओं की बजाए गैर जरूरी और साज सज्जा पर सरकारी धन लुटा दिया गया है।
अफसरों ठेकेदारों का गठजोड़-
इस अफसर के अनुसार दिल्ली पुलिस में सारे काम सालों से गिने चुने आठ-दस ठेकेदारों से ही कराए जाते हैं। सारे काम इन ठेकेदारों में ही बांट दिए जाते हैं ताकि ठेकेदार एक दूसरे की शिकायत न करे। इस तरह अफसर और ठेकेदार मिल कर सरकार को चूना लगा रहे हैं।
इन ठेकेदारों की अफसरों से इतनी गहरी सांठ गांठ है कि वह खुद ही फंड अलाट कराने से लेकर ऑडिट तक करा देते हैं । यदि कभी कोई अफसर किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर देता है तो वह ठेकेदार किसी दूसरे  व्यक्ति के नाम से कंपनी बना कर अफसरों की मिलीभगत से ठेका हासिल कर लेता है।
 

Monday 20 June 2022

सिद्धू मूसे वाला की हत्या के मामले में 3 गिरफ्तार । हथगोले, बंदूक, पिस्तौल बरामद।



सिद्धू मूसे वाला की हत्या के मामले में 3 गिरफ्तार। हथगोले, बंदूक, पिस्तौल बरामद।


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसे वाला की हत्या के मामले में प्रियव्रत उर्फ फौजी, कशिश उर्फ कुलदीप और केशव को गिरफ्तार किया है।
गोला बारूद बरामद-
पुलिस ने आठ हथगोले, ग्रेनेड लांचर, 9 डेटोनेटर, एक रायफल, 3 पिस्तौल और 56 गोलियां बरामद की हैं। 
मुख्य आरोपी -
प्रियव्रत (निवासी गढी सिसाना, सोनीपत, हरियाणा) और कशिश (सजयान पान्ना,गांव बेरी, जिला झज्जर हरियाणा) सिद्धू मूसेवाला की हत्या करने में शामिल है। केशव (निवासी अवा बस्ती बठिंडा, पंजाब) को हत्यारों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। प्रियव्रत आदि ने गोल्डी बरार के कहने पर यह हत्या की है। हत्यारे कनाडा में मौजूद गोल्डी बरार के साथ सीधे संपर्क में थे।
 फौजी और कशिश हत्या से पहले फतेहाबाद मे पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरे में नजर आए थे। 
इन बदमाशों को गुजरात में कच्छ जिला के खारी  मीठी रोड, गांव बरोई मुंद्रा पोर्ट इलाके से 19 जून को पकड़ा गया है। ये किराए के मकान में रह रहे थे।
साजिश का पर्दाफाश -
पुलिस ने हत्या में शामिल  लारेंस विश्नोई-काला जठेडी-गोल्डी बरार गिरोह के इन बदमाशों को गिरफ्तार कर  सिद्धू मुसेवाला  हत्याकांड की पूरी साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया है।

29 मई 2022 को शुभदीप उर्फ सिद्धू मूसे वाला की हत्या के समय बलेरो कार में प्रियव्रत, अंकित सिरसा, दीपक मुंडे और कशिश सवार थे। कशिश बलेरो चला रहा था। करोला कार को जगरुप रुपा चला रहा था उसके साथ मनप्रीत मन्नू था। 
करोला कार से सिद्धू की थार को ओवरटेक करके रोका गया। मनप्रीत मन्नू ने एके 47 रायफल से सिद्धू पर गोली चलाई। इसके बाद बलेरो सवार बदमाशों ने भी सिद्धू पर गोलियां चलाई। वारदात के बाद सभी 6 बदमाश अलग अलग भाग गए। बलेरो सवार बदमाशों ने बाद में बलेरो छोड़ दी। केशव उन्हें ऑल्टो कार में ले गया।
संदीप उर्फ केकड़ा ने इन बदमाशों को बताया था कि सिद्धू बिना सुरक्षा कर्मियों के जा रहा है।
फौजी इससे पहले भी सोनीपत में हत्या के 2 मामलों में शामिल रहा  हैं
 कशिश भी 2021 में  झज्जर में हुई एक हत्या में भी शामिल है। केशव कुमार भी बठिंडा में हुई हत्या के एक अन्य मामले में शामिल है।
पुलिस टीम -
स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा की देखरेख में एसीपी ह्रदय भूषण, एसीपी ललित मोहन नेगी, इंस्पेक्टर सुनील रंजन, इंस्पेक्टर रवींद्र जोशी, विनय पाल और इंस्पेक्टर अरविंद आदि पुलिसकर्मियों की टीम को इन अभियुक्तों को पकड़ने में सफल हुई।
8 गिरफ्तार-
पंजाब पुलिस इस मामले में मनप्रीत सिंह और संदीप केकड़ा समेत आठ लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। देहरादून से 30 मई को गिरफ्तार किए गए मनप्रीत सिंह ने वारदात में इस्तेमाल करोला कार का इंतजाम किया था।



