Monday 30 August 2021

स्पेशल सेल का कलंक सब-इंस्पेक्टर रोहित निलंबित, बदमाशों के लिए हवालात को बनाया मयखाना। CP राकेश अस्थाना क्या इतने नादान हैं कि उन्हें अफसरों का जरा भी दोष नहीं मिला?

     कमिश्नर राकेश अस्थाना क्या इतने नादान हैं? 

स्पेशल सेल का SI रोहित निलंबित,
बदमाशों के लिए हवालात को बनाया मयखाना, 
कमिश्नर क्या इतने नादान हैं कि उन्हें अफसरों का जरा भी दोष नहीं मिला?


इंद्र वशिष्ठ
बदमाशों के लिए हवालात को मयखाना बनाने के मामले में स्पेशल सेल के एक सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है। इतने संवेदनशील, गंभीर, संगीन अपराध के मामले में सिर्फ एक सब-इंस्पेक्टर को निलंबित करना सिर्फ़ खानापूर्ति ही लगती  है। 
कमिश्नर को यह तो मालूम ही होगा ?-
अफसरों की भूमिका पर सवालिया निशान-
आतंकियों से निपटने वाले स्पेशल सेल के अतिसुरक्षित परिसर में बिना वरिष्ठ अफसरों की अनुमति/ जानकारी के क्या कोई सब इंस्पेक्टर  अपने स्तर पर बाहर से बदमाशों को इस तरह बुला सकता है?
बिना वरिष्ठ अफसरों की आदेश/अनुमति के क्या कोई निचले स्तर का पुलिसकर्मी किसी बाहरी व्यक्ति को हवालात में बंद नवीन बाली और राहुल काला से मिलवा सकता है? 
बिना वरिष्ठ अफसरों की आदेश/अनुमति के क्या कोई निचले स्तर का पुलिसकर्मी किसी बाहरी व्यक्ति को शराब की बोतल सहित परिसर में प्रवेश करने दे सकता है?
बिना वरिष्ठ अफसरों की अनुमति के क्या सिपाही हवालात का ताला खोल सकता हैं। सिपाही बाहरी लोगों को हवालात में प्रवेश दे सकता हैं ?
सच्चाई यह है कि बिना अफसरों की इजाजत के इस अतिसुरक्षित परिसर में बिना चेकिंग के कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है।
इस मामले में तो बदमाश नवीन बाली और राहुल काला ने अपने गिरोह के लोगों को न केवल बुलाया बल्कि हवालात में शराब की पार्टी की। पुलिस ने बकायदा दस्तरख़ान सजाया।
बदमाशों ने पुलिस को नंगा कर दिया।
हवालात में पार्टी कर बदमाशों ने स्पेशल सेल को पूरी दुनिया के सामने नंगा कर दिया। बदमाशों ने वीडियो वायरल कर समाज और अपराध जगत में यह साबित कर दिया कि पैसा मुंह पर मारो तो स्पेशल सेल तो हवालात को भी मयखाना बना देता है।
बदमाशों ने यह वीडियो जानबूझ कर अपना दबदबा और पुलिस से सांठगाठ दिखाने और लोगों को डराने के मकसद से वायरल किया होगा।
बदमाशों ने तो अपने चरित्र और प्रवृत्ति के अनुसार ही आचरण किया है। लेकिन लानत तो उन पुलिस अफसरों पर है जिन्होंने बदमाशों से रिश्वत रुपी गोबर खा कर हवालात को मयखाना बना कर पुलिस बल को कलंकित कर दिया।
स्पेशल सेल का यह अपराध अक्ष्मय हैं। 
कमिश्नर की भूमिका -
अगर कोई दबंग, काबिल कमिश्नर होता तो इस मामले में डीसीपी प्रमोद कुशवाहा, एसीपी ललित मोहन नेगी और इंस्पेक्टर संजय गुप्ता समेत सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाती। इन सभी अफसरों के दफ्तर इसी परिसर में है और यहांं जो कुछ भी होता है उसके लिए यह सभी जिम्मेदार हैं। इन वरिष्ठ अफसरों का काम सुपरविजन का है। यह अफसर सिर्फ़ यह कह कर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि यह सब उनकी जानकारी में नहीं था। वैसे इन अफसरों का यह कहना भी यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि ये स्पेशल सेल जैसे महत्त्वपूर्ण पद के लायक नहीं हैं।
सब-इंस्पेक्टर को यूएपीए में गिरफ्तार करें ।
स्पेशल सेल के सब-इंस्पेक्टर रोहित को निलंबित करना तो सिवाय खानापूर्ति और उसे बलि का बकरा बनाने से ज्यादा कुछ नहीं है। कुछ दिनों बाद ही उसे बहाल कर दिया जाएगा। जबकि खाकी वर्दी को शर्मसार करने का संगीन अपराध करने वाले को तो अब स्पेशल सेल या किसी भी महत्वपूर्ण स्थान पर तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
खानापूर्ति का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सब इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जाहिर सी बात हैं कि  पुलिस को पैसे दिए बिना तो बदमाश हवालात में दारू पार्टी कर नहीं सकते। 
ऐसे में यह सरकारी अफसर द्वारा अपराधियों से सांठगाठ , भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधि का सीधा सीधा मामला है। 
सही मायने में तो बदमाशों के साथ सांठगांठ करने वाले पुलिस अफसरों की यूएपीए के तहत गिरफ्तारी की जानी चाहिए। 
राक्षस को नौकरी से क्यों नहीं  निकाला?
पुलिस कमिश्नर अगर सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ  गिरफ्तारी और नौकरी से बर्खास्तगी का आदेश जारी करते तो पता चलता कि वाकई कड़ी कार्रवाई की गई हैं।
