Friday 6 December 2013

इंडियन मुजाहिद्दीन कभी भी करा सकता है हमला



इंडियन मुजाहिद्दीन की ताकत बढ़ी, कभी भी करा सकता है हमला

इंद्र वशिष्ठ,
इंडियन मुजाहिद्दीन से दिनोंदिन खतरा बढ़ता जा रहा है।आईएम ने पूरे देश में अपना नेटवर्क फैला दिया है। इसी नेटवर्क के दम पर आईएम देश में कहीं भी आतंकी हमले करा सक ता है। देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी आईबी ने यह खुलासा किया है।
 आईएम की बढ़ती ताकत के बारे में केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी ने देश भर के वरिष्ठ पुलिस अफसरों  को अवगत कराया  है। आईबी द्वारा पिछले दिनों  आयोजित पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में आईबी ने आईएम के बारे में  विस्तार से बताया और सचेत किया।  आईबी के अनुसार आईएम ने पूरे देश में अपना नेटवर्क फैला लिया है। आईबी के डायरेक्टर आसिफ इब्राहिम ने कहा कि आईएम ने लश्कर ए तोएबा के साथ मिल कर अपनी ताकत इतनी बढ़ा ली है कि वह देश में कहीं पर भी आतंकी हमला करा सकता है।
आईबी के अनुसार आईएम को पाकिस्तान से मदद तो मिल ही रही है। पाकिस्तान में मौजूद आईएम के सरगना अन्य आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी संगठनों से संबंध कायम करने की कोशिश भी कर रहे है। सम्मेलन में तीनों दिन आईएम के बारे में चर्चा हुई। आईएम के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए खुफिया एजेंसी की सूचनाओं पर पुलिस द्वारा प्रभावी और त्वरित कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया गया।
 अलकायदा से संपर्क- इंडियन मुजाहिद्दीन अलकायदा से संपर्क साधने में लगा हुआ है। ऐसी सूचनाएं मिली है कि पाकिस्तान में मौजूद इंडियन मुजाहिद्दीन के सरगना अल कायदा से मिल रहे है।
शरीया कानून लागू करना मकसद-खुफिया एजेंसी के एक आला अफसर के अनुसार इंडियन मुजाहिद्दीन गुजरात दंगों का बदला या मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों का बदला लेने के लिए बम धमाके करने का जो दावा करता है, वह सही नहीं है। असल में इंडियन मुजाहिद्दीन के अलकायदा से संपर्क साधने से ऐसा लगता है कि वह अलकायदा की जेहाद  की सोच/विचारधारा से प्रभावित हैऔर इनका मुख्य मकसद  शरीया कानून को लागू करना है। इसीलिए मुसलमानों पर अत्याचार का बदला तो एक बहाना है। इंडियन मुजाहिद्दीन के पाकिस्तान में मौजूद सरगना अफगानिस्तान में अलकायदा से संपर्क साध रहे है।
शहादत देते रहो-आला अफसर के अनुसार पाकिस्तान के स्वात वैली में तहरीक ए तालिबान जैसे आतंकवादी गुट  शरीया कानून लागू करने के लिए जो कर रहे है। ठीक उसी तरह इंडियन मुजाहिद्दीन भारत में करना चाहता है। इन आतंकवादी गुटों का मानना है कि जब तक शरीया कानून लागू न हो शहादत देते रहो।  इंडियन मुजाहिद्दीन हिन्दुस्तान में शरीया कानून लागू करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार इस तरह की सूचनाएं गंभीर है और इनसे निपटने के लिए भारत को भी दीर्घकालीन रणनीति बनानी होगी।
 19 सितंबर 2008 को बटला हाऊस एनकाउंटर में मारा गया  इंडियन मुजाहिद्दीन का उत्तरी भारत का सरगना आतिफ भी अल कायदा के ओसामा बिन लादेन से प्रभावित था। उसके लैपटॉप में ओसामा बिन लादेन का फोटो और उसके भाषण आदि मिले थे। आतिफ ने ही 13  सितंबर 2008 को  दिल्ली  में सिलसिलेवार बम धमाके कराए थे।
वांटेड आतंकियों से खतरा-सूत्रों के अनुसार इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी हमले करने का सिलसिला अभी रुकने वाला नहीं है। लश्कर और आईएसआई का पाला हुआ आईएम का संस्थापक आमिर रजा खान और आईएम के कम से कम 6-7 मुख्य आतंकी अभी भी पाकिस्तान में है। आईएम के वांटेड आतंकवादियों  द्वारा आतंकी हमला किए जाने की आशंका बरकरार है। पटना, बोध गया, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, कर्नाटक हुए बम ब्लास्ट में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के 25-30  आतंकवादी अभी तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं।