Sharpshooters who committed the sensational murder of Sidhu Moosewala arrested including the execution head Priyavrat @ Fauji
Major dismantling of Lawrence Bishnoi-Goldy Brar-Kala Jathedi criminal nexus 
Entire conspiracy and execution of Sidhu Moosewala case unravelled
A huge cache of firearms & ammunition consisting of Eight High Explosive grenades along with Under Barrel Grenade Launcher recovered
These HE Grenades are designed for use with Grenade Launchers
The recovered Grenade Launcher is compatible for use with AK-47 assault rifles. Nine electric detonators also recovered
In one of the most challenging and complex operation spread over several states of the country, a team of Special Cell, led by Insp. Sunil Rajain, Insp. Ravinder Joshi, Insp. Vinay Pal and Insp Arvind under the immediate supervision of  Lalit Mohan Negi and  Hridaya Bhushan, ACsP/NDR and under the overall supervision of  Pramod Singh Kushwah, DCP/NDR, has arrested the main sharpshooters who committed the sensational murder of Sidhu Moosewala in broad daylight. The shooter Priyavrat @ Fauji was the one who coordinated and executed the entire operation under instruction and direct contact with Goldy Brar. 
Profile and role of arrested accused persons:
Priyavrat @ Fauji s/o, Jai Bhagwan r/o, Garhi Sisana, Sonipat, Haryana, Age 26 Yrs.
Led the team of shooters and was in direct touch with Goldy Brar at the time of incident.
Main shooter and module head of Bolero module consisting of 4 shooters.
Can be seen in CCTV footage of petrol pump Fatehabad (Pre-incident).
Previously involved in two murder cases; arrested in 2015 in one murder case of Sonipat and wanted in another murder case of Sonipat in 2021. 

Kashish @ Kuldeep s/o Dinesh r/o Ward No. 11, Sajyan Pana, Village Beri, Distt. Jhajjar, Haryana, Age 24 yrs.
Shooter and driver of Bolero. 
Can be seen in CCTV footage of petrol pump Fatehabad (Pre-incident).
Wanted in a murder case of Jhajjhar, Haryana in 2021.

Keshav Kumar s/o Late Sh. Lal Chand r/o H. No. 11385, Gali No. 1, Awa Basti, Bhatinda, Punjab, Age 29 yrs.
Facilitator, conducted multiple recces with actual shooters. 
Received the shooters in an Alto car just after the shootout.
Accompanied the shooters till Mansa on the day of incident, during reconnaissance and previous attempts.
Previously arrested in a murder case of Bathinda, Punjab in 2020; suspected to be involved in other cases of extortion in Punjab.

Place of arrest: Khari-Mithi Road, Village Baroi, Mundra, Distt Kutch, Gujarat
Date & Time of arrest: 19.06.2022 at 6 AM.

Recoveries made from Vill Kirmara, Distt Hissar, Haryana at the instance of accused Priyavrat on 20.06.22:
Eight High Explosive grenades along with Under Barrel Grenade Launcher
HE Grenades are designed for use with Grenade launchers
The recovered Grenade launcher can be mounted on AK-47 assault rifles    
Nine electric detonators 
One assault rifle along with 20 rounds
Three sophisticated star pistols of .30 bore
36 rounds of 7.62 MM of star pistols
Part of AK Series assault rifle