कमिश्नर अगर ऐसा आदेश देते तो यह भी हो सकता है कि गिरफ्तारी की तलवार लटकी देख  सब- इंस्पेक्टर रोहित खुद बताता कि किन किन अफसरों की इस मामले में मिलीभगत हैं। 
स्पेशल सेल के वरिष्ठ अफसरों की जानकारी/ सहमति के बिना सब इंस्पेक्टर अकेला इतना दुस्साहस नहीं कर सकता। अगर वाकई सब इंस्पेक्टर ने अकेले ही इतना दुस्साहस किया है तो उसे जेल में क्यों नहीं डाला गया। रक्षक के वेश में भक्षक ऐसे राक्षस का खुला रहना तो पुलिस और समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है।
ऐसा संभव नहीं है लेकिन अगर मान लेंं कि वरिष्ठ अफसर इस मामले में शामिल नहीं है तो ऐसे निठल्ले अफसरों को इतने संवेदनशील स्पेशल सेल में तैनात रखने का कोई औचित्य ही नहीं है।
देखना है दम कितना कमिश्नर में हैं?
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को तो शुकर मनाना चाहिए कि बदमाशों ने अपना महिमामंडन करने के चक्कर में वीडियो वायरल कर स्पेशल सेल का असली चेहरा उजागर कर एक तरह से उन्हें सावधान कर दिया है।
बदमाशों और मीडिया ने तो अपना अपना काम कर दिया अब गेंद पुलिस कमिश्नर के पाले में हैं।
पुलिस कमिश्नर को अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके पुलिस बल को कड़ा संदेश देना चाहिए। इससे ही समाज में भी यह संदेश जाएगा कि खाकी वर्दी को खाक में मिलाने वाले को बख्शा नहीं जाता है।
कमिश्नर नादान हैं?
पुलिस कमिश्नर क्या इतने नादान हैं कि जो स्पेशल सेल के अफसरों की इस बात पर आंख मूंद कर भरोसा कर लिया कि इस मामले में सिर्फ़ एक सब- इंस्पेक्टर ही शामिल है।
पुलिस कमिश्नर क्या संवेदनशील और महत्वपूर्ण माने जाते वाले स्पेशल सेल में ऐसे निकम्मे अफसरों को रखना पसंद करेंगे जिनकी नाक के नीचे बदमाश हवालात में शराब पार्टी करते हैं और सेल के अफसर कहते हैं कि हमें मालूम नहीं था।
वरिष्ठ अफसरों की मिलीभगत /अनुमति/ सहमति से अगर यह किया गया है। तो उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
दूसरा जिस अफसर को यह ही पता न हो, कि उसकी नाक के नीचे क्या हो रहा है ,तो वह स्पेशल सेल के वरिष्ठ अफसर जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने के बिल्कुल भी काबिल नहीं है।
ऐसे में दोनों ही सूरत में कार्रवाई तो बनती ही है।
मातहत पुलिस कर्मी  जब किसी अपराधी को पकड़ता है तो उसका श्रेय उसके वरिष्ठ अफसर भी लेते हैं। इस मामले में भी तो सुपरविजन करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की ही जानी चाहिए। 
अपराधी बेखौफ-
खाकी को खाक मिलाने वाले गुंडोंं से सांठगांठ करने वाले भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही अपराधी बैखौफ हो गए हैं। ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही पुलिस बदनाम है।
दूसरी ओर बदमाशों को पकड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले पुलिसकर्मियों का मनोबल टूटता है। बदमाश भी उनका ताने मार कर मजाक उड़ाते हैं।
हवालात है या ससुराल?
हवालात में शराब की पार्टी का एक वीडियो  वायरल हैं। हवालात में बदमाश नवीन बाली और उसके भाई राहुल काला के साथ चार अन्य लोग मौजूद है।
इनके सामने शराब, सलाद, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स आदि रखी हुई है। जाम छलकाए और  सिगरेट के कश मारे जा रहे हैं बदमाश राहुल काला आराम से लेटा मोबाइल पर बात कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे ये बदमाश हवालात में नहीं बल्कि ससुराल में हैं।
हवालात के बाहर खातिरदारी के लिए दो पुलिसकर्मी मौजूद हैं। जो शायद हुकुम की तामील करने के लिए बैठे हैं।
वीडियो में मौजूद दोनों भाई नवीन और राहुल जेल में बंद नीरज बवाना गिरोह के बदमाश हैं। राहुल और नवीन मंडौली जेल में बंद है।
वीडियो वायरल-
12 अगस्त को सोशल मीडिया पर हवालात में हुई शराब पार्टी का वीडियो वायरल किया गया। यह वीडियो नीरज बवाना ग्रुप के नाम से डाला गया। 
वीडियो स्पेशल सेल के लोदी कालोनी के हवालात का  है। यह बहुत ही गंभीर, खतरनाक और चौंकाने वाला मामला है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले स्पेशल सेल, लोदी कालोनी की सुरक्षा किले जैसी है। ऐसे में बदमाशों द्वारा शराब की दावत करना और उसमें बाहर से अपने साथियों को बुलाना सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत ही गंभीर मामला है।
चीलबाज ने बनाया वीडियो।
पुलिस सूत्रों के अनुसार हवालात में पार्टी में मौजूद अन्य लोगों के नाम दुष्यंत उर्फ मोनू  (बाजीत पुर),अमित लोटा (आसौधा), सचिन उर्फ चीलबाज (बराही) और मन्नू उर्फ टैटू (दक्षिण दिल्ली) हैं। 
सूत्रों के अनुसार बदमाश दुष्यंत मोनू इस समय जमानत पर है। सचिन उर्फ चीलबाज ने यह वीडियो बनाया बताते है।

