Thursday 28 March 2024

रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में साजिशकर्ता गिरफ्तार : एनआईए



रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में साजिशकर्ता गिरफ्तार : एनआईए




 इंद्र वशिष्ठ, 
 राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बेंगलुरु में रामेश्वरम कैफे बम विस्फोट मामले में तीन राज्यों में कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी के बाद एक प्रमुख साजिशकर्ता को गिरफ्तार कर लिया।
 
एनआईए की टीमों द्वारा बुधवार को कर्नाटक में 12, तमिलनाडु में 5 और उत्तर प्रदेश में एक सहित 18 स्थानों पर कार्रवाई के बाद मुजम्मिल शरीफ को सह-साजिशकर्ता के रूप में उठाया गया और हिरासत में रखा गया।
 
3 मार्च को मामले की जांच अपने हाथ में लेने वाली एनआईए ने पहले मुख्य आरोपी मुसाविर शाज़ीब हुसैन की पहचान की थी, जिसने विस्फोट को अंजाम दिया था। एक अन्य साजिशकर्ता अब्दुल मथीन ताहा की भी पहचान की थी, जो अन्य मामलों में भी एजेंसी द्वारा वांछित है। दोनों व्यक्ति फरार हैं।
 
एनआईए की जांच से पता चला है कि मुजम्मिल शरीफ ने 1 मार्च को बेंगलुरु के आईटीपीएल रोड, ब्रुकफील्ड स्थित कैफे में आईईडी विस्फोट से जुड़े मामले में पहचाने गए दोनों आरोपियों को लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी। विस्फोट में कई ग्राहक और होटल स्टाफ के सदस्य घायल हो गए, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए और संपत्ति को व्यापक नुकसान हुआ।
 
 इन तीनों आरोपियों के घरों के साथ-साथ अन्य संदिग्धों के आवासीय परिसरों और दुकानों पर भी छापेमारी की गई. तलाशी के दौरान नकदी के साथ-साथ विभिन्न डिजिटल उपकरण जब्त किए गए।
 
फरार आरोपियों को पकड़ने और धमाके के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा करने की कोशिशें जारी हैं.

Sunday 24 March 2024

गांधी नगर थाने का हवलदार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार : सीबीआई



गांधी नगर थाने का हवलदार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार


इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के शाहदरा जिले के गांधी नगर थाने में तैनात हवलदार विकास राठी को 40 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई के अनुसार एक शिकायत के आधार पर हवलदार विकास राठी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया। 
आरोप है कि शिकायतकर्ता के ख़िलाफ़ की गई शिकायत पर कार्रवाई न करने के लिए हवलदार विकास राठी ने शिकायतकर्ता से एक लाख रुपए रिश्वत मांगी। परस्पर बातचीत के बाद हवलदार विकास राठी 75 हजार रुपए रिश्वत लेने को तैयार हो गया। 
सीबीआई ने जाल बिछाया और चालीस हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए हवलदार विकास राठी को गिरफ्तार कर लिया। हवलदार विकास राठी के परिसरों की तलाशी भी ली गई।

शाहदरा के कबाड़ी के हवाला के 3 करोड़ रुपए दिल्ली पुलिस ने पकड़े।


शाहदरा के कबाड़ी के हवाला के 3 करोड़ रुपए दिल्ली पुलिस ने पकड़े। 



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली छावनी थाना क्षेत्र में पुलिस ने हवाला के तीन करोड़ रुपए पकड़े हैं। यह पैसा शाहदरा के कबाड़ी का है। 

दक्षिण पश्चिम जिले के डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि 22 मार्च को दोपहर में नेशनल हाईवे नंबर 48 पर झरेडा फ्लाईओवर के पास हवलदार ओमबीर, हवलदार हंसराज और सिपाही राजेश ने चैकिंग के दौरान दो स्कूटरों पर सवार चार लोगों को रोका। 
इनके पास  रुपयों से भरे दो बैग मिले। जिसमें हवाला के तीन करोड़ रुपए थे। 
पकड़े गए लोगों के नाम मोहम्मद शोमीन, जीशान, दानिश और संतोष हैं। ये सभी कांति नगर एक्सटेंशन, शाहदरा के निवासी हैं।
इन लोगों ने पुलिस को बताया कि हवाला के ये तीन करोड़ रुपए कांति नगर एक्सटेंशन, शाहदरा के निवासी कबाड़/स्क्रैप कारोबारी मोहम्मद वकील मलिक के है। इन सब को दिल्ली छावनी थाने की सुब्रतो पार्क पुलिस चौकी में ले जाया गया। 
 चुनाव आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस ने चुनाव फ्लाईंग स्कवाड, आयकर विभाग के अफसरों को सूचित किया। पुलिस ने पैसा, मोबाइल फोन और चारों युवकों को उपरोक्त अफसरों को सौंप दिया। 
आयकर विभाग द्वारा आगे की जांच की जा रही है।