DEVELOPMENT OF INFORMATION 
Special Cell has been on lookout for criminals and anti-nationals who are eyeing Delhi. From the interrogation of criminals arrested by Special Cell and from secret sources, it came into knowledge that a sinister criminal alliance comprising of notorious Lawrence Bishnoi Gang- Goldy Brar Gang- Kala Jatheri Gang- Gogi Gang had been formed and is involved in heinous offences in different states including Delhi. In view of the same in the year 2021, Special Cell had registered a case of MCOCA against the organized crime syndicate of Lawrence Bishnoi- Kala Jathedi. During the investigation of this case, following criminals have earlier been arrested:
Lawrence Bishnoi R/o Dutarwali 
Rajkumar @ Raju Basodi R/o VPO Basodi, Sonipat, Haryana
Sampat Nehra R/o District Churu, Rajasthan
Ravinder Singh  @ Kali Shooter  R/o Mohali, Punjab
Jagdeep @ Jaggu r/o Gurdaspur, Punjab
Priyavrat @ Kala r/o Katewada, Delhi
Rahul @ Sanga r/o Hisar, Haryana
Naresh Sethi r/o Jhajjar, Haryana
Anil @ Leela r/o Rohtak, Haryana
Akshay r/o Rai Haryana 
Sachin @ Bhanja r/o Badli, Haryana.
Sandeep @ Kala Jatheri r/o Sonipat, Haryana
Virender Partap @ Kala Rana R/o Farakpur
Om Prakash @ Kala r/o Village Jharoda Kalan, Delhi
Deepak @ Tinu r/o Bhiwani Haryana    
Bintu @ Mintu r/o Bhiwani, Haryana.
Further a recent case of murderous assault on a realtor of Uttam Nagar, Delhi in March 2022 was also cracked by a team of Special Cell in which following persons of this criminal syndicate have been arrested: 
Sunil Kumar Meghwal r/o District Hanumangarh (Rajasthan).         
Chanderbhan Nayak r/o District Hanumangarh (Rajasthan).            
Deepak Kashyap r/o Jharsa Gurugram (Haryana). 
Deepak r/o Jharoda Kala, Delhi. 
Krishan Gopal Kashyap r/o Jharoda Kala, Delhi.
Omprakash Dagar @ Kala Jharodar/o Jharoda Kala, Delhi.
Sandeep Jhajharia @ Kala Jathedir/o District Sonipat, Haryana.
Sachin Deshwal @ Bhanja r/o Jhajjar (Haryana). 
Mohit Dahiya @ Tinu @ Bhanja r/o District Sonipat (Haryana).
Naresh Yadav @ Sethi r/o Jhajjar Haryana.
Jagdeep Singh @ Jaggu Bhagwanpuria r/o District Gurdaspur (Punjab). 

Special Cell continued working on breaking the backbone of this criminal nexus. A long drawn, complex operation was launched, wherein bulk data related to the gang members of this criminal nexus was analyzed and their associates/sympathizers were kept under close surveillance through all possible means.
On 29.04.22, this criminal nexus committed the murder of Sidhu Moosewala and also claimed the same on different social media channels. It also came to knowledge that the criminal nexus has used assault rifle of AK series and are also in possession of even more sophisticated weapons including grenade launcher.
The arrest of Priyavrat, Kashish and Keshav in this MCOCA case is in continuation of the persistent efforts of Special Cell against the gang of Lawrence Bishnoi-Kala Jathedi. 
Operation
During development of all the inputs generated through different means, multiple teams were dispatched to Punjab, Haryana, Uttar Pradesh, Rajasthan, Gujarat and Uttrakhand and other states to collect specific information. On 19.06.2022, source information was developed, and it came to knowledge that some shooters are hiding at Mundra, Kutch, Gujarat. The team was deployed, and all the three accused persons were arrested in a swift and a brisk operation.
Further interrogation is underway.
                                                            

(H.G.S. DHALIWAL)
SPL. COMMISSIONER OF POLICE SPECIAL CELL, DELHI

Sunday 12 June 2022

DCP संजय कुमार सहरावत निलंबित, जाली सर्टिफिकेट से पुलिस अफसर बनने का आरोप।डीसीपी की मां ने दो महीने में क्या तीन बच्चों को जन्म दिया ?

