Wednesday 19 October 2022

जम्मू कश्मीर में सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले में बीएसएफ कमांडेंट गिरफ्तार: CBI


सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले में बीएसएफ  कमांडेंट गिरफ्तार 

इंद्र वशिष्ठ

सीबीआई ने जम्मू एवं कश्मीर में पुलिस उप निरीक्षक भर्ती घोटाला मामले में सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट (चिकित्सा) डॉक्टर करनैल सिंह को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई ने जम्मू एवं कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) द्वारा  27.03.2022 को आयोजित जम्मू-कश्मीर पुलिस में उप-निरीक्षकों के पदों की लिखित परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप पर जम्मू एवं कश्मीर सरकार के निवेदन पर तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी, बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय, पलौरा; तत्कालीन सदस्य, जेकेएसएसबी; तत्कालीन अवर सचिव, तत्कालीन अनुभाग अधिकारी (दोनों जेकेएसएसबी); सीआरपीएफ के पूर्व कर्मी; जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के एएसआई; कोचिंग सेंटर, अखनूर के मालिक; बेंगलुरु स्थित निजी कंपनी, निजी व्यक्तियों तथा अन्य अज्ञातों के विरुद्ध 03.08.2022 मामला दर्ज किया था।

इस परीक्षा के परिणाम  04.06.2022 को घोषित किए गए थे। परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने उक्त गड़बड़ी के लिए एक जांच समिति का गठन किया। यह आरोप है कि आरोपियों ने जेकेएसएसबी के कर्मियों, बेंगलुरु स्थित निजी कंपनी, लाभार्थी अभ्यर्थियों एवं अन्यों के साथ आपस में षड्यंत्र किया तथा उप-निरीक्षक पदों की लिखित परीक्षा के आयोजन में में घोर अनियमितताएं कीं। आगे यह आरोप है कि जम्मू, राजौरी और सांबा जिलों के चयनित उम्मीदवारों का प्रतिशत असामान्य रूप से उच्च था। 
20-30 लाख में पेपर लीक- 
प्रश्न पत्र को  सेट करने का कार्य बेंगलुरु स्थित निजी कंपनी को सौपने में कथित रूप से जेकेएसएसबी द्वारा नियमों का कथित उल्लंघन पाया गया। जाँच से पता चला कि परीक्षा प्रारम्भ होने से पहले प्रश्न पत्र प्राप्त करने हेतु इच्छुक उम्मीदवारों एवं उनके परिवारों द्वारा आरोपियों को 20 से 30 लाख रुपए (लगभग) का कथित भुगतान किया गया।
सीबीआई ने पूर्व में इस मामले की जारी जांच में  जम्मू, श्रीनगर, बेंगलुरु सहित लगभग 30 स्थानों पर 05.08.2022 एवं  जम्मू एवं कश्मीर के जम्मू, श्रीनगर; हरियाणा के करनाल, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी; गुजरात के गांधीधाम; दिल्ली; उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद एवं कर्नाटक के बंगलौर में स्थित जे के एस एस बी के पूर्व चेयरमैन, जे के एस एस बी के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक; हरियाणा निवासी गिरोह के सदस्यों; कुछ शिक्षकों; पुलिस उपाधीक्षक सहित जम्मू एवं कश्मीर पुलिस एवं सी आर पी एफ के कुछ सेवारत/सेवानृवित्त कर्मियों के परिसरों सहित लगभग 36 स्थानों पर 13.09.2022 को तलाशी ली। तलाशी के दौरान बरामद आपत्तीजनक दस्तावेज़ एवं डिजिटल प्रमाण की जाँच की गई।
साजिश-
जांच के दौरान यह पाया गया कि उक्त आरोपी ने मध्यस्थ व्यक्ति के साथ मिलकर षड़यंत्र किया और मध्यस्थ व्यक्ति के माध्यम से  अपने पुत्र के लिए लीक प्रश्न पत्र  की व्यवस्था की। कथित रुप से प्रश्न को गंगयाल, जम्मू में 27.03.2022 को सुबह घर पर उपलब्ध कराया गया। यह पता चला कि कुछ उम्मीदवारों ने उक्त आरोपी के घर से परीक्षा पूर्व ही प्रश्न पत्र लीक कर दिया। आगे यह आरोप है कि आरोपी ने सबूत को मिटाने के लिए जानबूझकर अधिकारिक वाहन के लॉग बुक से छेड़छाड़/हेरफेर की और पूरी जॉच प्रक्रिया के दौरान बचाव का प्रयास करता रहा।
 8 गिरफ्तार -
सीबीआई ने जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के सिपाही, सी आर पी एफ के कर्मी, जम्मू एवं कश्मीर सरकार के शिक्षक के शिक्षक आदि सहित 08 अन्य आरोपियों को पूर्व में गिरफ्तार किया।