Wednesday 20 March 2024

शौर्य चक्र विजेता की हत्या में शामिल आतंकियों की संपत्तियों की कुर्की


शौर्य चक्र विजेता की हत्या में शामिल आतंकियों की संपत्तियों की कुर्की 




इंद्र वशिष्ठ,
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पंजाब में नार्को टेरर मामले में शौर्य चक्र विजेता कामरेड बलविंदर सिंह संधू की हत्या में शामिल खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के दो अभियुक्तों की कई संपत्तियां कुर्क की है। 
एनआईए ने गुरदासपुर के गुरविंदर सिंह उर्फ बाबा की पीरन बाग गांव में 9 मरला जमीन और सलीमपुर अरियान गांव में दो कनाल, सात सरसाई जमीन कुर्क की। तरनतारन जिले के हरभिंदर सिंह उर्फ पिंदर की जिओबाला गांव स्थित दो कनाल, दस मरला जमीन कुर्क की है। 
एनआईए की जांच में पता चला कि खालिस्तान लिबरेशन फोर्स की साजिश के तहत हरभिंदर सिंह ने अपने एक साथी के साथ मिलकर आरोपी इंद्र जीत सिंह की कामरेड बलविंदर सिंह संधू के घर की टोह लेने में मदद की थी। गुरविंदर सिंह उर्फ बाबा ने सुखमीत पाल सिंह उर्फ सुख भिकारीवाल के साथ मिलकर हत्या में इस्तेमाल हथियार सप्लाई किए थे। सुखमीत पाल सिंह भारत द्वारा आतंकी घोषित लखबीर सिंह रोडे का करीबी सहयोगी है। हरभिंदर सिंह और गुरविंदर सिंह के ख़िलाफ़ एनआईए ने दिसंबर 2021 में चार्जशीट दाखिल कर दी। यह मामला शुरू में तरनतारन के भिखीविंड थाने में 16 अक्टूबर 2020 को दर्ज किया गया था।  जनवरी 2021 में एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली।



Tuesday 19 March 2024

आरएसएस नेता की हत्या में पीएफआई का आतंकी गिरफ्तार : एनआईए

आरएसएस नेता की हत्या में पीएफआई का आतंकी गिरफ्तार : एनआईए



इंद्र वशिष्ठ, 
 राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केरल में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के फरार आतंकी शफीक को गिरफ्तार किया है। 
 एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि 16 अप्रैल 2022 को पलक्कड़ में श्रीनिवासन की लक्षित हत्या के बाद से शफीक फरार था, भगौड़े आरोपियों को खोजने वाली एनआईए की टीम ने शफीक को कोल्लम जिले में सोमवार को खोज निकाला। हत्या के मामले में शामिल होने के कारण आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने शफीक को हिरासत में ले लिया था।
एनआईए द्वारा इस भयावह साजिश का हिस्सा होने के रूप में कुल 71 व्यक्तियों की पहचान की गई है, जिसमें एनआईए ने 17 मार्च 2023 और 6 नवंबर, 2023 को दो आरोपपत्र दायर किए हैं। अब्दुल नासर नामक आरोपी की 2 जनवरी 2023 को मृत्यु हो गई थी, जबकि दो भगोड़े, साहिर केवी और जाफर भीमंतविदा को क्रमशः 19 अक्टूबर 2023 और 12 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था।
एनआईए के अनुसार मलाप्पुरम जिले का निवासी शफीक पीएफआई मशीनरी और हिट स्क्वॉड का हिस्सा था, जिसने श्रीनिवासन की जघन्य हत्या को अंजाम दिया था। 
एनआईए की जांच के अनुसार, शफीक ने अशरफ केपी को शरण दी थी, जिसने पीएफआई नेतृत्व के निर्देशों के तहत संगठन के अन्य नेताओं और कैडरों के साथ साजिश को अंजाम दिया था। अशरफ ने विभिन्न संभावित लक्ष्यों की सफाए के लिए रेकी भी की थी।



Thursday 14 March 2024

सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने नमाजियों को ठोकर मार कर पुलिस की साख पर बट्टा लगाया। आईपीएस अफसरों की भूमिका पर सवालिया निशान ?



सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने नमाजियों को नहीं, संविधान और कानून को ठोकर मारी