             DCP संजय कुमार सहरावत
 
डीसीपी दूसरी बार निलंबित,


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के डीसीपी संजय कुमार सहरावत को राष्ट्रपति ने निलंबित कर दिया है। राष्ट्रपति की ओर से गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी गौतम द्वारा यह आदेश 23 सितंबर को जारी किया गया है।
इसके पहले 9 जून 2022 को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने डीसीपी संजय कुमार सहरावत को निलंबित करने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में पता चला कि डीसीपी को निलंबित करने का यह आदेश कानूनी/तकनीकी रुप से सही नहीं है। क्योंकि डीसीपी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार राष्ट्रपति/केंद्रीय गृह मंत्रालय को ही है।
इस लिए बाद में चीफ सेक्रेटरी ने उस आदेश को वापस ले लिया था। 
अब राष्ट्रपति के आदेश से गृह मंत्रालय ने निलंबन का यह आदेश जारी किया है।
निलंबित भी दो बार  -
दो-दो जन्म प्रमाणपत्र मामले के आरोपी डीसीपी संजय कुमार सहरावत के निलंबन के  आदेश भी दो-दो बार जारी होना अजीब संयोग है। 
संजय पर आरोप है कि उसने पुलिस अफसर की नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। 

पूरी कहानी नीचे पढ़ें-


डीसीपी निकला मुन्ना भाई।

डीसीपी की मां ने दो महीने में क्या तीन बच्चों को जन्म दिया ?

