Monday 19 June 2017

जेटली, टाइम्स आफ इंडिया का दलाल संपादक बेनकाब। मोदी,मीडिया ,सारे नेता खामोश।


जेटली, टाइम्स आफ इंडिया का दलाल संपादक बेनकाब। मोदी,मीडिया ,सारे नेता खामोश।
इंद्र वशिष्ठ
प्रधानमंत्री जी क्या आपका 56 इंच की छाती ठोक कर यह  कहना "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा " 'भ्रष्टाचार"​ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा भी जुमला बन कर रह गया है । आप की​ नाक के नीचे आपके खासमखास अरुण जेटली और मीडिया मठाधीश अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का धंधा करते हैं और आपको भनक तक नहीं लगी।आपके सुपर काप जासूस एनएसए अजीत डोभाल को भी क्या सांप सूंघ गया था कि वह यह सब नहीं सूंघ पाए। कहां जाता है कि राजा वहीं कामयाब होता है जिसका खुफिया तंत्र मजबूत होता है। अगर ऐसा है तो यह ख़तरे की घंटी है लेकिन अब तो आपकी जानकारी में यह मामला आ चुका हैं फिर भी अभी तक आपके द्वारा चहेते जेटली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना आपकी भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है। जिससे आपमें और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं लगता हैं। राजनीतिक बयान बाजी पर केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का  केस करने वाले जेटली ने इस मामले के सार्वजनिक होने पर ना तो कोई बयान दिया और ना ही मामला उजागर करने वालों पर मानहानि का केस किया है। भाजपा के पाले मीडिया मठाधीश रजत शर्मा द्वारा सर्टिफाइड ईमानदार जेटली की चुप्पी से स्पष्ट​ हैं  कि ख़बर सही है।
 टाइम्स आफ इंडिया के संपादक  की इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के एक अफसर की लंदन में पोस्टिंग के लिए अरुण जेटली से सांठगांठ का सनसनीखेज खुलासा pgurus.com  ने किया है। संपादक का नाम है टाइम्स आफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव एडिटर दिवाकर अस्थाना और  इकोनोमिक टाइम्स के पूर्व संपादक  पी आर रमेश। कहावत है कि पाप का घड़ा एक दिन जरूर फूटता है। इस पूरे मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली, उसके  प्राइवेट सैकेटरी सीमांचल दाश और दलाल संपादक के गठजोड़ का खुलासा भी कुछ अच्छे पत्रकारों के कारण हो पाया है। 2004 बैच  का आईआरएस अफसर अनुपम सुमन प्राइवेट फंड से स्टडी लीव पर लंदन में है। अनुपम लंदन में  ट्रैक ब्लैक मनी आपरेशन के लिए बने पद पर तैनात होना चाहता है  उसकी चाहत को पूरा करने का ठेका इस दलाल संपादक ने लिया। अनुपम की पोस्टिंग के लिए इन दलालों,  अरुण जेटली और उसके पीएस दाश के बीच क्या क्या बात हुई और जेटली ने क्या आश्वासन दिया । यह सब बताने के लिए दिवाकर ने 31मई को चार बजे अनुपम को व्हाट्सऐप पर मैसेज  भेजा। लेकिन मैसेज भेजने के बाद किसी ने दिवाकर को बताया कि उसकी काली करतूत का वह मैसेज गलती से  टाइम्स के पत्रकारों के ग्रुप पर पहुंच गया है। टाइम्स के ही किसी पत्रकार ने संपादकों और जेटली की सांठगांठ के इस मैसेज को pgurus.com को पहुंचा दिया जिसने 8 जून को इस नापाक गठजोड़ को उजागर कर इन सबको नंगा कर दिया। कांग्रेस के समय नीरा राडिया टेप मामला सामने आने पर हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक वीर सिंघवी और एनडीटीवी की बरखा दत्त की करतूत उजागर हुई थी। उनका भी आज तक कुछ नहीं बिगड़ा है।इन दोनों दलालों दिवाकर और रमेश का भी अभी तक कुछ नहीं बिगड़ा है। टाइम्स आफ इंडिया ने भी इस दलाल को नहीं निकाला है। टाइम्स आफ इंडिया के  मालिक समीर जैन और विनीत जैन भी अपने फायदे के लिए  दलाल दिवाकर को इतने सालों से पाले हुए हैं। दिवाकर  की करतूत से उजागर हो गया कि मीडिया का वाच डॉग तो क्या वाच मैैन बनने लायक भी उसका चरित्र नहीं है। दिवाकर भी उन मीडिया मठाधीश  में शुमार है जो अपने फायदे के लिए नेताओं के  पोतडे धोते हैं और इतराते घूमते हैं।

मीडिया की आज़ादी की दुहाई देकर मोदी को कोसने वाले अरुण शौरी, कुलदीप नैयर,एचके दुआ , बाबू मोशाय प्रणय रॉय, और आजतक के मालिक अरूण पुरी की भी इस मामले में बोलती बंद हो गई है। क्या इस मामले  में एनडीटीवी की वह पत्रकारिय प्रतिभा किसी को दिखाई  दी जिसका वह झूठा  ढिंढोरा​ पीटता है।किसी चैनल और अखबार ने इस मामले में छोटी सी खबर भी नहीं दी। इस मीडिया मठाधीश के खिलाफ एडिटर गिल्ड ने प्रेस क्लब के साथ मिलकर अब क्यों नहीं आवाज उठाई। ये सिर्फ मीडिया महाराक्षसो के समर्थन में ही आवाज उठाते हैं।इससे मेरी बात एक बार फिर साबित हो गई कि मीडिया मठाधीश चोर चोर मौसेरे भाई हैं।कांग्रेस तो क्या कम्युनिस्ट पार्टी और  भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे केजरीवाल जैसे भोंपू भी चुप है। जेटली के नंबर वन दुश्मन  सुब्रमण्यम स्वामी ,राम जेठमलानी और कीर्ति आजाद  की जुबान को भी लकवा मार गया लगता है। भ्रष्ट लालू के समर्थक बिहारी भांड शाट गन शत्रुघ्न​ के कारतूस भी  बुझ गए हैं। देश द्रोह के नारे लगाने वालोें को पटक  कर मारने का बयान देने वाले बयान बहादुर आर के सिंह की औकात नहीं है कि  देश को दीमक की तरह चाट रहे इन असली देश द्रोहियों के खिलाफ बयान भी हलक से निकाले। भाजपा का धुर विरोधी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा जमूरा लालू भी चुप है। इस मामले में अगर बिहारी बाबू दिवाकर शामिल नहीं होता तो ये सारे बिहारी बाबू भी जेटली के खिलाफ बयान बहादुर बन जाते। इससे स्पष्ट है कि मीडिया मठाधीश और भ्रष्ट नेता एक ही गैंग के है। दिल्ली पुलिस में मौजूद प्रभाकर भी अपने इस मठाधीश भाई और भ्रष्ट आईपीएस अफसरों के दम पर ही मलाईदार पद पर रहा है।इस समय भी एफआरआरओ के अहम पद पर तैनात हैं। ईमानदारी का ढोंग करने वाले  प्रभाकर के  किस्से भी  जगजाहिर है।