Thursday 12 September 2013

निर्भया के अपराधियों को साइंटिफिक सबूतों ने फांसी तक पहुंचाया। 16-12- 2012

छात्रा के दोस्त के दिए अहम सुराग ने पकड़वाए गैंगरेप के अपराधी 

इंद्र वशिष्ठ ,
दिल्ली में16 दिसंबर 2012 की रात को चलती बस में फिजियोथेरपी की छात्रा से सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था। छात्रा के दोस्त  इस मामले के चश्मदीद गवाह द्वारा दिए गए अहम सुराग के कारण ही वारदात की सूचना के 24 घंटे के भीतर ही पुलिस इस मामले के 6 में से 4 आरोपियों को पकड़ पाई।
  अहम सुराग-वसंत विहार थाना पुलिस को छात्रा के दोस्त ने बताया कि वारदात में इस्तेमाल चार्टर्ड बस का रंग सफेद था और उस पर यादव लिखा हुआ था। पुलिस के सामने सबसे पहला काम था इस अहम सुराग के आधार पर सफेद रंग की उस बस का पता लगाना। 
सीसीटीवी फुटेज में बस मिली-वारदात के दौरान बस जिन रास्तों से गुजरी पुलिस ने वहां सुराग तलाशे तो एक होटल के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा पाया। सीसीटीवी कैमरे की फु टेज देखी गई तो उसमें सफेद रंग की वैसी ही बस नजर आई जैसी छात्रा के दोस्त ने बताई थी। बस पर लिखे यादव नाम से पुलिस ने उसके मालिक का पता लगाया।  
बस  मालिक तक पहुंची पुलिस-दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग से सफेद रंग की  370 चार्टर्ड बसों की सूची पुलिस को मिली। इनकी छानबीन कर पुलिस ने वारदात में  इस्तेमाल बस (नंबर डीएल-1पीसी-0149 )और उसके मालिक दिनेश यादव का पता लगा लिया। बस मालिक दिनेश यादव से पूछताछ करने पता चला कि बस चालक राम सिंह आरके पुरम सेक्टर तीन में रवि दास झज्गी कैम्प में रहता है और वहीं पर बस खड़ी करता है।
बस समेत मुख्य आरोपी गिरफ्तार-17 दिसंबर को बस मालिक से मिली सूचना के आधार पर पुलिस आरके पुरम पहुंच गई तो वहां बस खड़ी मिल गई। बस के अंदर ही बस चालक मुख्य आरोपी राम सिंह मिल गया। राम  सिंह से पूछताछ कर उसके 5 अन्य साथियों का पता लगाया गया।  
मुख्य आरोपी ने भाई को गांव भेज दिया -18 दिसंबर को राम सिंह से पूछताछ के आधार पर राम सिंह के भाई मुकेश के अलावा इस अपराध में शामिल विनय शर्मा, पवन गुप्ता को पकड़ लिया गया। मुकेश को वारदात के बाद राम सिंह ने  राजस्थान के करौली स्थित अपने गांव भेज दिया था। इस तरह से वारदात के २४ घंटे के भीतर पुलिस ने ६ में से  चार आरोपियों को पकड़ लिया। 
नाबालिग पकड़ा- २१ दिसंबर को इस अपराध में शामिल नाबालिग को दिल्ली में आनन्द विहार बस अड्डे से पकड़ा गया। २१ दिसंबर को ही अक्षय ठाकुर को बिहार के औरंगाबाद में उसके गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। 
छात्रा ने दम तोड़ दिया- २९ दिसंबर २०१२- इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर में हत्या की धारा भी लगा दी।
गैंगरेप मामले  की तफ्तीश काबिल-ए- गौर ,
वसंत विहार गैंग रेप मामले में पुलिस ने अहम साक्ष्य जुटाने के लिए ऐसे तरीके भी अपनाए ,जो कि तफ्तीश में पहले कभी नहीं अपनाए गए थे। छात्रा के शरीर पर अपराधियों के दांत से काटने के निशान मिले थे। ये निशान अपराधियों के दांतों के ही है इसे साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों के इम्प्रेशन/छाप ली गई और उसका मिलान छात्रा के शरीर पर मिले निशानों से किया गया। ऐसा किसी मामले की तफ्तीश में पुलिस ने पहली बार किया है।
टीथ बाइट -जांच से जुड़े एक अफसर के अनुसार टीथ बाइट साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों की फोटो ली गई। मैटीरियल पर उनके दांतों की छाप ली गई।  छात्रा के शरीर पर मिले दांत से काटने के निशान मुख्य आरोपी राम सिंह और अक्षय ठाकुर के दांतों के पाए गए।
डीएनए प्रोफाइलिंग-इस मामले में बड़े पैमाने पर डीएनए प्रोफाइलिंग कराई गई। वारदात में इस्तेमाल बस और जहां पर युवक युवती को फ ेंका गया था वहां से और अपराधियों द्वारा सबूत नष्ट करने के लिए जला दिए गए पीडि़तों के कपड़ों से भी डीएनए डेवलप कराया गया। अपराधियों की डीएनए की जांच भी कराई गई। इलैक्ट्रानिक साक्ष्य- वारदात के दौरान बस जिस रास्ते से गुजरी थी उसे एक रुट बना कर होटल के सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन के लोकेशन से साबित किया गया। ६ तरीके से अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई- इस मामले में शक की कोई गुंजाइश न रह जाए इसके लिए अपराधियों की पहचान ६ तरीके से सुनिश्चित की गई। शिनाख्त परेड़ द्वारा, कोर्ट में कठघरे में, डीएनए मैच करा कर ,फिंगर प्रिंट, टीथ बाइट से और छात्रा द्वारा मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई।
 ब्लड  रिपोर्ट- अपराधियों ने वारदात के बाद सबूत मिटाने के लिए बस को साबुन से धो दिया था लेकिन सीएफएसएल के एक्सपर्ट की मदद से पुलिस ने बस में से डीएनए जांच के लिए खून के कतरे एकत्र किए। इसके अलावा डाक्टर द्वारा जमा किए गए साक्ष्यों से भी अपराध साबित किया गया। गैंगरेप मामले ने पुलिस पर सवालिया निशान लगाया
 पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा-    १६ दिसंबर २०१२ को चलती बस में गैंगरेप की वारदात ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया। इस वारदात के विरोध में लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किए। पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर भी लाठीचार्ज किया। इस वारदात की गूंज अंतरिक्ष तक गई। पुलिस क मिश्नर को हटाने की मांग उठी। हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई। लेकिन एक पुलिसवाले तक के खिलाफ तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। मर्ई में जाकर चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश दिए गए ।
इंडिया गेट और विजय चौक पर प्रदर्शनकारी लड़कियों/महिलाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। तिलक मार्ग इलाके में प्रदर्शन के दौरान सिपाही सुभाष तोमर की हार्ट अटैक से हुई मौत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर ८ युवकों को उसमें फंसा दिया। जबकि इनमें से कई युवक उस समय वहां थे ही नहीं। पुलिस ने बाद में इनको बेकसूर बताया।