आतंकियों-बदमाशों-तस्करों के गठजोड़ पर NIA का प्रहार, वकील और शराब माफिया गिरफ्तार। पिस्तौलें बरामद


आतंकियों-बदमाशों-तस्करों के गठजोड़ पर एनआईए का प्रहार


इंद्र वशिष्ठ
भारत और विदेशों में स्थित आतंकवादियों, बदमाशों और ड्रग / हथियार तस्करों के  गठजोड़ को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का अभियान जारी है।

एनआईए ने इस अभियान के दौरान अपराधियों से गठजोड़ करने वाले एक वकील और एक शराब माफिया को गिरफ्तार किया। वकील के यहां से पिस्तौले और कारतूस आदि बरामद हुए है।

एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर पूर्वी  दिल्ली में उस्मान पुर के गौतम विहार निवासी वकील आसिफ खान को 18 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। 
आसिफ खान के परिसर की तलाशी में चार पिस्तौल आदि हथियार बरामद हुए है। पिस्तौल गुप्त स्थान पर छिपाई गई थी।
एनआईए के अनुसार वकील आसिफ खान जेल में बंद और बाहर मौजूद दिल्ली और हरियाणा के अपराधियों के संपर्क में था।
वकील आसिफ अपराधियों की गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में सक्रिय रूप से शामिल था।
शराब माफिया-
एनआईए ने अवैध शराब माफिया राजेश उर्फ राजू मोटा निवासी बसोडी, सोनीपत हरियाणा को भी गिरफ्तार किया है। सोनीपत और आसपास के इलाके में सक्रिय शराब माफिया राजेश कुख्यात बदमाश संदीप उर्फ काला जठेड़ी का साथी है। अपराध से कमाई मोटी रकम अवैध शराब के धंधे में लगाई गई है।
नेस्तनाबूद करने का अभियान-
एनआईए का मकसद भारत और विदेशों में स्थित आतंकवादियों, बदमाशों और ड्रग / हथियार तस्करों के  गठजोड़ को खत्म करना है। 
आतंकवादियों-अपराधियों-ड्रग/ हथियार तस्करों के नापाक गठजोड़ को नेस्तनाबूद करने के लिए एनआईए ने इस साल अगस्त में दो मामले दर्ज कर सितंबर में छापेमारी शुरू की थी। 
इसी अभियान के तहत एनआईए ने 18 अक्टूबर को दूसरी बार पांच राज्यों में बदमाशों के 52 ठिकानों पर छापेमारी की। 
 इस अभियान के तहत कुख्यात बदमाशों, उनके आपराधिक/ बिजनेस सहयोगियों, शराब माफिया और हथियार सप्लायर के ठिकानों पर यह छापेमारी की गई।

दिल्ली-  बवाना में नवीन उर्फ बाली, ताजपुर में अमित उर्फ दबंग के अलावा नॉर्थ ईस्ट में संदीप उर्फ बंदर और सलीम उर्फ पिस्तौल के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
उत्तर प्रदेश- नोएडा,  खुर्जा बुलंद शहर में कुरबान और रियाज के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
हरियाणा- बदमाश नरेश सेठी के झज्जर, सुरेंद्र उर्फ चीकू के नारनौल, अमित डागर के 
गुरुग्राम के ठिकानों के अलावा बदमाशों के मानेसर, रेवाड़ी, महेन्द्र गढ, रोहतक, सोनीपत, झज्जर, यमुनानगर जिलों में छापेमारी की गई।
राजस्थान- बदमाश संपत नेहरा के चुरु, भरतपुर ,अलवर के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
पंजाब- अबोहर, बठिंडा, मुक्तसर साहब, मोगा, लुधियाना, चंडीगढ़, मोहाली में छापेमारी की गई।
पंजाब के बठिंडा में वकील गुरप्रीत सिंह सिद्धू, कबड्डी प्रमोटर जग्गा जंडियन और जमान सिंह के आवासों पर छापेमारी की गई।

बरामदगी-
इन छापों में हथियार, डिजिटल डिवाइस, नकदी, सोना, अपराध के पैसे से बनाई बेनामी संपत्ति के कागजात के अलावा धमकी वाले पत्र आदि बरामद हुए हैं।
सोशल मीडिया पर प्रचार-
जेल में बंद कुख्यात बदमाश अपने गिरोहों के माध्यम से जेल से हत्या और जबरन वसूली का धंधा चलाते हैं। यह गिरोह टारगेट किलिंग, हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी से धन कमाते हैं। व्यापारियों, डॉक्टरों आदि प्रोफेशनल्स से भी जबरन वसूली करते हैं।
लोगों में अपना आतंक कायम करने के लिए ये गिरोह अपने अपराधों का सोशल मीडिया पर प्रचार करते हैं।