जागो लोगों जागो अब तो समझ जाइए कि मीडिया​ को इसलिए आम आदमी की समस्या से कोई मतलब नहीं है। असली देशद्रोही ये भ्रष्ट नेता , मीडिया के राक्षस और भ्रष्ट नौकरशाह हैं। छोटे-छोटे मामलों में खुद संज्ञान लेने वाला सुप्रीम कोर्ट इस मामले में संज्ञान ले तो पता चलेगा कि देश में न्याय व्यवस्था जिंदा।

इंद्र वशिष्ठ 
पूर्व क्राइम रिपोर्टर सांध्य टाइम्स टाइम्स ग्रुप
पूर्व विशेष संवाददाता दैनिक भास्कर



Thursday 15 June 2017

ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर , नेताओं के पोतडे धोने वाले पत्रकारों से देश को खतरा।




ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर , नेताओं के पोतडे धोने वाले पत्रकारों से देश को खतरा।

इंद्र वशिष्ठ
NDTV--सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, फुल आपरेशन हो।----- 
प्रधानमंत्री जी अगर आपकी नीयत सही है तो जिन मीडिया मठाधीशों पर CBI, ED, Police में केस दर्ज है उनके मामलों की जांच को 6 महीनों के अंदर पूरी कराएं और कोर्ट में जांच एजेंसी की ओर से मामला न लटके यह सुनिश्चित करें। ऐसा होने पर ही मीडिया की गंदी मच्छलियों को जल्द सबक मिलेगा।
 अगर आप ऐसा नहीं करते तो स्पष्ट हो जाएगा कि आप में और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है। और मामले को जान बूझ कर लटका कर रखने का मकसद मीडिया को डरा कर अपना भोंपू बनाना है। मीडिया के महाराक्षसो का सफाया करने के लिए बड़े आपरेशन की सख्त जरूरत है। वरना NDTV पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक भी सिर्फ मीडिया को डराने वाली और अपने को दबंग दिखाने का मोदी का पुलिसिया तरीका माना जाएगा। किसी समय गंगा के समान पवित्र माने जाने वाले पत्रकारिता का पेशा अब गंगा से भी ज्यादा मैला हो गया है। पत्रकारिता की पवित्रता को बहाल करने के लिए बड़े स्तर पर सफाई अभियान की शुरूआत की जरूरत है। मीडिया महाराक्षसों, कांग्रेस ,भाजपा, अंबानी का नापाक गठजोड़ इसके लिए बराबर जिम्मेदार हैं।

कलम के सिपाही की तलाश----
कृपया कोई यह बता दें कि NDTV के प्रणय रॉय पर CBI द्वारा दर्ज धोखाधड़ी यानी 420 के मामले को मीडिया पर हमला मान कर कथित नेशनल मीडिया के अंग्रेजी, हिंदी के कितने संपादकों ने अपनी कलम की पैनी धार से मोदी की निंदा, आलोचना में संपादकीय, लेख लिखा है। 
हर मामले में मदारी की तरह चीख चीख कर बहस कराने वाले कितने चैनल ने इस मामले में मोदी की आलोचना के लिए बहस कराई थी। मैं ऐसे कलम के सिपाही संपादकों के लेख पढ़ना चाहता हूं।
 फेसबुक पर मीडिया पर हमला प्रचारित करने वाले नव भारत टाइम्स के पूर्व पत्रकार शकील अख़्तर से मैंने यह जानकारी मांगी तो उनकी बोलती बंद हो गई और सवाल को ही वाहियात बता दिया। हद तो यह हो गई कि उनके कांग्रेसी छुट भईया नेता भी फेसबुक पर बकवास करने लगे । तब मैंने शकील और कांग्रेस के पोतडे धोने वालों को उनकी औकात वाला आईना दिखाया जिसे देखते ही शकील ने फेसबुक पर मुझे ब्लाक कर दिया। किसी को पुष्टि करनी हो तो शकील से कहें फेसबुक पर हुआ पूरा वार्तालाप दिखाएं। 
शकील की इस हरकत ने उसके संस्कार और उसकी कांग्रेस भक्ति मय पत्रकारिता की पोल खोल दी। शकील से मैंने यह भी पूछा कि मीडिया पर हमला है तो सभी मठाधीश संपादक प्रेस क्लब में क्यों नहीं पंहुचे थे।
 सचाई यह है कि आपराधिक मामले को प्रेस की आजादी पर हमले का मामला बनाने की बाबू मोशाय और उनकी मंडली द्वारा ही कोशिश की जा रही है । 
वैसे आजकल मीडिया के सभी मठाधीश मालिक संपादक तो मोदी के सामने दंडवत हैं। अरे मोदी के खिलाफ लिखने का दम नहीं है तो उन उद्योपतियों के खिलाफ ही लिखों जो बैंकों का लाखों करोड़ डकार गए। ऐसे उद्योपतियों को पूरी जिंदगी कांग्रेस ने पाला और अब मोदी ने गोद ले लिया। लेकिन मीडिया मठाधीश उनके खिलाफ भी नहीं लिखेंगे। मी
मालिक भी तो उद्योगपति हैं। मीडिया के मठाधीश संपादक भी कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस​ तो कोई अंबानी का पाला हुआ है। अब मीडिया का आलम यह है कि आम आदमी की समस्याओं​ से उसे कोई मतलब नहीं। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा का राग दरबारी गाते हुए बेशर्मी और अकड़ के साथ संपादक होने पर इतराते घूमते हैं। पत्रकारिता धर्म का रत्ती भर भी पालन नहीं करते। यह स्थिति देश के लिए सबसे ख़तरनाक है। मीडिया का पतन देश के लिए सबसे ज्यादा नुकसान दायक है।