एसडीएम ने आरोप लगाया- एसडीएम उषा चतुर्वेदी ने तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा और दो एसीपी पर आरोप लगाया कि बलात्कार पीडि़ता का बयान अपने  मुताबिक दर्ज कराने के लिए उस पर दबाव डाला। एसडीएम ने कहा है कि मना करने पर उसके साथ बदसलूकी की गई और धमकी भी दी। एसडीएम की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को पत्र लिखा। यह मामला उजागर होने पर पुलिस ने पीडि़ता का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया।
 कई मौतों से मामले की सुनवाई में देरी- इस मामले की सुनवाई करने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना के  माता-पिता का निधन हो गया। बचाव पक्ष के एक वकील के परिवार में मौत हो गई। एक आरोपी की छोटी बहन की मौत हो गई। ११ मार्च को तिहाड़ जेल में मुख्य आरोपी राम सिंह ने आत्महत्या कर ली।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता के लिए पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी। पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा ने भी पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई। लेकिन पुलिस कमिश्नर तो दूर एक सिपाही तक को नहीं हटाया गया।
आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच-इस मामले ने ट्रैफिक पुलिस और पीसीआर की पोल खोल दी। गृह मंत्रालय ने मई में  गैँग रेप मामले में चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु कर दी है।  जिन चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच हो रही  है उनमें  पीसीआर के तत्कालीन स्पेशल पुलिस कमिश्नर दीपक मिश्रा, पीसीआर के ही तत्कालीन एडिशनल पुलिस कमिश्नर जीसी द्विवेदी, ट्रैफिक पुलिस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र गर्ग और  ट्रैफिक के  ही दक्षिण रेंज के डीसीपी प्रेमनाथ शामिल है।
गैंग रेप मामले में पुलिस की भूमिका या कमियों  के बारे में जस्टिस उषा मेहरा कमेटी और गृह मंत्रालय की अफसर बीना मीणा ने अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद मार्च में उपरोक्त अफसरों को चार्जशीट/मेमोरेंडम दिया गया गृह मंत्रालय ने इन अफसरों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश  दिए ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जे एस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने आपराधिक  कानून में संशोधन किया और कई नई धाराएं जोड़ी गई। तेजाब से हमला करने को भी इसमें जोड़ा गया।
१६ दिसंबर २०१२ की रात का घटनाक्रम -
शाम के ६.३० बजे से ८.३० बजे- छात्रा और उसके दोस्त ने साकेत के सिलेक्ट सिटी वॉक में फिल्म देखी।
८.३० बजे- ऑटो वाले से द्वारका के मधु विहार (छात्रा के घर) जाने लिए कहा, लेकिन ऑटो वाला मुनीरका से आगे जाने को राजी नहीं हुआ।
९.१० बजे- ऑटो वाले ने इन दोनों को मुनीरका बस स्टॉप पर छोड़ दिया। दोनों वहां रूट नंबर ७६४ की बस का इंतजार करने लगे। तभी  सफेद रंग की एक चार्टेड बस वहां आकर रूकी। बस कंडक्टर ने दस-दस रूपए में उनको छोड़ देने को कहा। छात्रा और उसका दोस्त बस में सवार हो गए। बस में ६ लोग सवार थे। इनमें से तीन लोगों ने छात्रा के साथ छेडख़ानी शुरु कर दी। छात्रा के दोस्त ने विरोध किया तो उन लोगों ने उसे पीटना शुरु कर दिया लोहे की रॉड  से पीट-पीट कर उसे लहुलुहान कर दिया। इसके बाद लडक़ी को पीछे की सीट पर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया गया।
१०.१५ बजे रात- महिपाल पुर इलाके में फ्लाईओवर के पास लडक़े और लडक़ी को निर्वस्त्र करके फेंक दिया गया।
१०.२० बजे -हाइवे टोल कंपनी के स्टाफ के लोगों ने दोनों को इस हाल में देखा तो पुलिस को फोन किया। लेकिन यह फोन गुडगांव पुलिस कंट्रोल रुम को  लगा।
१०.२२ बजे- दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रुम को इस वारदात की कॉल मिली।
१०.२४ बजे- पुलिस कंट्रोल रुम ने यह सूचना इलाके में तैनात पीसीआर की गाड़ी पर तैनात पुलिस को दी।
१०.२८ बजे- पीसीआर की गाड़ी मौके पर पहुंची।
१०.५५ बजे- पीसीआर ने दोनों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया।
१७-१२-२०१२ को वसंत विहार थाने में सामूहिक बलात्कार ,कुकर्म,अपहरण,हत्या की कोशिश और लूट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस को तफ्तीश के दौरान अपराध के रास्ते में पडऩे वाले ४ स्थानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज में वारदात में इस्तेमाल सफेद रंग की बस दिखाई दी। बस पर यादव लिखा हुआ था। बस के बारे में छात्रा के दोस्त ने पुलिस को बताया था। इस अहम सुराग के आधार पर पुलिस बस के मालिक दिनेश यादव तक पहुंच गई। १७ दिसंबर को आरके पुरम इलाके में बस मिल गई और उसमें ही मुख्य आरोपी बस चालक राम सिंह भी मिल गया। राम सिंह से पूछताछ के बाद इस अपराध में शामिल उसके भाई मुकेश के अलावा  विनय शर्मा और पवन गुप्ता को भी पकड़ लिया गया।
२१-१२-२०१२-इस मामले में आरोपी अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को भी पकड़ लिया गया।
२९-१२-२०१२-इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस एफआईआर में हत्या की धारा लगा दी।
३-१-२०१३-वारदात के १८ दिन बाद पुलिस ने ५ आरोपियों के खिलाफ साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चार्जशीट दायर कर  दी। हत्या,हत्या की कोशिश,सामूहिक बलात्कार,कुकर्म,अपहरण, डकैती के दौरान चोट पहुंचाने,सबूत नष्ट करने और साजिश रचने के आरोप में दायर की गई इस चार्जशीट में नाबालिग आरोपी की भूमिका का भी विस्तार से जिक्र  किया गया। इस छठे नाबालिग आरोपी के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में केस चलाया गया।
११-३-२०१३- मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।
३१ अगस्त २०१३-इस मामले में आरोपी नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया।
10 सितंबर 2013- इस मामले के चार आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया।