भ्रष्ट पुलिस अफसर को हवालात में कब डालोगे ?
सूत्रों ने बताया कि इस वीडियो के वायरल होते ही वरिष्ठ अफसरों को बता दिया गया था। 
 पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को इस मामले में शामिल पुलिस अफसरों के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोबारा कोई अफसर ऐसी करतूत न करें।
पुलिस कमिश्नर की नजर में अगर  कानून का रत्ती भर भी सम्मान हैं तो उन भ्रष्ट पुलिस अफसरों को हवालात में बंद करना चाहिए ,जिन्होंने बदमाशों के साथ सांठगांठ कर खाकी वर्दी को कलंकित किया है। 
छात्रों को फंसाने वाले बदमाशों के कदमों में।
यह वहीं स्पेशल सेल, लोदी कालोनी हैं जिसने छात्रों को देशद्रोही, दंगाई और आतंकी बता कर जेल में डाल दिया था। लेकिन स्पेशल सेल की पोल अदालत में खुल गई थी ।
गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) में बेकसूरों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस ने हवालात में बदमाशों की दावत कर खुद गैरकानूनी कार्य किया है।
सही मायने में तो बदमाशों के साथ सांठगांठ करने वाले पुलिस अफसरों की यूएपीए के तहत गिरफ्तारी की जानी चाहिए। 
सेल का सुशील से स्पेशल प्रेम।-
लोदी कालोनी स्थित स्पेशल सेल सुशील पहलवान का आत्म समर्पण कराने और सुशील के साथ फोटो खिंचवाने के कारण भी विवादों में रहा है।
पुलिस और जेल प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों द्वारा बदमाशों और अमीर मुलजिमों को विशेष सुविधाएं देने के मामले अक्सर सामने आते हैं। लेकिन स्पेशल सेल के हवालात में बदमाशों द्वारा दारू पार्टी करना बहुत ही संगीन मामला है।





Saturday 28 August 2021

वसंत विहार SHO सुनील मित्तल लाइन हाजिर। CBI से रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गया था। IPS का चहेता सुनील छठी बार SHO लगा है।

 छठी बार एसएचओ नियुक्त सुनील मित्तल को लाइन हाजिर किया गया।

CBI की  लापरवाही से एसएचओ सुनील गुप्ता रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गया था। 
हाथ आया एएसआई भी सीबीआई की हिरासत से भाग गया था।