---NDTV तो एक मौका है किसी समय गंगा की तरह पवित्र माने जाने वाले पत्रकारिता के पेशे की पवित्रता को वापस बहाल होना चाहिए। छोटे से भी अपराध में आरोपी का पोस्ट मार्टम करने में मीडिया अपनी पूरी प्रतिभा झोंक देता है। कोर्ट में बाद में वह चाहे बरी हो जाए लेकिन मीडिया की दी सज़ा वह पूरी जिंदगी भुगतता है।
 दूसरी ओर मीडिया के किसी मठाधीश पर आपराधिक मामले में जांच होने के पहले ही उसे क्लीन चिट ही नहीं दे देते बल्कि उसे मीडिया की आज़ादी पर हमला स्वयं भू मठाधीश घोषित कर देते है। क्या यह मीडिया का दोगलापन नहीं है। मीडिया के बीच मौजूद महाराक्षसो को मीडिया वाले बाहर नहीं करेंगे तो क्या कोई पाकिस्तानी​ आकर करेगा।
 मीडिया के महाराक्षस और भ्रष्ट नेताओं​ का गठजोड़ राजनीति और मीडिया का ही नहीं देश का भट्ठा बिठाते रहेंगे। नेता या पुलिस के भ्रष्ट होने की तुलना में जज और मीडिया का पतन देश के लिए सबसे ज्यादा ख़तरनाक है। ईमानदार पत्रकारों की तकलीफ़ ये मठाधीश क्या जाने।

 छाछ बोले तो बोले छलनी भी बोले जिसमे सत्तर छेद---
मोदी का भूत कांग्रेस माता भक्तों में ही नहीं भाजपा के कट्टर भाजपा भक्तों में भी किस कदर समाया हुआ है इसकी बानगी पेश है। पंजाब केसरी के बुजुर्ग पत्रकार मनमोहन शर्मा ने मुझे मोदी भक्त कह दिया। शर्मा जी को दिया जवाब आपसे साझा कर रहा हूं । जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। शर्मा जी क्षमा सहित पूछना चाहता हूं आपके पंजाब केसरी के खिलाफ केशव पुरम थाने में जमीन कब्जा करने का जो केस दर्ज हुआ। उसके बारे में कभी भूल कर भी आपने पत्रकारिय प्रतिभा दिखाई क्या। 

दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए। ब्राह्मण और पत्रकार दोनों का धर्म समाज को सच और सही राह दिखाना है। आपने ब्राह्मण​ और पत्रकार दोनों के ही धर्म का पालन नहीं किया । इसलिए आपको यह भी नज़र नहीं आया कि मैं आशंका जता रहा हूं कि कहीं यह सब मीडिया को डरा कर भोंपू बनाने की नीयत तो नहीं।आपका तो मालिक ही भाजपा की गोद में बैठ कर सांसद बना हैं। आप ईमानदार हैं तो मोदी से कह कर कब्जा करने वाले अश्विनी को गिरफ्तार कराए और कब्जा हटवा के दिखाए। 

आपका मालिक भक्ति से भाजपा सांसद बन गया है और भक्त मुझे बता रहे हैं। आपकी समझ पर तरस आता है। जिंदगी में आपने भी अपने मालिक की तरह भक्ति भरी पत्रकारिता की होगी। मै तो ब्राह्मण और पत्रकार दोनों के धर्म 27साल से लट्ठ गाड के निभा रहा हूं। मेरी खबरें ही मेरी पहचान है। आप की तरह भक्ति मय पत्रकारिता नहीं करता। मेरे बारे में किसी से ज्ञान वर्धन कर ले या मेरा ब्लॉग http://indervashisth.blogspot.com पढ़ लें आपको पता चल जाएगा कि पत्रकारिता क्या होती। आपने अपने बुजुर्ग होने की भी मर्यादा नहीं रखी तथ्य के आधार पर बात करने​ की बजाए भक्त कह कर मुझे जवाब देने को मजबूर किया। 
आप तथ्यों के आधार पर मेरे लेख में कमी निकालते तो आपका स्वागत करता।यह जवाब उन सभी पत्रकारों के लिए भी है जो आपने आका नेताओं​ को खुश करने के लिए बकवास कर रहे हैं। 
मैं तो अब भी अपना कर्म उस साधु की तरह कर रहा हूं जो बार बार डंक मारने वाले बिच्छू को भी डूबने से बचाने का अपना कर्म करना नहीं छोड़ता है।
अक्ल के अंधे कांग्रेस माता और भाजपा दाता के उन सभी भक्त पत्रकारों के लिए जिन्हें पढ़ना तो दूर शायद गिनती तक नही आती। वह घर में अपने बच्चों से भी लेख में मौजूद मठाधीशों के नाम​ की गिनती करा लेते तो पता चल गया होता कि ज्यादा नाम भाजपा से जुड़े मठाधीशों के है। पंजाब केसरी के अश्वनी कुमार, जी न्यूज के लाला सुभाष चन्द्र,सुधीर चौधरी, रजत शर्मा, चंदन मित्रा, अरुण शौरी, शेखर गुप्ता,अर्णब गोस्वामी और दीपक चौरसिया को भी कांग्रेसी​ अंध भक्त क्या अब अपने प्रणय रॉय, राजदीप सरदेसाई,बरखा दत्त, तरुण तेजपाल की तरह कांग्रेसी​ ही मानने लगे हैं।।असल समस्या यह है कि कांग्रेस भाजपा देखने वाले ज्यादातर पत्रकार उन दलों के प्रवक्ताओं​ से भी ज्यादा वफादारी दिखाने की होड़ में हैं।
 हीरा तहां ना खोलिए जहां कुंजडो की हाट।

इंद्र वशिष्ठ
पूर्व विशेष संवाददाता, दैनिक भास्कर
पूर्व क्राइम रिपोर्टर सांध्य टाइम्स( टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप)






