Saturday 25 June 2022

पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश को हटाया गया। मोदी राज में भी IPS लुटा रहे हैं सरकारी खजाना।

                    कुमार ज्ञानेश

पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश को हटाया गया।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस अकैडमी के डिप्टी डायरेक्टर के पद से कुमार ज्ञानेश को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। कुमार ज्ञानेश को अकैडमी से हटा कर पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करने का यह आदेश 22 जून को जारी किया गया है।

सात करोड़ से ज्यादा खर्च दिए।-
पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस कमिश्नर को पुलिस अकैडमी में इस अफसर द्वारा अपनी क्षमता/सीमा / पावर से अधिक धन खर्च करने और प्रक्रिया का पालन न करने का पता चला है। यह रकम आठ करोड़ के आस पास बताई जाती है।
 डीसीपी या डिप्टी डायरेक्टर को किसी कार्य के लिए डेढ़ लाख रुपए तक खर्च करने का ही अधिकार/सीमा है। इससे ज्यादा की रकम के काम के लिए पुलिस कमिश्नर से मंजूरी लेना अनिवार्य है। 
सूत्रों के अनुसार स्पेशल कमिश्नर (ट्रेनिंग) सतेंद्र गर्ग ने सभी पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों के दौरे के दौरान वहां हुए कार्यो के बारे में अफसरों से पूछा, कि यह काम किस मद/ हेड और किसके अप्रूवल से किया गया है। उन्हें बताया गया है कि माइनर वर्क हेड में डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) कुमार ज्ञानेश के आदेश से काम कराया गया और सामान खरीदा गया है।
स्पेशल कमिश्नर को संदेह हुआ तो पड़ताल की गई, जिसमे पता चला कि साढ़े सात करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए। सारे काम करीब डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के बिल बना कर करा दिए गए है।  कराए गए काम और खरीदे गए सामान की कीमत ज्यादा चुकाने का संदेह है।
स्पेशल कमिश्नर सतेंद्र गर्ग ने पुलिस कमिश्नर को सारी बात बताई। 
कमिश्नर के वित्तीय सलाहकार द्वारा भी मामले की जांच की जा रही है।
मालूम नहीं क्यों हटाया-
इस बारे में पूछने पर कुमार ज्ञानेश का कहना है कि वह छुट्टी पर हैं, उन्हें मालूम नहीं क्यों हटाया गया और पुलिस मुख्यालय में अटैच क्यों किया गया है।
क्या उन्होंने सात-आठ करोड़ रुपए का अकैडमी में काम डेढ़-डेढ़ लाख के बिल बना कर कराया है ?  
कुमार ज्ञानेश: अभी एकदम से तो याद नहीं है, रिकॉर्ड देख कर बता पाऊंगा। वैसे सारे कार्य नियम- प्रक्रिया के अनुसार कराए गए हैं।
नवंबर 2021 में ही कुमार ज्ञानेश को अकैडमी में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था।
दफ्तरों को चमकाया-
अकैडमी में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नाम न देने की शर्त पर बताया कि एक-डेढ़ हजार कुर्सियां खरीदी गई हैं। कुछ शौचालय में सीट बदली गई है। 
इसके अलावा अकैडमी के डायरेक्टर  ऋषि पाल , डिप्टी डायरेक्टर कुमार ज्ञानेश समेत अफसरों आदि के दफ्तरों की साज सज्जा पर, लकड़ी के काम, फॉल्स सीलिंग आदि  पर भी जम कर पैसा खर्च किया गया है। 

मैदान पर काम नहीं-
इस अफसर के अनुसार जबकि प्रशिक्षण के लिए सबसे जरुरी मैदान/ ग्राउंड पर काम नहीं किया गया। आज भी मैदान पर पहले पानी डाला जाता है ताकि प्रशिक्षुओं के दौड़ लगाने के दौरान मिट्टी न उड़े। मैदान पर सिंथेटिक ट्रैक बनाया जाना चाहिए। आज भी पुराने समय की तरह प्रशिक्षण के लिए रस्से आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि इसके स्थान पर अन्य आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। प्रशिक्षण के लिए उपकरण या अन्य जरूरी सुविधाओं की बजाए गैर जरूरी और साज सज्जा पर सरकारी धन लुटा दिया गया है।
अफसरों ठेकेदारों का गठजोड़-
इस अफसर के अनुसार दिल्ली पुलिस में सारे काम सालों से गिने चुने आठ-दस ठेकेदारों से ही कराए जाते हैं। सारे काम इन ठेकेदारों में ही बांट दिए जाते हैं ताकि ठेकेदार एक दूसरे की शिकायत न करे। इस तरह अफसर और ठेकेदार मिल कर सरकार को चूना लगा रहे हैं।
इन ठेकेदारों की अफसरों से इतनी गहरी सांठ गांठ है कि वह खुद ही फंड अलाट कराने से लेकर ऑडिट तक करा देते हैं । यदि कभी कोई अफसर किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर देता है तो वह ठेकेदार किसी दूसरे  व्यक्ति के नाम से कंपनी बना कर अफसरों की मिलीभगत से ठेका हासिल कर लेता है।
 

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