13 सितम्बर 2013- को अदालत ने चारो अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई ।

Saturday 27 July 2013

बटला हाऊस एनकाउंटर- शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा मोबाइल नंबर से आतंकवादियों को खोजने में माहिर। इंडियन मुजाहिदीन का सरगना मारा गया


शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा
बटला हाऊस एनकाउंटर के असली हीरो इंस्पेक्टर मोहन चंद्र और उनके साथी।
बम धमकों में शामिल इंडियन मुजाहिदीन का सरगना मारा गया।

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली  13 सितंबर 2008 को हुए  सिलसिलेवार 5 बम धमाको से दहल गई। इसमें अनेक लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए थे। इसमें शामिल आतंकवादियों का पता लगाने की जिम्मेदारी स्पेशल सेल को दी गई।

6 दिनों में ही खोज निकाला आतंकवादियों को---

 दिल्ली पुलिस के  स्पेशल सेल के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त कर्नल सिंह और डीसीपी आलोक कुमार के  नेतृत्व में पुलिस टीम ने दिन रात एक कर एक सप्ताह के अंदर आतंकवादियों के बारे में अहम सुराग हासिल कर लिए।

स्पेशल सेल की स्पेशल टीम--

स्पेशल सेल ने  बटला हाऊस के उस मकान एल 18 का भी पता कर लिया जहां पर आतंकी छिपे हुए थे।  इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा, राहुल कुमार सिंह, धर्मेंद्र, सब -इंस्पेक्टर रवींद्र त्यागी, दलीप कुमार हवलदार बलवंत ,उदयवीर और राजबीर समेत करीब 18 पुलिस वालों की एक टीम बनाई गई। इनमें से कुछ पुलिस वाले आतंकवादियों के ठिकाने के अंदर गए और शेष पुलिस वालों ने ठिकाने के बाहर मोर्चा संभाला था।


19 सितंबर को सुबह करीब 9.30 बजे यह टीम सेल के लोदी कालोनी दफ्तर से जामिया नगर के बटला हाऊस के लिए रवाना हुई थी।


वोडाफोन प्रतिनिधि बन गया इंस्पेक्टर धर्मेंद्र  -

बटला हाऊस पहुंच कर आतंकियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए इंस्पेक्टर धर्मेंद्र वोडाफोन कंपनी का प्रतिनिधि बन कर मकान नंबर  एल 18 में गया।

धर्मेंद्र उस मकान के चौथे फ्लोर पर गया जहां पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना पुलिस को थी। धर्मेंद्र ने देखा कि वहां आतंकी मौजूद है। यह देख धर्मेंद्र नीचे गया और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी। इसके बाद मोहन चंद्र शर्मा अपने साथियों को लेकर ऊपर गए। जिस फ्लैट में आतंकी थे वह एल टाइप था उसका  एक दरवाजा सीढ़ियों के बिल्कुल सामने और एक दरवाजा बाएं ओर था।

इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पेश की बहादुरी की मिसाल--

 इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पहले सामने वाला दरवाजा खटखटाया वो बंद था इसके बाद शर्मा ने बाएं ओर के दरवाजे को धकेला तो वह खुल गया। जैसे ही शर्मा अंदर घुसे सामने वाले कमरे के दरवाजे के पीछे छिपे आतंकियों ने गोलियां चला दी। जिससे इंस्पेक्टर शर्मा और हवलदार बलवंत घायल हो गए। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिसमें दो आतंकी मारे गए। एक आतंकी मुहम्मद सैफ पकड़ा गया जबकि दो आतंकी भाग गए।  इसी दौरान एसीपी संजीव यादव भी सिपाही मान सिंह (अब इंस्पेक्टर) , इंद्र जीत और राजपाल  के साथ पहुंच गए थे। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की टीम ने बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनी हुई थी।

इंडियन मुजाहिदीन का उत्तर भारत का सरगना मारा गया-
मारे गए आतंकियों में बम धमाकों का जिम्मेदार इंडियन मुजाहिदीन का उत्तरी भारत का सरगना आतिफ अमीन उर्फ बशर और मुहम्मद साजिद उर्फ पंकज थे। भागने वाले आतंकी  की पहचान शहजाद और आरिज खान उर्फ जुनैद के रुप में हुई थी शहजाद को  जनवरी 2010  में यूपी पुलिस की एसटीएफ ने पकड़ा।
अदालत ने 2013 में शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई। साल 2018 आरिज खान को नेपाल सीमा से स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया।
गंभीर रुप से घायल हुए  इंस्पेक्टर शर्मा को तुरन्त पास के होली फैमिली अस्पताल में ले जाया गया हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी थी उसे एम्स में ले जाया गया। इंस्पेक्टर शर्मा के इलाज के लिए पुलिस अफसरों ने एस्कार्ट अस्पताल से भी डाक्टर बुलाए लेकिन शर्मा को बचाया नहीं जा सका।

डाक्टर ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत की जैसे ही  सूचना  दी आईसीयू के बाहर  मौजूद  पुलिस के संयुक्त आयुक्त कर्नल सिंह और डीसीपी आलोक कुमार की आंखों में भी आंसू आ गए।
स्पेशल सेल के एक अफसर ने  मोहन चंद्र शर्मा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी शुरू कराया था। खबर सुनकर  अस्पताल पहुंचने वालों में भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी भी शामिल थे।

शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

मोबाइल फोन से मिला था सुराग- 

दिल्ली  धमाकों में शामिल आतंकियों का सुराग पुलिस को में आतंकवादियों के मोबाइल  नंबर से मिला। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम धमाके हुए थे गुजरात पुलिस और आईबी ने सेल को आतंकियों द्वारा वहां इस्तेमाल किए गए फोन नंबर के अलावा यह इनपुट भी दिया कि आतंकी दिल्ली में रुके थे इन नंबरों के  एनालिसिस के दौरान पुलिस को आतिफ का नंबर मिल गया। इस नंबर से बटला हाऊस के ठिकाने का पता चला। उस  ठिकाने पर आतंकियों की मौजूदगी  वैरीफाई की गई। 

यह तय हुआ था कि जैसे ही इस मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करने वाला  आतंकवादी बटला हाउस इलाके से बाहर निकलेगा उसे उठा लेंगे। लेकिन कई दिनों तक वह आतंकवादी इलाके से बाहर ही नहीं निकला। आतंकवादी कहीं ओर बम धमाके न कर दें इसलिए उनको पकड़ने के लिए उनके ठिकाने पर ही धावा बोला गया।

इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को मोबाइल फोन के हजारों नंबरों के डाटा को एनालिसिस कर उसमें से आतंकवादी का नंबर पता लगाने में महारत हासिल थी।


कर्नल सिंह IPS
आलोक कुमार IPS



इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा (बीच में)
काले बैग वाला इंस्पेक्टर धर्मेंद्र








IPL spot fixing में राहुल द्रविड़ गवाह।





Monday 17 June 2013

सीबीआई और आईबी के गले की हड्डी

इंद्र वशिष्ठ ,

इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामला सीबीआई और आईबी के लिए गले की हड्डी बन गया है। सीबीआई की तफ्तीश और साख दांव पर है।सीबीआई की जांच जिस मुकाम  पर है वहां आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार का बचना आसान नहीं है। इशरत मामले का पूरा ऑपरेशन ही आईबी का था।  इसलिए आईबी अपने अफसर को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