Monday 12 June 2017

NDTV​ खाप पंचायत, बिल्ली हज को चली।



NDTV खाप पंचायत, बिल्ली हज को चली।
इंद्र वशिष्ठ
NDTV की अपने आपराधिक मामले को मीडिया पर हमला बनाने की साज़िश फेल हो गई। प्रेस क्लब में हुई सभा खाप पंचायत और मोदी स्यापा सभा बन कर रह गई। सभा में​ वह नामचीन कथित पत्रकार मौजूद थे जो मंत्री पद से लेकर ब्रिटेन, डेनमार्क में राजदूत और राज्यसभा सांसद के रुप में सत्ता का सुख भोगने के बाद आराम से जुगाली कर रहे हैं। क्या सरकार का राग दरबारी गाए बिना किसी को यह सुख नसीब हो सकता है ।अब इनके मुख से प्रेस की आजादी की बात करना ठीक ऐसे हैं कि नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। बुजुर्ग पत्रकार कुलदीप नैयर से माफी सहित पूछना चाहता हूं कि क्या आपने कभी भी उन सरकारों के खिलाफ अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल किया था जिनकी दया से 1990में आपने उस विलायत में राजदूत का सुख भोगा जिसके लिए आईएफएस अफसर भी तरस जाते हैं। कुलदीप जी फिर 1997में राज्यसभा सुख भी भोगा। अरुण शौरी जी आपने अपनी प्रतिभा पूरी जिंदगी क्या केंद्रीय मंत्री बनने के लिए ही दिखाई थी। मंत्री बनने से तो यह बिल्कुल स्पष्ट ​हो गया था कि आपने पत्रकारिता धर्म का पालन नही किया था। मंत्री पद का सुख भोगने के दौरान आपके अंदर का पत्रकार तब कहां था जब कश्मीर टाइम्स के इफ्तिखार गिलानी को देश द्रोह के झूठे केस में आपकी ही सरकार ने आईबी और दिल्ली पुलिस की मदद से जेल में सड़ाया। अरूण जी क्या​ यह सच नहीं है कि इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ दरिया गंज थाने में जमीन कब्जा करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था बाद में कोर्ट के माध्यम से वह प्लाट एक्सप्रेस को मिला। ​इस तरह प्रेस एरिया में एक्सप्रेस​ के दो प्लाट हो गए जबकि अन्य के पास तो सिर्फ एक एक है।ऐसी बुनियाद पर खड़ा यह समूह पत्रकारों को सम्मानित किया करता है। ऐसे मामलों में आपकी पत्रकारिय प्रतिभा कभी देखने को नहीं मिली। न ही तब जब एक्सप्रेस की हड़ताल खत्म कराने के लिए बीजेपी के खुराना की मदद से अखबार निकाला। ऐसे मामलों में आप जैसे दिग्गज मठाधीश कभी नहीं बोलें तो शेखर गुप्ता बिचारे की तो हैसियत क्या है। एच के दुआ जी क्या आपने कभी भूल से भी अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल उन सरकारों की पोल खोलने​ को किया जिनकी मेहरबानी से डेनमार्क में राजदूत और राज्य सभा का सुख भोगा। दुआ जी में जरुर सुरखाब के पर लगे हैं। कांग्रेस हो या बीजेपी या हो तीसरा दल यह सदा सत्ता के दरबार में रहे। प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेई के भी मीडिया सलाहकार रहे तो कांग्रेस से राज्यसभा का सुख लिया। पूरी जिंदगी सरकारी बंगले में गुजारी और अब जगत गुरु अंबानी के एक​ फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं।
शौरी जी आपको अब मंत्री नहीं बनाया गया तो आपका पत्रकार जागृत हो गया। आप सब पत्रकारिता को पायदान की तरह इस्तेमाल कर सत्ता सुख तक भोग चुके हैं। नाम, पैसा,पावर सब आपके पास है।आप क्या जानें ईमानदारी से पत्रकारिता करने वालों की तकलीफ़। आप सब को तो प्रणय जैसे मठाधीश पर दर्ज आपराधिक मामला भी प्रेस की आजादी पर हमला लगता है। 