इंद्र वशिष्ठ
वसंत विहार थाने के एसएचओ सुनील मित्तल उर्फ सुनील गुप्ता को लाइन हाजिर किया गया है।
दक्षिण पश्चिम जिला के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने बताया कि पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना के आदेश पर सुनील मित्तल को मायापुरी के मामले के संदर्भ में लाइन हाजिर किया गया है।
सुनील मित्तल के खिलाफ यह कार्रवाई भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में की गई है। मामला साल 2018 का है। सुनील मित्तल तब माया पुरी थाने में एसएचओ था। 
सीबीआई की घोर लापरवाही के कारण सुनील मित्तल उस समय पकड़ा नहीं जा सका था।
 एस एच ओ को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के लिए सीबीआई ने ऐसी  घोर लापरवाही बरती थी कि एस एच ओ तो पकड़ा नहीं गया उल्टा हाथ आया एएसआई भी सीबीआई की हिरासत से भाग गया था। अनेक आईपीएस अफसरों का चहेता यह एस एच ओ दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ  अनिल मित्तल का भाई है। सुनील मित्तल वसंत विहार से पहले पांच थानों में एस एच ओ रह चुका है।
दस लाख रिश्वत मांगी।-
साल 2018 में माया पुरी में फैक्ट्री मालिक रुबल जीत सिंह स्याल  ने सीबीआई को दी शिकायत में आरोप लगाया था कि माया पुरी थाने के  एस एच ओ सुनील कुमार  गुप्ता उर्फ सुनील मित्तल ने उसे अपहरण और मारपीट के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे कर दस लाख रुपए रिश्वत की मांग की है। एस एच ओ ने रिश्वत के बारे में  एएसआई सुरेंद्र से बात करने को कहा। उसने सुरेंद्र से बात की और आखिर में डेढ़ लाख रुपए और सैमसंग एस 9 मोबाइल देना तय हो गया। 14 सितंबर 2018 को उसने डर और पुलिस के दबाव  के कारण सुरेंद्र को पचास हजार रुपए दे भी दिए।  18 सितंबर को इस मामले की शिकायत सीबीआई में की गई। रुबल ने सुनील गुप्ता की ओर से रिश्वत की मांग करने वाले एएसआई सुरेंद्र की मोबाइल पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सीबीआई को सुनाई। सीबीआई ने अपने सामने भी रुबल से एएसआई सुरेंद्र को फोन कराया। जिससे यह साफ़ हो गया कि  वह एसएचओ सुनील के लिए  रिश्वत मांग रहा है। इसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर इन पुलिस वालों को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। 
एएसआई पकड़ा गया।-
सीबीआई की योजना के अनुसार रुबल ने एएसआई सुरेंद्र को रिश्वत के एक लाख रुपए और मोबाइल फोन लेने के लिए माया पुरी में अपनी फैक्ट्री में 18 सितंबर को बुला लिया। एएसआई सुरेंद्र अपनी कार में रुबल की फैक्ट्री में पहुंच गया। उसने कार फैक्ट्री के अंदर खड़ी की। इसके बाद जैसे ही सुरेंद्र ने एक लाख रुपए और मोबाइल फोन रुबल से लिया वहां छिपे सीबीआई अफसरों ने सुरेंद्र को रंगे हाथों पकड़ लिया। सीबीआई के कहने पर सुरेंद्र ने एस एच ओ सुनील  को फोन किया और उसको बताया कि रुबल से मोबाइल और सामान मिल गया है। सुनील  ने उसे कहा कि मैं कुछ देर में फोन करता हूं। इसके बाद माया पुरी थाने के चिट्ठा मुंशी यशपाल ने एएसआई सुरेंद्र को फोन करके कहा कि तू कहां है जल्दी आ  एसएचओ सुनील  जा रहे हैं। 
सीबीआई की लापरवाही से एएसआई भागा -- 
सीबीआई की योजना थी कि जैसे ही एएसआई सुरेंद्र थाने  पहुंच कर एस एच ओ सुनील  को रिश्वत की रकम और मोबाइल फोन सौंपेगा उसे भी रंगे हाथों पकड़ लेंगे। सीबीआई ने एएसआई सुरेंद्र को उसकी कार की चाबी दे दी और उससे कहा कि वह अपने साथ गवाह को भी ले जाएं। एएसआई सुरेंद्र ने कार स्टार्ट की, लेकिन जैसे ही फैक्ट्री का गेट खुला सुरेंद्र ने कार एकदम से तेज़ गति से भगा दी। कार में गवाह भी नहीं बैठ पाया था। यह देख भौंचक्के सीबीआई अफ़सर एएसआई सुरेंद्र का पीछा करने के लिए अपने वाहनों की ओर भागे लेकिन तब तक एएसआई सुरेंद्र उनकी आंखों से ओझल हो गया। सीबीआई की इस लापरवाही के कारण एस एच ओ सुनील  तो रंगे हाथों पकड़े जाने से बच ही गया।  सीबीआई के हाथ आया एएसआई सुरेंद्र भी भाग गया। सीबीआई ने सिर्फ गवाह को सुरेंद्र की कार में  साथ भेजने की योजना बनाई थी। सीबीआई ने यह नहीं सोचा कि गवाह को अभियुक्त के साथ अकेला भेजने से गवाह की जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि रंगे हाथों पकड़ा गया एएसआई सुरेंद्र अपने बचाव के लिए गवाह को भी नुकसान पहुंचा सकता था। सीबीआई अगर एएसआई सुरेंद्र की कार में अपने  अफसरों को भी  बिठा देती तो सुरेंद्र भाग नहीं सकता था। एस एच ओ सुनील भी रंगे हाथों पकड़ा जाता। 
एसएचओ को सीबीआई की परवाह नहीं।-- सीबीआई ने इसके बाद एसएचओ सुनील को सीबीआई मुख्यालय में तफ्तीश में शामिल होने के लिए बुलाया था। लेकिन एस एच ओ सुनील  ने अपनी जगह एएसआई दिलावर  को वहां भेज दिया। एएसआई दिलावर ने सीबीआई को बताया कि एस एच ओ सुनील  तो संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुप तिवारी के पास गए हैं। सीबीआई ने एएसआई दिलावर से वह शिकायत मांगी जिसके आधार पर एस एच ओ सुनील  ने व्यवसायी रुबल को अपहरण के मामले में फंसाने की धमकी दे कर रिश्वत की मांग की थी। एएसआई दिलावर ने ऐसी कोई शिकायत उसके पास होने से इंकार कर दिया।
आईपीएस अफसरों का चहेता/सेवादार  -  
एस एच ओ सुनील गुप्ता उर्फ सुनील मित्तल   दिल्ली पुलिस के अनेक आईपीएस अफसरों का चहेता है। आईपीएस अफसरों की सेवा/संबंधों के दम पर ही सुनील लगातार एस एच ओ के पद पर है। 
वसंत विहार से पहले वह नजफगढ, मायापुरी, विकास पुरी , रजौरी गार्डन और सनलाइट कालोनी थाने में एस एच ओ रह चुका है। 
इनोवा - सुनील  को सरकारी जिप्सी की बजाए अपनी इनोवा कार में चलना ज्यादा पसंद है।
मोबाइल नहीं मिला तो एस एच ओ ने बदला पैंतरा।--
सैनिक फार्म निवासी रुबल की माया पुरी में हार्डविन इंडिया नाम से फैक्ट्री है। रुबल के पुराने कर्मचारी विक्रांत ने उससे कहा कि सुनीता गलयान और सुनीता चौहान नामक दो कर्मी फैक्ट्री में चोरी करती है। 14 सितंबर को रुबल ने अपनी फैक्ट्री में विक्रांत और दोनों महिलाओं कर्मियों को आमने-सामने किया।उस दौरान महिलाओं और विक्रांत में कहा सुनी और हाथा पाई हो गई।एक महिला ने पीसीआर पर फोन कर दिया। इन‌‌ सभी को माया पुरी थाने ले जाया गया। महिलाओं की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करने की बजाय उनको  काफी देर तक पुलिस ने बिठाए रखा। रुबल के वकील सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि एस एच ओ सुनील  ने रुबल से बदतमीजी की और कहा कि तुमने विक्रांत का अपहरण और मारपीट की है। अपहरण के मामले में बंद करने की धमकी दे कर रिश्वत की मांग की गई। 

