Sunday 21 August 2022

CBI ने लेफ्टिनेंट कर्नल, सूबेदार मेजर और दो ठेकेदारों को रिश्वत का लेन देन करते हुए पकड़ा

लेफ्टिनेंट कर्नल, सूबेदार मेजर रिश्वत लेते पकडे़ गए।


इंद्र वशिष्ठ

सीबीआई ने 22 लाख रुपए से ज्यादा की रिश्वतखोरी के मामले में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल और सूबेदार मेजर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि
एमईएस, अंबाला छावनी (हरियाणा) के बैरक स्टोर अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल राहुल पवार, सूबेदार मेजर प्रदीप कुमार , ठेकेदारों दिनेश कुमार और  प्रीतपाल को रिश्वत का लेन-देन करते हुए गिरफ्तार किया  है।
रिश्वत का भुगतान यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि अम्बाला कैंट से अधिकांश टेंडर/ निविदाएं उक्त  ठेकेदारों को दिए जाएं।
सीबीआई ने जाल बिछाया और 22.48 लाख रुपए के लेन-देन के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल, सूबेदार मेजर और रिश्वत देने वाले दोनों ठेकेदारों को पकड़ा। 
सीबीआई द्वारा अंबाला, कुरुक्षेत्र में आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली गई, जिसमें भारी मात्रा में नकदी और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं।

सीबीआई के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल राहुल पवार के परिसर से 32 लाख 50 हजार रुपए और ठेकेदारों के यहां से 16 लाख रुपए बरामद हुए हैं।




Saturday 20 August 2022

गुंडों की गन को खिलौना बना दो। गुंडों की गन में गोलियां भरते गन हाऊस।

 गुंडों की गन को खिलौना बना दो।
गुंडों की गन में गोलियां भरते गन हाऊस।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस ने हाल ही में बंदूक के 2251 कारतूस पकड़े हैं। इस मामले में देहरादून के रॉयल गन हाऊस के मालिक परीक्षित नेगी को भी गिरफ्तार किया गया है। गन हाऊस के मालिक की गिरफ्तारी से एक बार फिर यह साबित हो गया कि गन हाऊस वाले अपराधियों की बंदूकों के लिए कारतूस सप्लाई करते हैं। 
अवैध बंदूकों का कारोबार ऐसे गन हाऊस वालों के कारण ही फल फूल रहा है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार परीक्षित नेगी अन्य गन हाऊसों से और अन्य स्त्रोतों से भी कारतूस लेता था। परीक्षित अपने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर आपस में एक गन हाऊस से दूसरे गन हाऊस में कारतूसों की खरीद/बिक्री दिखाता था। जबकि कारतूसों को महंगे दामों पर बदमाशों को बेचता था। 
6 अगस्त 2022 को  पूर्वी जिला पुलिस ने जौनपुर के अजमल और राशिद को रायफल/ पिस्तौल के  2251 कारतूसों के साथ पकड़ा। 
ये दोनों  देहरादून के परीक्षित नेगी से कारतूस लाए थे और लखनऊ में जौनपुर के ही सद्दाम को देने जा रहे थे। सद्दाम को पकड़ा गया, तो पता चला कि मेरठ जेल में बंद  बदमाश अनिल बाल्यान और जौनपुर के  बदमाश शुभम सिंह के लिए ये कारतूस खरीदे गए थे।
लाइसेंसी हथियार के कारतूस परीक्षित को मुहैया कराने के आरोप में दिल्ली के यमुना विहार निवासी कामरान और रुड़की के नासिर को भी गिरफ्तार किया गया है। 
शुभम सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया। शुभम अवैध कारतूसों के धंधे का सरगना है। उसने रेत माफिया को बिहार में 6 रायफल भी बेची हैं।
परीक्षित से पूछताछ में पता चला है कि वह पहले भी हजारों कारतूस बदमाशों को बेच चुका है।

देसी पिस्तौल खिलौना बन जाएगी-
दिल्ली में हत्या, हत्या की कोशिश, लूट की वारदात के दौरान अपराधियों द्वारा गोली मारने / चलाने के मामले लगातार हो रहे है । हालांकि पुलिस भी पहले के मुकाबले अवैध हथियार ज्यादा पकड़ भी रही है । इसके बावजूद अवैध बंदूकों के कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इसकी मुख्य वजह है बदमाशों को होने वाली कारतूस की सप्लाई। जिस दिन बदमाशों को पिस्तौल के लिए कारतूस मिलने बंद हो जाएंगॆ उस दिन बदमाशों के पास मौजूद पिस्तौल सिर्फ एक खिलौना भर बन कर रह जाएगी। इस एक कदम से ही अवैध बंदूक के कारोबार को नेस्तनाबूद तक किया जा सकता है ।  

 तमंचा देसी, गोली असली -
देसी यानी अवैध पिस्तौलों मे इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के या विदेशी कारतूस का ही इस्तेमाल किया जाता है। यह खुलासा चौंकाने वाला है। क्योंकि विदेशी या इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के कारतूस लाइसेंसशुदा ​हथियार डीलर द्वारा लाइसेंसशुदा हथियारधारी को ही बेचे जाते है।  अवैध पिस्तौलों के कारोबार पर रोक लगानी है तो कारतूस की सप्लाई पर रोक लगाने का पुख्ता इंतजाम करना चाहिए। इससे ही संगीन अपराध को कंट्रोल करने पर जबरदस्त असर पड़ेगा।