कुंए के मेंढक की तरह सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत के अखबार , चैनल को ही नेशनल मीडिया घोषित कर स्वयं भू मठाधीश बने बैठे हैं । जबकि दक्षिण भारत में भी ऐसे अखबार और चैनल है जिनके मुकाबले दिल्ली के मठाधीश कहीं नहीं टिकेंगे। आपराधिक मामले को मीडिया पर हमला बता आरोपी प्रणय रॉय को बचाने के लिए तो आप एक जुट हो गए ।आप एक कार्य और कर दीजिए कि ED Police , CBI की खबरें देना बंद कर दीजिए क्योंकि जो भी पकड़े जाते हैं वह खुद को बेकसूर बताते हैं। उन बेकसूरों की आवाज़ भी इसी तरह उठाएं तो लगे कि आपने भी कभी पत्रकारिता की थी।अब छोटा सा सवाल जो नामचीन वकील​ फली नरीमन के बयान से उपजा है फली जी ने कहा कि जिस तरह प्रणय के साथ किया गया "लगता" है कि प्रेस की आजादी पर हमला हैं।फली जी कृपया मेरा ज्ञान वर्धन करें कि किसी आपराधिक मामले में कोर्ट सबूत के आधार पर निर्णय करती हैं या लगता है पर। आपकी बात से जज थरेजा याद आ गए जिसने आईपीएस जेपी सिंह के बेटे संतोष को यह कहते हुए बरी किया था कि मुझे मालूम है कि प्रियदर्शिनी मट्टू की हत्या तुमने की है। हालांकि बाद में हाई कोर्ट से उसे सजा हुई। फली जी अगर" लगता" हैं के आधार पर बात की जाए तो मुझे तो मीडिया मठाधीश माफिया से कम नहीं लगते और मोदी और कांग्रेस भी एक जैसे ही लगते है। फली जी आपका भी मठाधीशों की तरह दोहरा चरित्र है बात प्रेस की आजादी की करते हो और कोर्ट में केस मजीठिया वेज बोर्ड का विरोध करने वाले प्रेस मालिकों का लड़ते हैं। लगता है कि आपका धर्म भी सिर्फ पैसा ही हैं।
फली जी आप तो इतने बडे वकील है कोर्ट में दो मिनट में साबित कर सकते हैं कि सच क्या​ हैं फिर बाहर नेता की तरह क्यों कमजोर दलील दी। कोर्ट भरे हुए हैं बेकसूरों के केस से कृपया उनको भी ऐसी मुफ्त​ सेवा दीजिए। आप लोगो ने जिसे नेशनल मीडिया घोषित कर रखा है वह आपके साथ दिखा नहीं। TOI, HT, NBT, हिंदुस्तान, जागरण,अमर उजाला के मालिक /संपादक ही नहीं पत्रकारिता का इस्तेमाल कर दो बार राज्य सभा का सुख भोग चुके पायनियर के करोड़ पति चंदन मित्रा और जमीन कब्जा के आरोपी सांसद पंजाब केसरी के अश्विनी कुमार तक भी नहीं थे। राजीव शुक्ला, और रजत शर्मा जैसे मठाधीश भी आपकी अदालत मे हाजिर नहीं हुए। बाबू मोशाय अब बताओ मैंने तो पहले ही कह दिया था मीडिया के मठाधीश एकजुट नहीं होंगे क्योंकि जैसे आप किसी की गोद में है वैसे ही वह बेचारे भी किसी की गोद में है अब भला आपका कथित नेशनल मीडिया ही आप के साथ नहीं है फिर भी आप इसे मीडिया पर हमला बता रहे हैं। ठीक लालू की तरह जो अकूत संपत्ति के मामले में यह कुतर्क देता है कि मेरे खिलाफ फासीवादी ताकतें हैं। बाबू मोशाय तो यह है आपका स्तर है। 
बाबू मोशाय और हद तो यह हैं कि जेल भोगी सुब्रत रॉय सहारा ,सुधीर चौधरी, तरुण तेजपाल तक ने भी आपको सहारा नहीं दिया।100करोड़ की वसूली के आरोपी जी न्यूज के लाला सुभाष चंद्र तक ने भी आपका साथ नहीं दिया। मदारी की तरह चीख चीख कर पत्रकारिता का तमाशा बनाने वाले आपके शिष्य अर्नब गोस्वामी की भी पोल खुल चुकी है । अर्नब गोस्वामी बाबू मोशाय की ओर अंगुली उठा कर क्यों नहीं कहता "नेशन वांटस"।आज तक के मालिक बिजनस मैन अरुण पुरी के अलावा किसी अन्य चैनल के मालिक/संपादक ने भी बाबू मोशाय के दरबार में हाजिरी नहीं लगाई। दिल्ली छावनी में फौजियों के साथ मारपीट करने का आरोपी दीपक चौरसिया भी आपकी चौपाल में नहीं था। घर में पुलिस के कब्जे में मौजूद पत्रकार गिलानी को चौरसिया ने मदारी की तरह चीख चीख कर भगोड़ा घोषित किया था। बाबू मोशाय, राजदीप सरदेसाई,बरखा दत्त जैसे मठाधीशों के लिए कहावत हैं कि छाछ तो बोले सो बोले छलनी भी बोले जिसमें सत्तर छेद। 
हरियाणवी बुद्धि से मैं तो इतना ही समझा हूं कि घर वालों की भी अगर हां में हां न मिलाएं तो वह भी आपको किनारे कर देते हैं । तो बिना राग दरबारी गाए भला सत्ता​ सुख किसे मिला होगा। सत्ता से सांठ गांठ करके ही बाबू मोशाय जैसे मीडिया मठाधीशों का माफिया खड़ा हुआ है। अगर मोदी ईमानदार हैं तो ऐसे सभी मठाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाए जिन पर CBI, ED Policeमें केस दर्ज है।अगर ऐसा नहीं किया गया तो साफ हो जाएगा कि कार्रवाई करने की धमकी देकर मीडिया को अपना भोंपू बनाने की नीयत हैं।
इंद्र वशिष्ठ
पूर्व विशेष संवाददाता दैनिक भास्कर,
पूर्व क्राइम रिपोर्टर सांध्य टाइम्स(टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप)





Thursday 8 June 2017

NDTV बाबू मोशाय प्रणय रॉय शीशे​ के घर में रहने वाले को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।





 बाबू मोशाय प्रणय  रॉय शीशे​ के घर में रहने वाले को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। जो बोया है वहीं तो मिलेगा​।
इंद्र वशिष्ठ
कृपया क्या कोई बता सकता है कि मीडिया मालिक/संपादक द्वारा शोषित, पीड़ित, प्रताड़ित, नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को न्याय दिलाने, मजीठिया वेतन बोर्ड लागू कराने के लिए या बीमारी से जूझ रहे किसी पत्रकार के लिए प्रेस क्लब और एडिटर गिल्ड ने कभी कोई पहल की है। जैसे धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश के आरोपी प्रणय रॉय के लिए की जा रही है। 
क्या इंडिया टीवी पर प्रताड़ना का आरोप लगा कर जहर खाने वाली तनु शर्मा को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ किया था। 100, करोड़ की वसूली के आरोपी जेल भोगी जी न्यूज के सुधीर चौधरी ने लाइव इंडिया में दिल्ली की टीचर उमा खुराना के बारे फर्जी स्टिंग दिखा कर छात्राओं से वेश्यावृत्ति कराने काआरोप लगा कर उसका जीवन बर्बाद कर दिया।
 सुधीर की इस हरकत से दरिया गंज जैसे संवेदनशील इलाके में दंगा होने की नौबत आ गई थी। पुलिस ने दंगा होने के डर से चैनल की खबर पर विश्वास करके बिना जांच के ही टीचर को जेल भेज दिया। बाद में जांच में चैनल की खबर फर्जी निकली तो पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ।
 उस समय सुधीर किसी तरह बच गया उसके रिपोर्टर को गिरफ्तार किया गया। कहावत है न कि चोर की मां कब तक खैर मनाएगी। सुधीर वसूली के आरोप में जेल पहुंच गया। सह आरोपी जी का मालिक हरियाणे का बानिया सुभाष चन्द्र जेल जाने से बच गया । लेकिन कब तक क्योंकि शिकायत कर्ता भी मामूली आदमी नहीं वो भी हरियाणे​ का ही तगड़ा बानिया नवीन जिंदल है। क्या इन संस्थाओं ने इन मठाधीशों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत दिखाई है। आरोपी सुभाष चंद्र की किताब का विमोचन प्रधानमंत्री निवास पर करना और सुधीर को पुलिस सुरक्षा देना देख लगा कि मोदी और कांग्रेस में ज्यादा फ़र्क नहीं है।