सूत्रों के अनुसार आईबी ने इस मामले में खुलकर सामने आने में बहुत देर कर दी। आईबी को मामले के ये तथ्य शुरु में ही सरकार के सामने स्पष्ट कर देने चाहिए थे। तब शायद यह सियासी मुद्दा बन कर इस हद तक नहीं पहुंचता। सीबीआई डायरेक्टर ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ साक्ष्य होने की बात कहीं हैं । आईबी इस मामले में सिर्फ यह कह कर नहीं बच सकती कि आतंकवादियों के बारे में इनपुट देने तक ही उनकी भूमिका थी। या जांच से जुड़े आईपीएस सतीश वर्मा निजी वजहों से राजेंद्र कुमार को फंसा रहे हैं। उधर आईबी ने सरकार को यह बताया कि राजेंद्र कुमार और गुजरात के  मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कोई संबंध नहीं है। यह सफाई इसलिए दी गई कि यह कहा जा रहा था कि मोदी ने राजेंद्र कुमार के साथ मिलकर एनकाउंटर कराया है । आईपीएस अफसरों की माने तो आईबी को डर है कि मोदी को इस मामले में फंसाने के  चक्कर में कहीं राजेंद्र  कुमार को बलि का बकरा न बना दिया जाए। इसलिए आईबी ने यह भी बताया  कि लश्कर के आतंकवादियों की फोन इंटरसेप्ट की  बातचीत में पता चला था कि उनका इरादा नरेंद मोदी की हत्या करने का है। सूत्रों के अनुसार आईबी की भूमिका किसी आतंकवादी के बारे में सिर्फ इनपुट देने तक सीमित नहीं होती है। आमतौर पर आईबी अपने ऑपरेशन को  पूरे अंजाम तक पहुंचाने  तक शामिल रहती है।

सीबीआई द्वारा आरोपी के तौर पर राजेंद्र कुमार को समन करने पर आईबी के द्वारा सीबीआई की भूमिका पर सवालिया निशान लगाना भी सही नहीं माना जा रहा है इससे यह संदेश निकल रहा है क्या आईबी को भी सीबीआई की तफ्तीश पर भरोसा नहीं है? या आईबी अपने अफसर को बचाने की कोशिश कर रही है? ऐसे में सीबीआई के लिए भी यह तफ्तीश अब साख का सवाल बन गई है। दूसरी ओर सूत्रों का यह भी मनना है कि आईबी के इतने बड़े अफसर के खिलाफ कार्रवाई से फर्जी मुठभेड़ों पर रोक लगेगी। सीबीआई डायरेक्टर को बुलाना तफ्तीश में दखलदांजी है। अब हालात यह है कि सीबीआई चाह कर भी राजेंद्र को नहीं बचा सकती। सीबीआई की तफ्तीश पर हाई कोर्ट की नजर है। सीबीआई सिर्फ इतना लिहाज कर सकती है राजेंद्र को गिरफ्तार किए बिना उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दे। सूत्रों के अनुसार यहीं वजह है कि सीबीआई डायरेक्टर से कहा गया कि वह राजेंद्र कुमार से पूछताछ कर सकते है लेकिन इस मामले में उनको फिलहाल गिरफ्तार ना किया जाए।

उल्लेखनीय है कि आतंकवादी डेविड हेडली ने अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई को पूछताछ में बताया था कि इशरत जहां लश्कर की मानव बम थी।

वर्ष 2004 में इशरत जहां और  लश्कर ए तोएबा के तीन अन्य आतंकवादियों के बारे में राजेंद्र कुमार ने ही इनपुट गुजरात पुलिस को दिया था। राजेंद्र कुमार उस समय गुजरात में आईबी में ज्वाइंट डायरेक्टर थे। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी |


  



Thursday 14 March 2013

एफआईआर दर्ज न करने वाले पुलिस वाले अब जेल जाएंगे

 एफआईआर दर्ज न करने वाले पुलिस वाले अब जेल जाएंगे

इंद्र वशिष्ठ

अपराध की रिपोर्ट यानी एफआईआर दर्ज न  करने वाले पुलिसवाले  को अब जेल की हवा खानी पड़ेगी । केंद्र  सरकार ने अपराध को दर्ज न करने को भी अब
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध घोषित कर दिया है।
यहीं नहीं जानबूझ  कर गैर कानूनी रुप से अपराध की जांच के नाम पर दूर-दराज
रहने वाले व्यकित को भी थाने में हाजिर होने का नोटिस भेज कर परेशान करना
और सीआरपीसी के  दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर तफ्तीश ठीक  ना करना भी अब
दंडनीय अपराध हो गया है। ।

 ऐसा अपराध करने वाले पुलिस वाले को अब एक  साल तक की कैद की   सजा और
जुर्माना दोनों हो सकते है। सरकार ने आइपीसी में संशोधन कर एक  नई धारा
166  ए जोड़ी है। इसमें तीन उप धाराएं एबीसी है।  उपधारा ए के अनुसार
जानबूझकर  गैरकानूनी प्रक्रिया से दूर-दराज रहने वाले किसी व्यक्ति को अपराध की  जांच के  नाम पर सीआरपीसी की  धारा 160 का  नोटिस  देकर बुलाना
अपराध है । उप धारा बी के  अनुसार तफ्तीश के  दौरान जानबूझ कर किसी के लिए
पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सीआरपीसी के  दिशा- निर्देशों का उल्लंघन भी
अपराध है। उप धारा सी के  अनुसार किसी संज्ञेय अपराध की  सूचना को दर्ज न करना और खासकर महिलाओं के  खिलाफ होने वाले अपराध को  दर्ज न करना अपराध
अब हो गया  है।  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 3 फरवरी 2013 को जारी
किए  गए एक  अध्यादेश से यह कानून लागू हो गया है।