रुबल कुछ समय  पहले भी एस एच ओ सुनील  से मिला था। रुबल ने उस समय सुनील  को बताया था कि वह चीन जा रहा है। सुनील  ने रुबल से कहा कि उसके लिए सैमसंग का एस 9 फोन ले कर आना। रुबल ने फोन ला कर नहीं दिया। इसका बदला एस एच ओ सुनील  ने अब इस तरह से लिया। रुबल के वकील के अनुसार रुबल ने दस हजार रुपए एएसआई दिलावर को भी दिए थे।



Friday 27 August 2021

स्पेशल सेल ने बदमाशों के लिए हवालात को बनाया मयखाना,सजाया दस्तरख़ान,CP राकेश अस्थाना वर्दी वाले गुंडों को जेल कब भेजोगे ? स्पेशल सेल का शर्मनाक चेहरा उजागर।

नवीन बाली
                राहुल काला

बेकसूर छात्रों को फंसाने वाले स्पेशल सेल ने बदमाशों के लिए हवालात को बनाया मैखाना, सजाया दस्तरख़ान
कमिश्नर राकेश अस्थाना वर्दी वाले गुंडों को जेल कब भेजोगे?



इंद्र वशिष्ठ
कुख्यात बदमाश हवालात और जेल में भी जश्न मनाते हैं। पुलिस अपने खास मेहमानों (गुंडों) के लिए हवालात में बकायदा दस्तरख़ान सजाती हैं। शराब, सलाद, नमकीन ,सिगरेट से लेकर कोल्ड ड्रिंक्स  तक पेश करती है यहीं नहीं हवालात में बंद बदमाशों को बाहर मौजूद गिरोह के साथियों से संपर्क साधने के लिए मोबाइल फोन भी उपलब्ध कराती है। 
दारू पार्टी में शामिल होने के लिए बदमाश बाहर से अपने साथियों को भी हवालात में बुला लेते हैं।
लेकिन यह सुविधा हर किसी बदमाश के लिए उपलब्ध नहीं है। यह सुविधा वहीं पा सकता है जो अपराध जगत का कुख्यात बदमाश हो और जिसके पास भ्रष्ट वर्दीधारी गुंडों के मुंह में ठूंसने के लिए रिश्वत रुपी गोबर हो। 
अपराधी बेखौफ-
खाकी को खाक मिलाने वाले गुंडोंं से सांठगांठ करने वाले भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही अपराधी बैखौफ हो गए हैं। ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही पुलिस बदनाम है।
दूसरी ओर बदमाशों को पकड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले पुलिसकर्मियों का मनोबल टूटता है। बदमाश भी उनका ताने मार कर मजाक उड़ाते हैं।
हवालात है या ससुराल?
हवालात में शराब की पार्टी का एक वीडियो  वायरल हैं। हवालात में बदमाश नवीन बाली और उसके भाई राहुल काला के साथ चार अन्य लोग मौजूद है।
इनके सामने शराब, सलाद, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स आदि रखी हुई है। जाम छलकाए और  सिगरेट के कश मारे जा रहे हैं बदमाश राहुल काला आराम से लेटा मोबाइल पर बात कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे ये बदमाश हवालात में नहीं बल्कि ससुराल में हैं।
हवालात के बाहर खातिरदारी के लिए दो पुलिसकर्मी मौजूद हैं। जो शायद हुकुम की तामील करने के लिए बैठे हैं।
वीडियो में मौजूद दोनों भाई नवीन और राहुल जेल में बंद नीरज बवाना गिरोह के बदमाश हैं। राहुल और नवीन मंडौली जेल में बंद है।
हत्या की साजिश।-
स्पेशल सेल को किसी के फोन की निगरानी के दौरान पता चला कि ये दोनों भाई  रोहिणी जेल में बंद अपने दुश्मन की हत्या की साजिश रच रहे हैं। स्पेशल सेल ने आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया। इसके बाद मंडौली जेल में बंद नवीन और  राहुल को गिरफ्तार किया। इन दोनों को पांच अगस्त से स्पेशल सेल ने अपनी हिरासत में रखा और दस अगस्त को वापस जेल भेज दिया।
वीडियो वायरल-
12 अगस्त को सोशल मीडिया पर हवालात में हुई शराब पार्टी का वीडियो वायरल किया गया। यह वीडियो नीरज बवाना ग्रुप के नाम से डाला गया। 
वीडियो स्पेशल सेल के लोदी कालोनी के हवालात का  है। यह बहुत ही गंभीर, खतरनाक और चौंकाने वाला मामला है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले स्पेशल सेल, लोदी कालोनी की सुरक्षा किले जैसी है। ऐसे में बदमाशों द्वारा शराब की दावत करना और उसमें बाहर से अपने साथियों को बुलाना सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत ही गंभीर मामला है।
चीलबाज ने बनाया वीडियो।
पुलिस सूत्रों के अनुसार हवालात में पार्टी में मौजूद अन्य लोगों के नाम दुष्यंत उर्फ मोनू  (बाजीत पुर),अमित लोटा (आसौधा), सचिन उर्फ चीलबाज (बराही) और मन्नू उर्फ टैटू (दक्षिण दिल्ली) हैं। 
सूत्रों के अनुसार बदमाश दुष्यंत मोनू इस समय जमानत पर है। सचिन उर्फ चीलबाज ने यह वीडियो बनाया बताते है।
भ्रष्ट पुलिस अफसर को हवालात में कब डालोगे ?
सूत्रों ने बताया कि इस वीडियो के वायरल होते ही वरिष्ठ अफसरों को बता दिया गया था। लेकिन अभी तक किसी पुलिस अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
 पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को इस मामले में शामिल पुलिस अफसरों के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोबारा कोई अफसर ऐसी करतूत न करें।
पुलिस कमिश्नर की नजर में अगर  कानून का रत्ती भर भी सम्मान हैं तो उन भ्रष्ट पुलिस अफसरों को हवालात में बंद करना चाहिए ,जिन्होंने बदमाशों के साथ सांठगांठ कर खाकी वर्दी को कलंकित किया है। 
सेल वाले तो मौज कराते हैं।-
पुलिस सूत्रों के अनुसार यह वीडियो वायरल होने के बाद उन अफसरों पर तंज कसे जा रहे हैं जो बदमाशों को पकड़ने में जी जान से जुटे रहते हैं। उन्हें बदमाशों द्वारा भी कहा जाता हैं कि तुम बेकार में बदमाशों से क्यों दुश्मनी पाल रहे हो,तुम भी पैसा लिया करो, तुम भी एंजॉय करो, जैसे सेल वाले एंजॉय कर रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि देख लो तुम्हारे ये स्पेशल सेल वाले तो हमें मौज कराते हैं।
छात्रों को फंसाने वाली पुलिस बदमाशों के कदमों में।
यह वहीं स्पेशल सेल, लोदी कालोनी हैं जिसने छात्रों को देशद्रोही, दंगाई और आतंकी बता कर जेल में डाल दिया था। लेकिन स्पेशल सेल की पोल अदालत में खुल गई थी ।
गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) में बेकसूरों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस ने हवालात में बदमाशों की दावत कर खुद गैरकानूनी कार्य किया है।
सेल का सुशील से स्पेशल प्रेम।-
लोदी कालोनी स्थित स्पेशल सेल सुशील पहलवान का आत्म समर्पण कराने और सुशील के साथ फोटो खिंचवाने के कारण भी विवादों में रहा है।
पुलिस और जेल प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों द्वारा बदमाशों और अमीर मुलजिमों को विशेष सुविधाएं देने के मामले अक्सर सामने आते हैं। लेकिन स्पेशल सेल के हवालात में बदमाशों द्वारा दारू पार्टी करना बहुत ही संगीन मामला है।
दावत की परंपरा-
 साल 1999 में माडल जेसिका लाल की हत्या के मामले में गिरफ्तार दो अभियुक्तों को महरौली थाने में तत्कालीन एसएचओ सुरेंद्र शर्मा और एडिशनल एसएचओ ने होटल से मंगवा कर अपने दफ्तर में खाना खिलाया था। यह मामला इस पत्रकार ने सांध्य टाइम्स में उजागर किया था।