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के डीसीपी संजय कुमार सहरावत को निलंबित कर दिया गया है। 
संजय पर आरोप है कि उसने पुलिस अफसर की नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। 
सीबीआई ने हाल ही में इस मामले में संजय कुमार सहरावत के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल करने की जानकारी दिल्ली पुलिस मुख्यालय को दी। पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने  डीसीपी संजय कुमार सहरावत के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार को फाइल भेज दी।
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 9 जून 2022 को डीसीपी संजय कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। दस जून को यह आदेश संजय सहरावत के हाथ में थमा दिया गया। 
संजय कुमार इस समय दिल्ली सशस्त्र पुलिस की दूसरी बटालियन में डीसीपी के पद पर तैनात थे।
संजय कुमार सहरावत दानिप्स सेवा (दिल्ली अंडमान निकोबार द्वीपसमूह ) के 2009 बैच का अफसर है। 
जालसाजी,धोखाधड़ी का मामला दर्ज-
सीबीआई ने पूर्वी जिले के तत्कालीन एडिशनल डीसीपी संजय कुमार सहरावत के खिलाफ 7 सितंबर 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 419/420/467/468/471 के तहत जालसाजी और धोखाधड़ी आदि का मुकदमा (आरसी/एफआईआर) दर्ज किया था।
सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड ने बताया कि आरोप है कि संजय ने पुलिस अफसर की नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। 
2018 में शिकायत दी -
देश की तेजतर्रार जांच एजेंसी सीबीआई ने  संजय कुमार सहरावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में ही ढाई साल लगा दिए थे। 
सीबीआई द्वारा दर्ज आरसी/एफआईआर में ही लिखा है कि इस मामले की शिकायत 14 मार्च 2018 को सीबीआई को प्राप्त हुई थी।
करीब ढाई साल बाद सीबीआई ने पाया कि इस शिकायत में दी गई सूचना से जालसाजी और धोखाधड़ी का अपराध होने का पता चलता है। इसलिए मुकदमा आरसी/एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश की जानी चाहिए।
नौकरी पाने के लिए इस्तेमाल किए गए दस्तावेजों को बरामद करने के लिए पूर्वी जिले के तत्कालीन एडिशनल डीसीपी संजय के पीतमपुरा और सिंघु गांव के घरों और दफ्तर में सीबीआई द्वारा तलाशी भी ली गई थी।
जालसाजी से पुलिस अफसर बना ? -
 संजय कुमार पर आरोप है कि उसने पुलिस अफसर की नौकरी पाने के लिए अपने समान नाम वाले व्यक्ति के जन्मतिथि और शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।
सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार बहादुर गढ निवासी महावीर सिंह ने सीबीआई को दी शिकायत मेंं बताया कि एडशिनल डीसीपी संजय की असली जन्मतिथि   8 जुलाई 1977 है। 
क्लर्क से पुलिस अफसर-
संजय कुमार 15 जुलाई 1998 को श्रम मंत्रालय में क्लर्क भर्ती हुआ था वहां उसकी जन्मतिथि 8 जुलाई 1977 ही लिखी हुई हैं। 4अक्टूबर 2007 को संजय ने क्लर्क की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
यूपीएससी के माध्यम से संजय का 6 जून 2009 को पुलिस मेंं दानिप्स सेवा में चयन हो गया।
एफआईआर के मुताबिक संजय अपनी असली जन्मतिथि के आधार पर यूपीएससी की परीक्षा में बैठने की उम्र सीमा पार कर चुका था। इसलिए उसने परीक्षा में शामिल होने के लिए 1 दिसंबर 1981 की गलत जन्म तिथि से आवेदन किया। इस गलत जन्म तिथि के आधार पर  यूपीएससी से आयु सीमा में छूट हासिल कर  वह परीक्षा में शामिल हो गया। 
दशघरा का संजय कौन  है ?-
 पुलिस अफसर संजय ने जो जन्म तिथि और शिक्षा का प्रमाण पत्र इस्तेमाल किया, वह दिल्ली में दशघरा इलाके में डीडीए फ्लैट निवासी संजय कुमार का है। उस संजय के पिता का नाम भी ओम प्रकाश है। वह सुनार समुदाय का है।
 संजय सहरावत दिल्ली में सिंघु गांव का निवासी हैं। 
मंत्रालय में जन्मतिथि प्रमाण पत्र नहीं-
एफआईआर में श्रम मंत्रालय का भी एक दस्तावेज हैं जिसके मुताबिक संजय कुमार ( जन्मतिथि 8 जुलाई 1977 ) 15 जुलाई 1998 को क्लर्क के पद भर्ती हुआ और 4 अक्टूबर 2007 नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उसके निजी मिसल में जन्मतिथि संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है सिर्फ़ ज्वाइनिंग रिपोर्ट है। 
संजय की सेवा पुस्तिका महानिदेशालय में उपलब्ध नहीं होने के कारण क्लर्क संजय का फोटो चिपका पृष्ठ उपलब्ध नहीं करवाया जा सकता है। कॉमन सीनियरिटी लिस्ट में भी संजय कुमार का नाम और जन्मतिथि है। शिकायतकर्ता ने आरटीआई और अन्य माध्यम से जुटाई गई यह जानकारी शिकायत के साथ सीबीआई को दी है। 
सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान-
पुलिस अफसर संजय सहरावत पर लगाए गए आरोप बहुत ही गंभीर है। सीबीआई को तो इस मामले में शिकायत मिलते ही तुरंत  प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभिक जांच/पीई और आरसी/ एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश करनी चाहिए थी। क्योंकि इस मामले में आरोपी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि कानून का रखवाला पुलिस अफसर हैं। सीबीआई ने इस मामले की गंभीरता को समझने में जबरदस्त लापरवाही बरती या उसने जानबूझकर ऐसा किया है। दोनों ही सूरत में सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
इस मामले ने सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है।
सीबीआई के लिए चुटकियों का काम-
 सीबीआई इस मामले में तफ्तीश कर सच्चाई सामने लाने का जो काम चुटकियों में कर सकती थी उसने एफआईआर दर्ज करने में ही ढाई साल लगा दिए।
पुलिस या अन्य जांच एजेंसियों द्वारा शिकायत मिलने के बाद वर्षों तक एफआईआर तक दर्ज न करने से शिकायतकर्ता का मनोबल टूटता है वह हताश हो जाता है और जांच एजेंसियों से उसका भरोसा उठ जाता है। दूसरी ओर आरोपी बेखौफ हो जाता है और उसे  सबूतों को नष्ट करने का मौका मिल जाता है।
संजय सहरावत दिल्ली में सिंघु गांव का मूल निवासी हैं सीबीआई चाहती तो पहले ही गांव, स्कूल, कॉलेज के सहपाठियों, दोस्तों, रिश्तेदारों आदि से भी यह बात आसानी से पता लगा सकती थी कि संजय सहरावत का जन्म कब हुआ। 
स्कूल, कॉलेज के रिकॉर्ड और प्रमाणपत्र आदि में भी जन्म तिथि होती है। 