आतंकियों और बदमाशों के गठजोड़ वाले गिरोह के कई बदमाश कनाडा, आस्ट्रेलिया, मलेशिया और पाकिस्तान में बैठ कर भारत में आतंकी और आपराधिक गतिविधियों में शामिल है।
यूएपीए लगाया -
एनआईए ने अगस्त में नीरज बवाना, लॉरेंस बिश्नोई समेत अनेक कुख्यात गिरोहों के सरगनाओं  पर मामले दर्ज कर जांच शुरू की थी। इन पर गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून (यूएपीए) की धारा भी लगाई गई थी।
एनआईए ने 12 सितंबर को कनाडा में मौजूद बदमाश गोल्डी बरार के भारत स्थित ठिकानों, लारेंस विश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया, वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा, संदीप उर्फ काला जठेड़ी, विक्रम बरार, गौरव पटियाल उर्फ लक्की ( गौरव पहले आर्मेनिया में पकड़ा गया था), नीरज बवाना, कौशल चौधरी, टिल्लू ताजपुरिया, अमित डागर, दीपक कुमार उर्फ टीनू, संदीप उर्फ बंदर, उमेश उर्फ काला, इरफान उर्फ चीनू पहलवान, आसिम उर्फ हाशिम बाबा, सचिन भांजा और इनके साथियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
एनआईए ने तब पांच राज्यों में इन बदमाशों के पचास से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। 
नीरज बवाना के घर से  मिले अवैध हथियार के मामले में उसके पिता को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
आईएसआई  और खालिस्तानियों से संबंध-
पुलिस को  जांच के दौरान खासतौर पर पंजाब के बदमाशों का आईएसआई और खालिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध की बात सामने आई थी इसके बाद एनआईए ने यह अभियान शुरू किया है। 


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।






Monday 17 October 2022

रेड कार्नर नोटिस अरेस्ट वारंट नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ इंटरपोल की कोई भूमिका नहीं।






आतंकवाद के खिलाफ इंटरपोल की भूमिका नहीं-
रेड कार्नर नोटिस का मतलब अरेस्ट वारंट नहीं है।


इंद्र वशिष्ठ

विदेश में बैठे किसी अपराधी या आतंकवादी के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं।
जिससे यह लगता है कि रेड नोटिस जारी हो गया, तो अब वह अपराधी निश्चित तौर पर गिरफ्तार हो ही जाएगा। लेकिन यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। इंटरपोल किसी देश को उस अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। 
इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने इस भ्रम/धारणा को दूर कर दिया है।
इंटरपोल अपने सदस्य देशों को इन अपराध के खतरों से निपटने में मदद करने के साथ-साथ उनके पीछे के अपराधियों का पता लगाने और गिरफ्तार करने के लिए विशिष्ट रूप से तैनात है, विशेष रूप से रेड नोटिस के माध्यम से।
 इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा कि
 रेड नोटिस क्या है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह क्या नहीं है, इस पर कुछ भ्रम है।
इंटरपोल महासचिव ने बताया कि रेड नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है, और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है जिसके खिलाफ रेड नोटिस  है। 
किसी मामले की योग्यता या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय का न्याय/जज करना इंटरपोल के लिए नहीं है - यह एक संप्रभु मामला है। 

इंटरपोल की तटस्थता और स्वतंत्रता आवश्यक-
इंटरपोल की भूमिका यह आकलन करना है कि रेड नोटिस का अनुरोध हमारे संविधान और नियमों के अनुरूप है या नहीं। इसका मतलब यह है कि हम एक अनुरोध स्वीकार नहीं कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, यह राजनीतिक, सैन्य, धार्मिक या नस्लीय चरित्र का है, या डेटा के प्रसंस्करण पर हमारे नियमों के अनुसार नहीं है। जबकि हम समझते हैं कि रेड नोटिस प्रकाशित नहीं करने के निर्णय का सदस्य देश द्वारा स्वागत नहीं किया जा सकता है, रेड नोटिस की शक्ति का हिस्सा हमारी सदस्यता के भरोसे है कि हम हर देश से किसी भी अनुरोध का आकलन करते समय समान नियम लागू करते हैं। इंटरपोल की तटस्थता और स्वतंत्रता आवश्यक है। 
आतंकवाद के खिलाफ इंटरपोल की भूमिका नहीं-
इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन कोई भूमिका नहीं निभाता है। इसका ध्यान साइबर अपराधियों, मादक पदार्थ के सौदागरों और बाल शोषण करने वालों पर अंकुश लगाने पर रहता है।
अपराध पर ध्यान केंद्रित-
इंटरपोल के महासचिव ने कहा कि हम मुख्य रूप से हमारे संविधान के अनुसार सामान्य कानून अपराध पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, अरबों पैसा कमाने की चाहत रखने वाले मादक पदार्थ सौदागरों और साइबर अपराधियों के खिलाफ काम कर रहे हैं तथा इस पर इंटरपोल का मुख्य ध्यान है। दुनिया भर में ज्यादातर यही अपराध होते हैं, इसलिए इंटरपोल मौजूद है।

