इंसानियत, काबिलियत, बहादुरी की मिसाल।
इंद्र वशिष्ठ
देश के बेहतरीन आईपीएस अफसरों में शुमार 1984 बैच के आईपीएस कर्नल सिंह अपनी पारी सफलतापूर्वक पूर्ण कर प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो गए।
कर्नल सिंह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में निदेशक पद पर तैनात होने वाले दूसरे आईपीएस अफसर थे इसके पहले इस पद पर आईएएस और आईआरएस अफसर ही तैनात किए जाते थे।
कर्नल सिंह ने अपनी काबिलियत के दम इस एजेंसी को इस मुकाम पर पहुंचा दिया कि आज़ सीबीआई से भी ज्यादा सक्रिय और चर्चित यह जांच एजेंसी हो गई है। काले धन को सफेद करने वालों , हवाला, बेनामी संपत्ति और बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ा गया। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम और उसके बेटे के खिलाफ जांच पूरी कर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने के अलावा लालू यादव और उसके परिवार, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या जैसों की हजारों करोड़ की सम्पत्ति को जब्त करने के कार्य किए ।
कर्नल सिंह के निदेशक के रूप में तीन साल के कार्यकाल में 536 मामलों में 33563 करोड़ की सम्पत्ति जब्त की गई। जबकि इसके पहले के दशक में 2045 मामलों में 9003 करोड़ मूल्य की संपत्ति ही जब्त की गई थी। अहमद पटेल के करीबियों के अलावा कोयला खदान घोटाले, स्टर्लिग बायोटेक, अगस्ता वेस्टलैंड, सारदा रोज वैली चिटफंड,पीएसीएल,एनएससीएल आदि मामलों की जांच की गई।
कर्नल सिंह की सेवानिवृत्ति वैसे तो पिछले साल अगस्त में हो जाती लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पद पर दो साल की अवधि अनिवार्य किए जाने के कारण वह अब सेवानिवृत्त हुए हैं। कर्नल सिंह 2011 में दिल्ली पुलिस से प्रवर्तन निदेशालय में स्पेशल डायरेक्टर के पद पर प्रतिनियुक्ति पर गए थे।
दिल्ली पुलिस में शानदार पारी--
कर्नल सिंह दिल्ली पुलिस के उत्तर पश्चिमी जिला के उपायुक्त रहे उस समय कुख्यात अपहरणकर्ता दिनेश ठाकुर को इंस्पेक्टर रविशंकर की टीम ने कथित मुठभेड़ में मार गिराया। दिनेश ठाकुर के साथी आफताब अंसारी को गिरफ्तार किया गया इसी अंसारी ने बाद में आमिर रजा के साथ मिलकर इंडियन मुजाहिदीन आतंकी गिरोह बनाया।
इंस्पेक्टर पीपी सिंह और सब- इंस्पेक्टर अरुण शर्मा की टीम ने कुख्यात बदमाश गोपाल ठाकुर को मार गिराया। रविशंकर और पीपी सिंह को इन मामलों में बारी से पहले तरक्की देकर एसीपी और अरुण शर्मा को इंस्पेक्टर बनाया गया। (रविशंकर साल 2017 में डीसीपी के पद से सेवानिवृत्त हो गए)।
इसके बाद कर्नल सिंह सतर्कता विभाग, अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनाई गई एसटीएफ और अपराध शाखा में डीसीपी रहे।
42 बम धमाकों में शामिल 26 आतंकियों को गिरफ्तार किया-
लश्कर ए तैयबा के इशारे पर अहले हदीस के अब्दुल करीम टुंडा ने 1996-97 में दिल्ली और आसपास के इलाकों में 42 बम धमाके कर आतंक मचा दिया था। तत्कालीन डीसीपी कर्नल सिंह के नेतृत्व में अपराध शाखा के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त आलोक कुमार, एसीपी रविशंकर आदि की टीम ने कई महीने तक कड़ी मेहनत कर 8 पाकिस्तानी समेत 26 आतंकियों को गिरफ्तार कर बम धमाकों के 42 मामले सुलझाए। इस मामले में शामिल 8 पाकिस्तानी 2 बांग्लादेशी और बर्मा के 1 आतंकी ने अदालत में अपना अपराध कबूल कर लिया सज़ा पूरी होने पर उन्हें उनके देश भेज दिया गया। हालांकि इस मामले में पकड़े गए कई आतंकियों को सज़ा दिलाने में पुलिस सफल नहीं हो पाई। इस मामले में की गई बेहतरीन तफ्तीश की मिसाल दी जाती है।
श्रीप्रकाश शुक्ला एनकाउंटर -
अपराध शाखा ने कर्नल सिंह के नेतृत्व में ही उत्तर प्रदेश पुलिस को साथ लेकर कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला को कथित मुठभेड़ में मार गिराया गया । इसके अलावा गोल्फ लिंक से अपहृत बच्चे तरुण पुरी को मेरठ में अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराने जैसे समेत अनेक मामले सुलझाए गए।
अपराध शाखा ने उपहार अग्निकांड के आरोपी सुशील अंसल और उसके बेटे प्रणब अंसल को मुंबई में ढूंढ कर पकड़ लिया।
कर्नल सिंह उत्तरी रेंज और स्पेशल सेल के संयुक्त पुलिस आयुक्त भी रहे।
बटला हाउस एनकाउंटर-- 13-9-2008 में दिल्ली में सिलसिलेवार 5 बम धमाके करने वाले आतंकियों का कर्नल सिंह के नेतृत्व में स्पेशल सेल ने 6 दिनों के भीतर ही पता लगा लिया था। 19 सितंबर को आतंकियों को गिरफ्तार करने के दौरान बटला हाउस एनकाउंटर हुआ जिसमें दो आतंकवादी मारे गए और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए। दिल्ली में सिनेमा हॉल में हुए बम धमाकों में शामिल आतंकियों को पकड़ने के अलावा अनेक आतंकियों और जेल से फरार हो गए फूलन देवी के हत्यारे शेर सिंह राणा को गिरफ्तार करने आदि जैसे कार्य का श्रेय कर्नल सिंह के खाते में है।