संजय ने पुलिस अफसर बनने से पहले करीब दस साल श्रम मंत्रालय में क्लर्क के रूप में नौकरी की थी या नहीं ?  यह सब पता लगाना भी सीबीआई के लिए क्या मुश्किल काम था।
दशघरा निवासी संजय के जन्मतिथि प्रमाणपत्र आदि की सत्यता का पता लगाना भी सीबीआई के लिए बहुत ही आसान काम था।
दो महीने में तीन बच्चे कैसे जन्मे ?-
संजय और उसके अन्य भाई बहन के जन्म के बीच में कितने साल या महीनों का अंतर है। 
शिकायतकर्ता महावीर सिंह ने बताया  संजय सहरावत ने पुलिस अफसर बनने के लिए जन्म तिथि एक दिसंबर 1981बताई है जबकि उसके छोटे भाई की जन्म तिथि 5 फरवरी 1982 है और इनके बीच में इनकी एक बहन का भी जन्म हुआ है। क्या दो महीने में एक महिला तीन संतानों को जन्म दे सकती है ? इससे भी साफ पता चलता है कि संजय ने जालसाजी की है।
डीसीपी के भाई पर भी आरोप-
महावीर सिंह का आरोप है कि दोनों भाईयों ने ही गलत जन्मतिथि के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है।
महावीर सिंह ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात संजय के भाई दलबीर  के खिलाफ भी उप-राज्यपाल को शिकायत दी है।  शिक्षा विभाग द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है।

तीन शादी की-
इस मामले के शिकायतकर्ता महावीर सिंह संजय के ससुर है। उन्होंने बताया कि संजय ने सबसे पहले हरियाणा के  खरमाना गांव निवासी एक युवती से शादी की थी, उसे छोड़ दिया था। इसके बाद संजय ने  महावीर की बेटी से शादी की लेकिन उसे भी बिना तलाक दिए छोड़ दिया। इसके बाद तीसरी शादी कर ली।





Wednesday 8 June 2022

SHO करोड़ों रुपए डकार गया। CBI ने सब-इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते पकड़ा।

                     भरत सिंह

पटेल नगर SHO करोड़ों रुपए डकार गया।


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के एक एसएचओ द्वारा हवाला के करोड़ों रुपए डकार लिए जाने का मामला सामने आया है। एसएचओ को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इस सिलसिले में पटेल नगर थाना के एसएचओ भरत सिंह समेत तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अफसर द्वारा मामले की जांच की जा रही है।

इस मामले से पता चलता है कि भ्रष्ट पुलिस कर्मी कितने बेखौफ हो गए हैं। भरत सिंह को दो महीने पहले ही पहली बार एस एच ओ बनाया गया था।

मध्य जिले की डीसीपी श्वेता चौहान ने इस मामले पर अभी कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

5.50 करोड़ बरामद - 

पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोप है कि पीसीआर पर तैनात पटेल नगर थाने के एएसआई दानवीर और सिपाही कुलदीप ने दो लोगों से हवाला के साढे 5 करोड़ रुपए पकड़े थे। पुलिसकर्मियों ने एस एच ओ को सूचना दी। 

2.10 करोड़ डकारें -

एसएचओ मौके पर गया और रकम से भरा एक बैग अपनी इनोवा कार में रखवा दिया। शेष दो बैग थाने में जमा कर दिए। एसएचओ भरत सिंह ने जब्ती/ बरामदगी तीन करोड़ चालीस लाख रुपए की ही दिखाई। आयकर विभाग को भी इतनी ही रकम के बारे में सूचना दी।  दो करोड़ दस लाख रुपए एसएचओ खुद डकार गया।

वरिष्ठ पुलिस अफसरों की जानकारी में यह चौंकाने वाली जानकारी आई तो हडकंप मच गया। एसएचओ समेत तीन पुलिसकर्मियों को तुरंत लाइन हाजिर कर जांच शुरु कर दी गई।

हडपी गई रकम बरामद कर ली गई। सात जून को एसएचओ भरत सिंह के खिलाफ सरकारी संपति के गबन/ अमानत में ख्यानत का मामला धारा 409 के तहत दर्ज किया गया है।


------------

सीबीआई ने सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया।

एक अन्य मामले में सीबीआई ने  दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार सब-इंस्पेक्टर मयंक यादव किशनगढ़ थाने में तैनात है।

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया एक शिकायत पर सब-इंस्पेक्टर मयंक यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।शिकायकर्ता ने आरोप लगाया था कि किशनगढ़ थाने में दर्ज एक मामले में उसके बेटे को गिरफ्तार न करने की एवज में सब-इंस्पेक्टर ने रिश्वत मांगी है।
सीबीआई ने जाल बिछाया और शिकायतकर्ता से 15 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए मयंक यादव को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई को मयंक यादव के परिसर की तलाशी में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं।
सब-इंस्पेक्टर मयंक यादव को आज अदालत में पेश किया गया।