दिल्ली पुलिस द्वारा बरामद अवैध पिस्तौलों के मामलों की एक स्टडी में भी यह निष्कर्ष निकला था कि  ​​हथियार डीलर और लाइसेंसशुदा हथियारधारी के एक-एक कारतूस का पूरा/पुख्ता हिसाब  लिया जाना चाहिए है। पुलिस का मानना है कि अपराधियों को कारतूस की सप्लाई रोकने के लिए यह कदम उठाना सबसे जरूरी है।  दिल्ली पुलिस के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने स्टडी के आधार पर  केंद्र सरकार को इस बारे में कई सुझाव दिए थे ।
हथियार डीलर शक के घेरे में -
पुलिस का मानना है कि अवैध पिस्तौलों के धंधे को बढ़ावा देने में कुछ ​​हथियार डीलर भी शामिल हो सकते है। पुलिस ने तफ्तीश में पाया कि मुंगेर(बिहार) , मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य की बनी अवैध पिस्तौलों में विदेशी या इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के कारतूस का ही हमेशा इस्तेमाल किया गया है।  प्रयोगशाला  की जांच में भी यह स्पष्ट पाया गया  कि बरामद कारतूस देसी यानी अवैध रुप से बने हुए नहीं है बल्कि इंडियन आर्डिनेंस फैक्टरी के बने हुए या विदेशी है। लाइसेंसशुदा हथियार डीलर ही, लाइसेंसशुदा हथियारधारक को कारतूस बेचते है। ऐसे में इन दोनों के माध्यम से ही कारतूस अपराधियों के पास पहुंचने की संभावना अधिक है। 
अनेक गन हाउस वालोंं की गिरफ्तारी से भी इस बात की पुष्टि हो जाती है।
इसलिए अवैध हथियार के धंधे को खत्म करना है तो अपराधियों तक कारतूसों की सप्लाई रोकना सबसे जरूरी है।
 एक-एक गोली का  पुख्ता हिसाब - लाइसेंसशुदा हथियार डीलर और लाइसेंसशुदा हथियारधारी के कारतूस अपराधियों तक न पहुंचे, इसे रोकने के लिए एक पुख्ता निगरानी और जांच व्यवस्था बनाने की जरुरत है हथियार डीलर ने लाइसेंसशुदा हथियारधारी को ही कारतूस बेचे है इसकी पुष्टि/तस्दीक लाइसेंसशुदा हथियारधारक से करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
 पुलिस को स्टडी में पता चला कि इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी से मिलने वाले कारतूस के कोटे को कुछ हथियार डीलर उसी राज्य या दूसरे राज्य के ​​हथियार डीलरों को बेच देते है। इससे इस कोटे के दुरूपयोग और कारतूसों के अपराधियों के पास पहुंच जाने की संभावना रहती है। सरकार को इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी के  कारतूस के कोटे को आपस में  दूसरे हथियार डीलरों को बेचने पर रोक लगानी चाहिए। इससे कारतूस की कालाबाजारी और कारतूस अपराधियों के पास पहुंचना बंद होगा। लाइसेंसशुदा हथियारधारी के कारतूसों का भी पुख्ता हिसाब होना/देखना चाहिए और इस्तेमाल किए कारतूस के खाली खोखे को जमा कराने पर ही ओर कारतूस दिए जाने चाहिए ।

कारतूस रोकने से अपराध पर असर पड़ेगा- पुलिस ने यह भी पाया कि मेरठ, कानपुर, झारखंड और उत्तर-पूर्वी राज्यों के  कुछ हथियार  डीलर दूसरे राज्यों के हथियार डीलरों से कारतूस की बड़ी खेप/कोटा खरीदते है। पुलिस का मानना है कि इसके बाद कुछ हथियार डीलर अपने बिक्री रजिस्टर में हेराफेरी करके उन कारतूस को मोटा मुनाफा पाने के लिए अपराधियों को बेच देते है। पुलिस का मानना  है कि केंद्र सरकार यदि उपरोक्त कदम उठाए तो इंडियन आर्डिनेस फैक्टरी के कारतूसों को अपराधियों के पास पहुंचने से रोका जा सकता है। इससे संगीन अपराध को कंट्रोल करने पर जबरदस्त असर पड़ेगा। क्योंकि यह देखा गया है कि उम्दा किस्म के कारतूस अवैध रूप से बनाना असंभव और मुश्किल है।