दिल्ली में बीजेपी सांसद गंगा राम के घर से उत्तर प्रदेश के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह के हत्यारे कुख्यात बदमाश राजन तिवारी को पकड़ने की हिम्मत कर्नल सिंह ने दिखाई थी।
टाइटलर को टाइट किया-
एक बार की बात है कांग्रेस के जगदीश टाइटलर ने जमीन कब्जा करने वाले पहलवानों की मदद करने के लिए कर्नल सिंह से कहा लेकिन उत्तर पश्चिमी जिला के डीसीपी कर्नल सिंह ने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो सत्ता के नशे में चूर टाइटलर ने कर्नल सिंह के साथ अभद्र व्यवहार किया लेकिन कर्नल सिंह ने टाइटलर को ऐसी डांट लगाई कि वह उनकी शिकायत करने पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार के दरबार में पहुंच गया।
मेहनती-
कर्नल सिंह शुरू से ही खुद भी टीम के साथ दिन रात एक कर तफ्तीश में जुटे रहने वाले अफसर रहे हैं । इस वजह से उनके साथ काम करने वाली टीम का भी उत्साह बढ़ता था। कर्नल सिंह ने अनेक पुलिस वालों को बारी से पहले तरक्की और वीरता पदक दिला कर टीम का हौसला बढ़ाया।
पुलिस में ऐसे भी अफसर रहे हैं जो जुगाड से खुद वीरता पदक और भारी सुरक्षा व्यवस्था ले लेते हैं।इस मामले में भी बहादुर कर्नल सिंह ने मिसाल कायम की है सालों तक आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करते रहे लेकिन ना तो कोई अतिरिक्त सुरक्षा ली और ना ही वीरता पदक।
दूसरी ओर कर्नल सिंह के बैच के दीपक मिश्रा हैं जिन्होंने 1996 में एक सिख को गिरफ्तार कर बम धमाके के 5 मामले सुलझाने का दावा कर सात पुलिस वालों को बारी से पहले तरक्की भी दिला दी। जबकि कुछ दिन बाद ही राजस्थान पुलिस ने बम धमाकों में शामिल असली आतंकियों को पकड़ कर इनके झूठे दावे की पोल खोल दी।
आईपीएस के 1984 बैच में अपने साथियों दीपक मिश्रा और धर्मेंद्र कुमार से वरिष्ठता सूची में तीसरे नंबर पर रहे कर्नल सिंह ने बहादुरी, मेहनत और पेशेवर काबिलियत के दम पर अपनी एक अलग पहचान बनाई।
आतंकियों और कुख्यात बदमाशों के अनेक एनकाउंटर कर्नल सिंह के नेतृत्व में उनकी टीम ने किए इसके बावजूद कर्नल सिंह ने कभी खुद को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट या सुपर कॉप जैसा प्रचारित करने की ज़रा भी कोशिश नहीं की।
बहादुरी, पेशेवर काबिलियत और कड़ी मेहनत से अपनी छाप छोड़ने वाले कर्नल सिंह सही मायने में सुपर कॉप हैं।
दागी भी पसंद -
निजी रूप से बेहद सादगी और सरलता का जीवन जीने वाले संवेदनशील व्यक्ति हैं हालांकि उनकी सरलता का फायदा कई चालाक/ धूर्त /चापलूस/बेईमान मातहतों ने भी उठाया ।
कर्नल सिंह पहले दागी या बदनाम पुलिस अफसरों को नापसंद करते थे लेकिन बाद में ऐसे अफसर भी उनके मातहत आ गए और उनके ख़ास तक बन गए।
दागी और बदनाम लोगों को मातहत रखने के बारे में मैंने एक बार कर्नल सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि व्यक्ति को घी की तरह होना चाहिए यानी अपना असर दूसरे पर छोड़ना चाहिए किसी दूसरे का असर अपने पर नहीं आने देना चाहिए।
हालांकि मेरा मानना है कि आईपीएस अफसर अच्छे कार्य करने वाले मातहत को इनाम तो जरुर दे, लेकिन गलत कार्य करने पर उसे बिल्कुल बख्शा नहीं जाना चाहिए। ईमानदार आईपीएस अफसर अगर ऐसा करें तभी मातहतों को निरंकुश और भ्रष्ट होने से रोका जा सकता है।
दिल्ली पुलिस के अलावा गोवा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश पुलिस में भी कर्नल सिंह तैनात रहे।
गुजरात में हुए इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के मुखिया भी कर्नल सिंह बनाए गए थे लेकिन उन्होंने इस पद को कुछ दिनों बाद खुद ही छोड़ दिया था।
गांव का छोरा-
मूल रूप से पूर्वी दिल्ली में शाहदरा गांव के महराम मौहल्ले के निवासी कर्नल सिंह दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक और कानपुर से एमटेक के बाद आईपीएस अफसर बने।
पुलिस में रहते हुए एलएलबी और एमबीए भी किया। इसके अलावा भारतीय विद्या भवन से ज्योतिष शास्त्र की शिक्षा ली साथ ही वहां समय समय पर ज्योतिष के छात्रों को पढ़ाया भी। I
कर्नल सिंह के अलावा कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस से रिटायर हुए स्पेशल सीपी पुरूषोत्तम नारायण अग्रवाल और किशन कुमार भी शाहदरा गांव के महराम मौहल्ले के ही मूल निवासी हैं।