मोनू बाजीत पुर






Friday 20 August 2021

कमिश्नर ने तीन SHO को निलंबित/ लाइन हाजिर किया। निरंकुश SHO को किसी की परवाह नहीं, IPS हो ईमानदार तो भला कैसे न रुके भ्रष्टाचार और अपराध।

          पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना 


निरंकुश एसएचओ को किसी की परवाह नहीं ।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा तीन एसएचओ को निलंबित या लाइन हाजिर किया गया है। यह मामले पुलिस का असली चेहरा पेश करने के लिए पर्याप्त है। इससे एक बार फिर यह साबित हो गया कि पुलिस संगीन अपराध की भी एफआईआर आसानी से दर्ज नहीं करती और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत भी होती है।
पुलिस कमिश्नर का पद संभालने पर राकेश अस्थाना ने कहा पुलिस का मूल काम कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना होता है। अपराध की रोकथाम और पता लगाना है उनका फोकस बेसिक पुलिसिंग पर रहेगा। 

कमिश्नर आते जाते हैं एसएचओ जमे रहते हैं।-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नीयत और प्राथमिकता अगर वाकई बेसिक पुलिससिंग हैं तो उन्हें एसएचओ नियुक्त करने की प्रक्रिया में भी सुधार करना चाहिए। 
दिल्ली के थानों में ऐसे एसएचओ भी हैं जो कई सालों से एसएचओ के पद पर ही जमे हुए हैं। कमिश्नर आते जाते रहते हैं लेकिन यह एसएचओ जमे रहते हैं। इनके सिर्फ़ थाने बदलते हैं।
भ्रष्टाचार का कारण-
अपराध को दर्ज न करना,अपराधियों को संरक्षण देना सबसे बड़ी समस्या है। अवैध शराब का धंधा, सट्टेबाजी, अवैध पार्किंग, अवैध निर्माण, विवादित संपत्ति ,पैसे के लेन देन के विवाद के मामले आदि भी पुलिस की कमाई का सबसे बड़ा जरिया माने जाते हैं। इसी वजह से पुलिस में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
जिन कारणों से पुलिस कमिश्नर ने एसएचओ को निलंबित या लाइन हाजिर किया है वह ही समस्या/भ्रष्टाचार जड़ भी है। कमिश्नर अगर वाकई पुलिस में कोई सुधार करना चाहते हैं तो उन्हें इस जड़ पर ही वार करना चाहिए। 
आंकड़ों की बाजीगरी बंद हो-
अपराध को कम दिखाने के लिए  मामलों को दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा को बंद करना चाहिए। 
अपराध के सभी मामलों को सही तरह दर्ज किए जाने से ही अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। 
लेकिन अपराध को दर्ज न करना एसएचओ से लेकर  कमिश्नर/आईपीएस अफसर तक सभी के अनुकूल है।
आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा कर वह खुद को सफल अफसर दिखाते हैं। जबकि अपराध को दर्ज न करके पुलिस एक तरह से अपराधी की मदद करने का गुनाह ही करती है।
अपराध सही दर्ज होने पर ही अपराध और अपराधियों की सही तस्वीर सामने आएगी। तभी अपराध और अपराधियों से निपटने की  कोई भी योजना सफल हो सकती है। अभी तो आलम यह है कि मान लो कोई लुटेरा पकड़े जाने पर सौ वारदात करना कबूल कर लेता है लेकिन उसमें से दस ही दर्ज पाई जाएगी । लेकिन अगर सभी सौ वारदात दर्ज की जाती तो लुटेरे को उन सभी मामलों में जमानत कराने में ही बहुत समय और पैसा लगाना पड़ता। लुटेरा ज्यादा समय तक जेल में रहता। 
 इस तरह अपराध और अपराधी पर काबू किया जा सकता है।
अफसरों पर दबाव जरूरी-
अपराध के सभी मामले दर्ज होंगे तो तभी एसएचओ,एसीपी और डीसीपी पर अपराधियों को पकड़ने का दबाव बनेगा। 
एसएचओ पर जब मामले दर्ज करने और अपराधियों को पकड़ने का मूल काम करने का दबाव होगा, तो ऐसे में वह ही एसएचओ लगेगा जो वाकई मूल पुलिसिंग के काबिल होगा।
मूल काम ही नहीं करते-
अभी तो आलम यह है कि लूट,स्नैचिंग, मोबाइल /पर्स चोरी  आदि के ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं किए जाते। पुलिस चोरी गए वाहन को तलाश करने की कोई कोशिश नहीं करती। आलम तो यह है कि वाहन चोरी की सूचना पर पुलिस मौके पर भी नहीं जाती।
आईपीएस  भी यह कह कर पल्ला झाड़ लेते है कि  वाहन मालिक को बीमा की रकम तो मिल ही जाती है।
आईपीएस अफसरों के ऐसे कुतर्क से उनकी काबिलियत पर सवालिया निशान लग जाता। पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना होता है।  लेकिन पुलिस अपना मूल काम ही नहीं करती। इसीलिए लुटेरे और वाहन चोर बेखौफ हो कर अपराध कर रहे है।
पुलिस सिर्फ वसूली के लिए है?-
पुलिस अगर अपराध ही सही दर्ज न करे या अपराधियों को पकड़ने की कोशिश ही न करें तो क्या पुलिस सिर्फ़ अवैध वसूली,भ्रष्टाचार और लोगों से बदसलूकी करने के लिए ही है।
अब एसएचओ की नौकरी आराम से वसूली करने और अपने आकाओं की फटीक करने की ही रह गई लगती है। 
राकेश अस्थाना के पास मौका है-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा कि बेसिक पुलिसिंग उनकी प्राथमिकता है। राकेश अस्थाना की विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण एक अलग छवि बनी हुई है। लेकिन अब राकेश अस्थाना के पास अपनी पेशेवर काबिलियत की छाप छोड़ने का मौका है।