सीआरपीसी में प्रावधान है कि अपराध की  जांच के  सिलसिले में जांच अफसर
सिर्फ  अपने थाने के इलाके  और सटे हुए इलाके में रहने वाले को  ही धारा
160 के तहत थाने में हाजिर होने का  नोटिस दे सक·ता है। लेकिन पुलिस इस
नियम का  उल्लंघन कर दूसरे शहर में रहने वाले व्यक्ति को भी 160 का  नोटिस भेज देती है। कानूनी जागरुकता  के अभाव्  में लोग डर के  मारे नोटिस मिलते ही
उस शहर  के थाने में पहुंच जाते है। लेकिन  अब इस तरह से नोटिस देने वाले
पुलिस वाले के  खिलाफ आपराधिक  मामला दर्ज किया  जाएगा।

अभी तक  संज्ञेय अपराध को दर्ज न करने, तफ्तीश  ठीक  तरह से न करने और 160 के
नोटिस के दुरुपयोग की  शिकायत क रने  पर पुलिसवाले  के  खिलाफ सिर्फ विभागीय
क़ार्रवाई   ही की जाती थी।

बस में गैंगरेप की  वारदात के बाद कानूनों को सख्त  बनाने के  सिलसिले में
सरकार ने आईपीसी,सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में अनेक  संशोधन किए है।
इनमें से उपरोक्त संशोधन को सबसे अहम माना जा रहा है। इस संशोधन से अपराध
पीडि़त को बड़ी राहत मिलेगी। क्योंकि  अभी हालत यह है कि देश की  राजधानी
तक  में  अपराध के  शिकार व्यक्ति की रिपोर्ट  आसानी से दर्ज नहीं की जाती
है। देश भर में अपराध को आंकड़ों के द्वारा  कम दिखाने के  लिए अपराध की  सभी
वारदात  को  दर्ज न करने या हल्की धारा में दर्ज करने की  परंपरा है। यह
पुलिस और सत्ता पक्ष दोनों के  अनुकूल होता है ।

पुलिस द्वारा सभी वारदात को  दर्ज न करने की  परंपरा के कारण ही अपराध बढ़
रहे है। सभी अपराध को  दर्ज करने से ही अपराध की  पूरी और सही तस्वीर सामने
आ पाएगी और तभी उससे निपटने की कोई योजना सफल हो पाएगी। डकैती , लूट या
चेन झपटने की  वारदात करने वाले अपराधियो को भी पता  है अगर पकड़े भी गए
तो उनके  द्वारा  की गई सारी वारदात तो पुलिस ने  दर्ज भी नहीं कर रखी होगी।