अब बात बाबू मोशाय प्रणय रॉय की जिनकी आऊट आफ टर्न तरक्की की बुनियाद भी दूरदर्शन के बाबू मोशाय की गोद में रखी गई थी। किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ सीबीआई या पुलिस कार्रवाई करती है तो ये मठाधीश आरोपी को बिल्कुल झूठा साबित करने की होड़ करते हैं पुलिस और सीबीआई को सत्यवादी मान उसका स्तुति गान करते हैं।
जैसा कि पत्रकार इफ्तिखार गिलानी के मामले में नीता शर्मा और दीपक चौरसिया ने भी किया था। अब यही बात बाबू मोशाय पर भी तो लागू होनी चाहिए। 
कहावत है कि अपने लगी तो हित में और दूसरे के लगे तो भित (दीवार ) में। मतलब अपने लगे तो दर्द होता​ हैं। सीधी सी बात है सीबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश का मामला दर्ज किया है और अभी तो जांच चल ही रही। जांच के बाद मामला कोर्ट में जाएगा वहां साफ़ हो ही जाएगा कि सच क्या है। जांच में दखल तो​ कोर्ट भी नही देता। 
प्रणय से तो बढ़िया नेता हैं जो जेल जाने के बाद भी कह देते हैं कि न्यायालय पर उनको पूरा भरोसा है। शायद बाबू मोशाय को नहीं है या वह खुद अपनी असलियत तो जानते ही है । इसीलिए अपने निजी आपराधिक मामले को मीडिया पर हमला बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
 बाबू मोशाय खुद सामने आने की बजाय अपने जैसों को आगे कर रहे हैं।बाबू मोशाय कोई गिलानी जैसे कमजोर तो है नहीं कि हलवा समझ कर सरकार खा लेगी।
 यह तो बकायदा एक शक्तिशाली न्यूज​ मठ के मठाधीश है अरबपति हैं चिदंबरम जैसे नेता,नामी वकील दोस्त ​है। फिर भला पत्रकारों की संस्थाओं की मदद लेने की क्या जरूरत पड़ गई। इससे तो यही लगता है कि बाबू मोशाय को मालूम है इस केस में नहीं तो ईडी के केस में, या किसी अन्य में जेल यात्रा हो सकती हैं।
 इसलिए मीडिया बनाम सरकार बनाने के लिए एक ही थैली के चट्टे बट्टे मठाधीशों की गिरोह बंदी करने की कोशिश में है। हालांकि एकजुट होने की संभावना कम है क्योंकि सब मठ भले न्यूज सम्प्रदाय के हो लेकिन किसी की आस्था कांग्रेस महामंडलेश्वर में तो किसी की भाजपा भजन में है तो कोई जगत गुरु अंबानी अखाड़े का हैं। यही वजह है कि मठाधीशों का कुछ नहीं बिगड़ता।
 लेकिन​ कहते हैं कि देेर हैं अंधेेर नहीं। इसलिए जो ईमानदारी से पत्रकारिता कर रहे हैं वह सावधानी बरतें और अपने कंंधे का इस्तेमाल​ इन मठाधीशों को न करने दें। सिर्फ खाटू के श्याम बाबा की तरह साक्षी भाव से युद्ध देखें।
 ईमानदार पत्रकारों के संकट के समय में ये मठाधीश भी ऐसा ही करते रहे हैं। बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना न बने।
क्या मीडिया की इन संस्थाओं​ ने अपने बीच से इन गंदी मच्छलियों को बाहर करने के लिए कभी कुछ किया है।अगर किया होता तो आज पत्रकारिता का पूरा तालाब गंदा नहीं माना जाता। अब बात साहेब की उनकी साख से ज्यादा सीबीआई की साख दांव पर है।कोर्ट पिंजरे का तोता कह चुका है।
 मोदी अगर ईमानदार है तो उन सब मठाधीशों पर कार्रवाई करके दिखाए जिन पर CBI ED Policeमें केस दर्ज है। अगर कार्रवाई नहीं की गई तो यह साफ़ हो जाएगा कि कार्रवाई करने की धमकी भरी तलवार लटका कर मीडिया को भोंपू बनाने की नीयत हैं। ED ने 2030 करोड़ के फेमा मामले में प्रणय रॉय को दो साल पहले नोटिस दिया था उसमें आगे क्या कार्रवाई हुई इसका खुलासा करके सरकार सच सामने रखें। 1998में सीबीआई ने दूरदर्शन को चूना लगाने का जो केस दर्ज किया था उसका भी खुलासा सरकार करें। वैसे तो यह साफ-साफ आपराधिक मामला है जिसे प्रणय मीडिया से जबरन जोड़ रहा है। 
सभी पत्रकारों को गोदी पत्रकार कहने वाले बाबू मोशाय तो अभी तक गोदी में ही है पता नहीं गोद से उतर कर चलना कब सीखेंगे।
 बाबू मोशाय की बात ही मान लें कि मोदी बदला ले रहा है तो स्वाभाविक है कि बदला वहीं लेगा जिसके साथ अन्याय हुआ हो। यह तो उस समय सोचना चाहिए था बाबू मोशाय जब मठ के चेले चेलियों राजदीप सरदेसाई,बरखा समेत गुजरात दंगों में पत्रकारिता के नाम पर तमाशा किया।
 इशरत जहां एनकाउंटर केस में इसी सीबीआई को सत्य वादी हरीश चंद्र मान कर मोदी को फांसी चढ़ाना चाहा। बाबू मोशाय बैंक से लेन देन तो तुमने किया , तुम पर बैंक को 48 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप न होता तो भला मोदी कैसे बदला ले सकता था ।
अपने अपराध के लिए दूसरे को दोषी मत ठहराओ। बाबू मोशाय तुमने जो बोया वही काटना है। तुम भूल गए जिनके घर शीशे के होते हैं उनको दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।
 मनुष्य बलि ना होत है होत समय बलवान भीलन लूटी गोपियां वहीं अर्जुन वहीं बाण।। ईमानदार पत्रकारों उम्मीद है कि मठाधीशों के पाप के घड़े भरने शुरू हो गए।बस फूटने का इंतजार करे। उम्मीद है कि आने वाले समय में पत्रकारिता की पवित्रता और इज्जत दोबारा कायम होगी। अब तो सुब्रत रॉय सहारा ,तरूण तेजपाल, सुधीर, सुभाष चंद्र भी प्रेस क्लब और एडीटर गिल्ड से समर्थन मांगने के हकदार हो गए।वैसे सुब्रत रॉय सहारा को तो ऐसे मठाधीशों के कल्याण के लिए अपना ही क्लब और गिल्ड बना लेना चाहिए।
NDTV के मालिक ने बैंक को चूना लगाया। ( निष्पक्ष मीडिया होता तो यह हेडलाइन होती)