राज्य पिस्तौलों की पूरी जांच कराए- 

केंद्र सरकार को सभी राज्यों को खासकर पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार को यह निर्देश देने चाहिए कि बरामद होने वाले सभी पिस्तौलों(मैगजीन वाली)और रिवाल्वर की प्रयोगशाला में बैलेस्टिक के अलावा फिजिक्स डिवीजन से भी पूरी जांच  जरूर कराई जानी चाहिए। ऐसे पिस्तौल की पूरी जांच कराने से यह पता चल सकता है। कि क्या वह किसी एक फैक्टरी में  मशीनों से बनाया गया है। सीबीआई इन पिस्तौलों की बनावट आदि का मुआयना और स्टडी करे और मुंगेर में वैध हथियार फैक्टरियों में मौजूद मशीनों से उसकी मिलान करके देखे। मुंगेर की बंदूक बनाने वाली वैध फैक्टरियों पर प्रशासन को कड़ी निगरानी औऱ समय-समय पर अचानक छापा मार कर चेकिंग करनी चाहिए। ताकि पता चल सके कि वहां पर  अवैध हथियार तो नहीं बनाए जा रहे।

गन हाउस मालिक गिरफ्तार -
फरवरी 2021 में स्पेशल सेल ने अंबाला गन हाउस के मालिक अमित राव (रेवाड़ी) और उसके कर्मचारी रमेश  समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर 4500 कारतूस बरामद किए। अमित राव कारतूसों के बिक्री रजिस्टर में हेराफेरी कर रमेश के माध्यम से कारतूस बेचता था। वह 60-70 रुपए मूल्य के एक कारतूस को 125-150 रुपए में बेचता था। दीपांशु मिश्रा, मनोज चौहान ,अकरम और उसका भाई इकराम रमेश से कारतूस लेकर प्रति कारतूस दो सौ रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक में अपराधियों को बेचते थे। सॉफ्टवेयर इंजीनियर दीपांशु के पिता का इटावा में गन हाउस था, जो उनकी मृत्यु के बाद बंद हो गया। मनोज चौहान ट्रांसपोर्ट कंपनी में सुरक्षाकर्मी के रुप में काम करता है। अकरम और उसका भाई इकराम गन हाउस में हथियारों की सर्विस का काम करते हैं।
36 हजार कारतूस बेचने वाला गन हाउस मालिक -- 
जून 2018 में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने आगरा में शिवहरे गन हाउस के मालिक आलोक शिवहरे को 1560 कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार आलोक तीन साल में 36 हजार से ज्यादा कारतूस बदमाशों को बेच चुका है।
20 हजार से ज्यादा कारतूस सप्लाई-- 
साल 2018 में  दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने 1310 कारतूस के साथ संदीप यादव को पकड़ा। संदीप के भाई संजीव की अलीगढ के अकबराबाद में हथियार की दुकान /गन हाऊस है। पुलिस ने बताया कि संदीप तीन साल में दिल्ली एनसीआर में 20 हजार से ज्यादा कारतूस सप्लाई कर चुका था।
मेडल विजेता शूटर कारतूस बेचता था— 
साल 2016 में स्पेशल सेल ने मेडल विजेता शूटर मुकर्रम अली को गिरफ्तार किया । उसके पास से अलग-अलग बोर के  5533 कारतूस बरामद हुए।अली ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि वह एक अन्य शूटर अक्षय से कारतूस खरीद कर सोनू और मुजफ्फर नगर के मेहंदी को बेचता था।
स्पेशल सेल ने वर्ष 2017 में अलीगढ़ के दो गन हाउस मालिक भाईयों को गिरफ्तार किया था। ये भी बदमाशों को कारतूस सप्लाई कर रहे थे। 
इन मामलों ने भी पुलिस की स्टडी को सही साबित किया है।

( लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)






Sunday 7 August 2022

बटला हाउस में आतंकी संगठन ISIS के लिए धन जुटाने वाला जामिया का छात्र गिरफ्तार - NIA


बटला हाउस में आईएसआईएस का संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार।


इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली के बटला हाउस इलाके से आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए पैसा एकत्र करने के आरोप में एक छात्र को गिरफ्तार किया है। 
एनआईए के अनुसार वर्तमान में एफ- 18/27, जापानी गली, जोगाबाई एक्सटेंशन, बटला हाउस, नई दिल्ली निवासी आरोपी मोहसिन अहमद पुत्र मोहम्मद शकील अहमद को गिरफ्तार किया गया है। 21 साल का मोहसिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया में  बीटेक प्रथम वर्ष का छात्र है।
आरोपी मूल रुप से पटना( बिहार) मे नई कॉलोनी, आईटीआई महिला, दीघा, दीनापुर/ खगुल का रहने वाला है।
आईएसआईएस की ऑनलाइन और जमीनी गतिविधियों के लिए एनआईए ने 25.06.2022 को स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया था। 
कट्टर सदस्य-
एनआईए के अनुसार आरोपी मोहसिन अहमद आईएसआईएस का कट्टर और सक्रिय सदस्य है। उसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी आईएसआईएस के साथ सहानुभूति रखने वालों से धन एकत्र करने में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया है। 
आतंकवाद के लिए धन-
वह आईएसआईएस की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इन पैसों / फंडों को क्रिप्टो करेंसी के रूप में सीरिया और अन्य स्थानों पर भेज रहा था। 
एनआईए द्वारा आरोपी से पूछताछ कर आगे की जांच की जा रही है।