नमाजियों को ठोकर मार कर सब-इंस्पेक्टर
 ने पुलिस की साख पर बट्टा लगाया 



इंद्र वशिष्ठ, 
आपके लिए आपके साथ सदैव, सिटीजन फर्स्ट और शांति सेवा न्याय जैसे पुलिस के‌ ये ध्येय वाक्य सिर्फ नारे बन कर रह गए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा दिल की पुलिस होने का भी दावा किया जाता है। लेकिन पुलिस का आचरण /व्यवहार इन सब के बिल्कुल विपरीत/ उलट ही है। 
पुलिस की छवि सुधारने के लिए पुलिस को जनता का मित्र बनाने की कवायद भी की जाती है। लेकिन लोगों के प्रति पुलिस के व्यवहार और नजरिये में रत्ती भर भी सुधार नज़र नहीं आ रहा है। पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले तो लगातार सामने आते ही रहते हैं। 
सड़क पर नमाज क्यों -
निरंकुश पुलिसकर्मी कानून को भी अपने हाथ में ले रहे हैं। ताजा उदाहरण 8 मार्च को इंद्र लोक पुलिस चौकी के इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर द्वारा मस्जिद के बाहर सड़क पर जबरन नमाज़ पढ़ने वाले नमाजियों को लात/ ठोकर मारने का है। 
किसी भी धर्म के लोगों द्वारा सड़क पर रास्ता रोक कर पूजा/इबादत करना गलत और गैर कानूनी है।
पुलिस को बिना किसी भेदभाव के कानून का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। 
 नमाजियों ने भी कानून का उल्लंघन तो किया ही है। उनको भी कानून और पुलिस के आदेश का सम्मान और पालन करना चाहिए था। 
मनोज तोमर का अपराध अक्षम्य-
सड़क पर नमाज पढ़़ने वालों के ख़िलाफ़ भी पुलिस को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन कानूनी कार्रवाई करने की बजाए पुलिस खुद ही कानून अपने हाथ में ले ले, तो यह अपराध और निरंकुशता है। पुलिस का निरंकुश होना सभ्य समाज के लिए खतरनाक और गंभीर मामला है। 
हालांकि कानून का उल्लघंन करने वाले नमाजियों से भी कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। 
लेकिन नमाजियों को लात मारी गई, इसको सिर्फ इस दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। नमाजी/ मुसलमान भी सबसे पहले एक इंसान और नागरिक हैं। 
लोकतंत्र और सभ्य समाज में रहने वाले  नागरिकों को वर्दी के नशे में चूर निरंकुश सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने लात मारकर  अपराध किया है। कानून तो पुलिस को किसी अपराधी तक को भी मारने- पीटने की इजाज़त नहीं देता है। 
दंगे के मुहाने पर-
कानून के अनुसार सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने तो ऐसा अपराध किया है कि अगर इलाके के लोग समझदारी न दिखाते, तो दंगा हो सकता था। सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने तो संवेदनशील इलाके में इबादत के समय नमाजियों को लात मारकर एक तरह से लोगों को दंगा करने के लिए उकसाने का ही काम कर दिया था। अगर लोग भी पलट वार करके सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर की पिटाई कर देते तो हालात बेकाबू हो सकते थे। 
कानून के रक्षक मनोज तोमर ने तो कानून हाथ में लेकर खाकी को खाक में मिला दिया। लेकिन लात/ ठोकर खाने के बावजूद लोगों ने, खासकर युवाओं ने कानून अपने हाथ में न लेकर बहुत अच्छा उदाहरण पेश किया। 
अगर ये लोग भी कानून अपने हाथ में ले लेते, तो उन्हें ही अपराधी मान लिया जाता और सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर का अपराध छिप/दब जाता। 
 कानून को ठोकर मारी-
दरअसल सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने यह लात नमाजियों/ नागरिकों को नहीं मारी, उसने भारत के कानून, संविधान, अपने प्रशिक्षण, शपथ, संस्कार, अपनी वर्दी, और उन आईपीएस अधिकारियों को लात/ठोकर मारी है जिन्होंने उसे पुलिस चौकी के इंचार्ज जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण पद पर तैनात किया।
आईपीएस की भूमिका-
इस मामले ने पुलिस मुख्यालय और जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। क्या आईपीएस अधिकारियों को सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर को चौकी इंचार्ज के पद पर तैनात करने से पहले उसकी मानसिकता, स्वभाव/आचरण के बारे में नहीं जानना चाहिए था। जिससे यह पता चल सकता था  कि मनोज तोमर इस पद पर तैनात किए जाने के योग्य है या नहीं। 
आईपीएस अधिकारियों ने कानून हाथ में लेने वाले एक ऐसी मानसिकता वाले सब- इंस्पेक्टर को चौकी इंचार्ज बना दिया, जिसकी हरकत ने लोगों को दंगे के मुहाने पर ला कर खड़ा दिया था।
सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने देश में ही नहीं पूरी दुनिया में दिल्ली पुलिस की छवि को खराब करने का अपराध किया है। 
सबक सिखाएं -
उत्तरी जिला पुलिस के डीसीपी मनोज कुमार मीना ने तुरंत  सब इंस्पेक्टर मनोज तोमर को निलंबित तो कर दिया। लेकिन निलंबन कोई सज़ा नहीं होती। सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर को ऐसी सज़ा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई अन्य पुलिसकर्मी कानून अपने हाथ में न ले। इस मामले ने तो पुलिस की बची खुची साख भी खत्म करने का काम किया है। 
दूसरी ओर पुलिस अफसरों तक का मानना है कि सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने यह बहुत ही गलत काम किया है। 
वैसे सब- इंस्पेक्टर मनोज तोमर के इस अपराध का सिर्फ वह व्यक्ति ही समर्थन करेगा जिसकी संविधान, कानून, लोकतंत्र और सभ्य समाज में आस्था नहीं है। 
अत्याचार -
तीस हजारी कोर्ट परिसर में कुछ साल पहले वकीलों से पिटने वाली पुलिस आम आदमी को पीट कर या उसके साथ दुर्व्यवहार कर बहादुरी दिखाती हैं।