रूस और यूक्रेन- 
 महासचिव ने कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों के प्रतिनिधि भी महासभा में शामिल होने के लिए आ चुके हैं।
इंटरपोल की 90 वीं महासभा के बारे में  आज
आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को  इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर प्रवीण सिन्हा ने संबोधित किया।
प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे-
इंटरपोल की 90 वीं महासभा को मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। 
 राजधानी दिल्ली में स्थित प्रगति मैदान में इंटरपोल की 90वीं महासभा 18 से 21 अक्टूबर तक होगी। 
महासभा में इंटरपोल के 195 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे है।
इन प्रतिनिधियों में सदस्य देशों के मंत्री, पुलिस प्रमुख, केंद्रीय ब्यूरो के प्रमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं।
90 वीं महासभा
इंटरपोल की वर्ष में एक बार जनरल असेंबली/  महासभा/ बैठक होती है। इस बैठक में इंटरपोल के कामकाज की समीक्षा की जाती है और महत्वपूर्ण फैसले भी लिए जाते हैं। महासभा में वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। 
दूसरी बार मेजबानी-
सीबीआई 25 साल  बाद दूसरी बार इंटरपोल महासभा की मेजबानी कर रही है। इसके पहले साल 1997 में भारत में इंटरपोल महासभा हुई थी।
यह आयोजन भारत की कानून और व्यवस्था के तंत्र से दुनिया को अवगत कराने का एक अवसर है।
प्रधानमंत्री मोदी महासभा का उद्घाटन करेंगे जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 21 अक्टूबर को समापन समारोह को संबोधित करेंगे।
इंटरपोल का उद्देश्य-
इंटरपोल महसभा का मकसद होता है कि आने वाले सालों में आपराधिक चुनौतियों का सभी देश कैसे सामना करेंगे, कैसे आपसी समन्यवय के साथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जाएगी।
इतना ही नहीं सभी देश एक-दूसरे से अपने-अपने देश की पुलिसिया कार्यशैली को भी शेयर करते हैं, ताकि सभी को एक दूसरे से कुछ  सीखने को मिले और कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
इंटरपोल  महासभा बेहद अहम-
देश और दुनिया में चल रहे आपराधिक गठजोड़ को देखते हुए दिल्ली में होने वाली इंटरपोल ये महासभा बेहद अहम मानी जा रही है। इस महासभा के जरिए दुनिया की तमाम एजेंसिया अपने अपने देशों में सक्रिय उन इंटरनेशनल गैंग पर नकेल लगाने की रणनीति बनायेंगे, जो विदेशों में बैठकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।
इंटरपोल की इस बैठक में नार्को-टेररिज़्म, ड्रग सिंडिकेट, साइबर क्राइम, कुख्यात गैंगस्टर्स के ठिकानों और फ्रॉड से जुड़े अपराधियो और अपराध के पैटर्न पर न सिर्फ चर्चा होगी बल्कि एक दूसरे से इनपुट शेयर करने पर सहमति भी बनाने की कोशिश की जाएगी।
इंटरपोल का इतिहास-
इंटरपोल एक तरह से अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है, जिसमें भारत समेत 195 सदस्य देश हैं। इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लयोन में स्थित है।
मोनाको में आयोजित पहली इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कांग्रेस (14 से 18 अप्रैल  1914) में इंटरपोल का विचार  पैदा हुआ था। 
उस समय 24 देशों के अधिकारियों ने अपराध को सुलझाने ,तरीकों/तकनीकों की पहचान और प्रत्यर्पण के लिए आपसी सहयोग पर चर्चा की।
इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग के तौर पर 1923 में हुई थी और इसने 1956 में अपने आप को इंटरपोल कहना शुरू कर दिया। साल 1949 में भारत इसका सदस्य बना था।
 सीबीआई अधीकृत -
दरअसल, सभी देश  इस प्लेटफार्म पर आकर अपने-अपने देश में मौजूद अपराधियों और अपराध  की जानकारियां एक दूसरे से साझा करते हैं।
 भारत में सीबीआई  इंटरपोल  से संपर्क में रहने के लिए अधिकृत है यानी सीबीआई इंटरपोल  और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी है।