इंद्र वशिष्ठ
पूर्व विशेष संवाददाता, दैनिक भास्कर,
पूर्व क्राइम रिपोर्टर, सांध्य टाइम्स (टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप)),




मीडिया मठाधीश, मीडिया बना महाराक्षस

मीडिया मठाधीश,   मीडिया बना महाराक्षस
इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने NDTV के खिलाफ बैंक को  48 करोड़ का  चूना लगाने के आरोप में धारा 420धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश 120बी के तहत केस दर्ज किया है।इस सिलसिले में प्रणय राय के घर पर सीबीआई ने छापा मारा है। प्रणय भी मीडिया के एक मठाधीश है। सीबीआई कार्रवाई को मीडिया/लोकतंत्र पर हमला बताने वाले मीडिया मठाधीश एक ही गैंग के हैं।किसी अन्य के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई करती है। तो चैनल वाले खुद जज बन कर उस व्यकित को मुजरिम ठहरा देते। अब चैनल प्रणय राय की खबर भी उसी तरीके से क्यों नहीं दिखा रहे। इससे ही पता चलता  कि चोर-चोर मौसेरे भाई है। मीडिया महाराक्षस बन चुका है। पत्रकारिकता की आड़ में अपना फायदा इनका मकसद है। लोगों को भी इनकी असलियत पता चलनी चाहिए।
CBI,ED,IT ईमानदारी और निष्पक्षता से जांच करें तो पिछले 25 साल में करोड़ोंपति बनें मीडिया के ज़्यादातर महाराक्षस जेल में हों। लेकिन इतने सालों से अपने फ़ायदे के लिए पत्रकारिता जैसे आदर्श पेशे का भट्ठा बिठा रहे इन मठाधीशों का कुछ नहीं बिगड़ेगा​ क्योंकि कोई कांग्रेस का तो कोई भाजपा का पाला हुआ है। अब अंबानी भी पाल रहा है। इनमें कोई अखबार/चैनल का मालिक बन गया तो कोई  राज्यसभा पहुंच गया। प्रणय के खिलाफ दूरदर्शन के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में सीबीआई ने 1998 में भी धारा 420 में केस दर्ज किया गया था। लेकिन सरकार के संरक्षण के चलते उसका कुछ नहीं बिगड़ा। ईडी ने भी 2030 करोड़ के मामले में फेमा का उल्लघंन करने पर प्रणय को नोटिस दिया। इन मठाधीशों को पत्रकार कहना पत्रकारिता का अपमान है। ये तो भांड है जिनकी चाटुकारिता से खुश हो कर राज नेता इनको पद्म श्री आदि भी दे देते हैं। दिलचस्प है कि पद्म श्री भी शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए दिए गए हैं। पक्षपात, भेदभाव पूर्ण खबरें दिखा कर लोगों को गुमराह करने का ये मठाधीश पाप करते हैं इसलिए ये महाराक्षस हैं। टाइम्स आफ इंडिया के मालिक अशोक जैन के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया था तब टाइम्स आफ इंडिया ने दबाव बनाने के लिए ईडी के खिलाफ खबरें छापने का अभियान शुरू कर दिया था। नीरा राडिया मामले में बरखा दत्त ,वीर सिंघवी समेत कई मठाधीशों की असलियत उजागर हुई थी। दीपक चौरसिया के खिलाफ तो   दिल्ली छावनी में फौजियों से मारपीट करने का मामला पर दर्ज हुआ था। जी न्यूज के सुधीर चौधरी और उसके मालिक सुभाष चन्द्र के खिलाफ तो 100 करोड़ की वसूली का मामला दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया है सुधीर तो जेल भी जा चुका है। यह वहीं सुधीर है जिसने लाइव इंडिया चैनल में फर्जी स्टिंग दिखा कर स्कूल टीचर उमा खुराना को वेश्यावृति का आरोप लगा कर बदनाम किया।  आरोपी सुभाष चन्द्र की किताब का विमोचन प्रधानमंत्री निवास पर करना और सुधीर को पुलिस सुरक्षा देना मोदी की भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है।  पंजाब केसरी के अश्विनी कुमार पर वजीर पुर में सरकारी जमीन कब्जा करने का आरोप है। सरकारी इंजीनियर ने केस दर्ज कराया।अश्विनी के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के के पाल से संबंध थे। इसलिए पाल ने तत्कालीन डीसीपी संजय सिंह और केशव पुरम थाने के एसएचओ को ही हटा दिया। करीब तीन दशक पहले बहादुर शाह जफर मार्ग पर प्रेस एरिया में जमीन कब्जा करने का इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ था।। 
 चैनल का मालिक बन गया रजत शर्मा तो अब शान से अपनी गरीबी का किस्सा तो सुनाता ही है अरुण जेटली को भी ईमानदारी का प्रमाण पत्र देकर अपनी वफादारी दिखाता है। मदारी की तरह चीख चीख कर पत्रकारिता का तमाशा बनाने वाले अर्णब गोस्वामी की पोल भी खुल चुकी है। तहलका वाले तरुण तेजपाल की काली करतूत भी याद होगी। भारत पर्व मना कर राष्ट्र भक्त होने का ढ़ोग करने वाला सुब्रत राय सहारा की जेल जाने की वजह भी जगजाहिर है। कई अन्य पत्रकारों को दिए गए फायदे की पोल तो मुलायम सिंह यादव ने खुद ही खोल दी थी। तो यह है मीडिया के मठाधीशों का असली चरित्र। जागो लोगों जागो अपने विवेक का इस्तेमाल करो और आंख मूंद कर किसी भी चैनल/अखबार पर भरोसा मत करो।वह जमाना गया जब अखबार में छपी खबर पर आंख मूंद कर भरोसा किया जाता था। Police,ED,CBI में जिन कथित पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज है अगर मोदी ईमानदार है तो कार्रवाई करके दिखाए। वरना तो यहीं माना जाएगा कि कार्रवाई करने का डर दिखा कर मीडिया को अपना भोंपू बनाने की नीयत से यह सब किया जा रहा है।