Monday 11 February 2013

अफजल गुरु जैश-ए-मुहम्मद का मुख्य साजिशकर्ता

अफजल गुरु जैश--मुहम्मद का मुख्य साजिशकर्ता

इंद्र  वशिष्ठ,  

मुहम्मद अफजल गुरु संसद हमले में शामिल आतंकवादी गिरोह जैश--मुहम्मद का मुख्य साजिशकर्ता था। संसद पर हमला करने वाले पांचों पाकिस्तानी आतंकवादियों को कश्मीर से लाकर दिल्ली में ठहराने से लेकर सभी इंतजाम अफजल ने ही किए थे। संसद में घुसने तक फिदायीन दस्ते का सरगना अफजल से मोबाइल फोन पर संपर्र्क में था। सरगना मुहम्मद ने अफजल को फोन कर कहा कि वह टीवी पर संसद की कार्यवाही देखें और बताए कि इस समय सदन में कौन-कौन से वीवीआईपी मौजूद है। अफजल ने उसे कहा कि वह अभी टीवी के पास नहीं है। इसके बाद ही सरगना ने संसद में घुसने का फै सला किया। हमले के लिए रवाना होने से पहले हमले के सरगना मुहम्मद ने दस लाख रुपए और एक लैपटॉप अफजल को सौंपा और उससे कहा कि रकम तुम रख लेना और लैपटॉप जैश--मुहम्मद के कश्मीर घाटी के सुप्रीम कंमाडर गाजी बाबा को सौंप देना। संसद पर हमले के तुरंत बाद अफजल अपने रिश्तेदार शौकत के साथ ट्रक में रकम और लैपटॉप लेकर श्रीनगर चला गया। श्रीनगर में ये दोनों ट्रक में रकम और लैपटॉप के साथ पकड़े गए थे।
अफजल  ने १९९० में पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली  -कश्मीर के  सोपोर, बारामूला से स्कू  की  पढ़ाई पूरी करने के बाद आतंकवाद में शामिल हुआ अफजल १९९० में जेकेएलएफ में शामिल  हो गया। इसके बाद वह पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद गया। वहां  आईएसआई के कैंप में अफजल ने ढाई महीने की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद अफजल कश्मीर वापस गया। लेकिन घाटी में सुरक्षा बलों के दबाव के चलते अफजल दिल्ली के मुखर्जी नगर में अपने रिश्तेदार शौकत हुसैन के यहां गया। उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार से बीए की पढ़ाई शुरू कर दी। १९९३ में बीए  पास करके अफजल श्रीनगर चला गया। वहां उसने सर्जिकल उपकरण के कमीशन एजेंट का काम शुरू कर दिया।
गाजी बाबा उर्फ डॉक्टर से मिला- फरवरी २००१ में श्रीनगर में मिले तारिक ने अफजल को पहलगांव में जैश--मुहम्मद के घाटी में सुप्रीम कमांडर पाकिस्तानी गाजी बाबा उर्फ डाक्टर से मिलवाया। गाजी बाबा ने अफजल को बताया कि आईएसआई ने जैश के मुखिया मसूद अजहर और लश्कर के सरगना जकी उर रहमान पर दिल्ली में फिदायीन हमला करने का दबाव डाला है। गाजी बाबा के कहने पर अफजल दिल्ली में एक सुरक्षित ठिकाना बनाने के लिए गया। अफजल ने अपने रिश्तेदार शौकत और उसके दोस्त एसएआर गिलानी को भी हमले की साजिश के लिए तैयार कर लिया। अक्टूबर २००१ में गाजी बाबा ने उसे पाकिस्तानी आतंकवादी मुहम्मद से मिलवाया और बताया कि मुहम्मद हमला करने वाले फिदायीन दस्ते का सरगना है। अफजल मुहम्मद को दिल्ली ले आया और मुखर्जी नगर की क्रिश्चयन कॉलोनी में एक मकान में उसे ठहरा दिया। इसके एक हफ्ते बाद अफजल फिर श्रीनगर गया। इस दौरान शौकत ने गांधी विहार में एक अन्य मकान का इंतजाम कर लिया। अफजल नंवबर में पाकिस्तानी आतंकवादी राजा और हैदर को लेकर दिल्ली आया। इसके एक हफ्ते बाद अफजल फिर श्रीनगर गया। इस बार उससे पाकिस्तानी आतंकवादी राणा और हमजा मिले। दिसंबर २००१ के पहले सप्ताह में इन दोनों के  साथ दिल्ली आया। इस बार ये आतंकवादी अपने साथ बिस्तरबंद में छिपा कर एके रायफल, तीन पिस्तौल, १२ मैगजीन, एक ग्रेनेड लांचर१५ ग्रेनेड, दो डिब्बे डेटोनेटर, रेडियो एक्टिवेटिड डिवाइस, और दो वायरलेस सेट भी लेकर आए थे। संसद की रेकी करने जाने के लिए अफजल  ने करोलबाग से बीस हजार रुपए में काले रंग की एक यामहा मोटर साइकिल खरीदी। इसके अलावा मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पालिका बाजार से कार्गो पैंट, टी शर्ट, जैकेट और सिविल लाईन की तिब्बती मार्केट से जोड़ी जूते खरीदे।
किंगस्वे कैंप से पुलिस की तीन वर्दी भी खरीदी। इसके अलावा आईईडी बम बनाने के लिए खारी बावली, तिलक बाजार से ३० किलो अमोनियम नाइट्रेट, - किलो सल्फर और एल्यूमिनियम पाउडर खरीदा। इसके बाद संसद का जाली कार स्टीकर और परिचय पत्र तैयार किए गए। ११ दिसंबर को करोलबाग में एक कार डीलर से सफेद रंग की एंबेसेडर कार खरीदी गई। कार के शीशों पर फिल्म और लाल बत्ती लगवाई। १३ दिंसबर को सभी आतंकवादी गांधी विहार के मकान में जमा हुए। संसद पर हमले के लिए रवाना होने से फिदायीन दस्ते के सरगना मुहम्मद ने अफजल को दस लाख रुपए और लैपटॉप दिया। लैपटॉप उसने गाजी बाबा को देने को हा था।
 मोबाइल फोन से पकड़े गए साजिशकर्ता- संसद पर हमले के दौरान मारे गए पांचों आतंकवादियों के पास से मिले मोबाइल फोनों से ही पुलिस हमले के साजिशकर्ताओं तक पहुंची थी। मोबाइल फोन के रिकार्ड की तफ्तीश के  आधार पर पुलिस ने १५ दिंसबर २००१ को सबसे पहले जाकिर हुसैन कालेज के लेक्चरर एसएआर गिलानी को पकड़ा। इसके बाद शौकत के घर पुलिस पहुंची। वहां से शौकत की पत्नी आफ्शां गुरु उर्फ नवजोत संधू को गिरफ्तार किया। नवजोत से पुलिस को पता चला कि १३ दिसंबर को हमले के बाद शौकत और अफजल ट्रक में श्रीनगर चले गए हैं। उसने यह भी बताया कि वे लोग इस समय श्रीनगर की फल मंडी में हो सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने खुफिया एजेंसियों के जरिए ये सूचना श्रीनगर पुलिस को दी। श्रीनगर पुलिस ने ट्रक खोज लिया और अफजल, शौकत, दो ट्रक चालक और एक हेल्पर को पकड़ा गया। उनके पास से दस लाख रुपए और लैपटॉप बरामद हुआ। इसी दौरान विशेष विमान से दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम श्रीनगर पहुंच गई और अफजल और शौकत को विशेष विमान से दिल्ली ले आई।