एसएचओ निलंबित क्यों नहीं किया?-
पहाड़ गंज के एसएचओ विशुद्धानन्द झा को लाइन हाजिर किया गया और सिपाही अमित कुमार को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। इलाके में संगठित अपराध करने वालों को शह देने / मिलीभगत के आरोप में यह कार्रवाई की गई है।
 शराब के बार वालों से सांठगाठ के आरोप में सिपाही अमित को लाइन हाजिर भी किया गया था। इसके बाद सिपाही अमित का तबादला आई पी एस्टेट थाने में कर दिया गया था। इसके बावजूद उसकी पहाड़ गंज इलाके में सट्टेबाजों और बार वालों से सांठगांठ जारी थी।
सवाल यह उठता है कि सिपाही अमित को लाइन हाजिर करने के बाद वापस थाने में क्यों लगाया गया। 
इलाके में पुलिस की शह या मिलीभगत से संगठित अपराध हो रहा था तो एसएचओ को भी निलंबित क्यों नहीं किया गया।
 शराबी एस एच ओ निलंबित।-
 रोहिणी जिले में विजय विहार थाने के
सब- इंस्पेक्टर उमेश ने आरोप लगाया  कि एस एच ओ सुधीर कुमार ने शराब के नशे में उसे गालियां दी।
डीसीपी ने बुलाया एसएचओ नहीं आया-
रोहिणी जिला के डीसीपी प्रणव तायल इस संदर्भ में दरियाफ्त करने  विजय विहार थाने  गए। एसएचओ सुधीर कुमार थाने में नहीं मिला। एसएचओ सुधीर कुमार को थाने में हाजिर होने के लिए संदेश भेजा गया। लेकिन वह थाने में नहीं आया। 
इस पर एसएचओ को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया।
रेड लेबल-
एसएचओ की अलमारी में रेड लेबल शराब की 10 बोतलें मिली।
पता चला है कि पहले भी सुधीर कुमार को उनके व्यवहार को लेकर उन्हें हिदायत दी गई थी।
निरंकुश बेखौफ एसएचओ- 
लेकिन इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एसएचओ कितने निरंकुश और बेखौफ हो गए हैं। डीसीपी थाने मे मौजूद है लेकिन एसएचओ उनके बुलाने पर भी थाने में नहीं आया।
इसका मूल कारण यह है कि पैसे या सिफारिश के दम पर जब तक एसएचओ लगाए जाएंगे तो ऐसा ही होगा। 
शराब पीकर अपने मातहत पुलिसकर्मियों को गालियां देने वाला जो एसएचओ अपने डीसीपी के बुलाने पर भी हाजिर नहीं होता ,वह भला आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता।
ऐसे एसएचओ कानून, पुलिस और जनता के प्रति वफादार नहीं होते। इनकी निष्ठा सिर्फ उस आईपीएस या नेता के प्रति होती हैं जो इन्हें एसएचओ लगवाते हैं।
पुलिस कमिश्नर को आईपीएस अफसरों को यह आदेश देना चाहिए कि वह रात में थानों में अचानक दौरा करें। 
एसएचओ ने एफआईआर दर्ज नहीं की-
एसएचओ कितने निरंकुश हो गए हैं इसका ताजा उदाहरण पूर्वी जिले का सनसनीखेज मामला भी है। अजीत 4 जून को लापता हो गया उसके परिजन न्यू अशोक नगर थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पता चला कि पांडव नगर थाने के सिपाही मोनू सिरोही ने अजीत को पीटा और अपहरण कर लिया।
यह खुलासा होने पर 27 जुलाई को पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई। तब यह खुलासा हुआ कि सिपाही मोनू और उसके 3 साथियों ने अजीत को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई। अभियुक्तों ने अजीत के शव को गंग नहर में फेंक दिया।
सिपाही मोनू और उसके 3साथियों को गिरफ्तार किया गया।
एफआईआर दर्ज नहीं करनेवाले एसएचओ प्रमोद कुमार को निलंबित किया गया।  
कमिश्नर के दावे की धज्जियां उड़ाते हैं।-
कमिश्नर और आईपीएस अफसर दावा करते हैं कि एफआईआर आसानी से दर्ज की जाती है लेकिन इस मामले ने उनके दावे की धज्जियां उड़ा दी।
सच्चाई यह है कि अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस द्वारा लूट और स्नैचिंग की ज्यादातर वारदात की भी एफआईआर दर्ज नहीं की जाती या हल्की धारा में दर्ज की जाती है।
थाने में बंधक बना कर वसूली-
पुलिस वाले कितने बेखौफ होकर अपराध तक कर रहे हैं इसका अंदाजा जामिया नगर थाने के मामले से लगाया जा सकता है। इस साल मई में वरुण को हवलदार राकेश कुमार ने अगवा करके थाने में ही बंधक बना कर रख लिया। वरुण को रिहा करने की एवज में  परिजनों से तीन लाख रुपए की मांग की गई।
वरुण की बहन की शिकायत पर सनलाइट कालोनी थाना पुलिस ने तफ्तीश की और वरुण को जामिया नगर थाने के अंदर हवलदार के कमरे से मुक्त कराया गया। 
इस मामले में हवलदार राकेश, होमगार्ड मुकेश और मुखबिर आमिर को गिरफ्तार किया गया। 
हवलदार राकेश को नौकरी से बरखास्त कर दिया गया।
एसएचओ को बचाया-
लेकिन इस मामले में एसएचओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। थाने मे होने वाली किसी भी गतिविधि के लिए एसएचओ जिम्मेदार होता है। 
थाने में किसे लाया गया और किसे अवैध रुप से बिठाया गया इसके लिए जब तक एसएचओ को पूरी तरह जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी ऐसे मामले रुक नहीं सकते।