Saturday 3 June 2017

मेट्रो चोरी में भी अव्वल

  , मेट्रो चोर-चोरनी  के चंगुल में ,  पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान ,
  इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली की शान और पहचान  मेट्रो में चोरी की वारदात में लगातार जबरदस्त इजाफा हो रहा है। इस साल के शुरू के साढ़े चार  महीने में ही चोरी/जेबकटने के 7063 मामले दर्ज हो गए है । सिर्फ 132 अभियुक्तों को ही पुलिस गिरफ्तार कर पाई है। । मेट्रो में सक्रिय जेबकत्तरों और चोरनियों के गिरोह  पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते है। चोर- चोरनियों  के कई गिरोह  तो सालों  से मेट्रो मे ही चोरी कर रहे है ।
 सावधान-  मेट्रो  रेल मे सफर के दौरान चौकन्ने रहें , खास तौर पर उतरते समय  वर्ना  नकदी और  कीमती सामान गंवा देंगे ।
कंधे पर बैग निशाना--  चोर-चोरनी के गिरोह कंधे पर बैग लटकाने वाले को निशाना बनाते है।  पुलिस द्वारा पकड़ी गई महिला चोरों ने पूछताछ में बताया कि उनको अंदाजा रहता है कि महिलाए  नकदी और जेवर आदि छोटे पर्स में रख कर उसे बैग में रखती है। कंधे पर बैग लटका कर सफर करने  वाली महिला को  चोरनियों का गिरोह घेर कर खड़ा हो जाता है। मेट्रो के अंदरउतरते समय या एस्कलेटर पर जहां भी मौका मिला भीड़ की आड़ में  ये चोरनियां बैग की जिप खोल कर सामान चोरी कर  लेती है । चोरी करने वाली माल तुरन्त अपनी साथियों को पास कर देती है।
मोबाइल और लैपटाप  --जेबकत्तरे  पर्स चोरी करने के अलावा मोबाइल और लैपटाप  चोरी करते है। 
-- दिल्ली पुलिस ने 15 मई 2017 तक मेट्रो में चोरी के 6384 और जेबकटने के 679 मामले दर्ज किए है।  । इस अवधि में  सिर्फ 132 अभियुक्तों को पुलिस गिरफ्तार कर पाई है। साल 2016 में चोरी के 9705 जेबकटने के 510साल 2015 में चोरी के 3104 जेबकटने के 1728साल 2014 में चोरी के 2211 जेबकटने के 1739 और साल 2013 में चोरी के 875 जेबकटने 661 मामले दर्ज हुए थे हालांकि  पुलिस के अपराध  के आंकड़े सचाई से कोसों दूर होते है। क्योंकि  अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस जेब कटने के सभी मामलों को दर्ज नहीं करती । इसके बावजूद दर्ज मामलों से ही जाहिर है कि चोरी की वारदात बेतहाशा बढ़ रही है । जेबकाटते या बैग से चोरी करते हुए  अपराधियों के फोटो सीसीटीवी  कैमरों में कई  बार पाए गए है। इसके बावजूद पुलिस जेबकत्तरों पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
 इन स्टेशनों पर रहें चौकन्ना--पुलिस के अनुसार जेबकत्तरों के  गिरोह भीड़ भाड़ वाले राजीव चौक , कश्मीरी गेट.चांदनी चौक  और चावड़ी बाजार स्टेशनों  पर सबसे ज्यादा सक्रिय है। मेट्रो में बढ़ती भीड़ जेबकत्तरों के लिए माहौल मुफीद बना देती है। मेट्रो में सवार होते समय लोगों द्वारा की जानी वाली धक्का मुक्की भी जेबकत्तरों और चोरों को मौका देती है।
मेट्रो में रोजाना  25 लाख  से  ज्यादा लोग सफर करते है। सुरक्षा सीआइएसएफ और  दिल्ली पुलिस के पास है।  मेट्रो में होने वाले अपराध की  रोकथाम और जांच का जिम्मा पुलिस के पास है। मेट्रो स्टेशन मेट्रो के 14 थानों के अधीन आते है।  
25 लाख के हीरों के जेवरात--मेट्रो मे पिछले साल 25 लाख के हीरों के जेवरात  की चोरी को  महिला चोर ने अंजाम दिया । बीकानेर निवासी मांगी लाल 23 मई 2016 को  मेट्रो से चांदनी चौक से द्वारका जा रहा था। उसके बैग मे डिब्बे में हीरे के  जेवर के 5 सैट थे । पुलिस ने सीसीटीवी की फुटेज को खंगाला तो एक औरत बैग से  चोरी करते और जेवर के डिब्बे के साथ नई दिल्ली स्टेशन पर उतरती दिखाई दी ।  पुलिस ने उस औरत की पहचान पूजा के रूप में की । पूजा  को  पकड़ लिया गया । उससे पूछताछ पर उसके रिश्तेदार के घर  से  25 लाख के जेवरात बरामद हो गए । पूजा मेट्रो में एक दशक से  भी ज्यादा समय से चोरी कर रही है। मेट्रो में चोरी के आरोप में पूजा को 2002 और 2015 में भी गिरफ्तार किया गया था ।  पूजा अकेली ही चोरी करती है।
 6 लाख के जेवर--- मेट्रो में गुडगांव की सुनीता खन्ना के बैग से 1 जून 2016 को 6 लाख के हीरे और सोने के जेवर चोरी हो गए ।  नई दिल्ली  स्टेशन पर सीसीटीवी की फुटेज मे दिखाई दिया कि सुनीता जब उतर रही थी तब उसे औरतों के गिरोह ने घेर रखा था । उनमें से एक राखी की पहचान हो गई। राखी ,ललित,सुरेखा और तुलसा को पकड़ लिया गया ।  राखी इस गिरोह की सरगना है। ये चारों मेट्रो में चोरी और जेबकाटने के आरोप में पहले भी  पकड़ी जा चुकी है।