ईमानदारी और नैतिकता का स्तर गिरा-
दिल्ली पुलिस के काबिल अफसरों में शुमार  सेवानिवृत्त एसीपी राजेंद्र सिंह का कहना है कि  किसी भी अधिकारी को पोस्टिंग और राजनीतिक संरक्षण के अपने छोटे व्यक्तिगत हितों के लिए इस शानदार पुलिस बल का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 
हम यहां राजनीतिक आकाओं की सेवा करने के लिए नहीं हैं बल्कि सरकार के कार्यकारी हाथ हैं और वह भी कानून और योग्यता के अनुसार।
 वरिष्ठ अधिकारी अब निचले रैंक के लिए पिता/ अभिभावक के समान नहीं हैं और न ही संरक्षक जैसा कि पहले माना जाता था।
ईमानदारी और नैतिकता का स्तर भी गिर गया है। यदि आम पुलिसकर्मियों, संविधान और जनता के पक्ष में व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो बहुत जल्द उन्हें निचले रैंक के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। 
एसएचओ उनकी शक्ति और अहंकार की प्रतिछाया/ प्रतिमूर्ति साबित हुए हैं। वे पुलिस मुख्यालय में अपने आकाओं के प्रतिनिधि होते हैं और केवल उन्हीं के प्रति जवाबदेह होते हैं। उन्हें किसी आम आदमी और कानून के शासन की परवाह नहीं है। वे आज भी शक्ति के प्रतीक हैं। वे नहीं जानते कि लोगों की सेवा कैसे की जाती है। दोनों, पुलिस मुख्यालय में बैठे पुलिस अधिकारी और उनके प्रतिनिधि, एसएचओ, वास्तव में अपने सामूहिक सौदेबाज़ी और  संयुक्त  हित के कारण इस शानदार दिल्ली पुलिस संस्थान को दिन-ब-दिन खराब कर रहे हैं। एसएचओ/एसीपी सब डिवीजन की पोस्टिंग प्रणाली को संस्थागत बनाया जाना चाहिए और यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्तिगत अधिकारी के पक्ष में संस्थागत आदेश/निर्णय के साथ मतभेद करना चाहता है, तो उसे फाइल मेंं लिखना चाहिए ताकि ऐसे सभी निर्णयों की जांच की जा सके।